मोदी सरकार ने जो बुलेट ट्रेन का सपना देश को दिखाया था आज वह पूरा होता दिख रहा है। मोदी सरकार ने विकास और रोजगार के लिए एक कदम और बढ़ाया है। भारत ने ‘बुलेट ट्रेन’ का सपना साकार करने की दिशा में एक कदम और आगे बढ़ाते हुए स्पेन की टैल्गो कंपनी के रेल कोच का इज्जतनगर-भोजीपुरा स्टेशन के बीच सफल सेंसर ट्रायल पूरा किया है। भारत में चलने वाली बुलेट ट्रेन की आहट कुछ-कुछ महसूस होने लेगी है। आप को बता दें कि मोदी सरकार देश में बुलेट ट्रेन के सपने को साकार करने की ओर अग्रसर होती दिखाई दे रही है। भारत में दो हाई स्पीड टे्रनों का सफल ट्रायल हो चुका है। हाई स्पीड ट्रेन गतिमान एक्सप्रेस का सफल ट्रायल हुआ। देश की सबसे तेज रफ्तार ट्रेन गतिमान एक्सप्रेस अपने बड़े इम्तिहान में पास हो हुई थी और 100 मिनट में दिल्ली से आगरा कैंट पहुंच थी। गतिमान दिल्ली के निजामुद्दीन स्टेशन से आगरा छावनी के लिए 10.09 मिनट पर निकली थी और 11.49 पर पहुंच थी और दसकी पूरी स्पीड २०० से ज्यादा की स्पीड से दौडऩे में सक्षम है। वहीं दूसरी हाई स्पीड ट्रेन स्पेन की टैल्गो कंपनी के रेल कोच टैल्गो ट्रेन है जिसका पहला ट्रायल सफल रहा है। आप को ज्ञात हो कि टैल्गो का पहला ट्रायल बरेली-मुरादाबाद के बीच रहा। ट्रायल में टैल्गो कोच की रफ्तार 115 किमी प्रति घंटा की रही। टैल्गो ट्रेन के तीन ट्रायल किये जाएंगे। दूसरा ट्रायल मथुरा-पलवल ट्रैक पर 180 किमी की स्पीड से दौड़ेगी और तीसरा ट्रायल दिल्ली मुंबई के बीच 200 से 220 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से स्पीड ट्रायल किया जाएगा। 9 डिब्बों वाले टैलस्रगो ट्रेन में 2 एक्जीक्यूटिव क्लास कार, 4 चेयर कार, 1 कैफेटेरिया और 1 पावर कार और 1 कर्मचारियों के लिए टेल-एंड कोच और उपकरण होंगे। बरेली और मुरादाबाद के बीच 90 कि.मी. लंबे खंड पर परीक्षण 2 सप्ताह तक चलेगा। इसके बाद इसका परीक्षण मथुरा और पलवल के बीच राजधानी ट्रेन के मार्ग पर 180 कि.मी. प्रति घंटे की रफ्तार से 40 दिनों तक किया जाएगा। तीसरा परीक्षण दिल्ली और मुंबई के बीच दो सप्ताह तक चलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे देश में विकास के लिए माहौल तैयार किया है। तकरीबन दो साल पुरानी सरकार ने हर सेक्टर में विकास के नए प्रतिमानों को स्थापित करने का प्रयास किया है। रेलवे के आधुनिकीकरण के लिए सरकार लगातार काम कर रही है। देश में मेट्रो ट्रेन चलाए जाने की योजना इसी कवायद का हिस्सा है। देश में पहली बुलेट ट्रेन मुंबई और अहमदाबाद के बीच चलाई जानी है। लिहाजा इसके लिए तैयारियां भी जोर-शोर से चल रही है। जापान इसमें सहयोग भी देगा। जिस कारण से जनता मोदी सराकर को लाई है, वह अब धीरे-धीरे सफल होता दिख रहा है। देश में बेरोजगारी कम होती दिख रही है इसके साथ-साथ देश विकास कि ओर बढ़ रहा है और देश में भ्रष्टाचार में भी रोक लगी है। ऐसे में हम सब यह कह सकते हैं कि हमने जो सरकार चुनी है वो एकदम सही और ईमानदार है। सडक़े साथ-साथ देश पटरियों पर भी दौडऩे लगा है और आने वाले समस में और तेज दौड़ेगा। हमें तो बुलेट ट्रेन की आहट सुनाई देने लगी है और आपको। जिस गति से मोदी सरकार काम कर रही है उसे देख के तो यही लगता है कि हमें जल्द ही बुलेट ट्रेन में बैठने को मिलेगा। पीएम मोदी ने जनता को जो सपना दिखाया है उससे वह मुकरेगी नहीं और बुलेट टं्रेन का सपना जल्द ही पूरा होगा। आप को ज्ञात करा देें कि हम सबके लिए देश ने कर्जा लिया है