मनोरंजन सिनेमा भारत कुमार को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि: मनोज कुमार – एक युग, एक विचार, एक भावना April 6, 2025 / April 6, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment “है प्रीत जहाँ की रीत सदा मैं गीत वहाँ के गाता हूँ भारत का रहने वाला हूँ भारत की बात सुनाता हूँ” -प्रियंका सौरभ जब भी भारतभूमि से जुड़ी फिल्मों और कलाकारों की बात होती है, तो एक नाम स्वाभाविक रूप से मन में आता है – मनोज कुमार। यह नाम सिर्फ एक अभिनेता का […] Read more » मनोज कुमार
मनोरंजन सिनेमा कसमें वादे प्यार वफ़ा सब, बातें हैं बातों का क्या… April 6, 2025 / April 6, 2025 by सुशील कुमार नवीन | Leave a Comment श्रद्धांजलि– मनोज कुमार सुशील कुमार ‘नवीन’ सही अर्थों में वो भारतवासी थे। जीवनपर्यंत भारत और भारतीय संस्कृति की ही बातें उन्होंने प्रत्येक देशवासी को बताई। मेरे देश की धरती सोना उगले से राष्ट्र की दूर तलक तक पहचान बनवाने में उनका स्वर्णिम योगदान सदैव अविस्मरणीय रहेगा। ये दुनिया एक नंबरी तो मैं दस नंबरी से मैदान ए जंग में अपना अलग ही रुतबा उन्होंने बरकरार रखा। यहां तक अबके बरस तुझे धरती की रानी कर देंगे का वादा पूरी निष्ठा से निभाकर भारत मां के उपकार को चुकाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। जीवन चलने का नाम कहकर क्रांति की अलख जगाना कोई इनसे ही सीखे। मेरा रंग दे बसंती चोला कहकर शहीद होने वाले इस भारत कुमार को आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी। भले ही दीवानों से ये मत पूछो, दीवानों पे क्या गुजरी है कहकर अपने हुए पराये का दर्द देकर चले गए, फिर भी पत्थर के सनम तुम्हें हमने खुदा माना। माना बस यही अपराध है बार करता हूं, आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं। पर तुम्हें हरियाली और रास्ता इतना भाएगा कि इस बात का जरा भी अहसास नहीं होने दिया। हमें यह बोलकर कि घर बसाकर देखो, कभी अपना बनाकर देखो खुद का सन्यासी बन क्या हिमालय की गोद में जाना उचित है। रोटी कपड़ा और मकान की जीवन में सार्थकता का अहसास जिस तरह से तुमने कराया, वैसा और कोई आदमी चाहे हाथ में रेशमी रूमाल लेकर घूमता फिरे। पूनम की रात में कलयुग की रामायण दिखाकर वो कौन थी का यादगार सस्पेंस उत्तर दक्षिण, पूरब और पश्चिम में सदा बना रहेगा। आप भी सोच रहे होंगे कि मास्टरजी का दिमाग आज बन्ना गया है कि बेसिरपैर की बातें करे जा रहे हैं। आपका सोचना बिल्कुल वाजिब भी है कि व्यंग्य के साथ गांभीर्य का सदा तड़का लगाने वाले मास्टरजी आज अलग ही मूड में है। विषय से न भटकते हुए सीधे मुद्दे पर आ जाते हैं। हिंदी फिल्म इंडस्ट्रीज में अपना अलग मुकाम रखने वाले एकमात्र भारत कुमार की उपाधि को सही अर्थों में शिरोधार्य करने वाले अभिनेता, निर्देशक मनोज कुमार जी आज नहीं रहे। हिन्दुस्तान ही क्या विदेशों तक उनकी फैन फॉलोइंग अपने आप में रिकॉर्ड है। राष्ट्र सर्वोपरि की भावना को अपनी फिल्मों के माध्यम से उन्होंने सदैव अग्रणी रखा। इस बात का उदाहरण आप इसी बात से लगा सकते हां कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री जी के एक कथन से उन्होंने किसान और जवान को केंद्र में रखकर उपकार फिल्म बनाई। क्रांति के माध्यम से अंग्रेजी गुलामी की दासता को चित्रण कर प्रत्येक देशवासी को झकझोर कर रख दिया। संगीत के तो क्या कहने। 