चिंतन ऊँचाइयां पाने की तमन्ना हो तो, अपने संस्कारों से नीचे न गिरें January 15, 2013 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य जीवन के निर्माण में संस्कारों और आदर्शों का जितना महत्त्व है उतना और किसी का नहीं। अपनी आनुवंशिक परंपरा और पूर्वजों से प्राप्त संस्कारों के साथ ही हमारे शैशव में प्राप्त एवं स्थापित होने वाले संस्कारों के माध्यम से ही हमारे व्यक्तित्व की नींव का निर्माण होता है। इस नींव में जितने […] Read more »
चिंतन जन-जागरण विडंबनाओं के देश में स्त्री-सुरक्षा.. January 2, 2013 by अरुण कान्त शुक्ला | 1 Comment on विडंबनाओं के देश में स्त्री-सुरक्षा.. अरुण कान्त शुक्ला दुनिया के किसी भी देश में रहने वाले इतनी विडंबनाओं के साथ नहीं जीते, जितनी विडंबनाओं के साथ हमें भारत में जीना पड़ता है। धर्म, सम्प्रदाय और राजनीति से परे हम भारतीयों में यदि कोई एकरूपता है, तो वह है, भारतीयों की सोच और कथनी, कथनी और करनी में मौजूद पाखंड। भारतीय […] Read more » women safety
चिंतन लापरवाह नागरिक बनाना चाहते हैं आदर्श राष्ट्र January 2, 2013 by बी.पी. गौतम | Leave a Comment एक से अधिक व्यक्तियों के जुड़ने से एक परिवार बनता है, परिवारों के मिलने से मोहल्ला, नगर और समाज का निर्माण का होता है। इसी क्रम में कुछ गांवों को मिला कर एक विकास खंड बना है, कुछ विकास क्षेत्रों को मिला कर एक तहसील और कई तहसीलों को मिला कर एक जनपद बना है। […] Read more » making a true India
चिंतन समाज उत्तर हर बार औरत को ही क्यों देना पड़ता है? – कुलदीप चंद अग्निहोत्री December 29, 2012 / December 29, 2012 by डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री | 2 Comments on उत्तर हर बार औरत को ही क्यों देना पड़ता है? – कुलदीप चंद अग्निहोत्री दिल्ली में पिछले दिनों चलती बस में कुछ लोगों ने तेईस साल की एक लड़की से बलात्कार किया । केवल बलात्कार ही नहीं बल्कि राक्षसी तरीक़े से उसे शारीरिक चोटें भी पहुँचाई गईं । अब वह लड़की जीवन और मृत्यु के बीच झूल रही है । पुलिस इस समय भी उससे अपनी इच्छानुसार बयान लेना […] Read more »
धर्म-अध्यात्म हुसैन दीन भी हैं दीन की पनाह भी हैं November 22, 2012 / November 22, 2012 by तनवीर जाफरी | 1 Comment on हुसैन दीन भी हैं दीन की पनाह भी हैं तनवीर जाफ़री इस्लाम धर्म के आखिरी पैगंबर हज़रत मोहम्मद के नवासे तथा हज़रत अली के पुत्र इमाम हुसैन व उनके 72 परिजनों व साथियों की शहादत की याद दिलाने वाला मोहर्रम प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी पूरी दुनिया में सभी धर्मों व समुदायों के लोगों द्वारा मनाया जा रहा है। हालांकि करबला की […] Read more »
चिंतन अन्तर्मुखी भले रहें अन्तर्दुखी न रहें November 10, 2012 / November 9, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on अन्तर्मुखी भले रहें अन्तर्दुखी न रहें डॉ. दीपक आचार्य लोग मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं। अन्तर्मुखी और बहिर्मुखी। बहिर्मुखी लोगों के दिल और दिमाग की खिड़कियाँ बाहर की ओर खुली रहती हैं जबकि अन्तर्मुखी प्रवृत्ति वाले लोगों के मन-मस्तिष्क की खिड़कियां और दरवाजे अन्दर की ओर खुले रहते हैं। आम तौर पर अन्तर्मुखी लोेगों को रहस्यमयी और अनुदार […] Read more » अन्तर्दुखी न रहें अन्तर्मुखी रहें
