राजनीति शख्सियत अमित शाह हैं संकटमोचन, संगठनशिल्पी और लौहपुरुष October 21, 2025 / October 21, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment अमित शाह के 61वें जन्म दिवस- 22 अक्टूबर, 2025-ललित गर्ग- भारत की राजनीति में कुछ नाम ऐसे होते हैं जो केवल पदों से नहीं, अपने कर्म, दृष्टि, दृढ़ता, संकल्प और राष्ट्रभावना से पहचान पाते हैं। अमित अनिलचंद्र शाह ऐसा ही एक नाम है-संघर्षों में तपे, संगठन के शिल्पी और राष्ट्र की सुरक्षा एवं एकता के प्रहरी। […] Read more » अमित शाह अमित शाह के 61वें जन्म दिवस
मनोरंजन शख्सियत समाज सिनेमा अलविदा “अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर” — असरानी को भावभीनी श्रद्धांजलि October 21, 2025 / October 21, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment गोवर्धन असरानी, जिन्हें हम सब प्यार से असरानी कहते थे, भारतीय सिनेमा के सबसे प्रिय हास्य अभिनेता थे। उनके अभिनय में विनम्रता, सादगी और अद्भुत हास्य का संगम था। शोले के “अंग्रेज़ों के ज़माने के जेलर” से लेकर गोलमाल, बावर्ची और चुपके चुपके तक, उन्होंने हर किरदार में जीवन की सच्चाई दिखायी। युवा हों या […] Read more » असरानी गोवर्धन असरानी
आलोचना राजनीति शख्सियत गांधी का विकल्प किसी के पास नहीं है ! September 29, 2025 / September 29, 2025 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment सभी राजनीतिक दल जाति, धर्म, क्षेत्रीयता और भाषाई दलदल में फंसे हैं और गांधी की सेवा की राजनीति को त्यागकर सत्ता बल, धन बल और भुज बल की राजनीति को अपनाकर इस लोकतंत्र को साम, दाम, दंड, भेद से लहूलुहान कर रहे हैं। Read more » No one has an alternative to Gandhi महात्मा गांधी
शख्सियत समाज सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी के आइकन लाल बहादुर शास्त्री September 29, 2025 / September 29, 2025 by विवेक रंजन श्रीवास्तव | Leave a Comment शास्त्री जी का निजी जीवन उनके सिद्धांतों का स्पष्ट प्रतिबिंब था। वे न केवल सार्वजनिक जीवन में बल्कि व्यक्तिगत रिश्तों में भी ईमानदारी और नियमों का पालन करते थे। Read more » an icon of integrity in public life Lal Bahadur Shastri लाल बहादुर शास्त्री
शख्सियत समाज साक्षात्कार पंडित दीनदयाल उपाध्याय : एकात्म मानववाद और अंत्योदय के प्रणेता September 25, 2025 / September 25, 2025 by सुरेश गोयल धूप वाला | Leave a Comment भारत के राजनीतिक, सामाजिक और वैचारिक इतिहास में पंडित दीनदयाल उपाध्याय का नाम एक ऐसे महापुरुष के रूप में लिया जाता है, जिन्होंने भारतीय चिंतन की जड़ों से जुड़कर आधुनिक युग के लिए एक नई दिशा प्रस्तुत की। उनका जन्म 25 सितम्बर 1916 को मथुरा जनपद के नगला चंद्रभान ग्राम (उत्तर प्रदेश) में हुआ। अल्पायु […] Read more » पंडित दीनदयाल उपाध्याय
