कविता रंग नहीं होली के रंगों में March 15, 2014 by हिमकर श्याम | 2 Comments on रंग नहीं होली के रंगों में -हिमकर श्याम- फिर बौरायी मंजरियों के बीच कोयल कूकी, दिल में एक टीस उठी पागल भोरें मंडराने लगे, अधखिली कलियों के अधरों पर पलाश फूटे या आग किसी मन में, चूड़ी की है खनक कहीं, कहीं थिरकन है अंगों में, ढोल-मंजीरों की थाप गूंजती है कानों में मौसम हो गया है अधीर, बिखर गये चहूं […] Read more » Poem on Holi रंग नहीं होली के रंगों में
कविता भोलाराम का प्रजातंत्र March 13, 2014 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment -प्रभुदयाल श्रीवास्तव- जब पवित्र पावक मनमोहक दिन चुनाव का आता है भोलाराम निकलकर घर से वोट डालने जाता है| किसे चुने या किसे वोट दें नहीं समझ वह पाता है सौ का नोट उसे जो देता वह उसका हो जाता है| दो दिन पहले तक चुनाव के लोग कई घर आते हैं लालच देकर हाथ […] Read more » poem on reality of democracy भोलाराम का प्रजातंत्र
कविता मीठी वाणी March 13, 2014 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment -प्रभुदयाल श्रीवास्तव- छत पर आकर बैठा कौवा, कांव-कांव चिल्लाया| मुन्नी को यह स्वर ना भाया, पत्थर मार भगाया| तभी वहां पर कोयल आई, कुहू कुहू चिल्लाई| उसकी प्यारी प्यारी बोली, मुनिया के मन भाई| मुन्नी बोली प्यारी कोयल, रहो हमारे घर में| शक्कर से भी ज्यादा मीठा, स्वाद तुम्हारे स्वर में| मीठी बोली वाणी वाले, […] Read more » poem on speaking मीठी वाणी
कविता फिर भी मुझे स्त्री होने का गर्व है! March 6, 2014 by अश्वनी कुमार | Leave a Comment अश्विनी कुमार हर कदम पर मुझे दबाने का प्रयास किया जा रहा है फिर भी मुझे स्त्री होने का गर्व है! सुरक्षित महसूस नहीं करती हूँ मैं इस सभ्य समाज में फिर भी मुझे स्त्री होने का गर्व है! मुझे इस पुरुष प्रधान समाज में उपभोग की वस्तु समझा जा रहा है फिर भी मुझे […] Read more »
कविता जय हो पण्डित लेखराम February 27, 2014 by विमलेश बंसल 'आर्या' | 1 Comment on जय हो पण्डित लेखराम -विमलेश बंसल ‘आर्या’- जन्म लिया था रावलपिंडी, पाढीवार के कुहुटा ग्राम-2। तारा का अनमोल सितारा, जय हो पंडित लेखराम-2॥ 1. थे पंडित, विद्वान, साहसी, सच्चे देशभक्त प्यारे। तारा सिंह के पुत्र प्यारे, मां की आँखों के तारे। संस्कृत, हिंदी में पारंगत, फ़ारसी, उर्दू बनी हमांम॥ तारा का अनमोल सितारा… 2 एक दिवस पढ़ रहे मदरसे, घटना […] Read more » poem on Pandit Lekhram जय हो पण्डित लेखराम
कविता सरफरोशी की तमन्ना अब बड़़ी मुश्किल में है February 27, 2014 by सिद्धार्थ मिश्र “स्वतंत्र” | Leave a Comment – सिद्धार्थ मिश्र “स्वतंत्र”- सरफरोशी की तमन्ना को बिस्मिल जी ने किस मनोभाव में लिखा होगा… कभी गौर से पढ़िये तो एक एक शब्द एक शहादत की कहानी कहता मिलेगा, लेकिन आज कहां लुप्त है हमारा सरफरोशी का ये भाव… एक बार सोचिये… आज हालात कुछ यूं है- सरफरोशी की तमन्ना अब बड़़ी मुश्किल […] Read more » poem on national integrity सरफरोशी की तमन्ना अब बड़़ी मुश्किल में है
कविता जय हो देव दयानंद की February 22, 2014 by विमलेश बंसल 'आर्या' | Leave a Comment महर्षि दयानंद सरस्वती के जन्म दिवस व बोध दिवस पर विशेष -विमलेश बंसल ‘आर्या’- जय हो देव दयानंद की, आनंद की करुणानंद की। कर्षन जी घर निकला सूरज, धन्य हो गई टंकारा रज। नाम था उसका शंकर मूल, शारीरिक शौष्ठव ज्यों फ़ूल। शिव रात्रि का पर्व था आया, पिता ने व्रत उपवास कराया। बालक मूल […] Read more » maharshi dayanand saraswati जय हो देव दयानंद की
