लेख साहित्य मानव शरीर की सार्थकता August 17, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी एक जीव के लिये मनुष्य शरीर एक अलभ्य अवसर होता है! इस का सदुपयोग करने से वह जीवन लक्ष्य को प्राप्त करता हुआ परम शान्ति का अधिकारी बन सकता है, किन्तु यदि वह इस अवसर को व्यर्थ गँवाता है अथवा दुरुपयोग करता है तो फिर नरक की यातनायें मिलती हैं और चौरासी […] Read more » the importance of human body मानव शरीर
लेख साहित्य देशभक्ति और कृष्णभक्ति के पर्व हैं स्वतंत्रता दिवस और जन्माष्टमी August 14, 2017 / August 18, 2017 by ब्रह्मानंद राजपूत | Leave a Comment (71वें स्वतंत्रता दिवस और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर विशेष आलेख) इस साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी दोनों साथ-साथ पडे हैं, दोनों पर्वों का अपना-अपना महत्व है। एक पर्व स्वतंत्रता दिवस है जो कि हमारा राष्ट्रीय पर्व है, इसी दिन हमारा हिन्दुस्तान आज से 70 साल पहले 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से […] Read more » कृष्णभक्ति जन्माष्टमी देशभक्ति स्वतंत्रता दिवस
लेख साहित्य ग्रामीण पत्रकारिता में जनक एक स्वतंत्रता सेनानी पं.गोपालकृष्ण पुराणिक August 9, 2017 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव मैं जब पोहरी के आदर्श विद्यालय में कक्षा पांच से नवीं तक पढ़ा, तब पत्रकारिता में मेरा ज्ञान शून्य था। जबकि मैं उस महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और ग्रामीण पत्रकारिता के प्रमुख जनकों में एक पं गोपालकृष्ण पुराणिक द्वारा स्थापित विघालय में पढ़ता था। यह कालखंड 1964 से 1969 के बीच का रहा […] Read more » Featured पं.गोपालकृष्ण पुराणिक स्वतंत्रता सेनानी स्वतंत्रता सेनानी पं.गोपालकृष्ण पुराणिक
लेख कर्मण्येवाधिकारस्ते August 6, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment आचार्य राधेश्याम द्विवेदी कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि ॥ श्रीमद् भगवत गीता के अध्याय दो के 47वें श्लोक का अर्थ होता है कि कर्तव्य कर्म करने में ही तेरा अधिकार है फलों में कभी नहीं. अतः तू कर्मफल का हेतु भी मत बन और तेरी अकर्मण्यता में भी आसक्ति न हो. इस […] Read more » कर्मण्येवाधिकारस्ते
लेख साहित्य पुस्तकालय व्यवसाय नहीं सेवा है August 3, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी एक व्यवसाय के रुप में पुस्तकालयाध्यक्षता (लाइब्रेरियनशिप) रोजगार के विविध अवसर प्रदान करती है। पुस्तकालय तथा सूचना.विज्ञान में आज करियर की अनेक संभावनाएं हैं। अर्हताप्राप्त लोगों को विभिन्न पुस्तकालयों तथा सूचना केन्द्रों में रोजगार दिया जाता है। प्रशिक्षित पुस्तकालय व्यक्ति अध्यापक तथा लाइब्रेरियन दोनों रूप में रोजगार के अवसर तलाश कर सकते […] Read more » पुस्तकालय
लेख साहित्य समकालीन साहित्य July 25, 2017 by बीनू भटनागर | Leave a Comment साहित्यकारों के कुछ प्रिय विषय हैं,जिन्हे बार बार लिखकर उन्हे सार्वभौमिक सत्य की तरह प्रस्तुत किया जा रहा है।सार्वभौमिक सत्य वह होते हैं जो हर काल में, हर स्थान पर खरे उतर सकते हों ।एक ही बात को बार बार कहा जाय तो वह सार्वभौमक सत्य लग सकती है, हो नहीं सकती ।कुछ विषय ऐसे हैं जिन पर जिन पर लिख […] Read more » समकालीन साहित्य