लेख शख्सियत एकात्मता के जीवंत पर्याय: पंडित दीनदयाल उपाध्याय September 24, 2025 / September 24, 2025 by संदीप सृजन | Leave a Comment -संदीप सृजन भारतीय चिंतन परंपरा में कुछ व्यक्तित्व ऐसे होते हैं जो न केवल एक विचारधारा के प्रणेता होते हैं, बल्कि पूरे समाज को एक नई दिशा प्रदान करते हैं। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ऐसे ही एक महान दार्शनिक, समाजसेवी और राजनीतिज्ञ थे, जिन्हें ‘एकात्मता’ का जीवंत पर्याय कहा जा सकता है। एक साधारण परिवार में जन्मे प. दीनदयाल उपाध्याय ने […] Read more » पंडित दीनदयाल उपाध्याय
शख्सियत समाज साक्षात्कार पंडित दीनदयाल उपाध्याय : शुरू किया वैकल्पिक राजनीति का दौर, देश को दिया अंत्योदय का मूल मंत्र September 24, 2025 / September 24, 2025 by प्रदीप कुमार वर्मा | Leave a Comment प्रदीप कुमार वर्मा एक जाने-माने अर्थशास्त्री, एक राष्ट्रवादी लेखक एवं संपादक, एक प्रबुद्ध समाजशास्त्री एवं इतिहासकार। एक विचारक, नियोक्ता और दार्शनिक। पंडित दीनदयाल उपाध्याय मात्र राजनेता नहीं थे, वे उच्च कोटि के चिंतक, विचारक और लेखक भी थे। उन्होंने शक्तिशाली और संतुलित रूप में विकसित राष्ट्र की कल्पना की थी। एकात्म मानववाद जैसी विचारधारा और अंत्योदय के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आज जयंती है। जनसंघ से भाजपा के उदय तक पार्टी ने विपक्ष से राजनीति के मजबूत विकल्प का सफर तय किया है तो उसकी नींव डालने वाले व्यक्तित्व थे पंडित दीनदयाल उपाध्याय। उन्होंने संगठन आधारित राजनीतिक दल का एक पर्याय देश में खड़ा किया। उसी का परिणाम है कि भारतीय जनसंघ से लेकर के भारतीय जनता पार्टी तक संगठन आधारित राजनीतिक दल देश और दुनिया में अपनी अलग पहचान रखता है। यह पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के ही पार्टी के प्रति संस्कार और समर्पण का नतीजा है कि आज भारतीय जनता पार्टी विश्व के सबसे बड़े राजनीतिक संगठन के रूप में शुमार है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितम्बर 1916 को धनकिया नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता भगवती प्रसाद उपाध्याय नगला चंद्रभान फरह, मथुरा उप्र के निवासी थे। उनकी माता का नाम रामप्यारी था, जो धार्मिक प्रवृत्ति की थीं। दीनदयाल अभी 3 वर्ष के भी नहीं हुये थे, कि उनके पिता का देहान्त हो गया। पति की मृत्यु से माँ रामप्यारी भी अत्यधिक बीमार रहने लगीं तथा 8 अगस्त 1924 को उनका भी देहावसान हो गया। उस समय दीनदयाल महज 7 वर्ष के थे। 8वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद उपाध्याय ने कल्याण हाईस्कूल सीकर राजस्थान से दसवीं की परीक्षा में बोर्ड में प्रथम स्थान प्राप्त किया। इसके बाद वर्ष 1937 में पिलानी से इंटरमीडिएट की परीक्षा में पुनः बोर्ड में प्रथम स्थान प्राप्त किया। वर्ष 1939 में कानपुर के सनातन धर्म कालेज से बीए की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। स्नातक की पढ़ाई के दौरान ही वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़ गए और कॉलेज छोड़ने के तुरंत बाद ही संघ के प्रचारक बन गए। अपने जीवनकाल के दौरान इन्होंने राजनीतिक क्षेत्र, दार्शनिक क्षेत्र, पत्रकारिता एवं लेखन क्षेत्र इत्यादि में अनेक महत्त्वपूर्ण कार्य किये। दीनदयाल जी के राजनीतिक चिंतन पर गौर करें तो वे शासन और राजनीति के वैकल्पिक प्रारूपों के प्रस्तावक