कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म धर्मयुक्त अर्थोपार्जन से सर्वे भवन्तु सुखिन: April 24, 2014 / April 24, 2014 by कन्हैया झा | Leave a Comment -कन्हैया झा- आज से 5000 वर्ष पूर्व सिन्धु-घाटी सभ्यता के समृद्ध शहरों से मिस्र एवं फारस के शहरों से व्यापार होता था. इन शहरों के व्यापारियों को “पणि” कहा जाता था, जो संभवतः कालांतर में वणिक अथवा व्यापारी शब्द में परिवर्तित हुआ. शायद इन्हीं व्यापारियों के कारण भारत को “सोने की चिड़िया” भी कहा गया […] Read more » धर्मयुक्त अर्थोपार्जन सर्वे भवन्तु सुखिन:
चिंतन विविधा धर्म के नाम पर शोर का ‘अधर्म’ ? April 20, 2014 / April 20, 2014 by निर्मल रानी | 1 Comment on धर्म के नाम पर शोर का ‘अधर्म’ ? -निर्मल रानी- बेशक हम एक आज़ाद देश के आज़ाद नागरिक हैं। इस ‘आज़ादी’ के अंतर्गत हमारे संविधान ने हमें जहां तमाम ऐसे मौलिक अधिकार प्रदान किए हैं जिनसे हमें अपनी संपूर्ण स्वतंत्रता का एहसास हो सके, वहीं इसी आज़ादी के नाम पर तमाम बातें ऐसी भी देखी व सुनी जाती हैं जो हमें व हमारे समाज को […] Read more » 'irreligious' laud on the name of religion धर्म के नाम पर शोर का 'अधर्म' ?
धर्म-अध्यात्म ईश्वर की स्तुति-प्रार्थना-उपासना का आधार April 1, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य- ईश्वर व जीवात्मा दोनों चेतन तत्व है। ईश्वर के पास आनन्द है। वह सदैव आनन्द से परिपूर्ण रहता है। उसमें कभी आनन्द की कमी नहीं आती। दुःखी होने व दुःख आने की तो कोई बात ही नहीं है। जीवात्मा चेतन तत्व होकर भी आनन्द से रहित है। आनन्द व सुख यह षब्द […] Read more » base of devotion ईश्वर की स्तुति-प्रार्थना-उपासना का आधार
धर्म-अध्यात्म ‘आर्य समाज और वैदिक धर्म’ March 27, 2014 / March 27, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment वैदिक धर्म की प्रचारक संस्था आर्य समाज की स्थापना दिवस पर -मनमोहन कुमार आर्य- किसी के पूछने पर जब हम स्वयं को आर्य समाजी कहते हैं तो वह हमें प्रचलित अनेक मतों व धर्मोंं में से एक विषिष्ट मत या धर्म का व्यक्ति समझता है। पूछने वाला हमें कहता है कि अच्छा तो आप आर्य […] Read more » ‘आर्य समाज और वैदिक धर्म’ Arya samaj and Ved
धर्म-अध्यात्म अपने ‘राष्ट्रीय-संकल्प’ के लिए प्राणाहुति देने वाला संयमराय March 18, 2014 / March 18, 2014 by राकेश कुमार आर्य | 2 Comments on अपने ‘राष्ट्रीय-संकल्प’ के लिए प्राणाहुति देने वाला संयमराय -राकेश कुमार आर्या- वेद ने राष्ट्र को गौमाता के समान पूजनीय और वंदनीय माना है। वेद का आदेश है कि मैं यह भूमि आर्यों को देता हूं। वेद ऐसा संदेश इसलिए दे रहा है कि वह संपूर्ण भूमंडल को ही आर्य बना देना चाहता है। परंतु संसार को आर्य बनाने से पूर्व वेद की दो […] Read more » Advantage of ved अपने 'राष्ट्रीय-संकल्प' के लिए प्राणाहुति देने वाला संयमराय
चिंतन मुआवजे के बदले अपमान क्यों? जबकि है अपमानकारी मुआवजे का स्थायी समाधान! March 13, 2014 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | Leave a Comment -डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’- बलात्कारित स्त्री और मृतक की विधवा, बेटी या अन्य परिजनों को लोक सेवकों के आगे एक बार नहीं बार-बार न मात्र उपस्थित होना होता है, बल्कि गिड़गिड़ाना पड़ता है और इस दौरान कनिष्ठ लिपिक से लेकर विभागाध्यक्ष तक सबकी ओर से मुआवजा प्राप्त करने के लिये चक्कर काटने वालों से गैर-जरूरी […] Read more » insult in spite of compensation मुआवजे के बदले अपमान क्यों? जबकि है अपमानकारी मुआवजे का स्थायी समाधान!
