कविता
शिवरात्रि
/ by डॉ राजपाल शर्मा 'राज'
प्यार क्या है, त्याग क्या है?इश्क का ये राग क्या है?दिल में हो गहरी जो कूवत,तो रेख क्या है, भाग क्या है? एक बार इक राजकुमारी,गौरी, सुंदर, अद्भुत प्यारी।लज्जाशील, कोमल, सुवर्णी,पंकजपाद, वदनसम तरणि।देख जिसे निशिकर शर्माये,तेज पवन छूते घबराए।मात-पिता की राजदुलारी,सुनयनी, सत्या, सुकुमारी। सारे सुख थे राजमहल के,सुवर्ण पलंग तकिये मखमल के।हाथी, घोड़े, दास और […]
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