थे। उनका मानना था कि भारत के लिए न तो साम्यवाद और न ही पूंजीवाद उपयुक्त है। उनके प्रारूप को एकात्म मानव दर्शन का सिद्धांत कहा जाता है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अनुसार, भारत में प्राथमिक चिंता एक स्वदेशी विकास मॉडल विकसित करना होना चाहिए जिसका मुख्य केंद्र मानव हो। यह पश्चिमी पूंजीवादी व्यक्तिवाद और मार्क्सवादी समाजवाद दोनों का विरोधी है। हालाँकि पश्चिमी विज्ञान का स्वागत करता है । यह पूंजीवाद और समाजवाद के बीच एक मध्य मार्ग तलाशता है, दोनों प्रणालियों का उनके संबंधित गुणों के आधार पर मूल्यांकन करता है, जबकि उनकी ज्यादतियों और अलगाव की आलोचना करता है। इसे भारतीय जन संघ में एक वैचारिक दिशा निर्देश के रूप में अपनाया गया। उनका मानना था कि धर्म किसी राज्य पर शासन करने का सबसे सही मार्गदर्शक सिद्धांत है। एक वक़्त था जब पंडित जवाहरलाल नेहरु के दौर यह माना जाता था कि देश में कांग्रेस का ही शासन रहेगा। लेकिन नेहरू के बाद कौन? पंचायत से पार्लियामेंट तक एक ही पार्टी का राज था। लेकिन अचानक 1962 से 1967 के बीच एक ऐसा राजनीतिक खालीपन आया कि देश को लगा कि इस रिक्तता को कौन भरेगा? पंडित दीनदयाल उपाध्याय की दृष्टि की वजह से ही वैकल्पिक राजनीति का दौर आया।दीनदयाल उपाध्याय ने कांग्रेस के विकल्प के तौर कार्यकर्ता के निर्माण पर जोर दिया। उनका उद्देश्य ऐसे राजनीतिक कार्यकर्ताओं की एक नई श्रेणी तैयार करना था जिसका एक स्वतंत्र चिंतन हो, राष्ट्रभक्ति से प्रेरित हो और राष्ट्र-समाज को समर्पित हो। उन्होंने अपनी पूरी शक्ति संगठन को वैचारिक अधिष्ठान देने, कार्यकर्ता के निर्माण और संगठन के विस्तार में लगा दी। आज संघ और भाजपा जिस मुकाम पर है,उस विचार की नींव पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने ही डाली थी। पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन का एक बड़ा हिस्सा उनके विचारक, लेखक और पत्रकार रूप में भी जाना जाता है। वर्ष 1940 के दशक में उन्होंने लखनऊ से मासिक “राष्ट्रधर्म”, साप्ताहिक पांचजन्य और दैनिक “स्वदेश” की शुरुआत की। उन्होंने हिंदी में “चंद्रगुप्त मौर्य” नाटक और “शंकराचार्य” की जीवनी भी लिखी। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने कुछ पत्रिकाओं में भी कार्य किया। उन्होंने वर्ष 1940 में लखनऊ से प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका राष्ट्रधर्म में काम किया। वहीं, बाद में पांचजन्य और स्वेदश की भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने शुरुआत की। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केबी हेडगेवार की जीवनी का मराठी से हिंदी में अनुवाद किया। इसके अलावा उनकी कृतियों में ‘सम्राट चंद्रगुप्त’, ‘राष्ट्र जीवन की समस्याएं” ‘जगतगुरू शंकराचार्य’, ‘अखंड भारत क्यों हैं’, ‘राष्ट्र चिंतन’ और ‘राष्ट्र जीवन की दिशा’ आदि भी शामिल हैं। पंडित दीनदयाल का विचार संगठन तक सीमित नहीं था, उनका आर्थिक दर्शन भाजपा की राजनीति का केंद्र है. दीनदयाल जी कहते थे- “आर्थिक योजनाओं तथा आर्थिक प्रगति का माप समाज के ऊपर की सीढ़ी पर पहुंचे हुए