धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द ने वेदों का उद्धार और प्रचार कर देश, धर्म व संस्कृति की रक्षा सहित विश्व का कल्याण किया September 9, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द ने एक पौराणिक सनातनी परिवार में जन्म लेकर महामानव अर्थात् ऋषि व महर्षि बनने का एक महान जीवन यज्ञ रचाया और सफलता प्राप्त कर अपने विद्या गुरु प्रज्ञाचक्षु दण्डी स्वामी स्वामी विरजानन्द सरस्वती, मथुरा की प्रेरणा से अनार्ष ज्ञान व परम्पराओं का खण्डन करने के साथ मानव मात्र के लिए […] Read more » ऋषि दयानन्द देश धर्म की रक्षा विश्व का कल्याण वेदों का उद्धार वेदों का प्रचार संस्कृति की रक्षा
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द के बलिदान व महाप्रयाण की कारुणिक कथा September 6, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य ऋषि दयानन्द जी का जीवन गुणों व कार्यो की दृष्टि से जितना सर्वांगपूर्ण और शिक्षाप्रद है उतनी ही उनकी मृत्यु भी आदर्श है। कार्तिक अमावस्या के दिन अजमेर नगर में उनका बलिदान वा महाप्रयाण हुआ। स्वामी जी को जोधपुर प्रवास में विष दिया गया था। इससे पूर्व भी अनेकों बार उन्हें विष […] Read more » Featured ऋषि दयानन्द के बलिदान
धर्म-अध्यात्म पं. नथमल तिवाड़ी, अजमेर का ऋषि दयानन्द के निर्वाण का प्रत्यक्ष ज्ञान पर आधारित विवरण September 3, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य अजमेर निवासी पं. नथमल तिवाड़ी ने लगभग दो बार 13 व 19 वर्ष की अवस्था में अजमेर में ऋषि दयानन्द के दर्शन किये और अजमेर और मसूदा में उनके साथ भी रहे। ऋषि के मसूदा से शाहपुरा जाते समय पंडित जी अजमेर लौट आये थे। इसके बाद ऋषि ने मुख्यतः शाहपुरा, चित्तौड़ […] Read more » ऋषि दयानन्द निर्वाण का प्रत्यक्ष ज्ञान
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द के मसूदा प्रवास का एक ऋषि भक्त द्वारा साक्षात अनुभवों पर आधारित वर्णन (2) September 3, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य स्वामी दयानन्द जी अजमेर से चलकर मसूदा आये। इसका वर्णन करते हुए पं. नथमल जी तिवाड़ी, अजमेर लिखते हैं कि ‘मैं अकेला कभी-कभी दोपहर के समय भी स्वामी जी के पास चला जाया करता था। मसूदा जाने के सम्बन्ध में स्वामी जी पण्डित छगनलाल जी कामदार-मसूदे से भी पत्र व्यवहार करते थे। […] Read more » ऋषि दयानन्द मसूदा प्रवास साक्षात अनुभवों पर आधारित वर्णन
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द के साक्षात्दर्शनकर्ता का उनके कुछ प्रसंगों का वर्णन September 2, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य आज हम इस लेख में पं. नथमलजी तिवाड़ी, अजमेर का निजी अनुभवों पर आधारित ऋषि दयानन्द के जीवन की कुछ घटनाओं का वर्णन प्रस्तुत कर रहे हैं जो वर्तमान के अनेक आर्य विद्वानों एवं पाठकों की दृष्टि से ओझल है। इसका प्रकाशन परोपकारिणी सभा के वर्तमान प्रधान डा. धर्मवीर ने वेदवाणी के […] Read more » ऋषि दयानन्द प्रसंगों का वर्णन
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म संवत्सरी आत्मोत्थान का महान पर्व है September 1, 2016 / September 1, 2016 by आचार्य डाॅ. लोकेशमुनि | Leave a Comment आचार्य डाॅ. लोकेशमुनि- जैन धर्म में संवत्सरी महापर्व का अत्यधिक विशिष्ट महत्व है। वर्ष भर में अपने द्वारा जान अनजाने हुई समस्त भूलों के लिए प्रायश्चित करना तथा दूसरों के प्रति हुए अशिष्ट व्यवहार के लिए अंतःकरण से अत्यन्त सरल, ऋजु व पवित्र बनकर क्षमा माँगना व दूसरों को प्रदान करना इस महान पर्व का […] Read more » संवत्सरी
