शख्सियत समाज कर्मठ कार्यकर्त्ता श्री बालासाहब देवरस December 11, 2016 | Leave a Comment संघ शिक्षा वर्ग की दिनचर्या में प्रतिदिन होने वाले बौद्धिक वर्ग का बहुत महत्त्व होता है। प्रायः वर्ग के सर्वाधिकारी ही उनका परिचय कराते हैं; परन्तु 1943 में पूना के वर्ग में जब एक दिन वक्ता का परिचय कराने के लिए सरसंघचालक श्री गुरुजी स्वयं खड़े हुए, तो स्वयंसेवक चकित रह गये। Read more » Featured कर्मठ कार्यकर्त्ता श्री बालासाहब देवरस कर्मठ कार्यकर्त्ता सरकार्यवाह श्री बालासाहब देवरस
व्यंग्य चल चमेली लैन में.. December 8, 2016 | Leave a Comment कई दिन से शर्मा जी के दर्शन नहीं हो रहे थे। अतः कल मैं उनके घर चला गया; पर वे वहां भी नहीं थे। भाभी जी से पूछा, तो गुस्से में बोली, ‘‘सुबह से ‘मोदी लैन’ में लगे हैं।’’ – ये मोदी लैन क्या चीज है भाभी जी ? – वर्मा जी, आप किस […] Read more » चल चमेली लैन में..
राजनीति व्यंग्य भारत खुला, मुंह बंद November 30, 2016 | Leave a Comment जब से मोदी ने नोटबंदी की घोषणा की है, देश के अधिकांश राजनेताओं, काले धन पर ऐश कर रहे सरकारी अधिकारियों और कारोबारियों की तरह शर्मा जी भी बहुत बेचैन हैं। वैसे शर्मा जी बहुत सज्जन आदमी हैं। उनका मन भले ही काला हो, पर काले धन से उनका कोई खास लेना-देना नहीं है। फिर […] Read more » bharat band against notebandi Featured भारत खुला भारत बंद मुंह बंद
विविधा सार्थक पहल अविरल और निर्मल गंगा October 15, 2016 | 3 Comments on अविरल और निर्मल गंगा गंगा को सुधारना है, तो राजनीतिक इच्छाशक्ति, सामाजिक जागरूकता, विशेषज्ञों द्वारा निर्मित समयबद्ध योजना, कठोर कानून और उनका पालन, धर्म, विज्ञान और वर्तमान जनसंख्या की जरूरतों में व्यावहारिक समन्वय जैसे मुद्दों पर एक साथ काम करना होगा, तब जाकर जगत कल्याणी मां गंगा स्नान और ध्यान, वंदन और आचमन के योग्य बन सकेगी। Read more » Featured अविरल और निर्मल गंगा निर्मल गंगा
व्यंग्य साहित्य मच्छर से कुछ सीखो भाई ………… September 30, 2016 / September 30, 2016 | Leave a Comment मनुष्य भले ही स्वयं को संसार के प्राणियों में सबसे अधिक बुद्धिमान समझे, पर मैं इससे सहमत नहीं हूं। इन दिनों सब तरफ बाबा रामदेव और उनके योगासनों की धूम है; पर एक बार जरा आसनों के नाम पर तो नजर डालें। मयूरासन, श्वानासन, कुक्कुटासन, सिंहासन, गोमुखासन, मत्स्यासन, भुजंगासन, मकरासन, उष्ट्रासन... आदि। नाम गिनाना शुरू करें, तो सूची समाप्त नहीं होगी। Read more » Featured sattirical article on dengue मच्छर
राजनीति व्यंग्य ऑपरेशन झाड़ूमार September 18, 2016 | Leave a Comment जीभ की लम्बाई, चौड़ाई या मोटाई के बारे में तो हमने अधिक बातें नहीं सुनीं, पर उसकी चंचलता के किस्से जरूर प्रसिद्ध हैं। कहते हैं एक बार दांतों ने हंसी-मजाक में जीभ को काट लिया। जीभ ने कुछ गुस्सा दिखाया; पर वह ठहरी कोमल और अकेली, जबकि दांत थे कठोर और पूरे बत्तीस। उसके गुस्से […] Read more » Featured ऑपरेशन झाड़ूमार