व्यक्ति नहीं, बल्कि सबसे नीचे के स्तर पर विद्यमान व्यक्ति से होगा। ”केंद्र सरकार की वित्तीय समावेशन की योजना आज समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंच रही है तो वह पंडित जी के अंत्योदय का ही उदाहरण है। दीनदयाल जी के विचारों का ही प्रभाव है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘दीनदयाल अंत्योदय योजना’ की शुरुआत की जो आज ग्रामीण भारत की एक नई क्रांति बन चुकी है। उनका कहना था- “समाज की अंतिम सीढ़ी पर जो बैठा हुआ है; दलित हो, पीड़ित हो, शोषित हो, वंचित हो, गांव हो, गरीब हो, किसान हो… सबसे पहले उसका उदय होना चाहिए. राष्ट्र को सशक्त और स्वावलंबी बनाने के लिए समाज को अंतिम सीढ़ी पर ये जो लोग हैं उनका सामाजिक, आर्थिक विकास करना होगा.” यह भी एक सर्वमान्य ने सत्य है कि कोविड काल में देश के 80 करोड़ लोगों के फ़्री अनाज देना, किसान सम्मान निधि में अभी तक पौने दो लाख करोड़ की राशि सीधे बैंक खाते में पहुंचाना, 45 करोड़ से अधिक गरीबों का जनधन खाते खुलवाना, उज्ज्वला के तहत 9 करोड़ से अधिक गैस कनेक्शन, घर-घर शौचालय का निर्माण, स्वनिधि योजना, आयुष्मान भारत, नल जल योजना आदि के जरिए कदम बढ़ा रही केंद्र सरकार की सभी गरीबोन्मुख पहल पंडित जी के अंत्योदय के दर्शन से ही निकली हैं। एकात्म मानववाद और अंत्योदय के जिस रास्ते पर चलकर आज केंद्र सरकार देश के हर वर्ग के सपने का साकार कर आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम बढ़ा रही है, उसके प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय ही हैं। एकात्म मानववाद का उद्देश्य व्यक्ति एवं समाज की आवश्यकता को संतुलित करते हुए प्रत्येक मानव को गरिमापूर्ण जीवन सुनिश्चित करना है। यह प्राकृतिक संसाधनों के संधारणीय उपभोग का समर्थन करता है जिससे कि उन संसाधनों की पुनः पूर्ति की जा सके। आज वैश्विक स्तर पर एक बड़ी जनसंख्या गरीबी में जीवन यापन कर रही है। विश्वभर में विकास के कई मॉडल लाए गए लेकिन आशानुरूप परिणाम नहीं मिला। अतः दुनिया को एक ऐसे विकास मॉडल की तलाश है जो एकीकृत और संधारणीय हो। एकात्म मानववाद ऐसा ही एक दर्शन है जो अपनी प्रकृति में एकीकृत एवं संधारणीय है। एकात्म मानववाद न केवल राजनीतिक बल्कि आर्थिक एवं सामाजिक लोकतंत्र एवं स्वतंत्रता को भी बढ़ाता है। यह सिद्धांत विविधता को प्रोत्साहन देता है अतः भारत जैसे विविधतापूर्ण देश के लिए यह सर्वाधिक उपयुक्त है। “एकात्म मानववाद” का उद्देश्य प्रत्येक मानव को गरिमापूर्ण जीवन प्रदान करना है एवं “अंत्योदय” अर्थात समाज के निचले स्तर पर स्थित व्यक्ति के जीवन में सुधार करना है अतः यह दर्शन न केवल भारत अपितु सभी विकासशील देशों में सदैव प्रासंगिक रहेगा। भारत के संदर्भ में यह भी सुखद है की वर्तमान में देश की बागडोर एनडीए सरकार के मुखिया नरेंद्र मोदी के हाथ में है, जो एकात्म मानववाद औऱ अंत्योदय के संकल्प को साकार करने में जुटे हैं। प्रदीप कुमार वर्मा Read more » gave the country the basic mantra of Antyodaya Pandit Deendayal Upadhyay: Started the era of alternative politics पंडित दीनदयाल उपाध्याय