धर्म-अध्यात्म उसकी पहचान इंसानियत है, मजहब नहीं October 20, 2012 / October 20, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 1 Comment on उसकी पहचान इंसानियत है, मजहब नहीं आशुतोष शर्मा 1947 के विभाजन के दौरान मुजफ्फराबाद (पाक अधिकृत कश्मीर) के एक गांव में करीब डेढ़ साल का बच्चा एक मुर्दा शरीर से लिपटा रो रहा था। तभी वहां से गुजर रही एक मुस्लिम महिला की नजर उस पर पड़ी। वह नर्मदिल औरत उस बच्चे को अपने घर ले आयी और बेटे की तरह […] Read more » इंसानियत मजहब
धर्म-अध्यात्म कॅथॉलिक चर्च खतरे में – मा.गो. वैद्य October 19, 2012 by मा. गो. वैद्य | 2 Comments on कॅथॉलिक चर्च खतरे में – मा.गो. वैद्य रोमन कॅथॉलिक चर्च खतरे में है, ऐसा लगता है. कैसा संकट? उत्तर है अस्तित्व का संकट. २०१२ के ईअर बुक के अनुसार दुनिया में करीब २२५ करोड़ लोग ईसाई धर्म को मानने वाले है, उनमें ७५ से ८० प्रतिशत रोमन कॅथॉलिक है. इस चर्च के मुखिया को पोप कहते है. इस चर्च का अपना एक […] Read more » इसाई कॅथॉलिक चर्च
चिंतन सत्य की राह कठिन जरूर है, October 9, 2012 / October 9, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment सत्य की राह कठिन जरूर है, पर है असली आनंद देने वाली डॉ. दीपक आचार्य सत्य जीवन का सर्वोपरि कारक है जिसका आश्रय ग्रहण कर लिए जाने पर धर्म और सत्य हमारे जीवन के लिए संरक्षक और मार्गदर्शक की भूमिका में आ जाते हैं और पूरी जिन्दगी इसका सकारात्मक प्रभाव हमारे प्रत्येक कर्म पर तो […] Read more » path of truth
धर्म-अध्यात्म समाज ‘लव जिहाद’ के लिए मुस्लिम प्रोत्साहन / मा. गो. वैद्य October 8, 2012 by मा. गो. वैद्य | 3 Comments on ‘लव जिहाद’ के लिए मुस्लिम प्रोत्साहन / मा. गो. वैद्य ‘मुस्लिम यूथ फोरम’ नाम से मुस्लिम शिक्षित युवकों को लव जिहाद का खुला आवाहन शुरू हुआ है. इस संदर्भ में निकले पत्रक में हिंदू, सिक्ख, ईसाई युवतियों को प्रयत्नपूर्वक प्रेमजाल में खींचकर उनका धर्मांतर कराने का खुला आवाहन किया गया है. इसके लिए पुरस्कारों की राशि भी घोषित की गई है. पुरस्कारों की राशि : […] Read more » लव जेहाद
चिंतन बापू और शास्त्री को जीवन में उतारना October 2, 2012 / October 2, 2012 by डॉ. दीपक आचार्य | 1 Comment on बापू और शास्त्री को जीवन में उतारना याद करने से ज्यादा जरूरी है बापू और शास्त्री को जीवन में उतारना डॉ. दीपक आचार्य आज का दिन राष्ट्रपति महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुरशास्त्री के नाम समर्पित है। हम दशकों से कई सारे कार्यक्रमों का आयोजन कर एक दिन इन्हें भरपूर याद कर लिया करते हैं। इस एक दिन में हम दोनों को […] Read more »
चिंतन धर्म-अध्यात्म हम धार्मिक हैं कहां, धर्म का केवल ढोंग ही तो करते हैं! September 15, 2012 / September 15, 2012 by इक़बाल हिंदुस्तानी | Leave a Comment इक़बाल हिंदुस्तानी भगवान का डर होता तो क्या उसके बताये रास्ते पर नहीं चलते? तिब्बती धर्मगुरू दलाई लामा ने हम भारतीयों पर बड़ा सामयिक सवाल उठाया है कि जब हम लोग धार्मिक हैं और भगवान से डरते हैं तो फिर कैसे पूजापाठ के साथ भ्रष्टाचार भी करते हैं? यह बात धर्मगुरू ने लद्दाख़ दौरे के […] Read more » धर्म का केवल ढोंग