कविता मै आशा के दीप जलाना चाहता हूँ | September 29, 2019 / September 29, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मै आशा के दीप जलाना चाहता हूँ |निराशा के दीप बुझाना चाहता हूँ ||जिस झोपडी में कभी न दीप जला |उस झोपडी में दीप जलाना चाहता हूँ || मै ज्ञान का दीप जलाना चाहता हूँ |अज्ञान का दीप बुझाना चाहता हूँ ||जो ज्ञानी बनकर अज्ञानी बने हुए है |उन सबको मै जगाना चाहता हूँ || […] Read more »
कविता मेरे अन्तर्मन में भगत सिंह September 29, 2019 by अजय एहसास | Leave a Comment अन्तर्मन में भगत सिंह।। मेरे अन्तर्मन में भगत सिंह, गांधी को मैं नही पूजता नेता सुभाष ,विस्मिल,आजाद, अब्दुल हमीद को नही भूलता। सुखदेव,राजगुरू की कुर्बानी,आज के नेता कहते क्रूरता अशफाक, शिवाजी का भारत, होते राणा तो नही टूटता। मेरे अन्तर्मन में भगत सिंह, गांधी को मैं नही पूजता। गर आज भगत सिंह होते तो ये […] Read more »
कविता वो छोटी सी मुलाकात September 25, 2019 / September 25, 2019 by विवेक कुमार पाठक | Leave a Comment विवेक कुमार पाठक वाकई उस दिन कुछ अलग थाहवाएं सर्द सर्द थींकुछ खुशी थीकुछ डर थाशायद मुलाकात होतीशायद हम बैरंग लौटते मगर एहसास हिसाब करके नहीं आतेवे आते हैं तो उन आंधियों की तरहजो जेठ में कभी कभी आती हैंतो कितना कुछ कहां कहां से लाती हैंहवा पानी माटी की सुगंधटूटे पत्तों की उड़ान बारिश […] Read more »
कविता मै रहूँ न रहूँ,मेरा देश रहना चाहिए | September 24, 2019 / September 24, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment मै रहूँ न रहूँ,मेरा देश रहना चाहिए |मै बढ़ूँ न बढूँ मेरा देश बढ़ना चाहिए || आया है जनसँख्या का सैलाब,यह रूकना चाहिए |साधन है सीमित,जनसँख्या तो कम होनी चाहिए || करे मेरा देश विकास,उसका विश्व में नाम हो |बन जाये विश्व गुरु,उसकी विश्व में शान हो || हर हाथ को काम,हर इनसान को शिक्षा […] Read more » मेरा देश रहना चाहिए | मै रहूँ न रहूँ
कविता आज चली उसकी मरजी September 20, 2019 / September 20, 2019 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment ड्राइंग रूम की दीवारों पर, लिखी रमा ने ए. बी. सी. न जाने वह चाक कहां से, नीले रंग की ले आई। अक्षर टेढ़े मेढे लिखकर, बड़ी जोर से चिल्लाई। देखो अक्षर अंग्रेजी के लिख डाले मैंने दीदी। चू ने से कुछ दिन पहले था, पुत वाया पापा ने घर। चाक रगड़ कर उल्टी सीधी, […] Read more »
कविता अमीर ग़रीब September 18, 2019 / September 18, 2019 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment मिलता नहीं चैनो सुकून रईसों के मकानों में, दम घुटता है क्यों ऊँचे – बंगले आशियानों में। अमीरों में छुपे दर्दों की झलक देखी है हमने, कितने अदब से कैसे रहते हैं ऊँचे मकानों में। नींद की गोलियां खाना फिर भी नींद ना आए, ग़रीबों को तो में बिना गोलीके नींद आ जाए। अमीरों की […] Read more » अमीर ग़रीब
कविता राज हर कोई करना है जग चह रहा ! September 11, 2019 / September 11, 2019 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment राज हर कोई करना है जग चह रहा, राज उनके समझना कहाँ वश रहा; राज उनके कहाँ वो है रहना चहा, साज उनके बजा वह कहाँ पा रहा ! ढ़पली अपनी पै कोई राग हर गा रहा, भाव जैसा है उर सुर वो दे पा रहा; ताब आके सुनाए कोई जा रहा, सुनके सृष्टा सुमन मात्र मुसका रहा ! पद के पंकिल अहं कोई फँसा जा रहा, उनके पद का मर्म कब वो लख पा रहा; बाल बन खेल लखते मुरारी रहे, दुष्टता की वे सारी बयारें सहे ! सृष्टि सारी इशारे से जिनके चले, सहज होके वे जगती पै क्रीड़ा करे; जीव गति जान कर तारे उनको चले, कर विनष्टि वे आत्मा में अमृत ढ़ले ! हर निमिष कर्म करके वे प्रतिपालते, धर्म अपना धरे वे प्रकृति साधते; ‘मधु’ है उनका समझ कोई कब पा रहा, अपनी जिह्वा से चख स्वाद बतला रहा ! ✍? गोपाल बघेल ‘मधु’ Read more » राज हर कोई करना है जग चह रहा !