शख्सियत समाज साक्षात्कार ‘राष्ट्रवाद के पथ प्रदर्शक और एकात्म मानव दर्शन के प्रवर्तक- पंडित दीनदयाल उपाध्याय September 23, 2025 / September 23, 2025 by ब्रह्मानंद राजपूत | Leave a Comment (25 सितंबर 2025, 109वीं जयंती पर विशेष आलेख) भारत की पावन भूमि सदैव से महापुरुषों की जन्मभूमि रही है। समय-समय पर यहाँ ऐसे युगपुरुष अवतरित हुए जिन्होंने अपने विचारों, कर्मों और त्याग से राष्ट्र को नई दिशा प्रदान की। ऐसी ही पुण्य भूमि पर 25 सितंबर 1916 को मथुरा जिले के नगला चन्द्रभान नामक गाँव […] Read more » एकात्म मानव दर्शन के प्रवर्तक पंडित दीनदयाल उपाध्याय
शख्सियत समाज साक्षात्कार भागलपुर ने दी राष्टकवि दिनकर को ख्याति September 22, 2025 / September 22, 2025 by कुमार कृष्णन | Leave a Comment जन्मदिन (23 सितम्बर पर विशेष ) कुमार कृष्णन भागलपुर से ही राष्टकवि रामधारी सिंह दिनकर को ख्याति मिली।इसे उन्होंने स्वयं स्वीकार किया है। उनके मुताबिक- ” 1933 में सुप्रसिद्ध इतिहासकार काशी प्रसाद जायसवाल नें भागलपुर में बिहार प्रादेशिक हिन्दी साहित्य सम्मेलन का सभापतित्व किया था।इसके आयोजक थे पं शिवदुलारे मिश्र. अपनी कविता ‘हिमालय’ ‘के प्रति’ […] Read more » Bhagalpur gave fame to national poet Dinkar राष्टकवि दिनकर
राजनीति शख्सियत डिजिटल इंडिया: मोदी संग बदलता भारत September 18, 2025 / September 18, 2025 by पवन शुक्ला | Leave a Comment पवन शुक्ला भारत का चेहरा बदल रहा है। जहाँ कभी नागरिकों के जीवन में सरकारी दफ्तरों की लंबी कतारें और जटिल प्रक्रियाएँ सबसे बड़ी बाधा थीं, आज वहीं मोबाइल ऐप, QR कोड, स्मार्ट सिटी की रफ़्तार और ऑनलाइन सेवाओं की सहज उपलब्धता आम बात हो गई है। यह परिवर्तन किसी संयोग का परिणाम नहीं, बल्कि […] Read more » digital india Digital India: India changing with Modi India changing with Modi डिजिटल इंडिया
राजनीति लेख शख्सियत राष्ट्र नायक नरेंद्र मोदी September 16, 2025 / September 16, 2025 by डॉ.वेदप्रकाश | Leave a Comment डॉ.वेदप्रकाश राष्ट्र का कोई पिता नहीं होता। राष्ट्र के पुत्र व राष्ट्र के नायक होते हैं क्योंकि वैदिक चिंतन कहता है- माता भूमि: पुत्रोअहं पृथ्विव्या: अर्थात् यह भूमि मेरी माता है और मैं इसका पुत्र हूं। प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व-कृतित्व ने युवा भारत के मन मस्तिष्क से राष्ट्रपिता के प्रायोजित नॉरेटिव को भी समझने हेतु नई दिशा प्रदान की है। वे जिस रूप में मां भारती के सच्चे सिपाही अथवा पुत्र और सेवक बनकर जन-जन की सेवा में लगे हुए हैं, उससे उनका व्यक्तित्व राष्ट्र नायक के रूप में उभरा है। विभिन्न योजनाओं और कार्य प्रणाली में जब वे पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति की आशाओं-आकांक्षाओं की चिंता करते हैं तो उनकी अनुभूति की व्यापकता स्पष्ट देखी जा सकती है। साक्षी भाव नामक रचना में वे लिखते हैं-मुझे तो जगत को भावनाओं से जोड़ना है।