आजम का बड़बोले नेता से भू-ंउचयमाफिया तक का सफर

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संजय सक्सेना,लखनऊ

अपने विवादास्पद बयानों से बड़े-ंउचयबडों की
‘लीचिंग’ करने वाले पूर्व मंत्री और सांसद आजम खान
पर अब भू-ंउचयमाफिया का नया ठप्पा लग गया है।बात दें
योगी सरकार ने जमीन से अवैध कब्जे हटवाने और
भूमाफिया पर कार्रवाई की निगरानी के लिए एक एंटी
भू-ंउचयमाफिया पोर्टल विकसित किया है। इसमें जिलों
में भूमाफिया पर की गई कार्रवाई का नियमित ब्योरा
दर्ज करना होता है।जिनका नाम पोर्टल पर भूमाफिया
के तौर पर दर्ज हो जाता है, उनकी निगरानी -रु39याासन स्तर पर
भी होती है। सरकार उन लोगों को भू-ंउचयमाफिया
की श्रेणी में रखती है जो किसी की जमीन पर आपराधिक
नीयत से कब्जा करते हैं। वास्तविक मालिक के सामने आने
पर भी जमीन न छोड़ते, धमकी देते हैं। जिनपर, जमीन
कब्जाने की कई -िरु39याकायतें, मुकदमे, आपराधिक मुकदमे
हों।
आजम खां और पूर्व सीओ तथा अब जौहर विश्वविद्यालय
के साथ जुड़े आले हसन के खिलाफ -िरु39याकायतों व
मुकदमों को देखते हुए दोनों का नाम एंटी
भूमाफिया पोर्टल पर दर्ज किया गया है। आजम पर जौहर
विवि के लिए करोड़ों रुपये की जमीन कब्जाने का आरोप
है। इसके अलावा आजम खां और पूर्व सीओ आले हसन

पर वक्फ बोर्ड की जमीनों को कब्जाने, दलितों की
जमीन बिना अनुमति के रजिस्ट्री करवाने और -रु39यात्रु संपत्ति
कब्जाने के भी आरोप लगे हैं। प्र-रु39याासन ने पहले
दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया था। बाद में
26 किसान सामने आए। उनमें से कुछ की तहरीर पर 12 केस
दर्ज किए गए हैं। 14 और किसानों ने भी तहरीर दी
है। इसके आधार पर केस दर्ज करने की तैयारी है। आजम
वह हस्ती है जो अपने काम से अधिक कारनामों के चलते
ज्यादा जाने जाते हैं। रामपुरी चाकू से तेज चलती है
उनकी जुबान। जब भी मुंह खोलते हैं तो जहर ही
उलगते हैं। खासकर, भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय
स्वयं सेवक संघ(आरएसएस) के नेता विशेषकर उनके
‘निशाने’ पर रहते हैं। मोदी-ंउचयअमित शाह और योगी
आदित्यनाथ जैसे तमाम नेताओं पर हमला करने के लिए
खान साहब शब्द छांट-ंउचयछांट कर लाते हैं। वह किसी
का चरित्रहनन करने में भी पीछे नहीं रहते। फिल्म
अभिनेत्री से राजनीति में आईं जयाप्रदा इसकी सबसे
बड़ी मिसाल हैं।
आजम की खासियत यह है कि वह कभी अपने गिरेबान में
-हजयांक कर नहीं देखते हैं। बेगम को राज्यसभा में
पहुंचा दिया। बेटे का विधायक बना दिया। जिद्द के
पक्के आजम खान जब अपने पर आ जाते हैं तो सामने वाले
की कोई औकात नहीं रह जाती है। यही वजह है
मुलायम सिंह सरकार में मंत्री रहते आजम खान ने जब
मुसलमानों के लिए रामपुर में एक विश्व स्तरीय विश्वविद्यालय
खोलने का सपना देखा तो उसे पूरा करने के लिए आजम

