धर्म-अध्यात्म सत्य का ग्रहण और असत्य का त्याग ही मनुष्य का धर्म है December 6, 2014 / December 7, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment किसी विषय पर यदि दो बातें हैं, इनमें हो सकता कि एक सत्य हो और दूसरी असत्य या दोनों ही असत्य भी हो सकती हैं। ऐसी स्थिति में सत्य इन दोनों बातों से भिन्न हो सकता है। सत्य विचारों, सिद्धान्तों और मान्यताओं से जीवन में लाभ होता है और असत्य से लाभ तो कुछ नहीं […] Read more » असत्य का त्याग सत्य का ग्रहण
धर्म-अध्यात्म स्वाध्याय से जीवनोद्देश्य का ज्ञान व इच्छित फलों की प्राप्ति December 5, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment संस्कृत का “स्व” शब्द विश्व के भाषा साहित्य का एक गौरवपूर्ण व महिमाशाली शब्द है। इस शब्द में स्वयं को जानने व समझने की प्रेरणा छिपी है। जिसने “स्व” अथवा स्वयं को जान लिया वह जीवन में सफल हुआ कहा जा सकता है। जिसने “स्व” को न जाकर अन्य सब कुछ भौतिक सुख समृद्धि […] Read more » स्वाध्याय
धर्म-अध्यात्म गुरूकुल प्रणाली November 30, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ‘ महर्षि दयानन्द सरस्वती, स्वामी श्रद्धानन्द और गुरूकुल प्रणाली’ महर्षि दयानन्द सरस्वती (1825-1883) आर्य समाज के संस्थापक हैं। आर्य समाज की स्थापना 10 अप्रैल, 1875 को मुम्बई के काकडवाड़ी स्थान पर हुई थी। इसी स्थान पर संसार का सबसे पुराना आर्य समाज आज भी स्थित है। आर्य समाज की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य वेदों का प्रचार […] Read more » importance of gurukul system in spread of knowledge गुरूकुल प्रणाली’ महर्षि दयानन्द सरस्वती स्वामी श्रद्धानन्द
धर्म-अध्यात्म बच्चों का पन्ना शहरी माहौल में संस्कार के पांच सूत्र November 30, 2014 / December 8, 2014 by विजय कुमार | Leave a Comment किसी भी बालक को शिक्षा भले ही विद्यालय से मिलती हो; पर उसकी संस्कारशाला तो घर ही है। महान लोगों के व्यक्तित्व निर्माण में उनके परिवार, और उसमें भी विशेषकर मां की भूमिका सर्वाधिक महत्वपूर्ण रही है। छत्रपति शिवाजी का वह चित्र बहुत लोकप्रिय है, जिसमें वे जीजामाता की गोद में बैठे कोई कथा […] Read more » संस्कार के पांच सूत्र
धर्म-अध्यात्म वेदो की उत्पत्ति कब व किससे हुई? November 29, 2014 / November 29, 2014 by मनमोहन आर्य | 2 Comments on वेदो की उत्पत्ति कब व किससे हुई? ओ३म् मनमोहन कुमार आर्य भारतीय व विदेशी विद्वान स्वीकार करते हैं कि वेद संसार के पुस्तकालय की सबसे पुरानी पुस्तकें हैं। वेद चार है, ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। यह चारों वेद संस्कृत में हैं। महाभारत ग्रन्थ का यदि अध्ययन करें तो ज्ञात होता है कि महाभारत काल में भी वेद विद्यमान थे। महाभारत में […] Read more » emergence of vedas वेदो की उत्पत्ति
धर्म-अध्यात्म ‘हमारा जीवात्मा अजन्मा, अमर, अनुत्पन्न, सनातन, नित्य व शाश्वत है’ November 26, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ओ३म् संसार की उत्पत्ति व इसमें विद्यमान पदार्थों पर विचार करने पर यह ज्ञात होता है कि जड़ व चेतन दो प्रकार के पदार्थ हैं। जड़ संवेदना से रहित होते हैं और चेतन संवेदनशील होते हैं। यदि हम जड़ पदार्थों को अग्नि में जलाते हैं तो उन्हें कोई पीड़ा नहीं होती परन्तु यदि हमारा […] Read more »
