धर्म-अध्यात्म “आर्यों की भारत में घुसपैठ” के झूठ की जड़ February 28, 2014 by डॉ. मधुसूदन | 12 Comments on “आर्यों की भारत में घुसपैठ” के झूठ की जड़ -डॉ. मधुसूदन- सारांश *** एशियाटिक सोसायटी का षड्यंत्र *** कड़वे रस में डूबा गुलाब जामुन *** डॉ. अम्बेडकर का निरीक्षण-विश्लेषण *** विवेकानंदजी की चुनौती *** युरोप और भारत की सभ्यता का अंतर *** कृण्वन्तु विश्वं आर्यम् *** हमारे समन्वयवादी विचार (एक) मूल कारण है, एशियाटिक सोसायटी। कितने वर्षों से यह प्रश्न मुझे सता रहा […] Read more » "आर्यों की भारत में घुसपैठ" के झूठ की जड़ Reality- Arya in India
धर्म-अध्यात्म शिवरात्रि को हुई दैवीय प्रेरणा से मूलशंकर महर्षि दयानन्द बने February 27, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य- महर्षि दयानन्द का जन्म-काल का नाम मूलशंकर था। उनके पिता श्री करषनजी तिवारी पौराणिक ईश्वर शिव के कट्टर भक्त थे। सन् १८३८ की शिवरात्रि के दिन उन्होंने गुजरात प्रान्त में राजकोट के निकट टंकारा स्थान के अपने पैतृक जन्म गृह में पिता की प्रेरणा व आदेशं पर शिवरात्रि का व्रतोपवास किया […] Read more » Lord Shiva maharshi dayanand saraswati शिवरात्रि को हुई दैवीय प्रेरणा से मूलशंकर महर्षि दयानन्द बने
धर्म-अध्यात्म श्रीमद्भगवद्गीता और भारतीय सामाजिक दर्शन February 23, 2014 by बी एन गोयल | 3 Comments on श्रीमद्भगवद्गीता और भारतीय सामाजिक दर्शन -बी एन गोयल- गीता गंगा च गायत्री सीता सत्य सरस्वती। ब्रह्मवल्ली ब्रह्मविद्या त्रिसंध्या मुक्तिगेहिनी। । अर्धमात्रा चिदानंदा भवध्नी भयनाशिनी। वेदत्रयी परानन्ता तत्वार्था ज्ञानमंजरी।। ये गीता के 18 नाम हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि शांत एवं निश्चिन्त भाव से इन नामों का जाप किया जाये तो ज्ञान सिद्धि तो होगी ही – अंत में मोक्ष प्राप्ति […] Read more » Bhagwat Geeta श्रीमद्भगवद्गीता और भारतीय सामाजिक दर्शन
धर्म-अध्यात्म ‘ईश्वरोपासना एवं अनिष्ट-चिन्तन-व्यभिचार’ February 23, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य- ईश्वरोपासना या ईश्वर भक्ति अपने आप में लोकप्रिय शब्द हैं। संसार की जनसख्या का बड़ा भाग किसी न किसी प्रकार से ईश्वरोपासना करता है। ईश्वरोपासना का अर्थ ईश्वर को जानना व उसके समीपस्थ होकर उसके गुण, कर्म व स्वभाव से परिचित होकर अपने आचरणों को सुधारना होता है। आजकल जितने लोग […] Read more » ‘ईश्वरोपासना एवं अनिष्ट-चिन्तन-व्यभिचार’ Arya the way to spiritual
धर्म-अध्यात्म विदेशी आक्रांताओं के वंशज का भारतीय स्त्रियों को शक्ति देने पर प्रचार February 19, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 1 Comment on विदेशी आक्रांताओं के वंशज का भारतीय स्त्रियों को शक्ति देने पर प्रचार -आनंद जी. शर्मा- शक्ति स्त्रीलिंग शब्द है – नारी अर्थात स्त्री शक्ति का प्रतीक नहीं अपितु शक्ति-स्वरूपा है। साक्षात शक्ति है – संभवतः इसी कारण से प्राचीन भारतीय संस्कृति में स्त्री को शक्ति-युक्त करने की कल्पना नहीं की गयी| जो स्वयं शक्ति है, उसे शक्ति प्रदान करने की कल्पना मूर्खतापूर्ण थी। अतः भारतीय मनीषियों ने […] Read more » foreign thoughts about Indian women Indian women विदेशी आक्रांताओं के वंशज का भारतीय स्त्रियों को शक्ति देने पर प्रचार
धर्म-अध्यात्म हम सब दोबारा मिलेंगे सांप की शक्ल में February 17, 2014 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment सांपों की तमाम प्रकार की किस्मों के बारे में साफ कहा जाता है कि जो लोग दूसरों की धन-दौलत और जमीन जायदाद चुराकर अपने नाम कर लिया करते हैं, अतिक्रमण कर लिया करते हैं, धन-सम्पत्ति के भण्डारण और रक्षण में ही जिन्दगी खपा देते हैं, हराम की कमाई, खान-पान और मलीन वृत्तियों से औरों को उल्लू बनाया करते हैं, सरकारी […] Read more » snakes we would be snakes हम सब दोबारा मिलेंगे सांप की शक्ल में
