कविता क्यों सुने समाज के ताने? May 16, 2024 / May 16, 2024 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment श्रुतिकन्यालीकोट, उत्तराखंड क्यों सुने समाज के ताने?लड़ झगड़ कर बढ़ते आगे,जहां लड़के भी कुछ न पाएं,लड़कियां बढ़ती जाएं आगे,शिक्षा है उम्मीद की चाह,जिसने दिखाई एक नई राह,काम न आते घर के ताने,शिक्षा बने अनमोल तराने, लड़कों से कम मत आंको,लड़की की महत्ता को जानो,संघर्ष कर पढ़ाया खुद को,जीवन में आगे बढ़ाया खुद को,अंत में दुनिया […] Read more » Why listen to society's taunts?
कविता मेरे बापू जी के द्वारे सरे तीरथ पधारे May 9, 2024 / May 14, 2024 by नन्द किशोर पौरुष | Leave a Comment मेरे बापू जी के द्वारे सरे तीरथ है पधारे,तीरथ पधारे सबको पवन किया रे| सारे तीरथ है पधारे मेरे बापू जी के द्वारेमेरे बापू जी के द्वारे , मेरे सद्गुरु जी के द्वारेसारे तीरथ है पधारे……….गंगा यमुना सरस्वती आई, प्रयागराज जी को साथ में लाई-2सत्संग की है महिमा न्यारी (भारी), पावन कर दिए सारे|सारे तीरथ […] Read more »
कविता अन्तमुखी मैं May 6, 2024 / May 6, 2024 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment नीतू रावलगनीगांव, उत्तराखंड शोर से दूर कहीं खामोशियों में,अकेले रहना पसंद करती हूं मैं,अपनेपन या प्यार के रिश्तों से,मुझे कोई दिक्कत नहीं होती,बस मैं धोखेबाजी से डरती हूं,अंधेरा मुझे बेहद पसंद है,रोशनी से अक्सर भागती हूं,ऊंची उड़ान का सपना मेरा भी है,मगर अकेलेपन के पिंजरे में रहना,मैं ज्यादा पसंद करती हूं,दुनिया को लगता है परेशान […] Read more »
कविता शिक्षित होना बेकार नहीं May 6, 2024 / May 6, 2024 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment सपनाकपकोट, उत्तराखंड मैंने सोचा शिक्षित होना बेकार है,जिंदगी ने बताया शिक्षा ही संसार है,मैंने सोचा शिक्षा के बिना बढ़ना संभव है,समय ने बताया बिना शिक्षा जीवन असंभव है,क्योंकि जीवन का आधार ही है शिक्षा,और खुशहाली का भंडार है शिक्षा,मैंने सोचा शिक्षा बिना भी संसार है,पर जिंदगी ने बताया शिक्षा से ही राह है,अब जीवन व्यर्थ […] Read more »
कविता सबसे प्यारा नाम ‘मां’ April 29, 2024 / April 29, 2024 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment दिया दसिलाकपकोट, उत्तराखंड किसी ने पूछा जरा बताना,दुनिया का सबसे प्यारा नाम नाम,मैंने हंस कर उसे कहा,तुम्हें इतना सोचना क्यों पड़ा?वो दो अक्षर का प्यारा नाम,दुनिया जानती है वह है मां,बच्चों की खुशियों की खातिर,जग से लड़ जाती है मां,तनिक भी विपदा आए जो बच्चे पर,तो घर सर पर उठा लेती है मां,खुद भूखी रह […] Read more » The sweetest name is 'Mother'
कविता बेटी से गृहणी April 20, 2024 / April 20, 2024 by अजय एहसास | Leave a Comment एक बेटी जब ससुराल जाती है, वो बेटी का चोला छोड़गृहणी बन जाती है,जो बातें घर पर अम्मा से कहती थीससुराल में छिपा जाती है। थोड़ा सा दर्द होने परबिस्तर पकड़ने वाली बिटियाअब उस दर्द को सह जाती है,तकलीफें बर्दाश्त कर जाती हैपर किसी से नहीं बताती है। सिरदर्द होने पर जो अम्मा सेसिर दबवाती […] Read more » बेटी से गृहणी
