कविता साहित्य दिल्ली चुनाव और भाजपा (2020) February 16, 2020 / February 16, 2020 by मुकेश चन्द्र मिश्र | Leave a Comment पिच पर अपनी खींच रहे थे, कट्टरता से सींच रहे थे। हिन्दू मुस्लिम और गद्दारी, पर तलवारें खींच रहे थे॥ किन्तु केजरी भी सातिर है, वो जन्मा सत्ता की खातिर है॥ राजनीति का एड्स जिसे, अपने कुमार जी कहते हैं॥ पर मोदी के महारथी, खांसी बस उसे समझते हैं॥ धोका जिसकी फितरत ही हो, उससे […] Read more » दिल्ली चुनाव और भाजपा
कविता मैं तो हूं केवल अक्षर February 16, 2020 / February 16, 2020 by आलोक कौशिक | Leave a Comment मैं तो हूं केवल अक्षर तुम चाहो शब्दकोश बना दो लगता वीराना मुझको अब तो ये सारा शहर याद तू आये मुझको हर दिन आठों पहर जब चाहे छू ले साहिल वो लहर सरफ़रोश बना दो अगर दे साथ तू मेरा गाऊं मैं गीत झूम के बुझेगी प्यास तेरी भी प्यासे लबों को चूम के […] Read more » मैं तो हूं केवल अक्षर
कविता है मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन ! February 13, 2020 / February 13, 2020 by आलोक कौशिक | Leave a Comment वो पल वो क्षण हमारे नयनों का मिलन जब था मूक मेरा जीवन तब हुआ था तेरा आगमन कलियों में हुआ प्रस्फुटन भंवरों ने किया गुंजन है मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन ! तेरा रूप तेरा यौवन जैसे खिला हुआ चमन चांद सा रौशन आनन चांदनी में नहाया बदन झूम के बरसा सावन फूलों में […] Read more » है मुझे स्मरण… जाने जाना जानेमन
कविता बच्चों का पन्ना साहित्य छूना है सूरज के कान February 13, 2020 / February 13, 2020 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment तीन साल के गुल्लू राजा, हैं कितने दिलदार दबंग। जब रोना चालू करते हैं, रोते रहते बुक्का फाड़। उन्हें देखकर मुस्काते हैं, आँगन के पौधे और झाड़। जब मरजी कपड़ों में रहते, जब जी चाहे रहें निहंग। नहीं चाँद से डरते हैं वे, तारों की तो क्या औकात। डाँट डपट कर कह देते हैं, नहीं […] Read more » छूना है सूरज के कान
कविता बच्चों का पन्ना कुक्कू मुर्गा February 10, 2020 / February 10, 2020 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment कुक्कू मुर्गा बड़ी जोर से, कुकड़ूँ कूँ चिल्लाया। सूरज बोला ,अब मत चिल्ला, में जल्दी ही आया। लेकिन प्यारे कुक्कू भाई, नहीं समझ में आया। तू अपने मालिक को अब तक, नहीं जगा क्यों पाया? रोज -रोज चिल्ला चिल्लाकर, मुझे बुला तू लेता। पर तेरी कुकड़ूँ कूँ को अब, कौन तब्बजो देता। मैं तो हर […] Read more » कुक्कू मुर्गा
कविता अपना आपा खो दॅू February 3, 2020 / February 3, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment अपने घर -परिवार के लिये, अपने सगे संबंधियों के लिये अपने समाज व देश के लिये मैं जीना चाहता हॅू सभी के लिये इस हद तक, कि अपना आपा खो दॅू। मैं अपने सारे स्वार्थो के बिना मैं अपने सारे हितों के बिना दूसरों के लिये अपना सारा जीवन जीना चाहता हॅू इस हद तक, […] Read more » अपना आपा खो दॅू
कविता आया बसन्त January 29, 2020 / January 29, 2020 by शकुन्तला बहादुर | 1 Comment on आया बसन्त Read more » आया बसन्त
कविता सुभाष चन्द्र बोष जी की जयंती पर January 24, 2020 / January 24, 2020 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment तुम मुझको दो खून अपना , मै तुमको दे दूंगा आजादी | यही सुनकर देश वासियों ने, अपनी जान की बाजी लगा दी || यही सुभाष का नारा था , जिसने धूम मच दी थी | इसी विश्वास के कारण ही उसने हिन्द फ़ौज बना दी थी || याद करो 23 जनवरी 1897 को जब […] Read more » सुभाष चन्द्र बोष जी की जयंती पर
कविता यह खूनी सड़क January 16, 2020 / January 16, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment मेरे शहर की यह शांतचित्त सड़क कभी बहुत खिलखिलाया करती थी बचपन में इसके तन पर हम खेला करते थे गिल्लीडंडा तब कभी कभार दिन में दो-चार बसें और इक्का-दुक्का वाहन भोंपू बजाकर सड़क से गुजर जाते थे। पूरे शहर के हर मोहल्ले के बच्चे इस सड़क पर इकटठा होते और कोई गिल्लीडंडा खेलता तो […] Read more » गिल्लीडंडा
कविता सीख देती चीटियाॅ January 16, 2020 / January 16, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment आत्माराम यादव पीव कभी चीटियों को देखों मुॅह मिलाकर प्रेम करती है अंजान चीटी से पहचानकर नेह का यह मिलाप असीम अपनत्व का इजहार है वे मुॅह मिलाकर एक दूसरे को आभार व्यक्त करने के साथ नमस्कार करती है। कभी चीटी जैसे किसी जीव का ओढ़ना-बिछाना, चैका-चूल्हा थाली बघौनी देखी है किस रंग के होते […] Read more » सीख देती चीटियाॅ
कविता खानावदोश झुग्गिया January 14, 2020 / January 15, 2020 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment भारत के हर शहर में होती है अछूत झुग्गियाॅ बसाहट से दूर किसी भी सड़क के किनारे खास मौके पर चार खूटियों और तिरपाल से तन जाती है दर्जनों झुग्गियाॅ। ये वे अछूत झुग्गियाॅ है जिनमें रहने वाले गरीब दो वक्त की रोटी कमाने हर शहर की गली-कूंचे में घरों-महलों की सजावट का सामान बेचते […] Read more » खानावदोश झुग्गिया