हिन्दी में उज्ज्वल भविष्य

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भाषा के महत्व को मनुष्य ने हजारों-लाखों बर्ष पूर्व पहचान लिया था.यही कारण है कि वह निरंतर इसके प्रगति के लिये प्रयत्नशील रहा.भाषा भावों -विचारों के आदान -प्रदान का माध्यम है इसलिए जीवन के अनेक क्षेत्रों में इसने अपनी महत्ता स्थापित की .भाषा अपने साथ -साथ वर्ग,लिँगबोध,जातीयता और अस्मिता को जोड़कर समाज में अपनी विशिष्टता सिद्ध करती है .विज्ञान जब अपना प्रसार कर रहा था तो एकाएक ऐसा लगा जैसे सबने इसके समक्ष अपने घुटन टेक दिये परन्तु उसके प्रसार के लिये भी भाषा की आवश्यकता पड़ी और इस रूप में जिस भाषा के अनुयायी जितनी अधिक मात्रा में थे उस भाषा ने उतनी अधिक धाक जमाई .
सौभाग्य से हिन्दी ऐसे राष्ट्र की भाषा है जो जनसंख्या के आधार पर विश्व क दूसरा सबसे बड़ा राष्ट्र है .हिन्दी विश्व के सर्वाधिक लोगों द्वारा बोले जाने वाली भाषा के रूप में दूसरे स्थान पर है .आज हिन्दी लगभग 50 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाती है एवं लगभग 90 करोड़ लोगों द्वारा समझी जाती है .भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343(1) के तहत इसे राजभाषा का भी दर्जा प्राप्त है एवं हिन्दी भाषी प्रदेशों में यह राज्य के सम्पूर्ण कार्य व्यापारों की भाषा है .अहिन्दी भाषी राज्यों में भी यह भाषा समझने के स्तर पर अच्छी स्थिति में है .इतनी विशाल जनसमुदाय आए समृद्ध हिंदी भाषा आज रोजगार के व्यापक अवसर प्रदान कर रही है जिससे हिन्दी का संसार तो समृद्ध हो ही रहा है साथ ही आम जन रोजगार के नये क्षेत्रों से भी जुड़ रहे हैं.
हिन्दी में रोजगार अवसर की उपलब्धता के अनुसार अनुवाद का क्षेत्र व्यापक है .हिन्दी से इतर भाषा में लिखित सामग्री का हिन्दी में व हिन्दी की सामग्री का अन्य भाषा में अनुवाद का फलक विस्तृत है .विज्ञान व तकनीक का अध्यन हमरे यहाँ अपेक्षाकृत नया है .विज्ञान के क्षेत्र में अधिकतर सिद्धांत अमेरिकी व यूरोपीय राष्ट्रों से ही प्राप्त करते हैं जिसकी भाषा प्रायः अँग्रेजी ही रहती है .भारत जेसे विकाशशील देश में आज विज्ञान व तकनीकी शिक्षा पर बहुत अधिक जोर है ,भाषा की बाध्यता के कारण इस शिक्षा में hindi-diwasरुकावट न हो इसलिए तकनीकी व वैज्ञानिक शब्दावली आयोग वैज्ञानिक शब्दों की हिन्दी तैयार करता है तद्पश्चात शिक्षा के लिये पाठ्यक्रम हिन्दी में तैयार किया जाता है यह कार्य बड़े स्तर पर होत है अतः यहाँ रोजगार के भी उतने ही अधिक अवसर हैं .
अनुवाद का सर्वाधिक विस्तृत क्षेत्र हमे साहित्य के अनुवाद में मिलता है .समाज में साहित्य को महत्वपूर्ण स्थान बहुत पहले से प्राप्त है .विभिन्न संस्कृतियों एवं विभिन्न साहित्य को जानने के लिये हम उसका अपनी हिन्दी भाषा में अनुवाद कर पढ़ते हैं .इसकी मदद से हमे उस समाज को जानने व समझने में मदद मिलती है .अनुवाद इस प्रक्रिया को और सरल बनाता है .हिन्दी साहित्य के व्यापकता के उत्तरदायी कारणों में से एक पाश्चात्य प्रभाव भी माना जाता है .पाश्चात्य साहित्य का बहुत अधिक मात्रा में हिंदी में अनुवाद पय जाता है .हमारे श्रेष्ठ सहित्यों ,धर्म ग्रन्थों का अँग्रेजी व अन्य भाषाओं में अनुवाद पाया जाता है .आज अनेक प्रकाशक इस तरह के अनुवादकों की माँग करते हैं जो साहित्य साहित्य का सटीक अनुवाद कर दूसरी भाषा में भी मूल भाव को यथावत रूप में प्रस्तुत कर सके .कर्नाटक में स्थित “अनुवाद परिषद “चुने हुए व श्रेष्ठ सहित्य का हिन्दी में अनुवाद उपलब्ध कराता है.Systran,S .D .L . International ,Detroit Translation Bureau,Proz आदि अनेक कम्पनियाँ अनुवाद सम्बंधी कार्य करती हैं जहाँ पर भारी संख्या में अनुवादकों की आवश्यकता होती है .साहित्य में रुचि रखने वाले लोगों के लिये रोजगार का यह पसंदीदा क्षेत्र है .