लेख साहित्य भारत का सैन्य विज्ञान और हाइफा के बलिदानी July 10, 2017 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment मेरा भारत महान है, क्योंकि वह सत्य, संयम, दृढ़ता, पवित्रता और अमृत की रक्षा का शिवसंकल्प लेकर विजयपथ पर आगे बढ़ता है। मि. वार्ड जैसे विदेशी लेखक का कथन है कि हिंदू लोग युद्घकला का बार-बार निरीक्षण करते थे, अर्थात समय समय पर युद्घ का अभ्यास करते थे। यह सुनिश्चित है कि हिन्दू राजा युद्घ के समय अपनी सेना का स्वयं नेतृत्व करते थे और इस कार्य को संपादित करने के लिए उन्हें सैन्य-विज्ञान की शिक्षा दी जाती थी। Read more » Featured भारत का सैन्य विज्ञान हाइफा हाइफा के बलिदानी
लेख साहित्य भारतीय योद्धाओं के बलिदान ने लिखी इजरायल की आजादी की इबारत July 7, 2017 by लोकेन्द्र सिंह राजपूत | Leave a Comment हाइफा पहुँचने के बाद जब ब्रिटिश सेना को दुश्मन की मोर्चाबंदी और ताकत के बारे में पता चला तब ब्रिगेडियर जनरल एडीए किंग ने सेना को वापस बुला लिया था। ब्रिगेडियर का निर्णय उचित ही था, क्योंकि तुर्की की सेना सुरक्षित और युद्ध की दृष्टि से लाभप्रद स्थिति में थी। परंतु, भारतीय योद्धा सेना को वापस बुलाने के निर्णय से खुश नहीं थे। उन्होंने कहा कि 'हम अपने देश में किस मुंह से जाएंगे। अपने देश की जनता को कैसे बताएंगे कि शत्रु के डर से मैदान छोड़ दिया। Read more » Featured इजरायल भारतीय सैनिकों के शौर्य माउंट कार्मल मेजर दलपत सिंह शेखावत हाइफा युद्ध
लेख साहित्य ऋषि दयानन्द और आर्यसमाज की देश की आजादी में भूमिका July 4, 2017 by मनमोहन आर्य | Leave a Comment मनमोहन कुमार आर्य ऋषि दयानन्द (1825-1883) के समय में देश एक ओर जहां अज्ञान, अन्धविश्वास, पाखण्ड, मिथ्या परम्पराओं व अनेकानेक सामाजिक बुराईयों से ग्रस्त था वहीं दूसरी ओर इन्हीं कारणों से वह विगत सात सौ से कुछ अधिक वर्षों से पराधीनता के जाल में भी फंसा हुआ था। ऋषि दयानन्द वेदों के उच्च कोटि विद्वान […] Read more » Featured आर्यसमाज की देश की आजादी में भूमिका ऋषि दयानन्द
लेख साहित्य सावधानी हटी – दुर्घटना घटी July 4, 2017 by डा. अरविन्द कुमार सिंह | Leave a Comment साहसिक साईकिल अभियान – वाराणसी से खुजराहों डा. अरविन्द कुमार सिंह, पूर्व एनसीसी अधिकारी नम्बर पन्द्रह हमेशा कष्ट में रहा। पन्द्रह नम्बर पर उसका होना उसके कष्ट से बरी हो जाने का बहाना कभी नहीं बना। कष्ट उसकी नियत थी, संयोग नहीं। पन्द्रह नम्बर से इस लेख की शुरूआत का मात्र कारण इतना है कि […] Read more » Featured साहसिक साईकिल अभियान
लेख फेसबुक पर सात साल June 26, 2017 by बीनू भटनागर | 5 Comments on फेसबुक पर सात साल लगभग सात साल से फेसबक से जुड़ी हूँ। फेसबुक के माध्यम से ही हिन्दी साहित्य की समकालीन गतिविधियों की जानकारी मिली और इसी के माध्यम से आज के साहित्यकारों से व उनकी लेखनी से परिचय हुआ।हिन्दी में आज भी बहुत अच्छा लिखा जा रहा है परन्तु जनमानस का रुझान हिन्दी से इतना हटा है […] Read more » फेसबुक पर सात साल
लेख शख्सियत क्षणजन्मा डॉक्टर हेनरी नॉर्मन बेथुन June 22, 2017 / June 22, 2017 by गंगानन्द झा | Leave a Comment किताब चलते रहने का हौसला पैदा करती है, रास्ता दिखाती है और कभी कभी हमारा रास्ता रोककर खड़ी हो जाती है। — अनाम कभी कभार ही ऐसा होता है कि आपके हाथ ऐसी किताब लग जाए जो सालों बीत जाने पर भी आपकी चेतना को संस्कार-मण्डित करती रहती है और सदा के लिए महत्वपूर्ण […] Read more » Featured हेनरी नॉर्मन बेथुन