लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-38 January 16, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का छठा अध्याय और विश्व समाज आत्म कल्याण कैसे सम्भव है संसार के लोग अपने आप पर अपनी ही नजरें नहीं रखते। मैं क्या कर रहा हूं? मुझे क्या करना चाहिए? ऐसी दृष्टि उनकी नहीं होती। वह ये सोचते हैं कि मैं जो कुछ कर रहा हूं-उसे कोई नहीं […] Read more » Featured कर्मयोग गीता गीता का कर्मयोग गीता का छठा अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-37 January 15, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का छठा अध्याय और विश्व समाज योगेश्वर श्रीकृष्णजी ऐसे पाखण्डियों के विषय में कह रहे हैं कि ऐसे लोग किसी रूप में ना तो योगी हैं ना ही संन्यासी हैं और उनके भगवान होने का तो कोई प्रश्न ही नहीं है। श्रीकृष्णजी योगी या संन्यासी होने के लिए कह […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग
लेख साहित्य मोटापा वीरस्य भूषणम January 15, 2018 by अमित शर्मा (CA) | Leave a Comment अमित शर्मा (CA) मोटापा ऊपरवाले की देन है जिसे वो आलस और पेटूपन जैसे अपने अंडरकवर एजेंट्स की सहायता से धरती पर रवाना करता है। मोटापा भले ही ऊपरवाले की देन हो लेकिन इस दैवीय देन को किसी दैवीय प्रकोप की देनदारी से बचाए रखने के लिए देना बैंक की नहीं बल्कि ‘लेना बैंक’ की […] Read more » मोटापा वीरस्य भूषणम
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-36 January 11, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता का छठा अध्याय और विश्व समाज गीता का छठा अध्याय कर्म के विषय में महर्षि दयानन्द जी महाराज ने ‘आर्योद्देश्यरत्नमाला’ में लिखा है- ”जो मन, इन्द्रिय और शरीर में जीव चेष्टा करता है वह कर्म कहाता है। शुभ, अशुभ और मिश्रित भेद से तीन प्रकार का है।” कर्म के विषय में […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का कर्मयोग और आज का विश्व
लेख गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-35 January 11, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का पांचवां अध्याय और विश्व समाज गीता का भूतात्मा और पन्थनिरपेक्षता गीता ने सर्वभूतों में एक ‘भूतात्मा’ परमात्मा को देखने की बात कही है। वह भूतात्मा सभी प्राणियों की आत्मा होने से भूतात्मा है। सब भूतों में व्याप्त है भूतात्मा एक। परमात्मा कहते उसे आर्य लोग श्रेष्ठ।। मनुष्य जाति […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का कर्मयोग और आज का विश्व
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-34 January 9, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता का पांचवां अध्याय और विश्व समाज ये चारों बातें कर्मयोगियों के भीतर मिलनी अनिवार्य हैं। यदि कोई व्यक्ति द्वैधबुद्घि का है, अर्थात द्वन्द्वों में फंस हुआ है तो वह हानि-लाभ, सुख-दु:ख, यश-अपयश आदि के द्वैध भाव से ऊपर उठ ही नहीं पाएगा। वह इन्हीं में फंसा रहेगा और इन्हीं में फंसा […] Read more » Featured karmayoga of geeta todays world आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-33 January 9, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का पांचवां अध्याय और विश्व समाज इस आत्मविनाश और आत्मप्रवंचना के मार्ग को सारा संसार अपना रहा है। रसना और वासना का भूत सारे संसार के लोगों पर चढ़ा बैठा है। इसके उपरान्त भी सारा संसार कह रहा है कि मजा आ गया। इस भोले संसार को नहीं पता […] Read more » Featured karmayoga of geeta todays world आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-32 January 6, 2018 / January 8, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य गीता का पांचवां अध्याय और विश्व समाज भारत ने ऐसे ही समदर्शी विद्वानों को उत्पन्न करने का कारखाना लगाया, और उससे अनेकों हीरे उत्पन्न कर संसार को दिये। भारत के जितने भर भी महापुरूष, ज्ञानी-ध्यानी तपस्वी, साधक, और सन्त हुए हैं वे सभी इसी श्रेणी के रहे हैं। इन लोगों ने गीता […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग गीता का पांचवां अध्याय विश्व समाज
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-31 January 6, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का पांचवां अध्याय और विश्व समाज वह इनके बीच में रहता है, पर इनके बीच रहकर भी इनके दुष्प्रभाव से या पाप पंक से स्वयं को दूर रखने में सफल हो जाता है। श्रीकृष्णजी अर्जुन से कह रहे हैं कि जो कर्मयोगी नहीं है, वह कामना के वशीभूत होकर […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग
लेख साहित्य सांझ सकारे सूर्योदय January 5, 2018 by अरुण तिवारी | Leave a Comment बच्चों और बुजुर्गों के साझे और संवाद को प्रेरित करता एक प्रसंग अरुण तिवारी राजनाथ शर्मा, वैसे तो काफी गंभीर आदमी थे। लेकिन जब से पचपन के हुए, उन पर अचानक जैसे बचपन का भूत सवार हो गया। जब देखो, तब बचपन की बातें और यादें। रास्ते चलते बच्चों को अक्सर छेड़ देते। रोता हो, तो हंसा […] Read more » सांझ सकारे सूर्योदय
आर्थिकी लेख विश्व व्यापार संगठन और भारतीय कृषि January 3, 2018 by दुलीचंद कालीरमन | Leave a Comment दुलीचन्द रमन 164 सदस्य देशों वाले विश्व व्यापार संगठन का 11वां मंत्री स्तरीय सम्मेलन अर्जेटिना के ब्यूनेस आयर्स में 13 दिसंबर 2017 को सम्पन्न हो गया। इस सम्मेलन के नतीजों का आंकलन करें तो इस विश्व संस्था के भविष्य पर सवालिया निशान लग जाते है। विश्व व्यापार संगठन के आलोचकों ने 1995 में इसके गठन […] Read more » Indian Agriculture World Trade Organization भारतीय कृषि विश्व व्यापार संगठन
लेख साहित्य गीता का कर्मयोग और आज का विश्व, भाग-30 January 3, 2018 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment राकेश कुमार आर्य   गीता का पांचवां अध्याय और विश्व समाज कर्मयोग श्रेष्ठ या ज्ञानयोग श्रेष्ठ है जैसे आजकल विभिन्न सम्प्रदायों की तुलना करते समय एक तथाकथित धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति सभी धर्मों अर्थात सम्प्रदायों को श्रेष्ठ बताकर अपना पल्ला झाड़ लेता है और वह उनमें से किसी के भी अनुयायी या मानने वाले को निराश […] Read more » Featured geeta karmayoga of geeta आज का विश्व गीता गीता का कर्मयोग