खेत-खलिहान पर्यावरण पर्यावरण की हमारी प्राचीन समझ November 12, 2010 / November 12, 2010 by विश्वमोहन तिवारी | 7 Comments on पर्यावरण की हमारी प्राचीन समझ मेंढक तो टर्र-टर्र टर्राते हैं मैं तो बिल्कुल चकरा गया। मैं अंग्रजी की शिक्षापद्धति में पढ़ा-लिखा आधुनिक व्यक्ति हूं। उल्टी-सीधी बातें मैं नहीं मानता। मैं तर्क करता हूं। मैं जानता हूं कि बरसात में बदसूरत मेढक बेसुरी आवाज़ में टर्र-टर्र टर्राते हैं। मैं इन्हें देवता कैसे मान लूं? ऋग्वेद के सातवें मंडल में एक मंडूक […] Read more »
पर्यावरण दीपावली और पर्यावरण November 8, 2010 / December 20, 2011 by विजय कुमार | 1 Comment on दीपावली और पर्यावरण हर बार की तरह इस बार भी प्रकाश का पर्व दीपावली सम्पन्न हो गया। लोगों ने जमकर आनंद मनाया; घर और प्रतिष्ठान सजाए; मिठाई खाई और खिलाई; उपहार बांटे और स्वीकार किये; बच्चों ने पटाखे और फुलझड़ियां छोड़ीं; कुछ जगह आग भी लगी; पर दीप पर्व के उत्साह में यह सब बातें पीछे छूट गयीं। […] Read more » Deepawali Environment दीपावली पर्यावरण
पर्यावरण जल संसाधन का शोषण उत्तराखंड के हितों के खिलाफ October 29, 2010 / December 20, 2011 by गौतम चौधरी | 1 Comment on जल संसाधन का शोषण उत्तराखंड के हितों के खिलाफ -गौतम चौधरी विकास की अवधारणा के मायने बदल रहे है। विकास का मतलब आज के परिप्रेक्ष में पश्चिम का अंधनुकरण को लिया जा रहा है। विकास के लिए कहा जा रहा है कि जिसे संसाधन के रूप में मान्यता प्रदान की गयी है उसका शोषण किया जाये। इस अवधारणा के कारण अब दुनिया में परेशानी […] Read more » Water Resources उत्तराखंड जल संसाधन
पर्यावरण पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन October 27, 2010 / December 20, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 3 Comments on पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन -कल्पना पालखीवाल राष्ट्रीय पर्यावरण नीति, 2006 पर्यावरण सुरक्षा को विकास प्रक्रिया के अभिन्न अंग और सभी विकास गतिविधियों में पर्यावरणीय प्राथमिकता के रूप में पहचान प्रदान करती है। इस नीति का मुख्य ध्येयवाक्य है कि पर्यावारणीय संसाधनों का संरक्षण जीविका, सुरक्षा और सभी के कल्याण के लिए जरूरी है। इसके साथ ही संरक्षण के लिए […] Read more » Enviroment पर्यावरणीय
पर्यावरण आस्था की एक और जीत – गंगा हुई आजाद September 16, 2010 / December 22, 2011 by विनोद बंसल | 2 Comments on आस्था की एक और जीत – गंगा हुई आजाद – विनोद बंसल जो स्थान मानव शरीर में रक्त शिराओं व धमनियों का है वही स्थान भारत के लिए गंगा का है। जिस प्रकार मस्तिष्क से लेकर पैरों तक रक्त का दौरा इन रक्त वाहिकाओं के विना सम्भव नहीं है उसी प्रकार भारत माता के मस्तक (गौमुख) से प्रारम्भ हुई गंगा के बिना देश का […] Read more » Ganga गंगा
पर्यावरण बाढ़ के क़हर को रोकने की दरकार September 15, 2010 / December 22, 2011 by फ़िरदौस ख़ान | Leave a Comment -फ़िरदौस ख़ान बरसात का मौसम आते ही उत्तर भारत के कई राज्य बाढ़ की चपेट में आ जाते हैं। इस साल भी उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में बाढ़ ने क़हर बरपाया है। बाढ़ से जान व माल का भारी नुक़सान हुआ है। लाखों लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। कितने ही […] Read more » Flood बाढ़
