कहानी साहित्य जसु अपजसु बिधि हाथ September 10, 2015 | Leave a Comment यों तो हमारे कार्यालय में हर शनिवार और रविवार को छुट्टी रहती है; पर कभी-कभी शुक्रवार या सोमवार को कोई पर्व या जयंती भी आ जाती है। ऐसे में केन्द्रीय कर्मचारियों की चांदी हो जाती है। आप तो जानते ही हैं कि भारत छुट्टी प्रिय देश है। साल में डेढ़ सौ दिन तो छुट्टी होती […] Read more » Featured
विविधा व्यंग्य मान और अपमान August 7, 2015 | 1 Comment on मान और अपमान विद्वानों के अनुसार सृष्टि के जन्मकाल से ही मान और अपमान का अस्तित्व है। लक्ष्मण जी ने वनवास में शूर्पणखा की नाक काटी थी। उसने इस अपमान की रावण से शिकायत कर दी। अतः सीता का हरण हुआ और फिर रावण का कुलनाश। द्रौपदी के एक व्यंग्य ‘‘अंधे का पुत्र अंधा ही होता है’’ ने […] Read more » अपमान मान
विविधा समाज घर July 24, 2015 | Leave a Comment पिछले दिनों किसी काम से रमेश के घर गया था। वह मेरा पुराना मित्र है। गया तो शाम को था; पर बातचीत और भोजन में दस बज गये। आठ बजे से जो भयानक वर्षा शुरू हुई, तो वह थमने का नाम ही नहीं ले रही थी। अतः रमेश के आग्रह पर मैं वहीं रुक गया। […] Read more »
विविधा व्यंग्य व्यंग्य बाण : गाड़ी नंबर ग्यारह July 11, 2015 | Leave a Comment पिछले दिनों 21 जून को पूरी दुनिया में ‘योग दिवस’ मनाया गया। इससे बाकी लोगों को कितना लाभ हुआ, ये तो वही जानें; पर हमारे शर्मा जी में एक चमत्कारी परिवर्तन हुआ। उनके पड़ोसी गुप्ता जी ने उन्हें रोज कुछ देर ‘शीर्षासन’ करने की सलाह दी थी। पहले तो शर्मा जी ने सिर नीचे और […] Read more » गाड़ी नंबर ग्यारह
विविधा व्यंग्य सम्मान का गणित June 29, 2015 | Leave a Comment शर्मा जी यद्यपि खुद भी वरिष्ठ नागरिक हैं, फिर भी वे बड़े-बुजुर्गों की बात का बहुत सम्मान करते हैं। अवकाश प्राप्ति के बाद सबसे पहले उन्होंने मकान की मरम्मत कराई। इसके बाद कुछ समय आराम किया; पर इस चक्कर में जहां उनका स्वास्थ्य बिगड़ने लगा, वहां घरेलू मामलों में बिना बात दखल देने से घर […] Read more » सम्मान का गणित
विविधा व्यंग्य आलेख : एंग्लो इंडियन को विशेष सुविधाएं क्यों ? June 17, 2015 / June 17, 2015 | Leave a Comment भारत में एंग्लो इंडियन (आंग्ल भारतीय/आ.भा.) कितने हैं, इसके ठीक आंकड़े उपलब्ध नहीं है। देश में कई स्थानों पर ये रहते हैं; पर इन्हें संविधान द्वारा कई विशेष सुविधाएं दी जाती हैं। भारत में अंग्रेजी शासन के दौरान अधिकांश अंग्रेज अधिकारी अकेले ही रहते थे। ऐसे में उनके कई भारतीय महिलाओं से वैध/अवैध सम्बन्ध बन […] Read more » Featured एंग्लो इंडियन
