मोदी सरकार की आड़ में हिन्दुओं को गाली देने वाली बिगे्रड अब ‘कैब’ विरोध के नाम पर मैदान में

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संजय सक्सेना
केन्द्र की मोदी सरकार ने आखिरकार भारी विरोध के बीच अपने घोषणा पत्र के एक और चुनावी वायदे ‘नागरिकता संशोधन बिल’ (कैब)को कानूनी जामा पहना ही दिया। इससे देश का कितना भला होगा,यह तो समय ही बताएगा,परंतु कैब के विरोध ककी सियासत लगातार परवान चढ़ रही हैं। इस बिल के विरोध में एक तरफ कुछ लोग सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं तो दूसरी तरफ विरोध में धरना-प्रदर्शन भी जारी है। सबसे बड़ी बात यह है कि पूर्वोत्तर के राज्यों को छोड़कर देशभर में कैब का विरोध विरोध करने वाले विरोध का कारण ही नहीं बता पा रहे है। अगर इस विरोध को मोदी सरकार के हर फैसले का आदतन विरोध करने वाली ब्रिगेड के दिमाग की उपज बताया जाए तो कोई अतिशियोक्ति नहीं होगी। यह बिग्रेड पिछले छह वर्षो से मोदी विरोध की राजनीति कर रहा है। इस बिगे्रड को मुस्लिम तुष्टीकरण की सियासत करने वाले राजनैतिक दलों,कुछ मीडिया समूहों के साथ-साथ समाज के उस बड़े तबके का भी साथ मिलता रहता है जिनको हिन्दुस्तान में रहकर हिन्दुओं के खिलाफ जहर उगलना,उनके देवी-देववाओं का अपमान,हिन्दुओं की भावनाओं से खिलवाड़,हिन्दुओं की धार्मिक आस्थाओं को चोट पहुंचाने में मजा आता है। दरअसल, यह बिगे्रड लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई मोदी सरकार के विरोध की आड़ में हिन्दुओं को अपमानित करने का अपना एजेंडा चला रहे हैं। यह वह गुट है जो देश के प्राकृतिक संशाधनों पर मुलसमानों का पहला हक बताता है। भगवान राम की जन्मस्थली विवादों में रहे इसके लिए सड़क से लेकर कोर्ट तक सियासत करके हिन्दुओं को अपमानित करता है। यह सियासतदार मुसलमानों को खुश करने के लिए कभी अयोध्या में कारसेवकों पर गोली चलवाते हैं तो कभी पश्चिम बंगाल में मूर्ति विसर्जन पर रोक लगाकर तुष्टीकरण की सियासत करते हैं,जिन्हें पाकिस्तान,बंग्लादेश और अफगानिस्तान से लुट-पिट कर और आरजू बचा कर आए हिन्दुओं, सिखों, जैन, दलितों का दर्द नहीं समझ में आता है बल्कि रोहणियों के लिए इनकी छाती फटी जाती है। इसी लिए तो तुष्टिकरण की सियासत करने वाली पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, केरल सरकार,कांगे्रस शासित राज्य पंजाब, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान के मुख्यमंत्री छाती ठोक कर कहते हैं कि वह अपने राज्य में कैब लागू नहीं करेंगे,जबकि वह इसे लागू करने के लिए संवैधानिक रूप से बाध्य हैं।
यहां बात उन मुसलमानों की भी करना जरूरी है जो रहते और खाते तो हिन्दुस्तान में हैं,लेकिन उन्हें यहां से अधिक पाकिस्तान की संस्कृति भांति हैं। उसके प्यार में यह पागल रहते हैं। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर होने वाला अत्याचार इन्हें नहीं दिखाई देता है,लेकिन हिन्दुस्तान में फलते-फूलते मुसलमानों को आदतन डरा हुआ,उत्पीड़न का शिकार बताकर कैसे सियासत की जाए इसके बारे में खूब पता है।
नागरिकता संशोधन बिल को गैर संवैधानिक और मुस्लिमों को डराने वाला बताकर कांगे्रस,वामपंथी दलों, समाजवादी पार्टी, बसपा, लालू की राजद,टीएमसी, तृणमूल कांगे्रस,टीएमसी आदि ने विरोध किया तो वहीं लोकसभा में बिल के समर्थन में खड़ी शिवसेना ने राज्य सभा में सदन से वाॅकआउट कर मोदी सरकार के लिए बिल लाने का रास्ता आसान कर दिया। वैसे शरद पवार की एनसीपी और बसपा भी वोटिंग के समय सदन में गैर-हाजिर रहीं।
बिल को लेकर कहीं खुशी तो कहीं नाराजगी भी दिखाई दे रही है।कई जगह मुस्लिम संगठन बिल का विरोध कर रहे हैं तो पूर्वाेत्तर के राज्यों में स्थिति कुछ ज्यादा ही तनावपूर्ण है। पूर्वाेतर राज्यों के नागरिकों की चिंता से पहले भौगौलिक पृष्ठभूमि भी समझना जरूरी है। पूर्वोत्तर के जो राज्य कैब का विरोध कर रहे हैं,वह बंग्लादेश की सीमा से सटे हुए हैं। बंग्लादेश की सीमा भारत के पांच राज्यों असम,मेघालय,मिजोरम, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल को छूती हैं। इसी लिए बंग्लादेशी घुसपैठियों के लिए इन राज्यों में आकर चोरी-छिपे आकर बस जाना सबसे आसान रहता है। इन घुसपैठियों से सहारे पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तो सत्ता की सीढ़िया तक चढ़ जाती हैं। इसी लिए ममता बनर्जी कैब का सबसे अधिक विरोध कर रही हैं। वामपंथियों को भी यह घुसपैठिए खूब रास आते हैं। यह भी घुसपैठियों पर खूब सियासत किया करते थे और आज भी कर रहे हैं।
मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति करने वाले दल मुसलमानों में भय दिखाकर तुष्टिकरण की सियासत को गरमाए हैं,जबकि हकीकत यह है कि इस बिल से देश में रहने वाले किसी नागरिक को कोई नुकसान नहीं होगा।मुसलमानों को भड़काने वाले यह वही दल हैं जो पहले ढ़िढोरा पीटा करते थे कि अगर मोदी आ गया तो मुसलमानों को देश से बाहर निकाल दिया जाएगा। देश में कत्ले आम शुरू हो जाएगा। इसी भय की ‘हांडी’ के सहारे तुष्टिकरण की सियासत करने वाले अपनी रोटियां सेंकना चाहते हैं,लेकिन उनको यह नहीं पता है कि काठ की हांडी बार-बार नहीं चढ़ती है। हालात यह है कि सोनिया गांधी तक बता रही हैं कि नागरिकता संशोधन बिल पास होना देश के लिए ‘काला दिन’ है।
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की बात की जाए तो वह पूर्वाेत्तर राज्यों के लोगों की चिंता दूर करने की तो बात कर रहे हैं,लेकिन जो लोग वोट बैंक की सियासत कर रहे हैं,उन्हें शाह कोई छूट देने के मूड में नहीं हैं। कांगे्रस तो खासकर शाह के निशाने पर हैं। वह बार-बार कांगे्रस को याद दिला रहे हैं कि उसी ने धर्म के आधार पर देश का बंटवारा कराया था। अगर वह ऐसा नहीं करती तो आज हमें कैब लाना ही नहीं पड़ता।

बात उत्तर प्रदेश की कि जाए तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में एक आम धारणा बनी हुई है कि वह केन्द्र की मोदी सरकार के हर फैसले को सबसे पहले अंगीकार करते हैं। चाहें इसको लेकर जितना भी विवाद और विरोध क्यों न हो, योगी कभी कदम पीछे नहीं खिंचते हैं। योगी सरकार ने जो तेजी भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर(एनआरसी) को लेकर दिखाई थी, वहीं तेजी अब वह कैब पर दिखा रही है। योगी की इसी सोच के कारण प्रदेश में नागरिकता संशोधन बिल(कैब) को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है, पाकिस्तान, बंग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिन्दू शरणार्थी तो चाहते हैे कि जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी प्रदेश में नागरिकता मिलने का काम शुरू हो जाए, ताकि वह भी गर्व से कह सकें कि हम भारतीय हैं।
बात लखनऊ की कि जाए तो यहां भी यही स्थिति है। पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश से पलायन कर राजधानी के अलग-अलग इलाकों में रह रहे शरणार्थियों के नुमांइदे कहते हैं कि हम लोगों में से 72 लोगों को देश की नागरिकता मिल चुकी है। नागरिकता संशोधन बिल पारित होने से अब छूटे लोगों को देश की नागरिकता मिलना आसान होना बताया जा रहा है। बताया जाता है कि 23 दिसंबर 2016 के बाद से जिलाधिकारी स्तर से सीधे 72 लोगों को देश की नागरिकता का सर्टिफिकेट सौंपा जा चुका है।
लखनऊ के अलग-अलग इलाकों में करीब एक हजार शरणार्थी कई दशकों से रह रहे हैं। इनमें से 285 लोगों की लिस्ट शासन, प्रशासन और केंद्र सरकार के पास उपलब्ध है। प्रशासनिक आंकड़ों के मुताबिक जिले में अब तक 152 लोगों ने नागरिकता के लिए आवेदन किया था।जिसमें से 72 लोगों को देश की नागरिकता दी जा चुकी है। 30 फाइलें गृह विभाग के पास लंबित हैं। सात आवेदन अपूर्ण पाए गए हैं। अपात्र आवेदनकर्ताओं की संख्या 16 बताई गई है। 23 दिसंबर 2016 में एक निर्देश में गृह मंत्रालय ने कहा कि संबंधित जिलों के डीएम को दो साल की ही नागरिकता देने का अधिकार दिया था, इससे पहले नागरिकता देने का अधिकार सिर्फ गृह विभाग के पास था। 23 अक्टूबर 2018 के आदेश में डीएम को नागरिकता की सीमा अनिश्चितकालीन कर देने का अधिकार दे दिया गया।