सभी मर्यादाएं लांघ गए। जौहर विश्वविद्यालय के लिए जमीन
की व्यवस्था करने के लिए आजम खान ने अपनी ताकत का
इस्तेमाल करते हुए किसानों की जमीन, नदियों के
किनारे सभी हथिया लिए। नदियों की पैमाइश बदल दी
गई। किसान रोते रहे, गिड़गिड़ाते रहे। उनकी एक
नहीं सुनी गई। तत्कालीन रामपुर प्रशासन आजम की
कठपुतली बन गया तो शासन ने भी इस तरह से आंखें
घुमा लीं। आजम का रूतबा ही कुछ ऐसा था। आजम की
इसी हठधर्मी के चलते उनके दुश्मनों की संख्या लगातार
ब-सजय़ती गई। उनके दुश्मनों की लिस्ट में जितने
हिन्दू थे,उससे कम मुसलमान नहीं थे। आजम लगातार
अपने दुश्मनों को निपटाते रहे।
एक तरफ आजम अपनी मनमानी करते रहे तो दूसरी तरफ
अपने ‘पाप’ को छिपाने के लिए वह अपनी अलग छवि ग-सजय़ते
गए। विवादित बोल बोलकर वह सबसे दुश्मनी मोल लेते
और जब उनके खिलाफ कोई कार्रवाई होती तो वह
इसे निजी खुन्नस में की गई कार्रवाई बताकर अपने को
‘बेचारा’ साबित करने की कोशिश में लग जाते। ऐसा ही
आजम ने अबकी भी किया,लेकिन मौजूदा योगी सरकार ने
इसकी जरा भी परवाह नहीं की। योगी सरकार पर दबाव
बनाने के लिए आजम मोदी से लेकर अमित शाह तक को अपने
निशाने पर लिए रहते थे। मगर अबकी से उनकी यह थ्योरी
परवान नही च-सजय़ पाई। आजम के खिलाफ सबूत जुटाए गए
तो पता चला कि आजम खान एक बड़ा भू-ंउचयमाफिया है।
रामपुर के सांसद आजम खां इस समय अपने खिलाफ जमीन कब्जे
के मुकदमों व तहरीरों के चलते सुर्खिंयां बटोर

रहे हैं। जिस ड्रीम प्रॉजेक्ट जौहर वि-रु39यवविद्यालय के लिए आजम
ने तत्कालीन राज्यपाल तक से मोर्चा ले लिया था, उसे
किसी भी तरह पूरा करने की जिद अब उनके गले की फांस
बन गई है। रामपुर जिला प्र-रु39याासन की जांच रिपोर्ट में
दावा किया गया है कि वि-रु39यवविद्यालय की आधी से अधिक जमीन
फर्जीवाड़े, कब्जे और मिलीभगत से हासिल की गई
है।
मौलाना मोहम्मद अली जौहर ट्रस्ट से संचालित जौहर
वि-रु39यवविद्यालय के चांसलर पूर्व नगर विकास मंत्री आजम खां
है। इस ट्रस्ट के अन्य महत्वपूर्ण पदों पर भी उनके
परिवार वाले और करीबी काबिज हैं। बता दें जौहर
विश्वविद्यालय की स्थापना 2006 में तत्कालीन मुलायम
सरकार में हुई थी। वि-रु39यवविद्यालय को अल्पसंख्यक का दर्जा
दिलवाने को लेकर पूर्व राज्यपाल टीवी राजे-रु39यवर और बीएल
जो-रु39याी से आजम खां खूब लड़े-ंउचय-हजयगड़े थे। बाद
में आजम ने सेटिंग करके जुलाई 2014 में कार्यवाहक
राज्यपाल अजीज कुरै-रु39याी से विश्वविद्यालय से जुड़े विधेयक
को मंजूरी दिला दी थी। 2012 में अखिलेश सरकार के
नेतृत्व में सपा सरकार बनने के बाद वि-रु39यवविद्यालय के
निर्माण कार्य में तेजी आई तो आजम ने विश्वविद्यालय के
लिए जमीन हासिल करने के लिए औपचारिकताएं पूरी करने की
बजाए जमीन कब्जाना शुरू कर दिया। उनके कद और रसूख के
चलते -िरु39याकायतकर्ता की आवाज दब कर रह गई तो प्र-रु39याासन
काफी बौना नजर आया। आजम के कारनामों का काला
चिटठा कभी नहीं खुलता,अगर 2017 में भाजपा की
सरकार नहीं बनती।