कविता पेट्रोल पंप April 16, 2024 / April 16, 2024 by दिलीप कुमार सिंह | Leave a Comment उसे पेट्रोल पम्प मिल गया है ये सुना अभी, कैसे हुआ ये चमत्कार अवाक हैं सभी , अब और भी लघु लगने लगी है मेरी लघुता, इस पेट्रोल पंप से उसकी कितनी बढ़ेगी प्रभुता अब सालेगी न उसे कोई बात चिंता की, भले ही बाबूजी की पेंशन रहे जब-तब रुकती, क्योंकि पेट्रोल पंप को होना […] Read more »
कविता चलो एक नई शुरुआत करते हैं April 11, 2024 / April 11, 2024 by चरखा फिचर्स | Leave a Comment सिमरन सहनीमुजफ्फरपुर, बिहार चलो एक नई शुरुआत करते हैं।ज्यादा नहीं थोड़ी खुशियां बेटियों के नाम करते हैं।।ना कभी खुद को समझे कमजोर ऐसी ताकत देते हैं।सुनसान राहों में भी चल सके अकेले, ऐसी हिम्मत देते हैं।।चलो एक नई शुरुआत करते हैं।ज्यादा नहीं थोड़ी खुशियां बेटियों के नाम करते हैं।।खुल के जीने का इनको एहसास देते […] Read more » चलो एक नई शुरुआत करते हैं
कविता आज दर पर आनेवाला हर कोई मेहमान नहीं होता March 28, 2024 / March 28, 2024 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकआज दर पर आनेवाला हर कोई मेहमान नहीं होता,अब भोली सूरत दिखनेवाला भी कातिल शैतान होता! आज दोस्त व दुश्मन आसानी से पहचाने नहीं जाते,चाहे मानो या ना मानो पर साधु वेश में रावण आते! कोई भी खुशामदी दरवाजे पर आकर कहे भैया दीदी,उसके द्वारा की गई प्रशंसा से मत पसीजो बहन जी! […] Read more » आज दर पर आनेवाला हर कोई मेहमान नहीं होता
कविता मैं उम्र की उस दहलीज पर हूँ March 27, 2024 / March 27, 2024 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकमैं उम्र की उस दहलीज पर हूँजब चाह नहीं होती है नई दोस्ती करने कीकिसी अमीर ओहदेदार के पास सटकर बैठने कीकिसी पद पैसा प्रतिष्ठा वाले की खुशामद करने की! बस इतनी सी चाहत हैकि बचपन का हमउम्र साथी सलामत होऔर उनके घुटने में इतनी जरूर ताकत होकि अपने घर छत की सीढ़ी […] Read more » मैं उम्र की उस दहलीज पर हूँ
कविता ‘का’ (सीएए) का मतलब क्या होता? March 18, 2024 / March 18, 2024 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायक‘का’ (सीएए) का मतलब क्या होता?वैसा मानव जिसने धरती पर जन्म लिया थामगर पूरी वसुंधरा में नहीं था नागरिक कहीं काजिसे जद्दोजहद के बाद ‘का’ से मिली नागरिकता! वैसा मानव जो अपनी ही जन्मभूमि से कट गया थाआज से पचहत्तर वर्ष पूर्व आजादी के वक्त बँट गयाअफगानिस्तान पाकिस्तान बांग्लादेश का बना हिस्साजो सनातनी […] Read more » सीएए
कविता वो मसीहा कहाँ हैं कहाँ हैं March 13, 2024 / March 13, 2024 by राकेश कुमार सिंह | Leave a Comment यह दिलकशीयह जिस्मफरोशी का माहौलयह बद नियतीयह लुटती हुई जिंदगी का माहौलजिन्हें गुरुर खुद पर थावो मसीहा कहाँ है कहाँ है। माँ-बाप कीपैरों तले रौदी हुई पगड़ियाँये गुमराह बच्चेयह भटकती हुई नस्लें हमारीइज्जत को तार तार करते हुए लोगवो नुमाइंदे वतन के कहां हैं।वो मसीहा कहाँ है कहाँ है। ये डरे डरे से लोगये सहमी […] Read more » वो मसीहा कहाँ हैं कहाँ हैं