और वह कर्जा जापान से लिया है, मोदी सरकार बुलेट ट्रेन के सपने को पूरा करने के लिए जापान से करीब 80 हजार करोड़ कर्ज लिया है। रेल मंत्री ने बताया है कि बुलेट ट्रेन 2023 तक चालू हो जाएगी और इसका लाभ पुरे देश को मिलेगा। बुलेट ट्रेंन के चालू होने से देश बुलेट ट्रेनो वाले देशों की लिस्ट में सामिल हो जाएगा। पीएम मोदी देश को दुनिया के सामने एक ऐसे मुकाम पर ले जा रहे हैं। जिसे देखकर आज पुरी दुनिया में एक अलग पहचान गन गई है। हमें गर्व है कि हम हिंदुस्तानी है। वहीं, आपको ज्ञात करादें कि बुलेट टे्रन को पटरी पर आने में अभी कुछ वर्ष और लेगेंगे। दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने करीब 980 अरब रुपए लागत की रेल परियोजनाओं पर सहमति का ऐलान किया है।
बुलेट ट्रेन शुरू करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी का प्रमुख चुनावी वायदा रहा है।
पहली एचएसआर मुंबई और अहमदाबाद के बीच दौड़ेगी और 505 किलोमीटर की दूरी को सात घंटे के बदले दो घंटे में पूरा करेगी। जापान इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन एजेंसी (जेआईसीए) और भारत के रेल मंत्रालय ने दो साल पहले ही हाईस्पीड रेल बनाने और चलाने संबंधी पहलुओं का अध्ययन शुरू किया था। पहली 515 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन 1964 में टोक्यो और शिन ओसाका के बीच शुरू हुई थी, कुछ-कुछ प्रस्तावित मुंबई और अहमदाबाद कॉरिडोर की तरह। सबसे तेज़ ट्रेन 285 किमी/घंटा की रफ़्तार से टोक्यो और शिन ओसाका की दूरी तय करने में 2 घंटे 22 मिनट लेती है। जेआईसीए की सिफ़ारिशों में 1435 मिमी चौड़ा रेल ट्रैक बनाने का भी प्रस्ताव है जो एचएसआर ट्रेनों के लिए वैश्विक मानक है और जिसे स्टैंडर्ड गेज कहा जाता है। इसे अब मेट्रो ट्रेनों के लिए भी इस्तेमाल किया जा रहा है (भारतीय रेलवे की ट्रेनें ब्रॉड गेज पर चलती हैं जिसका 1676 मिमी का ट्रैक थोड़ा चौड़ा होता है)। जेआईसीए की रिपोर्ट में कहा गया है कि 300 किमी/घंटा से अधिक रफ़्तार से चलने वाली हाई स्पीड ट्रेनें दुनिया भर में स्टैंडर्ड गेज पर चलती हैं। इसकी अनुमानित लागत 98,805 करोड़ रुपए है, जिसमें 2017 से 2023 के बीच सात साल के निर्माण काल के दौरान मूल्य और ब्याज वृद्धि भी शामिल है। इस दौरान जापान रेलों, ट्रेनों और संचालन प्रणाली तक सभी तरह के उपकरण उपलब्ध करवाएगा। इसमें एक ओर का संभावित किराया करीब 2800 रुपए होगा। मुंबई-अहमदाबाद के बीच फि़लहाल सर्वाधिक भाड़ा मुंबई शताब्दी एक्सप्रेस प्रथम श्रेणी का 1920 रुपए और हवाई किराया कऱीब 1720 रुपए प्रति व्यक्ति है। इसमें हवाई यात्रा से मात्र 70 मिनट लगते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि मुंबई-अहमदाबाद रूट में 318 किलोमीटर के पुश्ते, 162 किमी पुल और 27।01 किलोमीटर की 11 सुरंगें बनाना भी शामिल होगा। इस लाइन में कुल 12 स्टेशन होंगे जिनमें सूरत और वडोदरा में दो-दो मिनट का ठहराव होगा। स्टेशन और टर्मिनल अपनी जगह का व्यावसायिक इस्तेमाल करेंगे क्योंकि उनकी कीमतें बढ़ेंगी। जैसे-जैसे संचालन प्रक्रिया रफ़्तार पकड़ेगी, वह स्थायित्व हासिल करेंगे और उनके सफ़ेद हाथी बनने की आशंकाएं कम होंगीं। रेलवे मंत्रालय के एक बड़े अधिकारी ने बताया कि इसके अलावा जेआईसीए की रिपोर्ट में यह भी अनुमान है कि 2023 तक करीब 40,000 यात्री रोज़ इस सुविधा का लाभ उठाएंगे। मोदी सरकार धीरे-धीरे अपने कीर्तिमों को स्थापित कर रही है।