धर्म-अध्यात्म मैं और मेरा देश November 10, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मैं अपने शरीर में रहने वाला एक चेतन तत्व हूं। आध्यात्मिक जगत् में इसे जीवात्मा कह कर पुकारा जाता है। मैं अजन्मा, अविनाशी, नित्य, जन्म-मृत्यु के चक्र में फंसा हुआ तथा इससे मुक्ति हेतु प्रयत्नशील, चेतन, स्वल्प परिमाण वाला, अल्पज्ञानी एवं ससीम, आनन्दरहित, सुख-आनन्द का अभिलाषी तत्व हूं। मेरा जन्म माता-पिता से हुआ है। […] Read more » मैं और मेरा देश
धर्म-अध्यात्म मनुष्य और उसका धर्म November 8, 2015 / November 8, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment संसार के सभी मनुष्य अपने-अपने माता-पिताओं से जन्में हैं। जन्म के समय वह शिशु होते हैं। इससे पूर्व 10 माह तक उनका अपनी माता के गर्भ में निर्माण होता है। मैं कौन हूं? यह एक अत्यन्त महत्वपूर्ण प्रश्न है। मैं वह हूं जो अपनी माता से जन्मा है और उससे पूर्व लगभग 10 माह तक […] Read more » मनुष्य और उसका धर्म
धर्म-अध्यात्म उदात्त गरिमा यश प्रदात्री श्रीलक्ष्मी November 8, 2015 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment अशोक “प्रवृद्ध” समस्त लोकों की ईश्वरी, अपने कर-कमलों में कमल-युगल धारण करने वाली तथा समस्त सर्वांगींण कल्याण का विधान करने वाली जगजननी लक्ष्मी की उपासना भारतवर्ष और इसके बाहर के देशों में अति प्राचीन काल से ही प्रचलित रहा है तथा लक्ष्मी की दशांग उपासना की सम्पूर्ण विधि पटल, पद्धति, शतनाम, सहस्त्रनाम आदि स्त्रोतों एवं […] Read more » Featured उदात्त गरिमा यश प्रदात्री श्रीलक्ष्मी
धर्म-अध्यात्म महर्षि दयानन्द सरस्वती जी की कुछ प्रमुख मान्यतायें November 8, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment वेदों पर आधारित महर्षि दयानन्द जी की कुछ प्रमुख मान्यताओं को पाठकों के लाभार्थ प्रस्तुत कर रहे हैं: ईश्वर विषयक ईश्वर कि जिसके ब्रह्म, परमात्मादि नाम हैं, जो सच्चिदानन्दादि लक्षणयुक्त है, जिसके गुण, कर्म, स्वभाव पवित्र हैं, जो सर्वज्ञ, निराकार, सर्वव्यापक, अजन्मा, अनन्त, सर्वशक्तिमान, दयालु, न्यायकारी, सब सृष्टि का कर्ता, धर्ता, हर्ता, सब जीवों को […] Read more » Featured दयानन्द सरस्वती जी की कुछ प्रमुख मान्यतायें महर्षि दयानन्द महर्षि दयानन्द सरस्वती
धर्म-अध्यात्म क्षमाशीलता November 3, 2015 by कृष्ण कान्त वैदिक शास्त्री | Leave a Comment कृष्ण कान्त वैदिक क्षमाशीलता का अर्थ है निंदा, अपमान और हानि में अपराध करने वाले को दंड देने का भाव न रखना। संसार में जितने भी महापुरुष हुए हैं, उनका यह विशेष गुण रहा है। मनुस्मृति में धर्म के दस लक्षण बताए गए हैं जिनमें क्षमा का मुख्य स्थान है। आपस्तम्ब स्मृति के अनुसार- ‘क्षमागुणो […] Read more » क्षमाशीलता
धर्म-अध्यात्म क्या महर्षि दयानन्द को वेद की पुस्तकें धौलपुर से प्राप्त हुईं थीं? November 3, 2015 / November 3, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment महर्षि दयानन्द जी अपने विद्यागुरू प्रज्ञाचक्षु स्वामी विरजानन्द सरस्वती से अध्ययन पूरा कर और गुरु दक्षिणा की परम्परा का निर्वाह कर गुरुजी को दिए वचन के अनुसार भावी योजना को कार्यरूप देने वा निश्चित करने के लिए मथुरा से आगरा आकर रहे थे और यहां लगभग डेढ़ वर्ष रहकर उपदेश व प्रवचन आदि के द्वारा […] Read more » महर्षि दयानन्द
