बच्चों का पन्ना कहां जांयें हम December 18, 2012 / December 15, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment भालू चीता शेर सियार सब, रहने आये शहर में| बोले’अब तो सभी रहेंगे, यहीं आपके घर में|’ तरुवर सारे काट लिये हैं , नहीं बचे जंगल हैं| जहाँ देखिये वहीं दिख रहे, बंगले और महल हैं| अब तो अपना नहीं ठिकाना, लटके सभी अधर में| भालू चीता शेर सियार सब, रहने आये शहर में| […] Read more » कहां जांयें हम
बच्चों का पन्ना हाथी और चूहा December 17, 2012 / December 17, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment दो चूहों को बीच सड़क पर, मिल गये हाथी दादा| एक चूहा दूजे से बोला, क्या है भाई इरादा? कई दिनों से हाथ सुस्त हैं, कसरत न हो पाई| क्यों न हम हाथी दादा की, कर दें आज धुनाई| बोला तभी दूसरा चूहा, उचित नहीं यह बात| दो जब मिलकर किसी अकेले , पर करते […] Read more » हाथी और चूहा
बच्चों का पन्ना हमारी माँ अगर होती December 17, 2012 / December 15, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment हमारी माँ अगर होती, हमारे साथ में पापा| फटकने दुख नहीं देती ,हमारे पास में पापा|| सुबह उठकर हमें वह दूध ,हँस हँस कर पिलाती थी| डबल रोटी या बिस्कुट ,साथ में ,हमको खिलाती थी| अगर होती सुबह से ही ,कभी की उठ चुकी होती| हमें रहने नहीं देती, कभी उपवास में पापा| […] Read more » हमारी माँ अगर होती
बच्चों का पन्ना वही सफलता पाता है December 17, 2012 / December 17, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment पीपल मेरे पूज्य पिताजी, तुलसी मेरी माता है| बरगद को दादा कहने से, मन पुलकित हो जाता है| बगिया में जो आम लगा है, उससे पुश्तैनी नाता, कहो बुआ खट्टी इमली को, मजा तब बहुत आता है| घर में लगा बबूल पुराना, वह रिश्ते का चाचा है| “मैं हूँ बेटे मामा तेरा,” यह […] Read more » वही सफलता पाता है
बच्चों का पन्ना हाथी मामा December 16, 2012 / December 15, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment हाथी मामा पहिन पजामा, पहुंच गये स्कूल| जैसे ही पढ़ने वह बैठे, टूट गया स्टूल| चित्त गिरे धरती पर मामा, कुछ भी समझ न पाये| पसर गये फिर धीरे धीरे, पैरों को फैलाये| जैसे तैसे दो चूहों ने, मिलकर उन्हें उठाया| गरम गरम काफी का प्याला, लाकर एक पिलाया| Read more »
बच्चों का पन्ना प्रजातंत्र का राजा December 16, 2012 / December 15, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment एक कहानी बड़ी पुरानी, कहती रहती नानी| शेर और बकरी पीते थे, एक घाट पर पानी| कभी शेर ने बकरी को, न घूरा न गुर्राया| बकरी ने जब भी जी चाहा, उससे हाथ मिलाया| शेर भाई बकरी दीदी के ,जब तब घर हो आते| बकरी के बच्चे मामा को, गुड़ की चाय पिलाते| बकरी भी […] Read more » प्रजातंत्र का राजा
बच्चों का पन्ना चूहा भाई December 15, 2012 / December 15, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment सुबह सुबह चूहा भाई ने, संपादक को डांटा| “चार लेख भेजे थे मैंने, नहीं एक भी छापा|” संपादक ने एक पत्रिका, उसकी तरफ बढ़ाई| बोला”इसमें आप छपे हैं, इसको पढ़ लो भाई|” मुख्य पृष्ठ पर ज्योंहि उनको, बिल्ली पड़ी दिखाई| डर के मारे दौड़ लगाकर, भागे चूहा भाई| Read more »
बच्चों का पन्ना खुला पुस्तकालय जंगल में December 15, 2012 / December 15, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment बालवाटिका पढ़ पढ़कर, कालू बंदर हो गये विद्वान| इसी बात का हाथीजी ने ,शेर चचा का खींचा ध्यान| देखो तो यह कालू बंदर, पढ़ लिखकर हो गया महान| हम तो मात्र हिलाते रह गये ,अपने पूँछ गला और कान| बाल वटिका बुलवाने का ,खुलकर किया गया एलान| शाल ओढ़ाकर बंदरजी का, किया गोष्ठी में सम्मान| […] Read more » खुला पुस्तकालय जंगल में
बच्चों का पन्ना दहेज December 2, 2012 / December 1, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 3 Comments on दहेज अपने मम्मी पापा के संग , चुहिया पहुंची थाने| बोली चूहे के घरवाले, हैं दहेज दीवाने| शादी के पहले से ही वे, मांग रहे हैं कार| बंद करो थाने में उनको, चटपट थानेदार| इस पर भालू कॊतवाल ने, चूहे को बुलवाया| थाने में घरवालों के संग, उसको बंद कराया| Read more » poem for kids
बच्चों का पन्ना तुमको सजा मिलेगी December 1, 2012 / December 1, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment टुल्लम टुल्ला गिल्ली डंडा, खेल रहे थे गद्दू| इसी बीच में ठीक सामने, निकल पड़े थे दद्दू|| गिल्ली लगी सामने कसकर, दद्दू का सिर फूटा| डर के मारे गद्दू जी का ,इधर पसीना छूटा|| मार पड़ेगी यही सोचकर, गद्दू घर से भागे| किंतु हाय तकदीर पड़ गये ,दादीजी के आगे|| दादी ने […] Read more » poem for kids
बच्चों का पन्ना बुखार की दवा December 1, 2012 / December 1, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment कुत्ता बोला,बिल्ली दीदी, मुझको चढ़ा बुखार| यदि हो सके संभव तो ,कोई दवा करो तैयार|| बिल्ली बोली ,भौंक भौंक कर, तुम होते बीमारा| बंद रखोगे मुँह तो होगी , बीमारी की हार|| यदि छोड़ दो पीछा करना,तुम निरीह लोगोंका| कुत्ता भाई निश्चित तुम पर ,कभी न ताप चढ़ेगा|| Read more » poem for kids
कविता बच्चों का पन्ना क्म्प्यूटर पर चिड़िया November 27, 2012 / November 26, 2012 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | 1 Comment on क्म्प्यूटर पर चिड़िया बहुत देर से कम्प्यूटर पर, बैठी चिड़िया रानी| बड़े मजे से टाईप कर रही, थी कोई बड़ी कहानी|| तभी अचानक चिड़िया ने ,जब गर्दन जरा घुमाई| किंतु न जाने किस कारण,वह जोरों से चिल्लाई|| कौआ भाई फुदक फुदक कर,शीघ्र वहां पर आये| तुम्हें क्या हुआ बहिन चिरैया, कौआजी घबराये|| चिड़िया बोली पता […] Read more » क्म्प्यूटर पर चिड़िया