आर्थिकी नैतिक तकाजों से परे एफडीआई का मुद्दा December 3, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 2 Comments on नैतिक तकाजों से परे एफडीआई का मुद्दा प्रमोद भार्गव राष्ट्रीय मुद्दा बना खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष पूंजी निवेश के मद्देनजर धारा 184 के तहत जो बहस अथवा महाबहस हो रही हैं, उसका वास्ता अब मौकापरस्ती से रह गया है। क्योंकि संप्रग सरकार के जो घटक दल सपा, बसपा और द्रमुक कल तक जिस निवेश के विरोध में थे, वे राजनीतिक जोड़-तोड़ की […] Read more » एफडीआई
आर्थिकी क्यों मनाया जाता है अमेरिका में स्माल बिज़नेस शनिवार? November 30, 2012 by अरुण कान्त शुक्ला | 5 Comments on क्यों मनाया जाता है अमेरिका में स्माल बिज़नेस शनिवार? अरुण कान्त शुक्ला कभी कभी बात को चुटकुले से शुरू करना भी अच्छा होता है। एक बार संता की भैंस बीमार पड़ गई। संता ने बंता से पूछा, जब तुम्हारी भैंस बीमार पड़ी थी तब तुमने भैंस को क्या दवाई दी थी? बंता बोला मैंने उसे सरसों के तेल में गुड़ मिलाकर खिलाया था। संता […] Read more » एफडीआई
आर्थिकी डा. मनमोहन सिंह ने 2002 में कहा था: खुदरा में एफडीआई रोजगार को नष्ट कर देगा November 30, 2012 / November 30, 2012 by लालकृष्ण आडवाणी | Leave a Comment लालकृष्ण आडवाणी अपने पिछले ब्लॉग में मैंने स्मरण कराया था कि एनडीए सरकार के समय कांग्रेस पार्टी के तत्कालीन मुख्य सचेतक श्री प्रियरंजन दासमुंशी ने खुदरा में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश सम्बन्धी योजना आयोग की सिफारिश का संदर्भ देते हुए वाजपेयी सरकार द्वारा ऐसा ‘राष्ट्र-विरोधी‘ काम करने की दिशा में बढ़ने की निंदा की थी। वाणिज्य […] Read more » एफडीआई
आर्थिकी योजनाओं से वंचित बीपीएल परिवारों का भविष्य November 27, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment विपिन जोशी सरकार गरीबों के लिए तमाम योजनाएं बनाती है, जो ठीक ढ़ंग से जमीन पर लागू किए जाएं तो वाकई चमत्कारी बदलाव लाए जा सकते हैं। लेकिन अफसोस की बात यह है कि यह योजनाएं जरूरतमंदों तक पहुंच ही नहीं पाती हैं। उनका हक उनकी झोली में पहुंचने से पहले ही डकार लिया जाता […] Read more » बीपीएल
आर्थिकी धनकुबेरों का कालाधन November 21, 2012 / November 21, 2012 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव अभी तक विदेशो में नेताओं और अधिकारियों का ही कालाधन जमा होने की जानकारियां जनचर्चा में थीं, लेकिन अरविंद केजरीवाल के नए खुलासे से साफ है कि देश के उन धनकुबेरों का भी कालाधन सिवस बैंकों में जमा है, जिनकी नवोन्मेशी सोच और औधोगिक कर्मठता पर देश गर्व करता है। यही वे उधोगपति […] Read more » blackmoney धनकुबेरों का कालाधन
आर्थिकी नये बैंकों से किसकी भरेगी झोली November 21, 2012 / November 21, 2012 by सतीश सिंह | Leave a Comment बैंकों के राष्ट्रीयकरण के पीछे सरकार की मंशा थी, आम आदमी को बैंकों से जोड़ना। उसके स्वरुप को कल्याणकारी बनाना। सरकारी योजनाओं का लाभ जनता तक पहुँचाना तथा रोजगार सृजन के द्वारा उन्हें आत्मनिर्भर बनाना। स्वंय सहायता समूह एवं अन्यान्य सरकारी योजनाओं के माध्यम से लोगों को उनका हक दिलवाने में सरकार बहुत हद तक […] Read more » new banks
