भारतान् जनान ररक्ष

—विनय कुमार विनायक
‘भारतान् जनान ररक्ष’ ये प्रार्थना है भारतीयों के लिए
‘हे ईश्वर! भारत जन की रक्षा करो’
ऋग्वेद के मंत्रद्रष्टा राजर्षि आर्य विश्वामित्र की
फिर कैसे धारणा बन गई कि आर्य आक्रांता विदेशी थे!

किस विदेशी आक्रांता ने विजित देश की
जनता की रक्षा में ईश्वर से ऐसा सामगान किया,
अरबों, तुर्कों, मुगलों, अंग्रेजों ने भारत को लूटा,
भारतीय धर्म संस्कृति,आस्था अस्मिता को कूटा
गजनी,गोरी,बाबर,औरंगजेब ने हिन्दू को कर लगाकर
तलवार आजमा कर धर्म परिवर्तित कर गुलाम किया!

मानसिकता और धर्म संस्कृति को ऐसे बदला भारत का
कि आक्रांता ने आका बन कर जीवनदायिनी धरती को माता
कहना हराम किया ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’
राम कथन अब राम वंशजों को कहना रास नहीं
जबकि संस्कृति और मजहब अलग-अलग चीज होती!

आदमी का धर्म पंथ मजहब बदल सकता
मगर बाप, दादा, पुरखा, वल्दियत कभी नहीं बदलता
मजहब तो इंडोनेशिया वालों ने भी बदला
किन्तु अपनी परम्परा, बाप दादा वल्दियत को कहां बदला?
उनके मस्जिद पे रामायण-महाभारत के श्लोक,छवि चित्रांकन
बच्चों का नामकरण, रामलीला मंचन जस का तस अपना सा!

अपनी संस्कृति, परंपरा, पुरखों को सम्मानित करने में अपयश कैसा?
मूक पशु, पक्षी, तिर्यक प्राणी तक पहचान लेते अपने जन्मदाता को
फिर मनुष्य को ऐसा करने से कौन सा धर्म रोकता?

धारण करें धर्म को ठीक-ठीक, पढ़ें फिर-फिर धर्म को,
व्याख्या करें सही-सही धर्म की स्वभाषा में,मादरे वतन की जुबां में
कहते हैं मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर करना
फिर आपस में प्यार करो ना,मानव हो मानव से सरोकार रखो ना
जिसे नहीं देखा उसपर यकीन करना कैसा?

यहां जब सुरा बुरा है, तो वहां कैसे बह सकती सुरा की नदियां?
यहां नारियों को मान नहीं, वहां वो हूर कैसे हो सकती?
अस्तु आर्य कथन आज भी कायम ‘माता भूमि पुत्रो अहं पृथ्विया’
पृथ्वी के आगे पीछे उपर नीचे अगर कुछ है तो तुम हो, हम हैं,
हमारा भूत भविष्य वर्तमान अगर कहीं है तो यहीं हो सकता,
अगर हम मिट्टी से बने हो तो स्वर्ग का देवता कैसे हो सकते?

अगर हमारा गर्भनाल हिन्द में गड़ा तो रोम में हमारा राम
और पाक में भारत का पाक खुदा कैसे हो सकते?
अगर होंगे तो हमारे किस काम के?
ना वो यहां आ सकते ना हम वहां जा सकते,
फिर हमारे किस काम के?
इसलिए कहते रोम-रोम में राम,कण-कण में भगवान,
जर्रे-जर्रे में खुदा का वास है!
मंदिर मस्जिद गिरजाघर होगा किसी और का घर,
किसी पराए की व्यवस्था में होगा पोप का चर्च,
काबा का मस्जिद,कैलाश मानसरोवर का मंदिर,
हमारे पुरखों की जमाबंदी कदापि नहीं!

पर ईश्वर रब सबके अपने-अपने अंदर,
भीसा पासपोर्ट लेकर कबतक खोजते फिरोगे बाहर-बाहर
परदेश अरब का काबा,इटली का रोम,
चीन के हिस्से में जा चुका कैलाश मानसरोवर!

‘वसुधैव कुटुंबकम्’ कहते जो,
’भारतान् जनान ररक्ष’ की बात करते जो
वो अभारतीय कैसे हो सकते,वो नहीं आज के हिन्दू,
नहीं यहूदी, नहीं ईसाई, नहीं मुस्लिम, पारसी
बल्कि सबके धर्म प्रवर्तकों के पूर्वज
वो आज के मजहबी शागिर्द नहीं,
आरंभ से हम सबके रक्त रिश्तेदार थे
धर्म, वर्ण,नस्ल, जाति सम्प्रदाय से उपर ऋषि मुनि थे

वो ऐसे पिता हैं हमारे जिन्हें पता नहीं कि हम कैसे
आर्य, द्रविड़, कोल,किरात, मुंडा, आदिवासी, मूलवासी में बंट गए
हिन्दू मुस्लिम ईसाई सरना आदिवासी बनकर कट गए
विदेशी आक्रांताओं की मंशा समझो किसी को विदेशी कहकर
किसी को मूल निवासी होने का जहर भरकर
मुस्लिम ईसाई विधर्मी बनाकर लूटा
आदिवासी प्रकृति पूजन, सरना विदिन
संस्कृतिवालों को विदेशी धर्मावलंबी बना दिया!
विनय कुमार विनायक

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