बकरी हों तो वही…  

1
207

हमारे प्रिय शर्मा जी पिछले दिनों किसी विवाह के सिलसिले में मध्य प्रदेश गये थे। परसों वे लौटे, तो मैं उनसे मिलने चला गया। चाय पीते और शादी की मिठाई खाते हुए शर्मा जी ने म.प्र. का एक अखबार मुझे देकर कहा – लो वर्मा, इसे पढ़ो..।

– शर्मा जी, कहां ताजी चाय और कहां पांच दिन पुराना बासी अखबार। इसमें पढ़ने लायक क्या है ?

– गौर से देखो, इसमें वी.आई.पी. बकरियों की खबर है।

मैंने देखा, तो वहां लिखा था कि म.प्र. समाजवादी पार्टी के एक नेता मुनव्वर सलीम की 23 बकरियां चोरी हो गयीं। बताते हैं कि बकरियां बहुत अच्छी किस्म की थीं। उनमें से हर एक की कीमत दो से तीन लाख रु. थी। नेता जी रहने वाले तो विदिशा यानि म.प्र. के हैं, पर ऊंची पहुंच के कारण राज्यसभा में वे उ.प्र. से पहुंचे हुए हैं।

– लेकिन शर्मा जी, इतने बड़े नेता को बकरी पालने की क्या जरूरत पड़ गयी ?

– ये तो नेता जी ही जानें कि वे बकरियां दूध के लिए थीं या आगामी ईद की दावत के लिए। खैर, जो भी हो, पुलिस ने बहुत तेजी दिखाकर दो दिन में ही उन्हें बरामद कर लिया। आखिर नेता जी की बकरियां जो ठहरीं। देर हो जाती, तो उनमें से कुछ शायद पशुप्रेमियों के पेट में समा जातीं।

– शर्मा जी, ये तो अच्छा ही हुआ कि बकरियां मिल गयीं। इससे पता लगता है कि म.प्र. में कानून व्यवस्था बहुत अच्छी है और वहां की पुलिस बहुत चुस्त है।

– लेकिन वर्मा, नेता जी ने अपनी बकरियां पहचानी कैसे ? हम तो अपने परिजनों को नाम और चेहरे से पहचान लेते हैं; पर बकरियां तो सब एक सी ही होती हैं।

– शर्मा जी, इस प्रश्न के उत्तर के लिए तो आपको रामपुर वाले आजम खां से मिलना होगा।

– क्यों, इससे उनका क्या सम्बन्ध है ?

– बहुत गहरा सम्बन्ध है। आपको मालूम ही होगा कि अखिलेश शासन के साढ़े चार मुख्यमंत्रियों में से एक वे भी थे। एक बार उनकी भैंसें भी चोरी हो गयी थीं। अब वे कोई साधारण भैंसें तो थी नहीं। पुलिस विभाग में हड़कम्प मच गया और दो ही दिन में माल बरामद कर मंत्री जी के तबेले में बांध दिया गया।

– हां, मैंने भी सुना तो था।

– बस यही बात उन बकरियों के साथ हुई।

– तुमने मेरे प्रश्न का उत्तर नहीं दिया कि नेता जी ने अपनी बकरियों को पहचाना कैसे ?

– शर्मा जी, जैसे आजम खां ने अपनी समाजवादी भैंसों को पहचाना, वैसे ही मुनव्वर सलीम ने समाजवादी बकरियों को पहचान लिया।

– यानि समाजवादियों के पशु भी समाजवादी हो जाते हैं ?

– ये कहना तो कठिन है कि नेताओं का असर पशुओं पर पड़ता है या पशुओं का नेताओं पर। नेता असली समाजवादी होते हैं या पशु, इसका ठीक उत्तर शायद लालू जी दे सकें। क्योंकि उनके और गाय-भैसों के खानपान में काफी समानता है।

शर्मा जी से इस बारे में काफी देर तक बात होती रही, पर हम किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके। ऐसे में मुझे याद आये ब्रज भाषा के महान कृष्ण भक्त कवि रसखान। कक्षा नौ में हमारी हिन्दी की पुस्तक में भक्त कवियों के बारे में एक अध्याय था। उसमें सूर, कबीर और तुलसी से लेकर रहीम और रसखान जैसे श्रेष्ठ कवियों के जीवन और उनकी रचनाओं के बारे में पढ़ाया जाता था। कहते हैं कि रसखान का असली नाम सैयद इब्राहिम था। यों तो उनकी सभी रचनाएं एक से बढ़कर एक हैं; पर निम्न छंद सर्वाधिक प्रसिद्ध है। मैंने वही शर्मा जी को सुना दिया –

मानुस हों तो वही रसखान, बसौं नित गोकुल गांव के ग्वारन

जो पशु हों तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मंझारन।

पाहन हों तो वही गिरि को, जो धरयो कर छत्र पुरंदर धारन

जो खग हों तो बसेरों करों, मिली कालिंदी कूल कदंब की डारन।।

शर्मा जी बोले – यह छंद सुनाकर तुम क्या कहना चाहते हो ?

– शर्मा जी, मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि यदि रसखान आज के युग में होते, तो वे नंद की गाय की बजाय आजम खां की भैंस या मुनव्वर सलीम की बकरी बनना पसंद करतेे। कांग्रेस की ही तरह समाजवादियों के दिन भले ही लद गये हों, पर उनके वी.आई.पी. पशुओं का जलवा अभी बरकरार है।

कांग्रेस का नाम सुनते ही शर्मा जी भड़क गये और डंडा उठाने अंदर दौड़े। मैंने भी मौके का लाभ उठाया और मिठाई का पूरा डिब्बा लेकर वहां से फरार हो गया।

 

1 COMMENT

  1. आपने आज़म खान जी की भैसों की चोरी की चर्चा सुनी लेकिन वास्तव में ये चोरी नहीं हुई थी. इनका अपहरण हो गया था क्योंकि कुछ दिनों से खान साहब ने इन के लिए कुछ नए किस्म की ड्रेस बनवा दी थी. सब को नयी स्कर्ट और बिकिनी दे दी थी – पहले तो भैंसे चुप रही लेकिन आखिर कब तक मन मार कर् रहें, एक दिन मौका देख कर वे भी घूमने और बाहर की ठंडी हवा खाने निकल गयी. लेकिन …… वहां इन के साथ वो कुछ हो गया जो अप्रत्याशित था. पुलिस की शामत आ गयी. कप्तान साहब लाइन हाजिर कर दिए गए और भैंसे भी शर्म से किसी से आँख नहीं मिला सकती थी. आखिर किसी तरह जुगाड़ कर भैंसें वापिस लाई गयी – शर्म के मारे सब का बुरा हाल था. मंत्री जी अलग परेशान थे. किसी से भी बात नहीं कर पा रहे थे. …….

Leave a Reply to B N Goyal Cancel reply

Please enter your comment!
Please enter your name here