आलोचना साहित्य दहशतगर्द से हमदर्दी July 13, 2016 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव मजहबी कट्टरपंथ से प्रेरित होकर आतंकवाद के रास्ते पर निकले एक गुमराह युवक की मौत पर कश्मीर में मातम और समर्थन हैरानी में डालने वाला है। इससे साफ होता है कि पीडीपी और भाजपा गठबंधन की सरकार से कश्मीर में शांति बहाली की जो उम्मीद थी, उस पर पानी फिरता लग रहा है। […] Read more » Featured दहशतगर्द से हमदर्दी
आलोचना विविधा साहित्य बुरहान वानी : आतंकियो के लिए कितने आँसू… July 12, 2016 by अजीत कुमार सिंह | Leave a Comment -अजीत कुमार सिंह कभी आतंकवादियों के मारे जाने पर किसी देश में मातम मनाते देखा है…। नहीं न ! हाँ! आतंकवादियों के मारे जाने पर हमारे देश में मातम मनाया जाता है। नमाज-ए-जनाजा होता है। इसका ताजातरीन उदाहरण कश्मीर मुठभेड़ में मारे गये कुख्यात आतंकी बुरहान वानी के बाद का दृश्य है। 8 जुलाई को […] Read more » Featured terrorist Burhan Vani आतंकवाद आतंकवादी बुरहान वानी
आलोचना साहित्य नेता तो नेता, अब जज भी! June 18, 2016 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment नेता तो नेता, अब न्यायाधीश भी पीछे क्यों रहे? सरकारी माल है। सूंत सके तो सूंत। नरेंद्र मोदी ने विदेश-यात्राओं पर दो साल में करीब एक अरब रु. खर्च कर दिए तो हमारे सर्वोच्च न्यायालय के जज करोड़-आधा करोड़ भी खर्च न करें क्या? मुख्य न्यायाधीश टी एस ठाकुर ने पिछले तीन साल में 36 […] Read more »
आलोचना साहित्य नेताओं की फोटोबाजी May 27, 2016 by डॉ. वेदप्रताप वैदिक | Leave a Comment डा. वेद प्रताप वैदिक आजकल के नेताओं ने अभिनेताओं और सुंदरियों को भी मात कर दिया है। वे खूब बन-ठनकर अपने फोटो खिंचवाते हैं। फिर उन्हें अखबारों के मुखपृष्ठों और टीवी के पर्दों पर सजवा देते हैं। यह ‘छपास’ और ‘दिखास’ की बीमारी अब महामारी बन गई है। एक-एक नेता अपने फोटो छपवानें के […] Read more » नेताओं की फोटोबाजी
आलोचना राजनीति साहित्य ‘बाप का माल’ में ही नेहरू-गांधी के नाम! May 22, 2016 by शंकर शरण | 3 Comments on ‘बाप का माल’ में ही नेहरू-गांधी के नाम! अभिनेता ऋषि कपूर ने देश में महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थानों को नेहरू परिवार के नाम से बाँधने के अन्याय पर ऊँगली उठाई है। सारी जगहों को नेहरू, इंदिरा, राजीव, आदि मय कर देने पर उन का सवाल हैः इस देश को ‘बाप का माल समझ रखा था?’ देश की स्मृति पर ऐसे पारिवारिक कब्जे पर पहले […] Read more » Featured नेहरू-गांधी
आलोचना साहित्य मान भी जाईये साहब ! ‘शोषण’ ही आज का नया ‘पेशा’ है… March 30, 2016 by हिमांशु तिवारी आत्मीय | Leave a Comment गजब है सियासत भी। आज राजनीतिक पार्टियों के इतर आम जिंदगियों में भी उतर आई है। कहीं न कहीं हर पेशे में अब सियासत दिखाई देने लगी है। दरअसल कुछ लोग अपने सह कर्मचारियों के साथ ही निचले तबके में कार्यरत् लोगों का भी शोषण एकदम जनता सरीखे करना चाहते हैं। जैसे कि कल तक […] Read more » exploitation is the new proffession नया 'पेशा' शोषण
