कविता भजन: गुरु का सहारा May 19, 2025 / May 19, 2025 by नन्द किशोर पौरुष | Leave a Comment ruguruतर्ज: एक तेरा साथ हमको दो जहाँ से _ दोहा: गुरु बिन भव निधि तरहिं न कोई,जो विरंच शंकर सम होई। मु: थाम लो गुरुवर हाथ, आसरा तुम्हारा है।एक साधक ने पुकारा है, तेरा ही सहारा है।।थाम लो गुरुवर हाथ __ अंत १: दे दिया है हाथ, अब तेरे हाथों में हमने अपना।तुमने ही बतलाया […] Read more » गुरु का सहारा
कविता भजन: बरसाने की लट्ठा होली May 19, 2025 / May 19, 2025 by नन्द किशोर पौरुष | Leave a Comment तर्ज: ब्रज लोक गीत मु: होली खेलन आयौ श्याम,आज बरसाने की गलियन में।।होली खेलन आयो श्याम -२ अंत १:ग्वाल बालों के टोला संग आयौ।पोटली भर के सब रंग है लायौ।।सीधी सुरति लगायी है सबने।मि: पहुंचे हैं बरसाने गाँव।होली खेलन आयौ श्याम, अंत २: बरसाने की सब सखियाँ आयींसंग में राधाजू को हैं लायींमि: ज्यों ही […] Read more » Barsana's Latha Holi बरसाने की लट्ठा होली
कविता देश की पीठ में खंजर May 18, 2025 / May 22, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment गद्दारों की बिसात बिछी, देश की मिट्टी रोती है,सीमा के प्रहरी चीख उठे, जब अंदर से चोट होती है।ननकाना की राहों में छुपा, विश्वास का बेईमान,पैसों की खातिर बेच दिया, अपना पावन हिंदुस्तान।मंदिर-मस्जिद की आड़ में, देशद्रोह का बीज पनपता,सोने की चिड़िया का कंठ घुटा, जब अंदर से लहू बहता। ज्योति ने छल की ज्वाला […] Read more » देश की पीठ में खंजर
कविता युद्ध से युद्धविराम तक May 11, 2025 / May 11, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment रक्त से लथपथ इतिहास,धधकते ग़ुस्से की ज्वाला,सरहदों पर टकराती हैं चीखें,जिन्हें सुनता कौन भला? वो शहादतें, वो बारूदी हवाएँ,टूटते काफिले, बिखरते सपने,दिल्ली से कराची तक,हर घर में गूँजती कराहें। मटमैली लहरों में घुला लाल,सिंधु का मौन, झेलम की पुकार,दूर कहीं बंकरों में सुलगते हैं रिश्ते,धरती माँ की बिंधी मांग की तरह। लेकिन फिर भी,आसमान में […] Read more » From war to ceasefire युद्ध से युद्धविराम तक
कविता दम है तो तो फिर कहना—”मोदी को बता देना।” May 9, 2025 / May 11, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment आता हमें हर शत्रु को जड़ से मिटा देना,दम है तो तो फिर कहना—”मोदी को बता देना।”कलमा पढ़कर बना मुल्क, बलमा बना मुनीर,घर में घुसकर हुआ हलाला, चाहते है कश्मीर। बाल न बांका कर सके, रच कितने दुष्चक्र,हिंद के रक्षक जब बने, हरी-सुदर्शनचक्र।शांति लगे जब दाव पर, हम भी करते युद्ध,कृष्ण बने अब सारथी, नहीं […] Read more » “Tell this to Modi.” If you have the courage then say मोदी को बता देना
कविता सिंदूर तो सिर्फ झांकी है, मेहंदी और हल्दी बाकी है May 8, 2025 / May 8, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment ** सिर्फ सिंदूर से क्या होगा,आग अभी सीने में बाकी है।खून में जो लावा बहता है,उसमें हल्दी की तासीर बाकी है। फिर से हवाओं को रुख देना है,इंकलाब की आंधी बाकी है।धधकते शोलों में रंग भरना है,अभी मेहंदी की सरगर्मी बाकी है। रास्तों पर बिछी हैं दीवारें,पर हमारे इरादों की ऊँचाई बाकी है।सिर्फ झांकी दिखी […] Read more » mehndi and turmeric are still left of operation sindoor operation sindoor Sindoor is just a glimpse सिंदूर तो सिर्फ झांकी है
