अलविदा – 15 और सुस्वागतम- 16

उम्मीदों और आशाओं का दीप जलाता एक वर्ष बीत रहा है।  हर वर्ष के अंतिम दिनों में समाज के सभी वर्गों के लोग अपना वार्षिक लेखा- जोखा याद करते हैं और अगले वर्ष का कैंलेंडर तैयार करते हैं । समाज के सभी लोग पिछले वर्षों में जो कमी रह जाती है उसे नये आगामी वर्ष में पूरा करने का प्रण लेते हैं। यह देशव समाज के प्रत्येक क्षेत्र में होता है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने वर्ष 2015 के अंतिम मन की बात कार्यक्रम के दौरान देशवासियों को आगामी नववर्ष की बधाई देते हुए कहा कि देश ही नहीं अपितु पूरे विश्व से आतंकवाद , ग्लोबल वार्मिंग जैसी तमाम समसयाओं का अंत हो। साथ ही पीएम मोदी ने आगामी वर्ष के प्रारम्भिक दिनों के पर्वो को किस प्रकार से मनाया जाये इस बात की भी जानकारी दी।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मादी ने मन की बात में एक बात अवश्य ध्यान देने योग्य कही है कि एक अकेला आदमी सबकुछ नहीं कर सकता । यदि समाज व जनता को अपने सपने पूरे करने हैं तो जनता को भी सरकार के साथ स्वयं आगे बढ़कर खड़ा होना पड़ेगा। यह बात सही भी है कि जब जनता सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर चलेगी तभी भारत वर्ष 2019 तक स्वच्छ भारत बन सकेगा ओैर भारत की बेटियां सुरक्षित और मजबूत बन सकेंगी।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वामी विवेकानंद  जयंती सहित 26 जनवरी को भी धूमधाम से मनाने की बात कही है और कहाकि 26 जनवरी के दिन हम उन सभी स्थलो पर जहां महापुरूषों की प्रतिमाएं स्थापित हैं उनकी साफ- सफाई की जाये। डा. अंबेडकर के विचारों का प्रचार -प्रसार करने की बात भी कहीं। एक प्रकार से पीएम मोदी ने आगामी साल के विजन का संक्षिप्त दृष्टिकोण मन की बात में पेशकर दिया है। इसमें उन्होनें स्टार्ट अप कार्यक्रम के लाचिंग की भी जानकारी दी है और बताया कि आगामी 16 जनवरी को यह कार्यक्रम लांच किया जा रहा है।

आइये अब जरा बात करते हैं विगत वर्ष 15 की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार वर्ष भर देश को विकास के पथ पर ले जाने के लिए अग्रसर रही। लेकिन देश के तथाकथित विपक्ष जिसको अपनी पराजय पच नहीं पा रही है वह लगातार यह प्रयास कर रहा है कि किसी न किसी प्रकार से मोदी सरकार विफल हो जाये।यही कारण है कि देश के कुछ भागों में घटी फर्जी आपराधिक घटनाओं पर खूब राजनीति खेली गयी। बिहार चुनावों के दौरान तथा पीएम मोदी के विकास के रथ को रोकने के लिए असहिष्णुता का मुददा जोर शोर से उछाला गया। यह इतना अधिक आक्रामक किया गया कि इस खेल में साहित्यकार, इतिहासकार, वैज्ञानिक और फिल्मी हस्तियंा तक मैदान में कूद पड़ीं। देश के तथाकथित    सेकुलर राजनीतिज्ञों तथा मीडिया में ने भी इस प्रकरण को खूब जोर शोर से तब तक उछाला जब तक भाजपा गठबंधन बिहार में हार नहीं गया। इससे पूर्व साल के शुरूआती दिनों में ही दिल्ली विधानसभा के चुनावों में दिल्ली की जनता ने केजरीवान कि आम आदमी पार्टीको ऐसा बहुमत दिया कि सभी दातों तले उंगली दबा बैठे। लेकिन अब वही केजरीवाल ऐसी -ऐसी हरकतें कर रहे हैं कि वहां की जनता अब अपना सिर पीटकर रह रही है।