मुझे तो सबकी वेदना की अनुभूति करनी है…। प्रस्तुत पंक्तियों से यह भी स्पष्ट है कि उनका विचार और संस्कार भारतीय ज्ञान परंपरा के आलोक में पोषित हुआ है। भारतवर्ष की संत परंपरा, महापुरुषों एवं स्वर्गीय अटल जी जैसे विभिन्न व्यक्तित्वों के चिंतन का उन पर गहरा प्रभाव है। भारतीय ज्ञान परंपरा में सर्वे भवंतु सुखिनः का मंत्र और दृष्टि प्रधान है इसलिए वे सभी के सुख के लिए स्वयं को खपा रहे हैं। स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार वर्ष 2014 में लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी राष्ट्र के नाम अपने पहले ही संबोधन में संकल्प का भाव प्रस्तुत करते हैं। वे जन-जन को झकझोरते हैं और आवाह्न करते हैं। वे प्रधानमंत्री नहीं, प्रधानसेवक के रूप में प्रस्तुत होते हैं। उनके मन मस्तिष्क में नया भारत बनाने की भावना है। गरीब, मजदूर ,किसान, युवा शक्ति एवं नारी शक्ति सबको साथ लेकर वे सबके कल्याण और राष्ट्र निर्माण का संकल्प प्रस्तुत करते हैं। वर्ष 2025 में लालकिले की प्राचीर से उनके बारह संबोधन पूर्ण हो चुके हैं। वे अपने प्रत्येक संबोधन में सबके साथ और सबके विकास का मंत्र लेकर प्रत्येक बार नई एवं जन कल्याणकारी योजनाएं लेकर आते हैं। अब भारत बदल रहा है। आज जन-जन नए भारत,आत्मनिर्भर भारत व समृद्ध भारत का भाव लेकर अपनी भागीदारी करते हुए विकसित भारत का संकल्प लेकर तेजी से आगे बढ़ रहा है। राष्ट्र नायक वही है जो राष्ट्र के जन-जन के साथ जुड़कर और उन्हें अपने साथ जोड़कर शिखर की ओर बढ़ चले। विगत कुछ वर्षों में आर्थिक उन्नति के शिखर की ओर बढ़ते हुए भारत आज विश्व की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। मेक इन इंडिया, मेड इन इंडिया का विचार अब व्यापक हो चुका है। खेती, किसानी, पशुपालन, मत्स्य पालन आदि के माध्यम से आत्मनिर्भरता जन-जन का संकल्प बनता जा रहा है। संतुलित विकास और नेक्स्ट जेनरेशन इंफ्रास्ट्रक्चर का तेजी से विकास हो रहा है। वैश्विक मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए नरेंद्र मोदी विभिन्न मुद्दों पर विश्व समुदाय का मार्गदर्शन कर रहे हैं। राष्ट्र की सीमाओं और स्वाभिमान की रक्षा के लिए वे दृढ़ संकल्पित हैं। आज विश्व भारतीय सेना के शौर्य और मोदी नेतृत्व की निर्णय क्षमता की सराहना कर रहा है। आज देश किसी की थौंपी हुई नीतियां मानने को मजबूर नहीं है अपितु स्वयं को आत्मनिर्भर और मजबूत बनाते हुए दूसरों के लिए प्रेरणा बन रहा है। विश्व के अनेक देशों के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सम्मानित किया जा चुका है। वे राष्ट्रीय और वैश्विक फलक पर जहां भी जाते हैं वहीं वसुधैव कुटुंबकम का उद्घोष करते हैं। वे सबको साथ लेकर मानवता के कल्याण के सूत्र देकर उन पर अमल का मार्ग बताते हैं। राष्ट्र नायक वही है जो विपरीत परिस्थितियों में भी आत्मविश्वास का भाव जगा दे। वैश्विक महामारी कोरोना में अनेक देशों की व्यवस्थाएं भिन्न-भिन्न रूपों में चरमरा गई लेकिन प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने सूझबूझ से न केवल अपने देश को इस संकट से निकला अपितु अनेक देशों की सहायता और सेवा के लिए काम किया। 