धर्म-अध्यात्म वैदिक मतानुसार सृष्टय़ुत्पत्ति कालीन स्थिति November 2, 2015 by अशोक “प्रवृद्ध” | Leave a Comment अशोक “प्रवृद्ध” ईश्वरीय ज्ञान वेद के सृष्टय़ुत्पत्ति विचारधारा के अनुसार सम्पूर्ण सृष्टि एक इकाई है, जिसका प्रत्येक विभाग किसी विशेष प्रयोजन की सिद्धि के लिये बना है और वह अपने स्वरूप में दूसरे का पूरक है। एक के विना दूसरा चल नहीं सकता। वर्तमान में उपलब्ध संसार प्रारम्भ में भी इन समस्त जीवों और उनके […] Read more » Featured वैदिक मतानुसार सृष्टय़ुत्पत्ति कालीन स्थिति
धर्म-अध्यात्म भगवान पर भ्रम October 31, 2015 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment चर्च ऑफ़ इंग्लैंड और दुनिया में बहुत दिनों से चल रही लैंगिग समानता पर बहस के बीच बिट्रेन के संसद हाउस ऑफ़ लार्डस में बैठने वाली पहली महिला पादरी रेशाल ट्रवीक ने कहा है कि “चर्च ऑफ़ इग्लैंड” को भगवान के लिए पुर्लिंग शब्द (HE) का इस्तेमाल बंद कर देना चाहिए! उन्हौने अपने संम्बोधन में […] Read more » भगवान पर भ्रम
धर्म-अध्यात्म वैदिक धर्म की वेदी पर प्रथम बलिदान: महर्षि दयानन्द October 31, 2015 / October 31, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment आज 30 अक्तूबर को बलिदान दिवस पर आज महर्षि दयानन्द सरस्वती जी का बलिदान दिवस है। आज ही के दिन 30 अक्तूबर, सन् 1883 को अजमेर में सूर्यास्त के समय महर्षि दयानन्द ने अपने जीवन की अन्तिम सांस ली थी। उनके बलिदान का कारण उनका वैदिक धर्म का प्रचार करना था। स्वार्थी, पाखण्डी व अज्ञानी […] Read more » Featured महर्षि दयानन्द वैदिक धर्म की वेदी पर प्रथम बलिदान
धर्म-अध्यात्म मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम सहित महर्षि वाल्मिकी भी विश्व के आदरणीय एवं पूज्य October 30, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment हमारे पौराणिक भाईयों ने वैदिक वा आर्य गुण सम्पन्न मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम चन्द्र जी को ईश्वर का अवतार स्वीकार किया है और अपने मन्दिरों में उनकी मूर्ति स्थापित कर पूजा अर्चना करते हैं। अनुमान है कि विगत ढाई हजार वर्षों में, जब भी मूर्ति पूजा का आरम्भ हुआ, सबसे पहले जिस महापुरूष की मूर्ति […] Read more » Featured पूज्य मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम महर्षि वाल्मिकी विश्व के आदरणीय
धर्म-अध्यात्म मनुष्य जीवन की सफलता के लिए वेदों की शरण लेना आवश्यक October 29, 2015 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनुष्य जीवन संसार की सभी जीव योनियों में सर्वश्रेष्ठ है जिसे निर्विवाद रुप से सभी स्वीकार करते हैं। इसी प्रकार वैदिक सिद्धान्त, मान्यताओं व पद्धति के अनुसार व्यतीत मनुष्य जीवन ही सर्वश्रेष्ठ जीवन पद्धति है। संसार में अनेक जीवन शैलियों व पद्धतियों को मानने वाले लोग हैं। पारसी, बौद्ध, जैन, मुस्लिम व पौराणिक पद्धति से […] Read more » Featured वेदों की शरण
धर्म-अध्यात्म दोष न दें विभीषण को October 29, 2015 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on दोष न दें विभीषण को डॉ. दीपक आचार्य आज चिरंजीवियों में जिस महापुरुष का नाम सबसे कम लोग लेते हैं वे हैं विभीषण महाराज। अन्य सभी चिरंजीवियों अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, कृपाचार्य, परशुराम एवं मार्कण्डेय का कहीं न कहीं जिक्र आता ही है। लेकिन सारे गुणों, सत्य, धर्म और नैतिक आदर्शों के बावजूद केवल राक्षस कुल में जन्म लेने […] Read more » दोष न दें विभीषण को