15 अगस्त हो या 26 जनवरी, उपकार, क्रांति, शहीद आदि फिल्मों के गीत तन मन में रोमांच भर देते हैं। उनके बारे में जितना लिखा जाए, जितना सुना जाए, उतना ही कम रहेगा। एक बेहतर भारतीय अभिनेता तो थे ही, इसके साथ-साथ उच्च कोटि के फिल्म निर्देशक, पटकथा लेखक, गीतकार और संपादक भी थे। जिस कार्य को शुरू किया उसमें क्या नफा होगा क्या नुकसान, इस बात की परवाह उन्होंने कभी नहीं की। जो एक बार ठान लिया, उसे करने के लिए वो हद से गुजरने से गुरेज नहीं करते थे।कई बार नुकसान भी हुआ पर उन्होंने इसकी परवाह नहीं की। अपनी अलग पहचान बनाई। जब तक काम किया सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। हिंदी सिनेमा में उनके काम को सदा याद किया जायेगा। भारतीय सिनेमा और कला में उनके योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा 1992 में पद्म श्री और 2015 में सिनेमा के क्षेत्र में सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित होने का गौरव उन्हें प्राप्त हुआ। फिल्म इंडस्ट्रीज में कभी न भुलाए जाने वाले मनोज कुमार जी को उन्हीं की एक फिल्म शोर के गीत से नमन। दो पल के जीवन से इक उम्र चुरानी है ज़िंदगी और कुछ भी नहीं, तेरी मेरी कहानी है। लेखक; सुशील कुमार ‘नवीन‘, Read more » मनोज कुमार
मनोरंजन सिनेमा करियर के सबसे अच्छे दौर से गुजर रहे हैं जॉन अब्राहम April 3, 2025 / April 3, 2025 by सुभाष शिरढोनकर | Leave a Comment सुभाष शिरढोनकर जॉन अब्राहम के पिता केरल के एक मलयाली सीरियन ईसाई जबकि मां गुजरात से ताल्लुक रखने वाली ईरानी हैं । जॉन की स्कूलिंग मुंबई के बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल से हुई । स्कूलिंग पूरी होने के बाद जॉन ने मुंबई के जय हिंद कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। जॉन ने फिल्मों में आने के पहले […] Read more » John Abraham is going through the best phase of his career जॉन अब्राहम
मनोरंजन सिनेमा किस्मत की धनी हैं परिणीति चोपड़ा April 2, 2025 / April 2, 2025 by सुभाष शिरढोनकर | Leave a Comment सुभाष शिरढोनकर 22 अक्टूबर 1988 को पैदा हुई, प्रियंका चोपड़ा की कजिन परिणीति चोपड़ा, न तो प्रियंका की तरह खूबसूरत हैं और न ही उनकी गिनती, प्रियंका की तरह कामयाब एक्ट्रेस के तौर पर होती है। लेकिन मानना होगा कि परिणीति, जिसका शाब्दिक अर्थ ही डेस्टिनी होता है, किस्मत की बेहद धनी है। अपनी किस्मत के बल पर, उन्हें फिल्मों में काम मिलता रहा है […] Read more » Parineeti Chopra is very lucky परिणीति चोपड़ा