25 मार्च 2018 के मन की बात में उन्होंने जन-जन में आत्मविश्वास भरते हुए कहा- आज पूरे विश्व में भारत की ओर देखने का नजरिया बदला है। आज जब भारत का नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है तो इसके पीछे मां भारती के बेटे- बेटियों का पुरुषार्थ है। वे छोटी से छोटी और बड़ी से बड़ी उपलब्धि का श्रेय स्वयं नहीं लेते अपितु देश की जनता के संकल्प और पुरुषार्थ को समर्पित करते हैं। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में कार्य प्रणाली को बदला है। उनका दृष्टिकोण बहुत स्पष्ट है-रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म। स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, शौचालय युक्त भारत, गरीबी मुक्त भारत, गंदगी मुक्त भारत, प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, मिशन अंत्योदय, बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ, मुद्रा योजना, फिट इंडिया, खेलता भारत-खिलता भारत, वोकल फाॅर लोकल, लखपति दीदी आदि अनेक ऐसी योजनाएं एवं अभियान हैं जिनके आवाह्न के बाद समूचा देश नरेंद्र मोदी के साथ चलता दिखाई दे रहा है। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती जी अपने उद्बोधनों में बार-बार कहते हैं- यह देश का सौभाग्य है कि देश को नरेंद्र मोदी जैसा योगी और तपस्वी प्रधानमंत्री मिला है जिनका जीवन मां भारती की सेवा में समर्पित है। राष्ट्र नायक वही है जो विकृति को संस्कृति में बदल दे। असंभव को संभव कर दिखाएं। नकारात्मकता को सकारात्मक बना दे। निराशा को आशा में बदल दे। सेवा की भावना और समर्पण का विचार ही जिसके जीवन का ध्येय है, राष्ट्र नायक वही तो है। 17 सितंबर 2025 को राष्ट्र नायक नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन के उपलक्ष में देशभर में जन कल्याण के कार्य हों। जन-जन उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व से प्रेरणा लेकर नए विचार और नए संकल्पों के साथ आगे बढ़े। यही राष्ट्र नायक के जन्मोत्सव पर उन्हें महत्वपूर्ण उपहार होगा। मां भारती की सेवा में समर्पित राष्ट्र नायक नरेंद्र मोदी का जीवन दर्शन बिल्कुल स्पष्ट है-मां… मुझे कुछ सिद्ध नहीं करना है।मुझे तो स्वयं की आहुति देनी है। आइए हम भी जाति, संप्रदाय एवं क्षेत्रीयता के भेदभाव को भूलकर स्वयं को सिद्ध करने के स्थान पर मां भारती के कल्याण हेतु एक छोटी सी आहुति अवश्य दें। राष्ट्र नायक के जन्मोत्सव पर उन्हें हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं। डॉ.वेदप्रकाश Read more » 75th birthday of narendra modi National leader Narendra Modi r Narendra Modi नरेंद्र मोदी
राजनीति शख्सियत नरेंद्र मोदी मतलब नैति नैति September 16, 2025 / September 16, 2025 by डॉ घनश्याम बादल | Leave a Comment डॉ घनश्याम बादल नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के रूप में इंदिरा गांधी के कार्यकाल को पीछे छोड़कर नेहरू के बाद सबसे ज्यादा समय तक लगातार प्रधानमंत्री पद रहने वाली उसे शख्सियत का नाम है जिसे उनके समर्थक भारत को विश्वगुरु बनाने एक विकसित देश बनाने और बनाना स्टेट से सॉलिड स्टेट तक ले जाने का श्रेय देते हैं. […] Read more » 75th birthday of narendra modi Narendra Modi means morality