लोकसभा या राज्यसभा में कार्यवाही के समय तत्काल भाषातरण करने वालो की बहुत माँग होती है .राष्ट्रीय या अन्तर्राष्ट्रीय वार्ताओं ,बड़े -बड़े नेताओं के भाषण एवं दूतावासों की कार्यप्रणाली को संचालित करने में तत्काल भाषा अंतरणकर्ता की आवश्यकता होती है जहाँ पर रोजगार की भरपूर सम्भावनाये हैं .इसके अतिरिक्त विधि शब्दावली व विधि साहित्य का अनुवाद ,प्रशासनिक अनुवाद ,बैंकिंग क्षेत्र ,आदि अनेक क्षेत्रों में सरकारी नौकरी के रूप में हिन्दी अधिकारी ,कनिष्ठ हिन्दी अधिकारी ,हिन्दी अनुवादक ,कनिष्ठ हिन्दी अनुवादक ,प्रबंधक (आधिकारिक भाषा ),राजभाषा अधिकारी जैसे पड़ हैं जहाँ रोजगार के साथ -साथ सम्मान भी है .
हिन्दी में सबसे तेजी से अपने जाल को फैलाते हुए सर्वाधिक रोजगार मुहैया करने वाला क्षेत्र मीडिया है .सूचना और संचार क्रांति में पकडी हुई रफ्तार आज और तेज हो गयी है .हिन्दी समाचार व अन्य हिन्दी चैनलों की बाढ़ सी आ गयी है .हर वर्ष कई नये चैनल जुड़ रहे हैं ,उन्हे अपने चैनल की जनता में पकड़ बनाये रखने के लिये ,उनका मनोरँजन करने के लिये हिन्दी के समाज परक प्रयोग पर अधिकाधिक ध्यान दिया जाता है .हिन्दी भाषा में अच्छी पकड़ वालों के लिये संचालक ,समाचार वाचक जैसे पद आज के युवाओं को अपनी तरफ़ बहुत तेजी से अपनी तरफ़ आकर्षित कर रहे हैं .इस आकर्षण का कारण है कि आप एक बड़े समुदाय तक अपनी पहुँच बनाते हैं .इसके अतिरिक्त हिन्दी पत्रकारिता में डिप्लोमा के साथ विभिन्न चैनलों में रिपोर्टर के पद पर नियुक्ति मिल सकती है .रेडियो के क्षेत्र में ऐसे ही विकल्प उपलब्ध हैं जिनमे समाचार वाचक से लेकर सम्वाददाता का क्षेत्र खुला हुआ है .
समूचे देश में आज हिन्दी एफ़ एम चैनलों कि संख्या तेजी से बढ़ रही है .हिन्दी पट्टी में भी यह बात समान ढंग से लागू होती है .प्रभावशाली तरीके से हिन्दी बोलने वालों के लिये रेडियो जॉकी का अवसर खुला हुआ है ,यश पहले नही था .यह तो एफ़ एम चैनलों की शुरुवाती दौर की बढ़ोत्तरी है .सरकार एफ़ एम चैनलों की बढ़ोत्तरी की बात पर विचार कर रही है ,बहुत शीघ्र ही इस फैसला होने वाला है जिसके पश्चात हिन्दी वालों के लिये यह क्षेत्र और भी अधिक लाभकारी सिद्ध होगा .
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तो पिछले दो तीन दशकों में इस नयी ऊँचाई पर पहुँचा है परन्तु प्रिंट मीडिया का विस्तार काफी पहले से था और लगातर तेजी से बढ़ रहा है .इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ने चाहे जितनी अपनी गहरी पैठ बन ली हो परन्तु समाज में आज भी समाचार पत्रों ,पत्रिकाओं का अपना स्थान है .हिन्दी के समाचार पत्र व पत्रिकाओं के सम्पादक के रूप में एक श्रेष्ठ व प्रभावशाली रोजगार विकल्प है .इसके अलाव स्वतंत्र पत्रकारिता कर धनार्जन किया जा सकता है और आजकल यह बहुत प्रसिद्ध हो रहा है .अखबार व पत्रिकाओं में विभिन्न स्तम्भों में अपने -अपने विषय के जानकार हिन्दी में अपनी बात कह रहे हैं व करोड़ों लोगों तक अपनी बात पहुँचा कर अच्छा धनार्जन कर रहे हैं .