कार्टून मनोरंजन राजनीति घिब्ली की दुनिया बनाम हकीकत: कला, रोजगार और मौलिकता का संघर्ष April 1, 2025 / April 1, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment रोजगार हमारी ज़रूरतों के लिए आवश्यक है, लेकिन कला और मनोरंजन मानसिक शांति और प्रेरणा का स्रोत बन सकते हैं। घिब्ली स्टाइल इमेजरी और एआई टूल्स सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे हैं, जिससे मौलिकता पर सवाल उठ रहे हैं। पहले जहां कलाकारों को महीनों मेहनत करनी पड़ती थी, अब एआई कुछ सेकंड में वैसा […] Read more » घिब्ली की दुनिया
कला-संस्कृति मनोरंजन लेख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में घोष का इतिहास April 1, 2025 / April 1, 2025 by शिवानंद मिश्रा | Leave a Comment शिवानंद मिश्रा संघ की स्थापना 1925 के मात्र 2 वर्ष बाद 1927 में संघ में घोष को शामिल किया गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जिसे आरएसएस या संघ परिवार के नाम से भी जाना जाता है, उसकी स्थापना सन 1925 में हुई। संघ के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि अधिकांश लोग संघ के स्वयंसेवकों के सेवाकार्यों और शाखा पर होने वाले दंड प्रदर्शन से ही परिचित हैं किंतु संघ के ऐसे अनेकों रचनात्मक और सृजनात्मक कार्य हैं जो उसके स्वयंसेवकों की कठोर साधना से सिद्ध हुए हैं। ऐसा ही एक काम है संघ का घोष-वादन। जैसा कहा जाता है कि संघ कार्य का विस्तार देश, काल, परिस्थिति के अनुरूप समाजोपयोगी और प्रासंगिकता के अनुरूप बड़ी सहजता से हुआ है। आरंभिक समय में शाखा पर केवल व्यायाम और सामान्य चर्चा हुआ करती थी. फिर धीरे-धीरे शारीरिक और बौद्धिक कार्यक्रम होने लगे। इसी क्रम में शारीरिक अर्थात फिजिकल एक्सरसाइज में भी समता और संचलन का अभ्यास आरंभ हुआ। संचलन के समय शारीरिक विभाग ने इस बात पर विचार किया कि यदि संचलन के साथ घोष वाद्य का प्रयोग किया जाए तो इसकी रोचकता, एकरूपता और उत्साह में चमत्कारिक परिवर्तन हो सकता है। स्वयंसेवकों की इच्छा शक्ति का ही परिणाम था कि संघ स्थापना के केवल दो वर्षों बाद 1927 में शारीरिक विभाग में घोष भी शामिल हो गया। यह इतना आसान कार्य नहीं था। उस समय दो चुनौतियाँ थीं, एक तो यह कि घोष वाद्य जो संचलन में काम आ सकें, वे महँगे थे और सेना के पास हुआ करते थे। दूसरा यह कि उसके कुशल प्रशिक्षक भी सैन्य अधिकारी ही होते थे। चूँकि संघ के पास न तो इतना धन था कि वाद्य यंत्र खरीदे जा सकें और उस पर भी यह राष्ट्रभक्तों का ऐसा संगठन था जिसके संस्थापक कांग्रेस के आंदोलनों से लेकर बंगाल के क्रांतिकारियों के साथ काम कर चुके थे, इसलिए किसी सैन्य अधिकारी से स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित कराना बड़ा कठिन कार्य था। उस समय सैन्य अधिकारियों को केवल सेना के घोष-वादकों को ही प्रशिक्षित करने की अनुमति थी। इस चुनौती से निबटने के लिए संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार जी के परिचित