कविता मेरे ज़रूरी काम February 27, 2020 / February 27, 2020 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी जिस रास्ते जाना नहीं हर राही से उस रास्ते के बारे में पूछता जाता हूँ। मैं अपनी अहमियत ऐसे ही बढ़ाता हूँ। जिस घर का स्थापत्य पसंद नहीं उस घर के दरवाज़े की घंटी बजाता हूँ। मैं अपनी अहमियत ऐसे ही बढ़ाता हूँ। कभी जो मैं करता हूं वह बेहतरीन है […] Read more » मेरे ज़रूरी काम
कविता अभी जिंदा हूं खुद को बताना February 25, 2020 / February 25, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment अभी मरी नहीं हूं यह जतलाना खुदसे कहना, घर को जाती हूं मैं खुदसे कहना, घर को आती हूं मैं खुद से कहना, खाना खा लिया क्या खुद ही कहना, अभी कहां,खाती हूं मैं। जब भी घर में अकेली होती है, वह सभी काम कर रोती है बर्तन-कपड़े साफ करना खाना पकाना और खिलाना एक […] Read more » अभी जिंदा हूं खुद को बताना
कविता एससी एसटी एक्ट February 25, 2020 / February 25, 2020 by मुकेश चन्द्र मिश्र | Leave a Comment राष्ट्रवाद का झोला टांगे मैं सवर्ण आवारा हूँ। मुसलमान से यदि बच जाऊं तो दलितों का चारा हूँ॥ कांग्रेस ने दर्द दिए तब हमने कमल का फूल चुना। किंतु जेल में डाल रहे ये हमे कोई पड़ताल बिना॥ पशुवों की भी चिंता होती उनके हित सरकार खड़ी। हम उनसे भी बदतर हमपर लोकतन्त्र की मार […] Read more » एससी/एसटी एक्ट कविता
कविता आदमी की कोई हद न रही February 20, 2020 / February 25, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment जाने ये क्या हद हो गयी ? कि आदमी की हद सरहदों में खो गयी सरहद बना ये आदमी,आदमी है कहाँ खोखला उसका वजूद और झूठा उसका जहाँ, सगे भाईयों के बीच,आपस में ठनी हो गयी, आंगन में लगी बाँगड़., और घनी हो गयी ? जाने ये क्या हद हो गयी कि आदमी मुस्कान गमों […] Read more » आदमी की कोई हद न रही
कविता साहित्य दान… February 20, 2020 / February 26, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment उतारो उतारो आज तुम जिस्म से अपनी खूबसूरत आत्मा का यह गहना उठो दुआयें देकर यमराज को, यह आत्मा दान दे दो। बनाकर भेजी थी विधाता ने तेरी निराली सूरत जिस्म इंसान का देकर, गढी गजब की मूरत उठो प्रार्थनायें गाकर अपने प्रभु को, इन साँसों का आभार दे दो। आज मगरूर है कितना, तेरा […] Read more » दान
कविता पहनी है धरती ने ज्योति की पायल February 20, 2020 / February 26, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आज आसमाँ से ये जाकर कह दे कोई सितारों की महफिल कहीं और सजायें। पहनी है धरती ने ज्योति की पायल, दीपों के घुंघरू, स्वर झाँझन सुनायें। खैर नहीं तेरी ओ अमावस्या के अंधेरे धरती से उठा ले तू आज अपने ड़ेरे। रोशनी को देख अंधेरा थरथराया खूब चीखा पटाखों में, अंधेरे का हुआ सफाया। […] Read more » पहनी है धरती ने ज्योति की पायल
कविता खाली हाथ February 20, 2020 / February 21, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment सारी रात नींद आँखों से कोसों दूर है ख्यालों का पुलिंदा मधुर पल की चाह में एक पल के लिये जीने को उत्सुक है। नितांत अकेला, कुर्सी पर बैठा आदमी विचारों में ड़ूबा तलाश रहा है उस पल को और वह मधुर पल उसके हाथों से खिसक कर बहुत दूर असीम में सरकता हुआ चला […] Read more » खाली हाथ
कविता जो करना है अभी करें, आज के दिन February 20, 2020 / February 21, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment दिल में नये अरमान बसायें,आज के दिन। दिल को गूंचे की तरह खिलायें, आज के दिन॥ फूलों की तरह हँसे-हँसायें, आज के दिन। बादल की तरह झूमे-छा जायें, आज के दिन॥ मुस्कान की बरखा में नहायें,आज के दिन। कलियों की तरह खिल जायें, आज के दिन॥ भँवरों की तरह भनभनायें, आज के दिन। झरनों सा […] Read more » Do what you want to do nowadays जो करना है अभी करें
कविता ओ भारत की संतानों जागो February 20, 2020 / February 21, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment ओ सोये हुये नादानों जागो, ओ भारत की संतानों जागो परिवर्तन का सूर्य उगा है,नीदं भगाओ लम्बी न तानों। ओ माझी तूफान से लड़ने वालों देश सारा ड़ूब रहा है उसे बचालो । तोड़. सभी रूढ़ियों की कच्ची रस्सी इन रस्सियों को, आज जरा आजमालो । परिवर्तन का तूफान उठा है, पतवार उठाओं बाधमान तानों। […] Read more » Awake children of India ओ भारत की संतानों जागो
कविता मेरी बिटिया रानी February 20, 2020 / February 20, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment मेरे घर जन्मी मेरी बिटिया, जैसे कोई नन्ही सी परी हो। छोटी सी प्यारी मेरी बिटिया जैसे गुड़िया कोई फूल सी हो। दिल की सच्ची मेरी बिटिया सबसे बातें करती न्यारी न्यारी। तुतलाती कोमल हाथों वाली, दिल चुराती बिटिया मेरी प्यारी। गिरती सँभलती, नन्हें पैरों वाली ऊगली मम्मी की थामे मेरी बिटिया। दादा दादी ओर […] Read more » मेरी बिटिया रानी
कविता वो लोग अब नही मिलते । February 19, 2020 / February 19, 2020 by अजय एहसास | Leave a Comment शाम को साथ बैठने वाले, अपने अनुभव बांटने वाले रात को देर में सोने वाले, सुबह जल्दी जागने वाले बिना पनही चलने वाले, भोर में घूमने वाले बिना जूते अब नही चलते,वो लोग अब नही मिलते । आंगन की तुलसी को पूजने वाले, पूजा के लिए डांटने वाले पौधों को नि:स्वार्थ पानी देने वाले, पूजा […] Read more » वो लोग अब नही मिलते
कविता कुछ किया जाये। February 19, 2020 / February 19, 2020 by अजय एहसास | Leave a Comment ये जो संस्कृति हमारी खत्म होती जा रही है गांव से वो घूंघट सिर पे लाने को चलो अब कुछ किया जाये। मकां हैं ईंट के पक्के और तपती सी दीवारें वो छप्पर फिर से लाने को चलो अब कुछ किया जाये। मचलते थे बहुत बच्चे भले काला सा फल था वो वो फल जामुन […] Read more » कुछ किया जाये।