विज्ञापन निर्माण में डिप्लोमा के बाद इस बढ़ते क्षेत्र में रोजगार की व्यापक सम्भावनाएं हैं जहाँ समाज के नयी समझ के समक्ष अपनी बात प्रभावशाली ढंग से रखनी होती है यथा भारतीय त्योहारो में लड्डू के महत्व को “कुछ मीठा हो जाये “के बजारवादी पैंतरे में परिवर्तित कर दिया है.बाजारवाद का प्रसार विज्ञापन से होता है .विज्ञापन के लिये भाषा की परम्परा और संस्कृति का भाषा के ज्ञान के साथ हों आवश्यक है तभी उस भाषाई समाज तक अपनी बात पहुँचाई जा सकती है .बाजारवाद का युग बहुत शीघ्र गति से आगे बढ़ रहा है और लगातर बढ़ते रहने की भी सम्भावना है ,इसी सिर्फ पीने के पानी के कई हजार करोड़ के कारोबार से समझा जा सकता है कि जब इस बुनियादी वस्तुओं का कारोबार भारत में इतना बड़ा है तो जो वस्तुएँ सिर्फ बाजारवाद के जरिये भारत में आयी उनकी बात ही अलग है .इस व्यापक स्तर के संचालन के लिये आने वाले समय में रोजगार कि असीम सम्भावनाएं नज़र आ रही हैं .
रचनात्मक प्रतिभा रखने वाले लोग सर्जनात्मक लेखन में अपन भविष्य तलाश सकते हैं .रचनात्मक लेखन में डिप्लोमा के पश्चात नौकरी में थोड़ी आसानी होगी .इलेक्ट्रॉनिक मीडिया व सिनेमा जगत के विस्तार ने पटकथा लेखन व संवाद लेखन का विस्तृत आयाम हमारे समक्ष प्रस्तुत किया है .इसके अन्तर्गत हिन्दी फिल्मों और धारावाहिकों में पटकथा लेखन किया जा सकता है .धारावाहिक हमारे सामाजिक परम्परा व संस्कृति के प्रदर्शन का अड्डा हैं .इसलिये इसके पटकथा व संवाद लेखन में भाषा व भाषाई परम्परा एवं मूल्यों को समझने वाले व्यक्ति को अपार सफलता कि उम्मीदें हैं .सिनेमा जगत के बढ़ते कारोबार में जहाँ एक वर्ष में 100 से अधिक (2014 में 116 )फिल्में रिलीज़ हो रही हैं ,ने हिन्दी में रोजगार के अवसर को नयी ऊँचाई दी है.इसी क्षेत्र में अन्य भाषा के सिनेमा का हिन्दी में अनुवाद के लिये अनुवादक व वक्ता के रूप में भी रोजगार के अवसर हैं .
भूमंडलीकरण के पश्चात भारत ने जब उदारवादी नीति अपनाई तो अनेक बड़ी विदेशी कम्पनियों ने यहाँ अपने बाजार स्थापित करने के प्रयास में व अपने सामान को हमारे संस्कृति के अनुरूप ढालने के लिये हमरी संस्कृति को जानना चाहा .इस कड़ी में वे हमरी भाषा से परिचित होना प्रारम्भ हुए .इसलिये आज अमेरिका व अन्य देशों के विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है .हिन्दी अध्यापन का यह एक नया रास्ता है जो रोजगार मुहैया कर रहा है .
आज पूरी दुनिया में तकनीकी का विकास हो रहा है .तकनीकी रूप से हिन्दी थोड़ी पीछे अवश्य रही है इस बात से इनकार नही किया जा सकता .मध्य प्रदेश में सम्पन्न हुआ 10वे विश्व हिन्दी सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने भी इस बात पर जोर देकर इसे तकनीकी रूप में और अधिक सक्षम बनने कि वकालत की .तकनीकी में भाषाई रुकावट न आये इसलिये आज हिन्दी के लिये सॉफ्टवेयर बनाये जा रहे हैं .हमारी भाषा तकनीकी रूप से ना पिछड़ जाये इसलिए भारतीय सरकार के इलेक्ट्रॉनिक विभाग के अन्तर्गत टेक्नॉलॉजी डेवलेपमेंट इन इंडियन लेंग्वेज (T D I L )अपन सराहनीय प्रयास कर रही है .हिन्दी सॉफ्टवेयर का उचित विकास हो ,त्रुटिरहित रहे इसलिये अभियंताओं के साथ हिन्दी विद्वानों को भी रखा जाता है .यह एक नवीन मार्ग है जिसमें आगे अपार सम्भावनाएं हैं .
इसके अतिरिक्त हिन्दी भाषा का विश्वविद्यालयों महाविद्यालयों व विद्यालयों में अध्यापन का परम्परागत पेशा आज अध्ययन केन्द्रों की संख्या बढ़ने से लगातर बढ़ रहा है .हिंदी भाषी लोग समय में हो रहे परिवर्तन के साथ चलते हैं .इसलिए इनकी भाषा भी समय के साथ आगे बढ़ रही है .तकनीकी में इसकी पहुच हो गयी ,अन्य नये अवसर लगातर समने आ रहे हैं जो यह सिद्ध कर रहे हैं कि हिन्दी अध्ययन के पश्चात रोजगार के बहुत विस्तृत क्षेत्र में हम अपनी सम्भावनाएं आसानी से तलाश सकते हैं…
अनुराग सिंह
हिन्दी विभाग
दिल्ली विश्वविद्यालय

1 COMMENT

  1. अनुराग जी,

    मुझे खुशी होगी यदि हम भविष्य की उज्ज्वल हिंंदी के बारे में सोच सकें.

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