बैरिस्टर श्री गोविन्द राव देशमुख जी के सहयोग से सेना के एक सेवानिवृत बैंड मास्टर के सहयोग से स्वयंसेवकों को घोष वाद्यों का प्रशिक्षण दिलाया गया। शंख वादन के लिए मार्तंड राव तो वंशी के लिए पुणे के हरिविनायक दात्ये जी आदि स्वयंसेवकों ने शंख, वंशी,आनक जैसे वाद्य यंत्रों पर अभ्यास आरंभ किया। इस प्रकार संघ में घोष का एक आरंभिक स्वरूप खड़ा हुआ। पाश्चात्य शैली के बैंड पर उनके ही संगीत पर आधारित रचनाएँ बजाने में भारतीय मन को वैसा आनंद नहीं आया जैसा कि आना चाहिए था। तब स्वयंसेवकों का ध्यान इस बात पर गया कि हमारे देश में हजारों वर्ष पूर्व महाभारत युद्ध में भगवान श्रीकृष्ण ने पांचजन्य और धनुर्धारी अर्जुन ने देवदत्त बजाकर विरोधी दल को विचलित कर दिया था। भगवान कृष्ण के समान वंशी वादक संसार में कोई हुआ नहीं, अतः हमें इन वाद्यों पर ऐसी रचनाएँ तैयार करनी चाहिए जिनमें अपने देश की नाद परंपरा की सुगंध हो। स्वर्गीय बापूराव व उनके साथियों ने इस दिशा में कार्य आरंभ किया। इस प्रकार राग केदार, भूप, आशावरी में पगी हुई रचनाओं का जन्म हुआ। स्वयंसेवकों ने घोष वाद्यों को भी स्वदेशी नाम प्रदान कर उन्हें अपनी संगीत परंपरा के अनुकूल बनाकर उनका भारतीय करण किया। इस क्रम में साइड ड्रम को आनक, बॉस ड्रम को पणव, ट्रायंगल को त्रिभुज, बिगुल को शंख आदि नाम दिए गए जो कि ढोल, मृदंग आदि नामों की परंपरा में ही समाहित होते हैं। घोष की विकास यात्रा में प्रथम अखिल भारतीय घोष प्रमुख श्री सुब्बू श्रीनिवास का नामोल्लेख भी अत्यंत समीचीन होगा। अनेक वर्षों तक सतत प्रवास करके घोष वर्ग और घोष शिविरों के माध्यम से पूरे देश में हजारों कुशल घोष वादक तैयार किये। घोष वादकों में निपुणता और दक्षता की दृष्टि से अखिल भारतीय घोष शिविर आयोजित किये जाने लगे। श्री सुब्बू जी घोष के प्रति इतने समर्पित रहे कि सतत प्रवास के कारण उनका स्वास्थ्य भी गिरने लगा किन्तु अंतिम साँस तक बिना रुके, बिना थके वे ध्येय मार्ग पर बढ़ते रहे। परंपरागत वाद्य शंख, आनक और वंशी से आरंभ हुई घोष यात्रा आज नागांग, स्वरद आदि अत्याधुनिक वाद्यों पर मौलिक रचनाओं के मधुर वादन तक पहुँच गई है। घोष वादन में मौलिक और भारतीय नाद परंपरा को समृद्ध करने की यात्रा प्रथम रचना गणेश से आरंभ होकर लगभग अर्ध शतक पूर्ण कर निरंतर बढ़ती जा रही है। शिवानंद मिश्रा Read more » History of Ghosh in RSS
मनोरंजन सिनेमा विक्की कौशल के करियर की सबसे बड़ी हिट ‘छावा’ March 27, 2025 / March 27, 2025 by सुभाष शिरढोनकर | Leave a Comment सुभाष शिरढोनकर लक्ष्मण उतेकर के निर्देशन में बनी फिल्म ‘छावा’ (2025) में विक्की कौशल को छत्रपति संभाजी महाराज उर्फ छावा ऐतिहासिक किरदार निभाने का मौका मिला। फिल्म की पूरी कहानी विक्की कौशल के इसी किरदार के इर्द-गिर्द घूमती है। कुछ दृश्यों को छोड़ दें तो दर्शकों के एक बड़े वर्ग को विक्की कौशल ज्यादातर दृश्यों में […] Read more » विक्की कौशल