चिंतन न्यायपालिका के सामाजिक आधार में विस्तार की जरूरत March 13, 2014 by देवेन्द्र कुमार | Leave a Comment -देवेन्द्र कुमार- भारत की सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्था में न्यायपालिका को सामाजिक परिवर्तन के एक हथियार के रूप में देखा जाता रहा है और न्यायपालिका ने अपने कई महत्वपूर्ण फैसले के द्वारा सामाज को एक नई दिशा देने की कोशिश भी की है। बाबजूद इसके, न्यायपालिका का जो सामाजिक गठन रहा है, सामाज के जिस हिस्से, तबके […] Read more » judiciary needs social spread न्यायपालिका के सामाजिक आधार में विस्तार की जरूरत
धर्म-अध्यात्म “आर्यों की भारत में घुसपैठ” के झूठ की जड़ February 28, 2014 by डॉ. मधुसूदन | 12 Comments on “आर्यों की भारत में घुसपैठ” के झूठ की जड़ -डॉ. मधुसूदन- सारांश *** एशियाटिक सोसायटी का षड्यंत्र *** कड़वे रस में डूबा गुलाब जामुन *** डॉ. अम्बेडकर का निरीक्षण-विश्लेषण *** विवेकानंदजी की चुनौती *** युरोप और भारत की सभ्यता का अंतर *** कृण्वन्तु विश्वं आर्यम् *** हमारे समन्वयवादी विचार (एक) मूल कारण है, एशियाटिक सोसायटी। कितने वर्षों से यह प्रश्न मुझे सता रहा […] Read more » "आर्यों की भारत में घुसपैठ" के झूठ की जड़ Reality- Arya in India
धर्म-अध्यात्म शिवरात्रि को हुई दैवीय प्रेरणा से मूलशंकर महर्षि दयानन्द बने February 27, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य- महर्षि दयानन्द का जन्म-काल का नाम मूलशंकर था। उनके पिता श्री करषनजी तिवारी पौराणिक ईश्वर शिव के कट्टर भक्त थे। सन् १८३८ की शिवरात्रि के दिन उन्होंने गुजरात प्रान्त में राजकोट के निकट टंकारा स्थान के अपने पैतृक जन्म गृह में पिता की प्रेरणा व आदेशं पर शिवरात्रि का व्रतोपवास किया […] Read more » Lord Shiva maharshi dayanand saraswati शिवरात्रि को हुई दैवीय प्रेरणा से मूलशंकर महर्षि दयानन्द बने
धर्म-अध्यात्म श्रीमद्भगवद्गीता और भारतीय सामाजिक दर्शन February 23, 2014 by बी एन गोयल | 3 Comments on श्रीमद्भगवद्गीता और भारतीय सामाजिक दर्शन -बी एन गोयल- गीता गंगा च गायत्री सीता सत्य सरस्वती। ब्रह्मवल्ली ब्रह्मविद्या त्रिसंध्या मुक्तिगेहिनी। । अर्धमात्रा चिदानंदा भवध्नी भयनाशिनी। वेदत्रयी परानन्ता तत्वार्था ज्ञानमंजरी।। ये गीता के 18 नाम हैं। ऐसा माना जाता है कि यदि शांत एवं निश्चिन्त भाव से इन नामों का जाप किया जाये तो ज्ञान सिद्धि तो होगी ही – अंत में मोक्ष प्राप्ति […] Read more » Bhagwat Geeta श्रीमद्भगवद्गीता और भारतीय सामाजिक दर्शन
धर्म-अध्यात्म ‘ईश्वरोपासना एवं अनिष्ट-चिन्तन-व्यभिचार’ February 23, 2014 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment -मनमोहन कुमार आर्य- ईश्वरोपासना या ईश्वर भक्ति अपने आप में लोकप्रिय शब्द हैं। संसार की जनसख्या का बड़ा भाग किसी न किसी प्रकार से ईश्वरोपासना करता है। ईश्वरोपासना का अर्थ ईश्वर को जानना व उसके समीपस्थ होकर उसके गुण, कर्म व स्वभाव से परिचित होकर अपने आचरणों को सुधारना होता है। आजकल जितने लोग […] Read more » ‘ईश्वरोपासना एवं अनिष्ट-चिन्तन-व्यभिचार’ Arya the way to spiritual
धर्म-अध्यात्म विदेशी आक्रांताओं के वंशज का भारतीय स्त्रियों को शक्ति देने पर प्रचार February 19, 2014 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 1 Comment on विदेशी आक्रांताओं के वंशज का भारतीय स्त्रियों को शक्ति देने पर प्रचार -आनंद जी. शर्मा- शक्ति स्त्रीलिंग शब्द है – नारी अर्थात स्त्री शक्ति का प्रतीक नहीं अपितु शक्ति-स्वरूपा है। साक्षात शक्ति है – संभवतः इसी कारण से प्राचीन भारतीय संस्कृति में स्त्री को शक्ति-युक्त करने की कल्पना नहीं की गयी| जो स्वयं शक्ति है, उसे शक्ति प्रदान करने की कल्पना मूर्खतापूर्ण थी। अतः भारतीय मनीषियों ने […] Read more » foreign thoughts about Indian women Indian women विदेशी आक्रांताओं के वंशज का भारतीय स्त्रियों को शक्ति देने पर प्रचार