धर्म-अध्यात्म पूर्व दिल्ली में दलितोद्धार का अपूर्व इतिहासिक कार्य September 1, 2016 / September 1, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment आर्यसमाज का एक शताब्दी पूर्व दिल्ली में दलितोद्धार का अपूर्व इतिहासिक कार्य मनमोहन कुमार आर्य महाभारत युद्ध के समाप्त होने के बाद देश निरन्तर पतन की ओर अग्रसर होता रहा जिस कारण नाना प्रकार के धार्मिक एवं सामाजिक अन्धविश्वास एवं कुरीतियां प्रचलित हुईं। इन अन्धविश्वासों में मूर्तिपूजा, मृतक श्राद्ध, फलित ज्योतिष व जन्मना जाति व्यवस्था आदि […] Read more » दलितोद्धार पूर्व दिल्ली
धर्म-अध्यात्म दक्षिण भारत में आर्यसमाज का प्रचार और उसका संक्षिप्त परिचय August 31, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य महर्षि दयानन्द (1825-1883) गुजरात में जन्में, मथुरा में पंजाब में जन्में गुरु विरजानन्द सरस्वती से संस्कृत व्याकरण व आर्ष ग्रन्थों का अध्ययन कर उनकी महत्ता को उन्होंने समझा और इसके बाद वर्तमान के उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, महाराष्ट्र, बंगाल, राजस्थान, पंजाब, दिल्ली आदि अनेक प्रदेशों व स्थानों में प्रचार किया। दक्षिण भारत में […] Read more » आर्यसमाज का प्रचार दक्षिण भारत में आर्यसमाज का प्रचार
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म भारतीय संस्कृति में सर्वाधिक लोकप्रिय हैं गणेश August 30, 2016 / August 30, 2016 by ललित गर्ग | Leave a Comment गणेश चतुर्थी- 5 सितम्बर 2016 पर विशेष ललित गर्ग- गणेश भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग हैं, वे सात्विक देवता हैं और विघ्नहर्ता हैं। वे न केवल भारतीय संस्कृति एवं जीवनशैली के कण-कण में व्याप्त है बल्कि विदेशों में भी घर-कारों-कार्यालयों एवं उत्पाद केन्द्रों में विद्यमान हंै। हर तरफ गणेश ही गणेश छाए हुए है। मनुष्य […] Read more » Ganesh Chaturthi गणेश चतुर्थी
धर्म-अध्यात्म स्व आंकलन से ही संभव है बौद्धिक स्वास्थ्य August 29, 2016 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment डॉ.शिवानी शर्मा कहते हैं कि मन जीते जग जीत। प्रायः सभी दर्शन, सभी धर्म, नीति-वाक्य ‘स्व’ में परिवर्तन की ओर ही संकेत करते है। शायद मनुष्य की अपने में श्रेष्ठता का अनुभव करने की भारतीय परम्परा स्व उत्थान की अपेक्षा भी रखती और इसे अपना चरम ध्येय भी मानती है। यूँ भी कहा जा सकता […] Read more » बौद्धिक स्वास्थ्य संभव है बौद्धिक स्वास्थ्य स्व आंकलन
धर्म-अध्यात्म ऋषि दयानन्द के समाकालीन वैदिक धर्म प्रचारक अनुयायी महात्मा कालूराम जी August 28, 2016 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में ऋषि दयानन्द की वैदिक विचार से प्रभावित होकर जिन प्रमुख लोगों ने वैदिक धर्म प्रचार को अपने जीवन का मिशन बनाया था उनमें से महात्मा कालूराम जी एक प्रमुख एक प्रसिद्ध महापुरुष हैं। महात्मा जी का बचपन का नाम धर्मचंद था। वह राजस्थान के शेखावटी के अन्तर्गत […] Read more » Featured महात्मा कालूराम जी
धर्म-अध्यात्म क्या मनुष्य जीवन का लक्ष्य केवल भौतिक सुख प्राप्त करना ही है? August 27, 2016 by मनमोहन आर्य | 1 Comment on क्या मनुष्य जीवन का लक्ष्य केवल भौतिक सुख प्राप्त करना ही है? मनमोहन कुमार आर्य मनुष्य जीवन का क्या लक्ष्य है? यदि आजकल के सम्पन्न लोगों के जीवन पर दृष्टि डालें तो लगता है कि उनके जीवन का लक्ष्य उचित व अनुचित तरीकों से धन कमाना और उसका अधिक से अधिक संचय कर सुख सुविधाओं की वस्तुओं को प्राप्त करना, देश विदेश की यात्रायें करना, घूमना-फिरना ही […] Read more » भौतिक सुख मनुष्य जीवन का लक्ष्य