कविता मोदी के मतवाले, राहुल के रखवाले, अरविंद के अराजक February 21, 2014 by बीनू भटनागर | 6 Comments on मोदी के मतवाले, राहुल के रखवाले, अरविंद के अराजक मोदी के मतवाले मोदी के मतवाले गुजरात विकास दिखाते हैं, गुजरात विकास के नारे मे, गांवों को बिसराते हैं। अंबानी और अदानी के बल पर, चाय चौपाल लगाते हैं। भाषण तो बहुत देते हैं, इतिहास भूगोल भुलाते हैं, नालंदा को तक्षशिला , तक्षशिला को नांलंदा , पंहुचाते हैं। इतिहास की किताबों मे, बापू की पुण्य […] Read more » political poem अरविंद के अराजक मोदी के मतवाले राहुल के रखवाले
कविता “आह्वान” February 15, 2014 by प्रवीण कुमार | Leave a Comment -प्रवीण कुमार- सत्य को देखा कारागार में, न्याय विवश हो विलख पड़ा। भड़ी सभा में नग्न पुण्य भी, पाप के आगे विवश खड़ा। चना अकेला भाड़ क्या फोड़े, निर्बल दुःख को मौन सहा। क्रूर छली का पाकर सम्बल, ढोंग यथार्थ को दबा गया । प्रश्न नहीं तिल -तिल मरने का, चाह नहीं इस जीवन का। राह देखता व्यथित बिबस मन, महाप्रलय के आने का। पापी -जन का ह्रदय हिला दे, हो महाकाल का गर्जन घोर। कब सुनु मैं क्रूर का क्रंदन ,जिससे नाचे मन का मोर? अनिवार्य धरती का शोधन, कोई नहीं अब अन्य सहारा। मक्कारो की मक्कारी से ,विवश है शायद प्रभु हमारा। मोह नहीं अब जीवन -सुख का, चाह नहीं कुछ पाने का। राह देखता व्यथित बिबस मन ,महाप्रलय के आने का। मायापति भी देख चकित है, कलुषित बल की काली सत्ता। गम पीकर भी बेजुबान जन, भय से बल की गाए महत्ता। जब देवतत्व उपकार के बदले, क्रूर प्रपंच का प्रतिफल पाया। कैसे किस पर दया दिखाएं, दयानिधि को समझ न आया। जब छल -प्रपंच से दुखी प्रभु का, हुआ राह बंद फिर आने का। राह देखता व्यथित बिबस मन, महाप्रलय के आने का। आदर्श भरी बातों के भ्रम से, है भ्रम फैला उजियाले का। भयभीत मन में झांख के देखो, है व्यकुलता अंधियारे का। जीवन जीने के खातिर बेबस, हो बेजुबान गम छिपा लिया। नकली जीवन जी-जीकर, नकलीपन में जीवन बिता दिया। मोह नहीं बेबस जीवन का, मुझे चाह नहीं नकलीपन का। राह देखता व्यथित बिबस मन, महाप्रलय के आने का। न्याय,दया के माया जाल से ,पूरे जग को भ्रमित किया । अत्याचार के तांडव पर भी , गूंगा रहने पर विवश किया। मौन दर्द पी सकता निर्बल, पर दर्द समझता खेवनहार । जीवन मोह से बिबस है जन पर, […] Read more » "आह्वान" poem on truth
कविता प्रेम और केवल प्रेम … February 15, 2014 by लक्ष्मी नारायण लहरे कोसीर पत्रकार | Leave a Comment आज कुछ बात मन को हिलाकर रख दिया बीते लम्हों को उमंगित कर मजबूर कर दिया सोचा नहीं था मुलाकात होगी तुमसे आज ” गांवली ” पास जाकर यकीन हुआ … मेरा तुमसे मुलाक़ात होना प्यार भरा वो पल केवल प्रेम और केवल प्रेम था Read more » poem प्रेम और केवल प्रेम ...
कविता खुशियों को साथ लेकर आती हैं बेटियां February 13, 2014 by राजेश त्रिपाठी | Leave a Comment -राजेश त्रिपाठी- मात-पिता का गौरव बन चंदा सा चमके। जिसके यश का सौरभ सारे जग में महके।। घर की सुंदर अल्पना, देवों का वरदान। बेटी तो है घर में खुशियों की पहचान।। घर-घर में दीप खुशी के जलाती हैं बेटियां। धनवान हैं वे जिनके घर आती हैं बेटियां।। बेटी है नाम ममता का समता का […] Read more » poem on daughthers खुशियों को साथ लेकर आती हैं बेटियां
कविता आओ मनायें ऐसे होली February 12, 2014 by विमलेश बंसल 'आर्या' | Leave a Comment -होली पर विशेष- गली-गली और नगर-नगर में आर्यों की बन निकले टोली। सबको वैदिक रंग में रंगकर आओ हम सब खेलें होली॥ 1. खुश्बू के शीतल चंदन से, हर मस्तक पर रंगकर रोली। प्यार प्रीति की रीति निभाकर, चलें साथ बनकर हमजोली॥ 2. घृणा, द्वेष, नफरत को मिटाकर, रूठों को भी आज मनाकर। बाहों में […] Read more » Poem on Holi आओ मनायें ऐसे होली