धर्म-अध्यात्म ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन’ अर्थात कर्म योग February 17, 2014 by बी एन गोयल | 9 Comments on ‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन’ अर्थात कर्म योग -बी एन गोयल- श्रीमद्भगवद्गीता में योग शब्द का प्रयोग व्यापक रूप में हुआ है | गीता के प्रत्येक अध्याय के नाम के साथ योग शब्द लगाया गया है जैसे ‘अर्जुन विषाद योग, सांख्य योग, कर्म योग, ज्ञान कर्म सन्यास योग आदि। एक विद्वान् के अनुसार गीता में इस शब्द उपयोग एक उद्देश्य़ से किया गया है। उन का […] Read more » 'कर्मण्येवाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन' अर्थात कर्म योग geeta
चिंतन आखिर क्या है बिहार सरकार की नक्सल-नीति ? February 6, 2014 by आलोक कुमार | Leave a Comment -आलोक कुमार- बिहार की सरकार काफी समय तक नक्सलवाद को कानून और व्यवस्था की समस्या कह कर इसकी भयावहता का सही अंदाजा लगाने में नाकामयाब रही है। बिहार में भी इनकी सत्ता के आगे राज्य सरकार बेबस है। लगभग 38 जिलों में से 34 जिलों में नक्सलियों का दबदबा है। यक्ष -प्रश्न यह है […] Read more » Bihar government on naxals naxal policies in Bihar आखिर क्या है बिहार सरकार की नक्सल-नीति ?
चिंतन इंसानियत किसी मजहब की दिवारों में कैद नहीं February 1, 2014 / February 1, 2014 by डा. अरविन्द कुमार सिंह | 1 Comment on इंसानियत किसी मजहब की दिवारों में कैद नहीं -डॉ. अरविन्द कुमार सिंह- विश्व प्रसिद्ध मर्फी एडगर जूनियर के सिद्धांत किसी तार्किक परिणिती के आधार नहीं बनते हैं, पर प्रत्येक सिद्धांत सच के करीब दिखाई देता है। जैसे मर्फी कहते हैं यदि आप कही किसी कार्य से गये हुये हैं और आप को कतार में खड़े होना है तो विश्वास जानिये, यदि आपका […] Read more » Humanity इंसानियत किसी मजहब की दिवारों में कैद नहीं
धर्म-अध्यात्म होशपूर्ण जीवन ही ध्यान है January 21, 2014 / January 21, 2014 by डा. अरविन्द कुमार सिंह | 2 Comments on होशपूर्ण जीवन ही ध्यान है -डॉ. अरविन्द कुमार सिंह- क्या आपने कभी ख्याल किया है कि आप कहते हैं – हम दिन में जागते हैं और रात में सोते हैं। क्या वास्तव में ऐसा ही होता है ? आपने कभी ख्याल किया, आप घर से ऑफिस के लिये निकलते हैं, ऑफिस पहुंच भी जाते हैं पर मन तो सारे रास्ते […] Read more » life होशपूर्ण जीवन ही ध्यान है
चिंतन गाय बचेगी तो देश बचेगा January 17, 2014 / January 17, 2014 by राकेश कुमार आर्य | 2 Comments on गाय बचेगी तो देश बचेगा -राकेश कुमार आर्य- गो-दुग्ध को हमारे यहां प्राचीन काल से ही स्वास्थ्य सौंदर्य के दृष्टिकोण से अत्यंत लाभदायक माना गया है। हमारे देश में स्वतंत्रता के वर्षों पश्चात भी गो-दुग्ध, छाछ, लस्सी आदि हमारे राष्ट्रीय पेय रहे हैं। सुदूर देहात में आप आज भी जाएंगे तो लोग आपको चाय-कॉफी के स्थान पर दूध आदि […] Read more » Cow गाय बचेगी तो देश बचेगा
चिंतन देश को चलाने के लिये शायद अनुभव की जरूरत नहीं January 15, 2014 / January 15, 2014 by डा. अरविन्द कुमार सिंह | 2 Comments on देश को चलाने के लिये शायद अनुभव की जरूरत नहीं -डॉ. अरविन्द कुमार सिंह- पेशे से अध्यापक हूं। भावुकता से नहीं तर्क के माध्यम से सोचने का प्रयास करता हूं। झूठ नहीं बोलूंगा, कई बार मेरी सोच पर भावुकता हावी जरूर होती है। पर सच तो ये है जिन्दगी के फैसले भावुकता की बुनियाद पर नहीं रखे जा सकते हैं। मन कभी सच बोलता नहीं […] Read more » politics देश को चलाने के लिये शायद अनुभव की जरूरत नहीं