योगी सरकार ने आज के खिलाफ आने वाली -िरु39याकायतों
की फाइल खोलनी -रु39याुरू की तो पता चला कि विवि की 39
हेक्टेअर जमीन सरकारी है। बची 38 हेक्टेअर जमीन जो
किसानों से खरीदी गई है, वह भी सरकार में निहित
होने के योग्य है।
जांच रिपोर्ट के अनुसार वि-रु39यवविद्यालय को दिए जाने के लिए
गलत -सजयंग से जमीन के सर्कल रेट तक बदल दिए गए। ं कुछ
जमीन को नदी का बहाव क्षेत्र या बा-सजय़ क्षेत्र बताकर सर्कल
रेट घटा दिया गया। यहां निर्माण कार्य भी हो
गया,जबकि नियमानुसार नदी के बहाव क्षेत्र में पक्का
निर्माण नहीं हो सकता। ऐसे में यह जमीन स्थायी
निर्माण के लिए कैसे दी गई? सबसे बड़ी बात यह है कि
सर्कल रेट सबसे पहले बाजार क्षेत्र का तय किया जाता है और
पूरे जिले का तय होता है। लेकिन, जिस जमीन को कब्जाना
था उस जमीन वि-रु39यो-ुनवजया के सर्कल रेट तीन बार घटाए गए,
जिससे किसानों को खासा नुकसान हुआ। रिपोर्ट की
मानें तो नगर पालिका परि-ुनवजयाद भी 13.0842 -रु39यात्रु संपत्ति
को वक्फ संपत्ति बनाने के फर्जीवाड़े में -रु39याामिल
रही थी। जबकि रामपुर में उक्त जमीन वक्फ संपत्ति के रूप
में अंकित ही नहीं थी। एक अन्य मामले में जिला
प्र-रु39याासन ने नोटिस विवि के रजिस्ट्रार को दिया, लेकिन जवाब
वक्फ बोर्ड की ओर से दिया गया। इसी तरह दलितों की
जमीन खरीदने के लिए भी नियम ताक पर रखे जाने के आरोप
है। कुछ दलित किसानों ने जमीन दूसरे दलित किसानों
को बेची और उसके कुछ घंटे बाद ही उसकी रजिस्ट्री
तीसरे पक्ष को कर दी गई।

जौहर विवि की आधी से ज्यादा जमीन फर्जीवाड़े,
कब्जे और मिलीभगत से हासिल की गई। इससे संबंधित
जांच रिपोर्ट कहती है कि नदी की 5 हेक्टेयर की जमीन पर
चहारदीवारी बनाकर अवैध कब्जा किया गया, जबकि तालाब,
पोखर, नदी की जमीन को वास्तविक रूप से बनाए रखने का
हाई कोर्ट का आदे-रु39या है। 7 हेक्टेयर जमीन
तत्कालीन एडीएम रामपुर ने नियम विरुद्ध -सजयंग से नवीन परती
दिखाकर विवि को दे दी। यह चकरोड, रेत और नदी की
जमीन थी, जिसे नवीन परती में नहीं बदला जा सकता। 7
हेक्टेयर जमीन नवीन परती के रूप में विवि के नाम दर्ज है,
जबकि वह सार्वजनिक उपयोग की रेत की जमीन है। इस पर
2713 खैर के पेड़ थे। जमीन का गैर वानिकी उपयोग
वर्जित था, जिसमें पेड़ों को यथावत रखा जाना था।
सभी पेड़ काटे जा चुके हैं।
41 हेक्टेयर से अधिक जमीन किसानों से ली गई और
दलित किसानों और असंक्रमणीय भूमिधरों के पट्टे
भी खरीद लिए गए। इसके लिए जिला प्र-रु39याासन की अनुमति नहीं
ली गई। इसमें तत्कालीन एडीएम पर फर्जीवाड़े के
आरोप हैं।अब सब जांच हो रही है। जांच के आधार पर
आजम खान को भू-ंउचयमाफिया घोषित कर दिया गया है।
वैसे आजम खान पर मंत्री रहते जल निगम में भी फर्जी
नियुक्ति आदि धांधली के मामले चल रहे हैं।

बहरहाल, उत्तर प्रदेश की सियासत और समाजवादी पार्टी
में आजम खान का रूतबा किसी से छिपा नहीं है। वह
कभी सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के खास हुआ करते
थे तो अब अखिलेश यादव की ‘नाक के बाल’ बने हुए
हैं। हाल ही में सम्पन्न लोकसभा चुनाव में आजम
की बदजुबानी से उनकी प्रतिद्वंदी जयाप्रदा काफी आहत
दिखी थीं। तो इससे पहले भी उनकी विवादित
बयानबाजी से कई हस्तियां आहत हो चुकी हैं। यहां
तक की जिन मुलायम सिंह यादव ने आजम को सियासत की
एबीसीडी सिखाई थी,उन्हीं मुलायम सिंह से जब अमर
सिंह को लेकर आजम खान नाराज हो गए तो उन्होंने
मुलायम के बारे में घटिया से घटिया शब्दों का
इस्तेमाल करने में परहेज नहीं किया था। आज भी आजम
के सुर बिगड़ते देर नहीं लगती है।
विवादों से उनका पुराना है। भारत माता को डायन
बताना, सेना को हिन्दू-ंउचयमुस्लिम में बांटना, पीएम
मोदी को आतंकवादी बताना, कश्मीर को भारत का अंग
नहीं मानना जैसा विवादित बयान देना उनकी फितरत में
नजर आता है। जून, 2017 में आजम खान ने सेना को
लेकर विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा था क-रु39यमीर,
-हजयारखंड और असम में महिलाओं द्वारा सैनिकों को
पीटा गया और उनके निजी अंगों को काट दिया गया।
सच्चाई यह है कि महिलाओं को सेना के
बलात्कारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए मजबूर
किया जाता है। यह संदे-रु39या है कि हिंदुस्तान को -रु39यार्म
आनी चाहिए। मई, 2017 को आजम खान ने कहा था कि