आलोचना साहित्य रिश्ता: ‘आधुनिक अध्यात्म’ और व्यवसाय का ? March 26, 2016 by निर्मल रानी | 2 Comments on रिश्ता: ‘आधुनिक अध्यात्म’ और व्यवसाय का ? निर्मल रानी भारतवर्ष को अध्यात्म के क्षेत्र में विश्व का सबसे बड़ा देश माना जाता है। हमारे देश में अनेक ऐसे तपस्वी व त्यागी,महान अध्यात्मवादी,पीर-फ़क़ीर, सूफ़ी-संत गुज़रे हैं जिन्होंने नि:स्वार्थ रूप से समाज में मानवता के परोपकार हेतु तमाम ऐसे कार्य किए जिसकी बदौलत उनके अनुयाईयों की संख्या तथा उनके प्रति श्रद्धा इस हद तक […] Read more » Featured आधुनिक अध्यात्म व्यवसाय
आलोचना साहित्य शिव योगी हैं नशेडी नहीं | March 10, 2016 by अनुज अग्रवाल | Leave a Comment हाल ही में महाशिवरात्रि का पर्व बीत गया | यानि कि भगवान् आशुतोष का दिन | कई मित्रो के मेसेज आये शिवरात्रि की शुभकामनाये प्रेषित करते हुए | सभी का धन्यवाद सभी को शुभकामनाये | रूद्र आप सबकी रक्षा करे | पर मन उस तरह प्रफुल्लित हुआ जिस तरह एक त्यौहार पर होना चाहिए | […] Read more » शिव शिव नशेडी नहीं शिव योगी हैं शिव योगी हैं नशेडी नहीं
आलोचना साहित्य और भाषण बाज नहीं चाहिए ! March 7, 2016 by कीर्ति दीक्षित | Leave a Comment कीर्ति दीक्षित क्षत विक्षत है भारत भूमि का अंग अंग बाणों से । त्राहि त्राहि का नाद निकलता है असंख्य प्राणों से । । दिनकर साहब की ये पंक्तियाँ आज के परिदृश्य में कितनी सफल होकर उतरती हैं, आज ये भारत भूमि यदि कोई मानवी रूप धारित किये होती तो कितने ही बार प्राण तज दिए […] Read more » और भाषण बाज नहीं चाहिए !
आलोचना राजनीति अफजल गुरु,याकूब मेनन कोई शांति के मसीहा नहीं थे February 15, 2016 by श्रीराम तिवारी | Leave a Comment होली का त्यौहार अभी नहीं आया ,किन्तु हमारे जम्बूदीपे -भरतखण्डे के विनोदी सियासतदां एक दूसरे का मजाक उड़ाने में अभी से व्यस्त हैं। पीएम नरेंद्र मोदी जी कांग्रेस और राहुल का मजाक उड़ाते रहते हैं। राहुल गांधी भी जब कभी केरल जाते हैं ,तो एक सांस में पीएम नरेंद्र मोदी जी का और केरल की […] Read more » Featured JNU anti national अफजल गुरु याकूब मेनन कोई शांति के मसीहा नहीं थे
आलोचना विविधा साहित्य प्यार का ढाई आखर जो सनातन, अजर और अमर है February 12, 2016 by एम. अफसर खां सागर | Leave a Comment एम. अफसर खां सागर किसी के लिए जिन्दगी जीने का सलीका तो किसी के लिए जीने की खुबशूरत वजह है। किसी को इसमें रब दिखता है तो किसी के लिए कम्बख्त इश्क है ये। प्यार शब्द तो एक है मगर इसके मायने अनेक हैं। इतिहास गवाह है कि इश्क के नाम पर न जाने कितनी […] Read more » Featured अजर और अमर प्यार का ढाई आखर जो सनातन
आलोचना साहित्य प्रसिद्धि के ये ‘टोटके’ February 11, 2016 by निर्मल रानी | Leave a Comment निर्मल रानी अधिक से अधिक धन-दौलत अर्जित करना तथा सुख व समृद्धि हासिल करना निश्चित रूप से मानव जाति की एक बहुत बड़ी कमज़ोरी है। समाज में अधिकांश लोग ऐसे मिलेंगे जो ज़्यादा से ज़्यादा पैसा कमाने की कोशिश में दिन-रात लगे रहते हैं। धनवान बनने की यही प्रवृति इंसान को भ्रष्टाचार,जमाख़ोरी,रिश्वतख़ोरी,कालाबाज़ारी,तस्करी तथा अन्य कई […] Read more » Featured प्रसिद्धि के ये ‘टोटके’