मनोरंजन सिनेमा थिएटर : दशा, दिशा एवं संभावना March 26, 2025 / March 26, 2025 by डॉ घनश्याम बादल | Leave a Comment विश्व थिएटर दिवस (27 मार्च) डॉ घनश्याम बादल एक समय था जब थिएटर न केवल मनोरंजन का सबसे महत्वपूर्ण माध्यम ही नहीं अब समाज का दर्पण भी था और विभिन्न नाटकों के माध्यम से समसामयिक मुद्दों को प्रस्तुत करता था मगर आज विभिन्न डिजिटल प्लेटफॉर्म एवं फिल्म जगत तथा सोशल मीडिया के बढ़ते वर्चस्व […] Read more » Direction and Possibility Theatre: Condition विश्व थिएटर दिवस (
मनोरंजन संगीत ‘ नायाब ‘ कार्रवाई से मिटेगी संगीत की गंदगी March 26, 2025 / March 26, 2025 by सुशील कुमार नवीन | Leave a Comment सुशील कुमार नवीन’ सुर्खियों में रहने वाला हरियाणा इस बार अलग तरह से चर्चा में है। बाते चाहे किसी भी तरह के आंदोलन की हो या राजनीतिक उठापटक की। हरियाणा का अपना अलग स्वैग है। जो और करे, वो हम न करे। जो और न करे, वो सबसे पहले हम करे। सप्ताह दो सप्ताह में […] Read more » 'Unique' action will eradicate the filth in music मिटेगी संगीत की गंदगी
आर्थिकी टेलिविज़न बच्चों का पन्ना मनोरंजन Byju’s: भारत की सबसे बड़ी एजुकेशन कंपनी का पतन March 25, 2025 / March 25, 2025 by शिवानंद मिश्रा | Leave a Comment शिवानंद मिश्रा एक समय था जब बायजूस को भारत की सबसे बड़ी और सफल एजुकेशन टेक्नोलॉजी (एडटेक) कंपनी के रूप में देखा जाता था। यह कंपनी बच्चों और युवाओं के लिए ऑनलाइन लर्निंग का सबसे प्रभावशाली माध्यम बन चुकी थी। बायजूस के संस्थापक बायजू रविंद्रन ने अपने टीचिंग के अनोखे अंदाज और बिजनेस मॉडल […] Read more » Byju's: The fall of India's largest education company
टेलिविज़न मनोरंजन एक्ट्रेस अविका गौर होगी ‘नागिन 7’ की नागिन ? March 25, 2025 / March 25, 2025 by सुभाष शिरढोनकर | Leave a Comment सुभाष शिरढोनकर 30 जून 1997 को मुंबई के एक गुजराती परिवार में जन्मीं एक्ट्रेस अविका गौर 2008 में जब मुलुंड के शेरोन इंग्लिश हाईस्कूल की 7 वी क्लास में थीं, उन्हें टीवी धारावाहिक ‘राजकुमार आर्यन’ में राजकुमार भैरवी के बचपन के रोल का ऑफर मिला। इसके साथ ही महज 11 साल की उम्र में अविका ने बतौर बाल कलाकार एक्टिंग करियर […] Read more » अविका गौर
Tech मनोरंजन आखिर क्यों इतनी चर्चित हो रही है ग्रोक एआइ। March 24, 2025 / March 24, 2025 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment सुनील कुमार महला आज पूरा विश्व धीरे-धीरे ही सही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(एआइ) के युग में प्रवेश कर रहा है। कहना ग़लत नहीं होगा कि आज के इस युग में व्यवसाय और सरकारी संस्थाएँ ग्राहकों के अनुभवों को बेहतर बनाने, प्रतिस्पर्धात्मक लाभ बढ़ाने और समुदायों में सुरक्षा और संरक्षा में सुधार करने के लिए मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस […] Read more » Grok AI popularity Why is Grok AI getting so much popularity ग्रोक एआइ