आर्थिकी देश में मिलेगी मुफ्त में दवा November 19, 2012 / November 19, 2012 by प्रमोद भार्गव | 1 Comment on देश में मिलेगी मुफ्त में दवा प्रमोद भार्गव यह एक राहत देने वाली बात है कि केन्द्र सरकार देश के सभी नागरिकों के लिए सरकारी अस्पतालों में 1 नवंबर से मुफ्त में दवा दी जाना शुरू हो गर्इ है। इस योजना को लागू करने में यह एक अनिवार्य शर्त भी जोड़ी गर्इ है कि सभी सरकारी अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों के […] Read more » देश में मिलेगी मुफ्त में दवा
आर्थिकी संदेह के घेरे में विदेशी बैंक November 16, 2012 by सतीश सिंह | Leave a Comment सतीश सिंह अरविंद केजरीवाल के द्वारा लगाये गये आरोपों ने एचएसबीसी की साख को फिर से दागदार कर दिया है। दरअसल एचएसबीसी का कार्यकलाप शुरु से ही विवादास्पद रहा है। अप्रैल, 2011 में डेरीवेटिव उत्पाद को गलत तरीके से बेचने के कारण उस पर भारी जुर्माना लगाया जा चुका है। इसके बरक्स दिलचस्प तथ्य यह […] Read more » एचएसबीसी
आर्थिकी सियासत का नकद सब्सिडी हथियार – अरविंद जयतिलक November 14, 2012 by अरविंद जयतिलक | Leave a Comment घपले-घोटालों के चक्रव्यूह में फंसी केंद्र सरकार अपनी सियासी सेहत सुधारने की अचूक औषधि ढूंढ ली है। वह है नकद सब्सिडी योजना। यानी इस योजना के मुताबिक यूपीए सरकार नकद सब्सिडी सीधे जरुरतमंदों के खाते में डालेगी और बदले में अपनी सियासी जमीन को मजबूत करेगी। सरकार की यह योजना सफल रही तो जरुरतमंदों को […] Read more » कैश सब्सिडी
आर्थिकी ‘गैर-बराबरी’ आखिर अर्थशास्त्र का मुद्दा बना November 3, 2012 / November 3, 2012 by अरुण माहेश्वरी | 2 Comments on ‘गैर-बराबरी’ आखिर अर्थशास्त्र का मुद्दा बना अरुण माहेश्वरी नवउदारवाद के लगभग चौथाई सदी के अनुभवों के बाद मुख्यधारा के राजनीतिक अर्थशास्त्र को बुद्ध के अभिनिष्क्रमण के ठीक पहले ‘दुख है’ के अभिज्ञान की तरह अब यह पता चला है कि दुनिया में ‘गैर-बराबरी है’, और, इस गैर-बराबरी से निपटे बिना मुक्ति नहीं, अर्थात लगातार घटती अवधि के आर्थिक-संकटों के आवर्त्तों में […] Read more » Economy
आर्थिकी औधोगिक चिंता बनाम भूमि अधिग्रहण October 26, 2012 / October 26, 2012 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव औधोगिक घरानों के व्यावसायिक हितों के लिए नए भूमि अधिग्रहण कानून के प्रारूप में एक बार फिर खेती किसानी से जुड़े लोगों के हितों को सूली पर चढ़ा दिया। जबकि हाल ही में केंद्र सरकार ने दिल्ली की और कूच कर रहे सत्यग्रहियों के साथ एक लिखित करारनामा करके भरोसा जताया था कि […] Read more » भूमि अधिग्रहण
आर्थिकी राजनीति क्या कारगर होगा जमीन के हक में समझौता ? October 19, 2012 / October 19, 2012 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment संदर्भ :- केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश का सत्याग्रह के साथ करार । प्रमोद भार्गव महात्मा गांधी ने कहा था जब राज्य की शक्तियां देश के गरीब व वंचितो के हित साघने का काम न करें तो उसे नियंत्रित करने की क्षमता पैदा कर अहिंसक विरोघ किया जाना चाहिए। इसी विरोध का पर्याय था […] Read more » जयराम रमेश का सत्याग्रह