विविधा दीनदयाल उपाध्याय और अंत्योदय June 4, 2015 / June 4, 2015 | Leave a Comment -विजय कुमार- राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक तथा भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष श्री दीनदयाल उपाध्याय का जन्मशती वर्ष 25 सितम्बर, 2015 से प्रारम्भ हो रहा है। इस अवसर पर उनके जीवन और विचारों पर नये सिरे से चिंतन और मंथन होना ही चाहिए। इससे प्राप्त नवनीत का उपयोग निःसंदेह देश के भले के […] Read more » Featured अंत्योदय योजना आरएसएस दीनदयाल उपाध्याय दीनदयाल उपाध्याय और अंत्योदय
समाज छत April 8, 2015 / April 11, 2015 | Leave a Comment मेरे निवास के बगल में ही एक बड़ी संस्था से सम्बद्ध वृद्धाश्रम है। कई बुजुर्ग वहां रहते हैं। एक गोशाला, हनुमान मंदिर और चिकित्सालय भी है। मंदिर में यों तो हर दिन सैकड़ों लोग आते हैं; पर मंगलवार को दर्शनार्थियों की लाइन लगी रहती है। साल में दो बार, नवरात्र के दौरान कथा का […] Read more » Featured छत
व्यंग्य राजनीति का इंजन April 2, 2015 / April 4, 2015 | Leave a Comment कुछ लोग देश की अर्थव्यवस्था के संचालन में खेती का प्रमुख योगदान मानते हैं, तो कुछ उद्योगों का। कुछ व्यापार को सर्वाधिक महत्व देते हैं, तो कुछ भ्रष्टाचार को; पर शर्मा जी विवाह को भारतीय अर्थव्यवस्था का इंजन मानते हैं। उनका मत है विवाह के बाद बच्चे होते हैं। उनकी पढ़ाई, लिखाई, दवाई और सुख-सुविधाओं […] Read more » Featured देश की अर्थव्यवस्था देश की अर्थव्यवस्था के संचालन राजनीति का इंजन विजय कुमार
व्यंग्य व्यंग्य बाण : वी.वी.आई.पी. खांसी February 21, 2015 / February 23, 2015 | 2 Comments on व्यंग्य बाण : वी.वी.आई.पी. खांसी मुझे फिल्म देखने का कभी शौक नहीं रहा। हां, अच्छे गीत सुनने से मन-मस्तिष्क को आराम जरूर मिलता है। बालगीत भी बहुत अच्छे लगते हैं। ऐसे कुछ गीत और कविताएं मैंने भी लिखी हैं। कई बड़े अभिनेताओं ने बालगीत गाये हैं, यद्यपि वे स्थापित गायक नहीं है। इनमें अशोक कुमार द्वारा फिल्म ‘आशीर्वाद’ में गाया […] Read more » वी.वी.आई.पी. खांसी
टॉप स्टोरी ओबामा की बेचैनी February 15, 2015 / February 15, 2015 | 2 Comments on ओबामा की बेचैनी पिछले दिनों अमरीकी राष्ट्रपति श्री बराक हुसेन ओबामा हमारे गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि बनकर यहां आये थे। उनके प्रवास के दौरान खूब गहमागहमी रही। समाचार पत्र उनके साथ हुई चर्चा और समझौतों से भरे रहे। रेडियो और टी.वी. भी उनके दर्शन करने और कराने में व्यस्त रहे। प्रवास के अंतिम दिन दिल्ली के […] Read more » ओबामा की बेचैनी
व्यंग्य व्यंग्य बाण : चमत्कारी अंगूठी February 12, 2015 / February 12, 2015 | Leave a Comment दिल्ली के चुनाव परिणाम आने के बाद परसों मैं शर्मा जी के घर गया, तो एक बाल पत्रिका उनके हाथ में थी। वे एक कहानी पढ़ रहे थे, जिसका शीर्षक था ‘चमत्कारी अंगूठी’। मैंने प्रश्नाकुल आंखों से बुढ़ापे में बाल पत्रिका पढ़ने का कारण पूछा, तो उन्होंने चुपचाप पत्रिका मुझे थमा दी और खुद अंदर […] Read more » चमत्कारी अंगूठी