कविता शिक्षक कौन है ? September 6, 2019 / September 6, 2019 by राकेश कुमार पटेल | Leave a Comment शिक्षक कौन है ? राही सा मन को, राह दिखा दे जिसे चलना न आये, उसे चलना सिखा दे जिसे हँसना न आये , उसे हँसाना सिखा दे जिसे रोना न आये , उसे रोना सिखा दे जिसे खो कर पाना न आये, उसे पाना सिखा दे भूले भटके को , घर का पता बता […] Read more »
कविता शिक्षक ने शिक्षा पा ली September 3, 2019 / September 3, 2019 by डॉ कविता कपूर | Leave a Comment समाज बोला तू तो शिक्षक है,भविष्य निर्माता है, देश के कर्णधार का, तू ही तो भाग्य विधाता है। नव निर्माण का लिए संकल्प, निकल पड़ा वह निर्विकल्प, राह में टकराई संचार क्रांति, बलखाती- इठलाती बोली, “मैं हूं ज्ञान का भंडार, खोल दिए हैं मैंने सफलता के सभी द्वार, तू तो है बालक नादान, पा न […] Read more » Education शिक्षक शिक्षक ने शिक्षा पा ली शिक्षा
कविता कब छलकि जाय मन की गगरी ! September 2, 2019 / September 2, 2019 by गोपाल बघेल 'मधु' | Leave a Comment कब छलकि जाय मन की गगरी, कौन जानता; वो डाल डाल पात पात, हमको नचाता !सम्बंध गाढ़े और हलके, समय ढ़ालता; अनुभव कराके नये नये, चित्त रचाता ! भोजन का भेद आत्मशोध, विचारों को शुध; दो व्यक्तियों को विलग करा, वो ही मिलाता !क्या होगा वक़्त बाद, कहाँ इंसान जानता; संस्कार भोग हमरे करा, हमको […] Read more » कब छलकि जाय मन की गगरी !
कविता पाक को चेतावनी September 2, 2019 / September 2, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment जितनी है पाक औकात तेरी,उतनी कर अब तू बात |तीन युद्ध हार चुका है,कितनी खायेगा अब तू मात || बना है तू सेना की कठपुतली,तेरे नहीं कोई साथ |ले देके एक चीन बचा है,जिससे मिलाया तूने हाथ || देता है न्यूकिल्यर की धमकी,तू उसको भी छुटा कर देख |बचेगा न तेरा कोई बन्दा,खुद गिरेबान में […] Read more » warning to pakistan पाक को चेतावनी
कविता साहित्य तुम जलाते रहे,मै जलती रही August 30, 2019 / August 30, 2019 by आर के रस्तोगी | Leave a Comment आर के रस्तोगी तुम जलाते रहे,मै जलती रही | बिन आग के ही,मै जलती रही || तुम यकीन देते रहे,मै करती रही | धोखा खाया तो,हाथ मलती रही || वादा मुझसे किया,शादी और से की | ये बात जिन्दगी में,मुझे खलती रही || तुम वादा करते रहे,और मुकरते रहे | धीरे धीरे पैरो की जमीं […] Read more » fire of love suffering