आलमबाग निवासी नरेश बत्रा ने बताया कि वह सिंध से लखनऊ आए थे। बीते नौ साल से वह भारतीय नागरिकता के लिए प्रयास कर रहे थे। नागरिकता संशोधन बिल पास होने पर उन्होंने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि लंबे इंतजार के बाद उन जैसे सैकड़ों लोगों को अब भारतीय नागरिकता मिल सकेगी।
कैब से फायदा मिलने वाला है,वह चाहता है कि जल्द से जल्द प्रदेश में कैब को लेकर कुछ जिलों में प्रदर्शन के अलावा तनाव भी व्याप्त है। इसी के मद्देनजर पर राज्य के गृह विभाग और पुलिस महानिदेशक ने प्रदेश अलर्ट जारी किया है। गृह विभाग की ओर से जारी निर्देश में कहा गया है कि सभी जिलों में जोन और सेक्टर व्यवस्था तीन दिन के लिए बहाल की जाए। गौरतलब हो, यह व्यवस्था अयोध्या प्रकरण के समय कारगर साबित हुई थी। जारी अलर्ट में निर्देश दिए गए हैं कि अराजक तत्व और माहौल खराब करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। कुछ संगठनों ने नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में प्रदर्शन का एलान भी किया है, जिससे पुलिस महकमा और भी चैकन्ना हो गया है।
संसद के दोनों सदनों से नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद राष्ट्रपति ने भी बिल पर हस्ताक्षर कर दिए थे। यूपी के जिन जिलों में विरोध प्रदर्शन हुए हैं। उसमें सहारनपुर, मुजफ्फरनगर और अलीगढ़ शामिल हैं। इन जिलों में कार्रवाई करते हुए पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में भी लिया है।देवबंद(सहारनपुर) में कैब के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन करने और मुजफ्फनरगर हाईवे जाम करने के मामले में पुलिस ने एक नामजद सहित करीब 250 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है। वहीं दारूल उलूम देवबंद का कहना था कि प्रदर्शन और जाम लगाने वालों से उनके संस्थान का कोई ताल्लुक नहीं था।
बात अलीगढ़ की कि जाए तो कैब के विरोध में अलीगढ़ मुस्लिम विवि छात्र संघ के निवर्तमान अध्यक्ष मो0 सलमान इम्तियाज ने विरोध-प्रदर्शन की बात कही तो प्रशासन ने इंटरनेट सेवाएं ही बंद कर दी। उधर, स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेन्द्र यादव और गोरखपुर के सोशल एक्टिविस्ट व बाल रोग विशेषज्ञ डा0 कफील खान जिनके खिलाफ एक मामले में गोरखपुर मेडिकल कालेज में जांच भी चल रही है और सस्पेंड हैं, ने अलीगढ़ पहंुच कर बिल को रद्््द कराने के लिए बड़ा आंदोलन चलाए जाने की बात कही। आधी-अधूरी जानकारी के सहारे कफील ने लोगों को भड़काया कि यह पहली बार हो रहा है, जब सिटीजन को रिलीजन के साथ जोड़ दिया गया है। वहीं बरेली में कैब के विरोध में इत्तेहाद मिल्लत काउंसिल माहौल गरमाने में लगी है। वह ‘संविधान बचाओ-देश बचाओ’ की अपील कर रही है।
इन आंदोलनों के चलते ही डीजीपी ने जिन जिलों में प्रदर्शन हुए हैं, वहां की रिपोर्ट भी तलब की है। सोशल मीडिया सेल भी सतर्क निगरानी कर रहा है। ट्विटर और फेसबुक पर माहौल खराब करने वाले कमेंट और पोस्ट पर यूजर से सीधे संपर्क कर पोस्ट हटाने के लिए कहा जा रहा है और चेतावनी भी दी जा रही है कि अगर विवादित या आपत्तिजनक पोस्ट तत्काल नहीं हटाया तो मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाएगी।
बहरहाल, विरोध-प्रदर्शन के बीच उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन करते हुए इसे आतंकवाद पर करारा प्रहार करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि यह बिल पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों के पक्ष में जरूर है पर भारत के मुसलमानों के खिलाफ बिल्कुल भी नहीं है।
रिजवी ने हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस पार्टी को निशाने पर लेते हुए कहा कि ओवैसी कट्टरवादी विचारधारा से संबंध रखते हैं इसलिए कभी बिल फाड़ते हैं तो कभी राम मंदिर का नक्शा फाड़ने वालों का समर्थन करते हैं।उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी ने आतंकवाद को हिंदुस्तान में जन्म दिया है। अब जब आतंकवाद को रोकने की कोशिश की जा रही है तो इसका विरोध किया जाना गलत है।

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