पर्यावरण प्राकृतिक कम, मानव निर्मित अधिक हैं बाढ़ के कारण September 15, 2010 / December 22, 2011 by तनवीर जाफरी | 2 Comments on प्राकृतिक कम, मानव निर्मित अधिक हैं बाढ़ के कारण -तनवीर जाफ़री ग्लोबल वार्मिंग संबंधी समाचारों को सुन-सुन कर पूरा विश्व चिंतित हो उठा है। ग्लेशियर कालगातार पिघलना,समुद्र के जलस्तर का बढ़ना, सूखा, बाढ़ जैसी विपदाएं मनुष्य को अपने व अपनी भावी पीढ़ियों के विषय में बहुत कुछ सोचने को मजबूर कर रही हैं। सूर्य का तापमान वर्ष दर वर्ष बढ़ता ही जा रहा है। […] Read more » Flood बाढ़
पर्यावरण दुश्वारियों में अनवाल August 25, 2010 / December 22, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on दुश्वारियों में अनवाल -त्रिलोक चन्द्र भट्ट गाँधी आश्रम से लेकर वस्त्र विक्रेताओं की विभिन्न दुकानों पर पर्वतीय भेड़ों से प्राप्त ऊन से बने सुन्दर स्वेटर, दन, चुकटे व थुलम देशी-विदेशी पर्यटकों को खूब लुभाते हैं। उत्तराखण्ड के बागेश्वर, पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, गोपेश्वर आदि जिलों में आयोजित मेलों में स्थानीय ऊन से बनी वस्तुओं का अच्छा कारोबार होता है और […] Read more » Enviroment अनवाल
पर्यावरण हिंद महासागर पूर्वानुमान प्रणाली August 7, 2010 / December 22, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment पेशकश : असलम ख़ान विभिन्न समयमान के संदर्भ में पूर्वानुमान समुद्री विज्ञानी मापदण्ड (स्तल और अधस्तल) मौसम विज्ञानियों से लेकर मछुआरों और जलसेना से लेकर अपतटीय उद्योगों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। इस समय भारतीय राष्ट्रीय समुद्र सूचना सेवा केंद्र (आईएनसीओआईएस) भारतीय समुद्री सीमाओं और पूरे हिंद महासागर में लहरों के बारे में पूर्वानुमान करने […] Read more » Hind Mahasagar हिंद महासागर
पर्यावरण ग्लोबल वार्मिंग से बिगड़ी भारत के मानसून की चाल August 3, 2010 / December 22, 2011 by पंकज चतुर्वेदी | 3 Comments on ग्लोबल वार्मिंग से बिगड़ी भारत के मानसून की चाल -पंकज चतुर्वेदी मानसून की टेढ़ी चाल से भारत में सभी हतप्रभ हैं। पिछले कुछ वर्षों से जिस तरह से मानसून दगा दे रहा है। वो भारत जैसे कृषि प्रधान देश में भारी चिंता का विषय हैं। सामान्यतः मानसून शब्द का उपयोग भारी वर्षा के पर्याय के रूप में होता है, लेकिन वस्तुतः यह हवा की […] Read more » Global Warming ग्लोबल वार्मिंग
पर्यावरण सुन्दरवन तथा न्यू मूर द्वीप पर संकट के बादल July 30, 2010 / December 22, 2011 by मनोज श्रीवास्तव 'मौन' | 1 Comment on सुन्दरवन तथा न्यू मूर द्वीप पर संकट के बादल – मनोज श्रीवास्तव मौन दुनिया में अपने सदाबहार वनों के कारण 3500 किमी. के क्षेत्रफल में फैले और तटबंध से सुरक्षित वन्यक्षेत्र सुंदरवन के रूप में पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। सुंदरवन के परिक्षेत्र में स्थित न्यू मूर द्वीप समुद्र की गहराइयों में समा गया है। भारत-बांग्लादेश के मध्य विवादित 9 किलोमीटर परिधि वाले इस […] Read more » Sunder van न्यू मूर द्वीप सुन्दरवन
पर्यावरण बाढ़ से कराहती मानवता July 12, 2010 / December 23, 2011 by संजय द्विवेदी | 2 Comments on बाढ़ से कराहती मानवता प्रलंयकारी बाढ़ के कारणों के स्थाई समाधान खोजने की जरूरत -संजय द्विवेदी कोई संकट अगर हर साल आता है तो क्या उसके स्थाई समाधान नहीं हो सकते। अगर हो सकते हैं तो हमें किसने रोक रखा है। उप्र, बिहार से लेकर देश के तमाम इलाके कभी बाढ़ और कभी सूखे की चपेट में रहते हैं। […] Read more » Flood बाढ़