कविता भजन: राधे कृष्णा May 3, 2025 / May 3, 2025 by नन्द किशोर पौरुष | Leave a Comment तर्ज: ब्रज रसिया मु: जय जय राधे श्याम सावरिया,मन में सुमिरन करि लै।मन में सुमिरन करि लै,तू अपने ह्रदय मजि लै।जय जय राधे श्याम सावरिया _ अंत १ : बड़ी दयालु हैं राधा रानी,इन् से चलती प्रेम कहानी।मि: प्रेम जगत का सार,तू मोह माया तजि लैजय जय राधे श्याम सावरिया _ अंत २ : नटवर […] Read more »
कविता अक्षय तृतीया 🌼 April 29, 2025 / April 29, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment वैशाख की उजली बेला आई,धूप सुनहरी देहरी पर छाई।अक्षय तृतीया का मधुर निमंत्रण,पुण्य-सुधा में डूबा आचमन। न मिटने वाला पुण्य का सूरज,हर मन में भर दे स्वर्णिम किरण।सच की थाली, धर्म का दीपक,दान की बूंदें, जीवन समर्पण। परशुराम की वीरगाथा बोले,गंगा की लहरें चरणों में डोले।युधिष्ठिर को अक्षय पात्र मिला,सत्य का दीप फिर से खिला। […] Read more » अक्षय तृतीया
कविता जातिवाद और साम्प्रदायिकता का जहर इस कदर फैला April 25, 2025 / April 25, 2025 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकजातिवाद और साम्प्रदायिकता का जहर इस कदर फैलाकि भारत माता का आंचल हो गया दागदार व मटमैलाआज आरक्षण व अन्य सुविधाएँ इसी आधार से मिलतीमगर देश को जाति व साम्प्रदायिक व्यवस्था ही छलती! जातिवाद व साम्प्रदायिकता को नियंत्रित करना ही होगाभारत के खिलाफ साजिश करनेवाले को मसलना ही होगाये नहीं हो सकता कि […] Read more » The poison of casteism and communalism spread to such an extent
कविता मुस्कान का दान April 25, 2025 / April 25, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment कभी किसी शाम की थकी हुई साँसों में,तुम्हारा एक हल्का सा “कैसे हो?” उतरता है —जैसे रेगिस्तान में कोई बूँद गिर जाए,जैसे सूनी आँखों में उम्मीद फिर गहराए। दान क्या है?सिर्फ अन्न, जल, या स्वर्ण की गाथा नहीं,कभी-कभी वक्त का दिया पल भीकिसी की टूटती दुनिया की परिभाषा बदल देता है। तुम जब अनकहे दर्द […] Read more » gift of smile\
कविता मैं और मेरी अलमारी में बंद किताबें ! April 24, 2025 / April 24, 2025 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment मैं और मेरी अलमारी में बंद किताबें ! आत्माराम यादव मैं बचपन से ही किताबों से बहुत प्रेम करता हूं, पहले लोटपोट, मधुर मुस्कान, नंदन गुडिया जैसी किताबों का चस्का लगा था धीरे धीरे सरिता,कादम्बिनी, माया निरोगधाम जैसी पत्रिकाओं का शौक मुझे सातवें आसमान पर पहुंचा देता था। किताबें पढ़ने के जुनून ने 10 साल […] Read more » मैं और मेरी अलमारी में बंद किताबें
कविता अभी तो मेंहदी सूखी भी न थी April 23, 2025 / April 23, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment — पहलगाँव हमले पर एक कविता अभी तो हाथों से उसका मेंहदी का रंग भी नहीं छूटा था,कलाईयों में छनकती चूड़ियाँ नई थीं,सपनों की गठरी बाँध वो चल पड़ा था वादियों में,सोचा था — एक सफर होगा, यादों में बस जाने वाला। पर तुम आए —नाम पूछा, धर्म देखा, गोली चलाई!सर में…जहाँ शायद अभी भी […] Read more » terrorist attack in pahalgaon अभी तो मेंहदी सूखी भी न थी