लड़कियों को उन जगहों से दूर रहना चाहिए, जहां पर
उनके साथ छेड़छाड़ हो सकती है। उत्तर प्रदे-रु39या के
रामपुर गांव के एक कॉलेज में ईव-ंउचयटीजिंग की खबरों
के बाद उन्होंने ये बयान दिया। अगस्त 2016 में आजम
खान ने एक और विवाद खड़ा कर दिया जब उन्होंने
आरोप लगाया कि बुलंद-रु39याहर के पास एक व्यस्त राजमार्ग पर
नोएडा स्थित मां और बेटी के गैंगरेप में
‘राजनीतिक साजि-रु39या‘ -रु39याामिल हो सकती है। दिसंबर 2015 में
आजम खान ने कहा,‘कई आरएसएस नेता अविवाहित हैं
क्योंकि वे समलैंगिक हैं।’
अक्टूबर 2015 में आजम खान ने नाबालिगों के
बलात्कार के लिए मोबाइल फोन को जिम्मेदार ठहराया।
उन्होंने कहा कि युवा पी-सजय़ी द्वारा इन गैजेट्स का
दुरुपयोग नाबालिगों के बलात्कार में खतरनाक वृद्धि का
कारण बना है। 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान
आजम खान ने कहा था,‘कारगिल की पहाड़ियों को
फतह करने वाला कोई हिंदू नहीं थी, बल्कि करगिल
की पहाड़ियों को नारा-ंउचयए-ंउचयतकबीर अल्लाह-ंउचयहू-ंउचयअकबर
कहकर फतह करने वाला मुसलमान फौजी था।’ आजम खान
के विवादित बयान यहीं खत्म नहीं होते हैं। इनके
अलावा भी उन्होंने कई बार ऐसा बोला, जिन पर जमकर
विवाद हुआ।
एक बार मुलायम सिंह बड़बोले आजम को समाजवादी
पार्टी से बाहर का भी रास्ता दिखा चुके हैं। तब आजम
ने अमर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था,जिससे

नाराज होकर मुलायम ने आजम को पार्टी से बर्खास्त कर
दिया था। अब देखना यह है कि भू-ंउचयमाफिया घोषित
होने के बाद आजम कैसे अपने को इस दाग से बचा
पाएंगे। क्योंकि इस समय आजम के साथ देने वालों की
संख्या नहीं के बराबर है। उनके साथ अगर कुछ सही है
तो उनका सांसद होना। इसकी आ-सजय़ में आजम
थोड़े समय के लिए राहत प्राप्त कर सकते है।कुल मिलाकर
सपा के कद्दावर नेता से भू-ंउचयमाफिया बनने तक का सफर
काफी रोमांचित करने वाला है। दूसरों को आईना
दिखाने वाले आजम आज खुद उसी आइने के सामने
शर्मसार नजर आ रहे हैं।

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संजय सक्‍सेना
मूल रूप से उत्तर प्रदेश के लखनऊ निवासी संजय कुमार सक्सेना ने पत्रकारिता में परास्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद मिशन के रूप में पत्रकारिता की शुरूआत 1990 में लखनऊ से ही प्रकाशित हिन्दी समाचार पत्र 'नवजीवन' से की।यह सफर आगे बढ़ा तो 'दैनिक जागरण' बरेली और मुरादाबाद में बतौर उप-संपादक/रिपोर्टर अगले पड़ाव पर पहुंचा। इसके पश्चात एक बार फिर लेखक को अपनी जन्मस्थली लखनऊ से प्रकाशित समाचार पत्र 'स्वतंत्र चेतना' और 'राष्ट्रीय स्वरूप' में काम करने का मौका मिला। इस दौरान विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं जैसे दैनिक 'आज' 'पंजाब केसरी' 'मिलाप' 'सहारा समय' ' इंडिया न्यूज''नई सदी' 'प्रवक्ता' आदि में समय-समय पर राजनीतिक लेखों के अलावा क्राइम रिपोर्ट पर आधारित पत्रिकाओं 'सत्यकथा ' 'मनोहर कहानियां' 'महानगर कहानियां' में भी स्वतंत्र लेखन का कार्य करता रहा तो ई न्यूज पोर्टल 'प्रभासाक्षी' से जुड़ने का अवसर भी मिला।

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