कहानी साहित्य नया विश्वास February 23, 2016 | 1 Comment on नया विश्वास मोहन के पांव आज धरती पर नहीं पड़ रहे थे। दिल्ली से प्रकाशित होने वाली एक प्रतिष्ठित पत्रिका में उसकी कहानी छपी थी। पत्रिका की ओर से स्वीकृति का पत्र तो दो माह पहले ही आ गया था; पर तब उसने किसी से इसकी चर्चा नहीं की। वस्तुतः वह सबको ‘सरप्राइज’ देना चाहता था। कई […] Read more » नया विश्वास
कहानी साहित्य न इधर के रहे न उधर के रहे.. February 20, 2016 | Leave a Comment मैं जिस सरकारी विभाग में काम करता था, वहां से पिछले दिनों मेरा स्थानांतरण कर दिया गया। नये स्थान पर सरकारी आवास में मरम्मत और रंगाई-पुताई का कुछ काम बाकी था। अतः कुछ समय के लिए एक कमरा किराये पर ले लिया। मकान मालिक एक वकील साहब थे। उनकी वकालत तो कोई खास नहीं चलती […] Read more » न इधर के रहे न उधर के रहे..
कहानी साहित्य दृष्टिकोण February 18, 2016 / February 18, 2016 | 3 Comments on दृष्टिकोण चंदन मेरा बचपन का मित्र है। उसके लिए सबसे उचित संबोधन ‘लंगोटिया यार’ है। यानि जब हमें लंगोट पहनने की भी तमीज नहीं थी, तब से हम लोग मित्र हैं। खेलकूद हो या पढ़ाई, खानपान हो या लड़ाई, हम हर जगह साथ-साथ पाये जाते थे। पढ़ाई के बाद दोनों की राहें अलग-अलग हो गयीं। वह […] Read more » दृष्टिकोण
विविधा शख्सियत श्रद्धांजलि – हिमालय के वरद पुत्र डा. नित्यानन्द January 19, 2016 | 1 Comment on श्रद्धांजलि – हिमालय के वरद पुत्र डा. नित्यानन्द देवतात्मा हिमालय ने पर्यटकों तथा अध्यात्म प्रेमियों को सदा अपनी ओर खींचा है; पर नौ फरवरी, 1926 को आगरा (उ.प्र.) में जन्मे डा. नित्यानन्द ने हिमालय को सेवाकार्य के लिए अपनी गतिविधियों का केन्द्र बनाया। आगरा में 1940 में विभाग प्रचारक श्री नरहरि नारायण ने उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जोड़ा; पर श्री दीनदयाल उपाध्याय […] Read more » Dr. Nityanand Featured डा. नित्यानन्द श्रद्धांजलि - हिमालय के वरद पुत्र डा. नित्यानन्द
विविधा शख्सियत श्रद्धांजलि – लोकतंत्र-प्रेमी न्यायाधीश नेकश्याम शमशेरी January 17, 2016 | Leave a Comment आपातकाल में मेरठ की जेल में सैकड़ों लोकतंत्र प्रेमी बन्द थे। शासन चाहता था कि वे वहीं सड़ जाएं; पर उन दिनों मेरठ के कई न्यायाधीशों में एक थे श्री नेकश्याम शमशेरी। उनके पास जो भी वाद जाता था, वे उसे जमानत दे देते थे। यद्यपि इसमें बहुत खतरा था; पर वे सदा न्याय के […] Read more » Featured justice Nekshyam Shamsheri लोकतंत्र-प्रेमी न्यायाधीश नेकश्याम शमशेरी
कहानी साहित्य प्रदूषण मुक्ति December 24, 2015 / December 24, 2015 | Leave a Comment मैं सुबह और शाम को तो घूमता ही हूं; पर सर्दियों में कई बार समय मिलने पर दिन में भी पार्क में चला जाता हूं। वहां खुली धूप से कमर की अच्छी सिकाई के साथ ही कई लोगों से भेंट भी हो जाती है। छुट्टी हो, तो बच्चे भी वहां खेलते मिल जाते हैं। उन्हें […] Read more » प्रदूषण मुक्ति