बिहार विधानसभा के चुनावों में पीएम मोदी की 30 रैलियों के बाद भी महागठबंधन की एतिहासिक जीत हुई । लोकतंत्र में जनता ही जर्नादन होती है लेकिन बिहार के विधानसभ चुनावों में नेताओं की बयानबाजी व अपशब्दों के प्रयोग से राजनीति के गिरते स्तर का पता चला। बिहार में मृतप्राय लालू यादव को संजीवनी मिल गयी। अब वह और अधिक उत्साह से लबरेज होकर  पीएम मोदी व भाजपा को चुनौती देने की तैयारी कर रहे है। वहीं दूसरी ओर केंद्रीय स्तर पर  सरकार व विपक्ष के बीच टकराव लगातार जारी रहा। साथ ही देश का जो वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य उभरकर सामने आ रहा है उससे यही प्रतीत हो रहा है कि संसदीय गतिरोध को दूर करने के लिये और अपने विधेयकों को पारित करवाने के लिये बहुमत को अल्पमत के आगे झुकना पड़ेगा। लेकिन पीएम मोदी की कार्यशैली को देखकर अभी तो ऐसा नहीं लगता कि वह किसी के दबाव में आकर कोई बड़ा निर्णय बदल देंगे। सरकार वर्ष भर आर्थिक सुधारों के लिए तथा महंगाई को रोकने के लिये प्रयासरत रही। पीएम मोदी भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट दिलवाने के लिये लगातार प्रयत्नशील हैं। उनके प्रयासों से कुछ सफलता मिली हुई दिखलायी पड़ रही है लेकिन चीन और पकिस्तान अभी भी नहीं चाहते कि भारत सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बन जाये। रक्षाक्षेत्र में भारत अच्छी गति से बढ़ रहा है तथा विदेशों से भरत सरकार कई बड़े समझौते कर रही है। भारत सरकार अपने सभी पड़ोसी देशों के साथ अच्छे और बेहतर संबंधबनाने के लिए प्रयत्नशील है। प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी ने दिसम्बर माह के अंतिम दिनों में मास्को से काबुल और फिर लाहौर पहंुचकर पूरी दुनिया को चैंकाकार रख दिया। पीएम मोदी का अचानक लाहौर पहंुचना और पाक पीएम नवाज शरीफ को जन्मदिन की बधाई देना तथा उनकी नातिन के विवाह की रस्म में शामिल होना एक ऐतिहासिक घटना बन गया और दोनो मुल्कों के मीडिया का दिमाग घूम गया कि आखिर यह हो क्या रहा है। पूरी दुनिया में पीएम मोदी का पाक दौरा चर्चा का विषय बन गया। अब यह संभावना व्यक्त की जा रही है आगामी वर्ष -16 भारत पाक संबंधों में एक नया दौर आयेगा।

खेल जगत में भी भारत के लिये यह वर्ष काफी उतार चढाव भरा रहा आगामी- 16 में भारत में टी- 20  का आयोजन होने जा रहा है।  भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के लिये यह वर्ष चुनौतियों भरा तथा निर्णायक होने जा रहा है।

राजनैतिक दृष्टिकोण से वर्ष 16 काफी गहमागहमी भरा होने जा रहा है। जिन प्रांतों में अब चुनाव होने जा रहे हैं। वहां पर भाजपा सहित राजग गठबंधन के लिए स्थितियां बहुत अधिक कठिन होने जा रही हैं। भाजपा को थोड़ी बहुत उम्मीद असम से है जबकि तमिलनाडु में भाजपा को गठबंधन तय करना होगा। केरल में कांग्रेस और वामपंथी गठबंधन के बीच ही टकराव होगा। लेिकन केरल में इस बार यह देखना होगा कि , क्या वहां की जनता ओमान चांडी की भ्रष्ट सरकार को हटाना चाहेगी और फिर वह किसके हाथ मजबूत करेगी। तमिलनाडंु की हल्की सी संभावित झलक पुडच्चेरी में भी दिखलायी पड़ सकती है। इतना ही नहीं जिन प्रांतों में वर्ष 2017 में  चुनाव होने जा रहे हैं वहां पर भी राजनैतिक गतिविधियां चरम पर पहुचनें लगेंगी।वैसे भी वर्ष 2015 में अच्छंे दिनों पर असहिष्णुता भारी पड़ गया और दिल्ली की जनता आम आदमी की सरकार को खोजती रह गयी। अब देशवासियों को एक बार फिर आशा जगी है कि कम से कम 16 में संसद चले और देश की जनता के काम हों।

मृत्युंजय दीक्षित

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