राजनीति व्यंग्य साहित्य क्यों भई चाचा, हां भतीजा September 17, 2016 | 1 Comment on क्यों भई चाचा, हां भतीजा बचपन में स्कूल से भागकर एक फिल्म देखी थी ‘चाचा-भतीजा।’ उसमें एक गीत था, ‘‘बुरे काम का बुरा नतीजा, क्यों भई चाचा.., हां भतीजा।’’ फिल्म के साथ यह गाना भी उन दिनों खूब लोकप्रिय हुआ था। आजकल भी ये गाना उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में जूतों की ताल पर खूब बज रहा है। इस […] Read more » Akhilesh yadav Featured Shivpal Yadav चाचा भतीजा शिवपाल
राजनीति व्यंग्य साहित्य खाट सभा और टाट सभा September 8, 2016 / September 8, 2016 | Leave a Comment कल शाम शर्मा जी के घर गया, तो वे माथे पर हाथ रखे ऐसे बैठे थे, जैसे सगी सास मर गयी हो। हर बार तो मेरे आने पर वे हंसते हुए मेरा स्वागत करते थे, पर आज उनमें कोई हलचल ही नहीं थी। भाभी जी भी घर पर नहीं थी। इसलिए मैंने रसोई से एक […] Read more » Featured खाट सभा टाट सभा
विविधा गोरक्षा या गोरखधंधा August 9, 2016 | Leave a Comment गत छह अगस्त को नरेन्द्र मोदी ने अपने ‘टाउनहाल भाषण’ नामक कार्यक्रम में गोरक्षकों के संदर्भ में ‘गोरखधंधा’ और ‘गोरक्षा की दुकानें’ जैसी गंभीर टिप्पणियां की हैं। वे मानते हैं कि कुछ लोग रात में किये जाने वाले काले धंधे छिपाने के लिए दिन में गोरक्षक का चोला पहन लेते हैं। उन्होंने राज्य सरकारों से […] Read more » Featured गोरक्षा गोरखधंधा
पर्यावरण समस्या के साथ समाधान भी सोचें June 26, 2016 / June 26, 2016 | Leave a Comment मौसम, पर्यावरण, बिजली और पानी के संकट की बात बहुत लोग कहते हैं। कोई बड़े बांधों का विरोधी है, तो कोई समर्थक। कोई शहरों के पक्ष में है, तो कोई ‘भारतमाता ग्रामवासिनी’ की याद दिलाता है। लेकिन हाल ये है कि ‘मर्ज बढ़ता गया, ज्यों-ज्यों दवा की।’ दुनिया में इलाज की होम्योपैथी, एलोपैथी, आयुर्वेद, यूनानी, […] Read more » Featured कोयले का प्रदूषण तेजी से बढ़ती जनसंख्या। दानवाकार बांध परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर्यावरण पानी के संकट बढ़ता शहरीकरण बिजली महानगरों में प्रदूषण मौसम
व्यंग्य साहित्य अमित्र सभा June 19, 2016 | Leave a Comment प्रसिद्ध होने की इच्छा अर्थात ‘लोकेषणा’ भी अजीब चीज है। इसके लिए लोग तरह-तरह के काम करते हैं, जिससे उनका नाम ‘गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड’ में आ जाए। ये काम भले भी हो सकते हैं और बुरे भी। सीधे भी हो सकते हैं और उल्टे भी। जान लेने वाले भी हो सकते हैं और […] Read more » अमित्र सभा
राजनीति देश की आवश्यकता, एक नयी कांग्रेस June 10, 2016 | 3 Comments on देश की आवश्यकता, एक नयी कांग्रेस पिछले कुछ समय से कांग्रेस में संकट लगातार गहराता जा रहा है। यों तो उतार-चढ़ाव हर राजनीतिक दल में आते रहते हैं; लेकिन कांग्रेस का यह संकट उसके समर्थकों ही नहीं, उन विरोधियों के लिए भी चिंता का कारण बन गया है, जो देश से वास्तव में प्रेम करते हैं। भारत में दो तरह के […] Read more » एक नयी कांग्रेस कांग्रेस देश की आवश्यकता