धर्म-अध्यात्म दक्षिण भारत के आलवार सन्त November 24, 2014 by बी एन गोयल | Leave a Comment बी एन गोयल जनक नृपते पुन्न्याः पाणिग्रहाय यथा तदा हदधनुर्भंगम् चकार नृणां पणम्। वृशभकरीणां भंगं नीलाग्रहाय यथा च मे कमपि पणमत्रास्ते कुर्वन तथा न करग्रहे।। (गोदास्तोत्र – पृष्ठ 12) ये उद्गार हैं प्रसिद्ध भक्ति सन्त गोदा के जो उन्होंने राम की उपासना में व्यक्त किए। गोदा जो तमिल भक्ति साहित्य में आन्दाल तथा […] Read more » alwar saints of south india आलवार सन्त
धर्म-अध्यात्म धर्म-अध्यात्म के नाम पर ढोंगियों की बाबागीरी November 24, 2014 / November 24, 2014 by तनवीर जाफरी | Leave a Comment तनवीर जाफ़री धर्म,विश्वास तथा आस्था के विषय पर भारतीय समाज की सहिष्णुता व लचीलापन सर्वविदित है। और भारतवासियों के सर्वधर्म स्वीकार्यता के इसी मिज़ाज ने न सिर्फ़ भारत को विश्वस्तीय ख्याति दिलाई है बल्कि पूरी दुनिया से विभिन्न धर्मों,आस्थाओं तथा विश्वासों के मानने वाले लोग यहां आकर अपना प्रभाव बनाते देखे गए हैं। भारतवर्ष विश्व […] Read more » Religion-Spirituality Religion-Spirituality in the name fake gurus ढोंगियों की बाबागीरी
धर्म-अध्यात्म मैं और मेरा परमात्मा November 17, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ओ३म् मनमोहन कुमार आर्य एक शाश्वत प्रश्न है कि मैं कौन हूं। माता पिता जन्म के बाद से अपने शिशु को उसकी बौद्धिक क्षमता के अनुसार ज्ञान कराना आरम्भ कर देते हैं। जन्म के कुछ समय बाद से आरम्भ होकर ज्ञान प्राप्ति का यह क्रम विद्यालय, महाविद्यालय आदि से होकर चलता रहता है और इसके […] Read more » मेरा परमात्मा
धर्म-अध्यात्म मनुस्मृति का सर्वग्राह्य शुद्ध स्वरूप November 16, 2014 / November 17, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment ओ३म् मनमोहन कुमार आर्य समस्त वैदिक साहित्य में मनुस्मृति का प्रमुख स्थान है। जैसा कि नाम है मनुस्मृति मनु नाम से विख्यात महर्षि मनु की रचना है। यह रचना महाभारत काल से पूर्व की है। यदि महाभारत काल के बाद की होती तो हमें उनका जीवन परिचय कुछ या पूरा पता होता जिस प्रकार विगत […] Read more » मनुस्मृति
धर्म-अध्यात्म ‘आयुष्काम (महामृत्युंजय) यज्ञ और हम’ November 13, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment सभी प्राणियों को ईश्वर ने बनाया है। ईश्वर सत्य, चेतन, निराकार, सर्वव्यापक, सर्वान्तरयामी, सर्वातिसूक्ष्म, नित्य, अनादि, अजन्मा, अमर, सर्वज्ञ, सर्वशक्तिमान है। जीवात्मा सत्य, चेतन, अल्पज्ञ, एकदेशी, आकार रहित, सूक्ष्म, जन्म व मरण धर्मा, कर्मों को करने वाला व उनके फलों को भोगने वाला आदि स्वरूप वाला है। संसार में एक तीसरा एवं अन्तिम पदार्थ प्रकृति […] Read more » ‘आयुष्काम (महामृत्युंजय) यज्ञ और हम’
धर्म-अध्यात्म ऋषि कणाद का वैशेषिक दर्शन November 13, 2014 / November 13, 2014 by महावीर शर्मा | 1 Comment on ऋषि कणाद का वैशेषिक दर्शन महावीर शर्मा प्राचीन भारत का वैदिक साहित्य इतना व्यापक है कि किसी भी वेदपाठी या वेदज्ञानी के लिए उन्हें पूरी तरह समझना और स्मरण रखना कठिन कार्य है। वेदों में ईश्वर या परम ब्रह्म के बारे में और सृष्टि की उत्पत्ति के बारे में काफी कुछ कहा गया है। इनमें दर्शन एवं विश्व-विज्ञान निहित है। […] Read more » ऋषि कणाद का वैशेषिक दर्शन