कहानी साहित्य प्रतीक December 21, 2015 / December 21, 2015 | 2 Comments on प्रतीक रामलाल और श्यामलाल सगे भाई थे; पर बीच में तीन बहिनों के कारण दोनों में दस साल का अंतर था। अब तो दोनों दादा और नाना बनकर सत्तर पार कर चुके हैं; फिर भी श्यामलाल जी अपने बड़े भाई का पितातुल्य आदर करते हैं। घरेलू जरूरतों के चलते रामलाल जी जल्दी ही पिताजी के साथ […] Read more » Featured प्रतीक
कहानी समाज ब्रह्मभोज December 7, 2015 | 4 Comments on ब्रह्मभोज पिताजी ने यों तो दोनों भाइयों की पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी थी; पर छोटा भाई कुछ खास नहीं पढ़ सका और पिताजी के साथ ही गांव में खेतीबाड़ी और दुकान देखने लगे। बड़ा पढ़ने में तेज निकला। उसने प्रथम श्रेणी में एम.ए. किया और फिर दिल्ली में एक डिग्री कॉलिज में उसे […] Read more » ब्रह्मभोज
राजनीति समाज जातिभेद मिटाने के लिए.. November 12, 2015 | Leave a Comment आरक्षण और चुनाव की बात होते ही जाति की चर्चा होने लगती है। असल में जाति और जातिभेद दो अलग चीजें हैं। हर बच्चे का जन्म किसी वंश, गोत्र, वर्ग या जाति में होता है; पर कई लोग इसके कारण खुद को हीन या श्रेष्ठ समझने लगते हैं। ये जातिभेद की मानसिकता है, जो प्रयासपूर्वक […] Read more » Featured जातिभेद जातिभेद मिटाने के लिए..
जन-जागरण विविधा आरक्षण बनाम शिक्षा में सुधार November 6, 2015 | 1 Comment on आरक्षण बनाम शिक्षा में सुधार पिछले दिनों पांचजन्य साप्ताहिक में सरसंघचालक श्री मोहन भागवत का एक साक्षात्कार छपा, जो मुख्यतः दीनदयाल जी के विचारों पर केन्द्रित था। उसमें एक जगह उन्होंने कहा कि आरक्षण का लाभ जिन्हें मिलना चाहिए था, वह उतना नहीं मिल पा रहा है। अतः इस बात की समीक्षा होनी चाहिए कि डा. अम्बेडकर की भावना के […] Read more » Featured improvement in education Reservation आरक्षण शिक्षा में सुधार
राजनीति समाज गोमांस पर अनावश्यक विवाद October 18, 2015 | 1 Comment on गोमांस पर अनावश्यक विवाद हमारा प्रिय भारत देश महान है; पर यहां का मीडिया उससे भी अधिक महान है। जिस समाचार से उनकी प्रसिद्धि बढ़े और विज्ञापन से उनकी झोली भरे, उसे वे सिर पर उठा लेते हैं। यदि खबर दिल्ली के आसपास की हो, तो फिर कहना ही क्या ? याद कीजिये दिल्ली का निर्भया कांड, नौएडा का […] Read more » Featured गोमांस गोमांस पर अनावश्यक विवाद
कहानी कहानी – प्रेम गली अति सांकरी…. October 10, 2015 | Leave a Comment विश्व साहित्य में प्रेमकथाओं का सदा से ही महत्वपूर्ण स्थान रहा है। इनमें भी वे कथाएं अधिक लोकप्रिय हुई हैं, जिनका अंत सुखद नहीं रहा। ऐसा क्यों है, कहना कठिन है। शायद विरह और दुख के अंगारों पर धीमे-धीमे सुलगता हुआ प्रेम ही अन्य प्रेमीजनों के दिल को शांति देता है। हीर-रांझा, लैला-मजनू, शीरी-फरहाद आदि […] Read more » Featured कहानी - प्रेम गली अति सांकरी....