बच्चों का पन्ना बाल कविता : बच्चों की कल्पना July 14, 2013 / July 14, 2013 by मिलन सिन्हा | Leave a Comment मिलन सिन्हा बच्चों की कल्पना यही वह अपना गाँव है हम बच्चों का गाँव है। बन्दर है, मदारी है पनघट है, फूलों की क्यारी है खेत है, खलिहान है झूमते पेड़, खुला आसमान है। यही वह अपना गाँव है हम बच्चों का गाँव है। मदरसा है, पाठशाला है कोई गोरा, कोई काला […] Read more » बच्चों की कल्पना
बच्चों का पन्ना चीटी बोली July 12, 2013 / July 12, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment चीटी बोली चलो कहीं से , चना खरीदें भाई| अब तो सहन नहीं होता है, भूख मुझे लग आई| चीटा बोला शक्कर गुड़ की, गंध मुझे है आती| इतना मीठा माल रखा, तू खाने क्यों न जाती| बोली चीटी अरे भाईजी, गुड़ से डर है लगता | जो भी उसके गया तो, जाकर वहीं चिपकता| Read more » चीटी बोली
बच्चों का पन्ना जूनियर गधा July 5, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment देखो मम्मी देखो पापा, बस्ता हमसे उठ न पाता| हम बच्चों का दर्द आप सब, लोगों को क्यों समझ न आता| आठ सेर का वज़न हमारा, बस बस्ता तो दस का है माँ| इसको कंधे पर ले जाना, नहीं हमारे बस का है माँ| हम बच्चों पर कहर इस तरह, क्यों दुनियाँ वाले […] Read more » जूनियर गधा
बच्चों का पन्ना मुट्टा July 5, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment ” ऐसे ऐसे एक था घर” ” घर कहाँ था दद्दा?” “घर,घर कहां होता है?” ” गांव में होता है, शहर में होता है और कहाँ होता है|” “नहीं यह घर था पहाड़ की तलहटी में” “अरे बाप रे पहाड़ पर” “अरे बुद्धु,पहाड़ पर नहीं पहाड़ के नीचे” ” अच्छा…..दद्दा ठीक है ,फिर आगे क्या […] Read more » मुट्टा
बच्चों का पन्ना किंतु पिताजी June 29, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 4 Comments on किंतु पिताजी लालता प्रसाद जी ने कार रुकते ही गेट का दरवाजा खोला और अपना ब्रीफ केस लेकर बाहर निकल् आये| रोज के विपरीत आज उनके घर के ड्राइंग रूम का दरवाजा खुला था और बाहर तीन चार जोड़ी फटे पुराने चप्पल जूते पड़े थे|उन्हें कुछ समझ में नहीं आया कि ये गंदे चप्पल जूते किसके हो […] Read more » किंतु पिताजी
बच्चों का पन्ना राम वापिस आ गया है June 28, 2013 / June 28, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 1 Comment on राम वापिस आ गया है ” मालूम है ,राम वापिस आ गया है?” “क्या? कब आया है? उसके मां बाप, क्या वह भी आ गये हैं? क्या वह भी जीवित हैं?” “नहीं, केवल राम ही वापिस आया है, मां बाप तो चट्टानों में दब गये या नदी के तेज प्रवाह में बह गये, अभी तक पता नहीं है|” सारे गांव […] Read more » राम वापिस आ गया है
बच्चों का पन्ना राखी का त्यौहार June 19, 2013 / June 20, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment राखियों से गुलजार बजार, आ गया राखी का त्यौहार| मिठाई सजी दुकानों में शॊरगुल गूंजे कानों में रेशमी धागों की भरमार राखियों के ढेरों अंबार कहीं पर बेसन की बरफी कहीं पर काजू की कतली कहीं पर रसगुल्लॆ झक झक कहीं पर लड्डू हुये शुमार| आ गया राखी का त्यौहार| कमलिया रखी लाई है थाल […] Read more » राखी का त्यौहार
बच्चों का पन्ना आम की चटनी June 16, 2013 / June 16, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment आवाज़ आ रही खटर पटर, पिस रहे आम सिलबट्टे पर| अमियों के टुकड़े टुकड़े कर , मां ने सिल के ऊपर डाले| धनियां मिरची भी कूद पड़े, इस घोर युद्ध में, मतवाले| फिर हरे पुदेने के पत्ते, भी मां ने रण में झोंक दिये| […] Read more » आम की चटनी
बच्चों का पन्ना दिन और रात June 16, 2013 / June 16, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment रोज रोज हो जाता है दिन, रोज रोज हो जाती रात| बोलो बापू क्या है कारण, बोलो बापू क्या है बात| बापू बोले बात जरासी, बात ठीक से सोचा कर| धरती माता रोज लगाती, सूरज बाबा के चक्कर| पेट सामने जब धरती का, सूरज बाबा के होता| उसी समय धरती के ऊपर, सोनॆ जैसा दिन […] Read more » दिन और रात
बच्चों का पन्ना आम June 14, 2013 / June 14, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment दोपहर में जब मम्मी सोई, दादी करती थीं आराम| लगा जोर से टेर लगाने, ठेले वाला ले लो आम| उठे दौड़कर चुन्नू आये, छोड़े सभी हाथ के काम| मुन्नू भी चिल्लाकर बोले, ले लो मम्मी ले लो आम| ठेले वाला फिर चिल्लाया, बड़े रसीले मीठे आम| एक बार बस खाकर देखो, मिट जायेंगे कष्ट तमाम| […] Read more » poem for kids आम
जन-जागरण बच्चों का पन्ना सिकाडा [Cicada] June 3, 2013 / June 3, 2013 by बीनू भटनागर | 2 Comments on सिकाडा [Cicada] एक कीड़ा जो आमतौर पर सत्रह साल बाद ज़मीन से बाहर आता है यह कीड़ा संयुक्त राज्य अमरीका के पूर्वी तट के आसपास के इलाकों मे सत्रह साल बाद ज़मीन के बाहर आता है।इस साल इसका आना शुरू हो चुका है वाशिंगटन के आस पास के इलाकों मे ये मई के अंत मे आ चुका […] Read more » सिकाडा
बच्चों का पन्ना बस्ता May 25, 2013 / May 25, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment बस्ता कित्तो भारी दद्दा, बस्ता कित्तो भारी| लाद लाद कें कंधा थके, भई बस्ता की बीमारी| बस्ता कित्तो भारी दद्दा, बस्ता कित्तो भारी| इत्ती सारीं ढेर किताबें, लाद लाद ले जायें| अपनो दु:ख हमईं जानत हैं, का तुमखों समझायें| पे पढ़बो मज़बूरी अपनी, बस्ता है लाचारी| बस्ता कित्तो भारी दद्दा, बस्ता कित्तो भारी| बब्बा के […] Read more » बस्ता