लेख शख्सियत साहित्य कविवर टैगोर : कुछ विवाद – कुछ प्रवाद May 4, 2017 by डा. रवीन्द्र अग्निहोत्री | Leave a Comment रवीन्द्र नाथ टैगोर (7 मई 1861–7 अगस्त 1941), जिन्हें आधुनिक भारत में “ गुरुदेव “ का सम्मान मिला, ऐसे महाकवि, जिन्हें साहित्य का नोबल पुरस्कार मिला, विश्व के एकमात्र ऐसे कवि जिनके लिखे गीतों को दो भिन्न देशों में “राष्ट्रगान “ का सम्मान मिला, बहु-आयामी व्यक्तित्व के ऐसे धनी जो हर आयाम में शिखर […] Read more » Featured Guru Rabindra Nath tagore गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर टैगोर
कला-संस्कृति लेख साहित्य हिंदू – इस्लामिक पूजा गृह May 4, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी प्रारम्भिक इतिहास :-हिंद इस्लामिक वास्तुकला का प्रारंभ 12वीं शताब्दी के अंत में भारत पर विदेशी कब्ज़े से हुआ। मुसलमानों को सासानी और बिज़ेन्टाइन साम्राज्यों से विभिन्न योजनाओं का खज़ाना विरासत में मिला । सुरूचिपूर्ण इमारतों होने के कारण उन्होंने जिस भी देश पर कब्ज़ा किया, वहां की स्थानीय वास्तुकला को अपने अनुकूल […] Read more » हिंदू - इस्लामिक पूजा गृह
लेख साहित्य बुढ़िया का ताल: ताल भी,एत्माद्खान का मण्डप निवास भी May 2, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी आगरा की भूमि मुगलकालीन राजाओं,बेगमों उच्च पदस्थ लोगों तथा साधु महात्माओं के स्मारकों, महलों ,बाग बगीचों व बगीचियों से भरी पड़ी है।मुगल पूर्व बागों में कैलाश, रेनुकता, सूरकुटी, बृथला व बुढ़िया का ताल आदि प्रमुख हैं। मुगलकालीन बागों की एक लम्बी श्रृंखला यहां देखने को मिलती है।ये मुख्यतः तीन प्रकार के होते […] Read more » बुढ़िया का ताल
लेख साहित्य सबके आदर्श हैं भगवान परशुराम April 28, 2017 by डाॅ. कृष्णगोपाल मिश्र | Leave a Comment राष्ट्रकवि दिनकर ने सन् 1962 ई. में चीनी आक्रमण के समय देश को ‘परशुराम की प्रतीक्षा’ शीर्षक से ओजस्वी काव्यकृति देकर सही रास्ता चुनने की प्रेरणा दी थी। युगचारण ने अपने दायित्व का सही-सही निर्वाह किया, किन्तु राजसत्ता की कुटिल और अंधी स्वार्थपूर्ण लालसा ने हमारे तत्कालीन नेतृत्व के बहरे कानों में उसकी पुकार ही नहीं आने दी। पाँच दशक बीत गये। इस बीच एक ओर साहित्य में परशुराम के प्रतीकार्थ को लेकर समय≤ पर प्रेरणाप्रद रचनायें प्रकाश में आती रहीं और दूसरी ओर सहस्रबाहु की तरह विलासिता में डूबा हमारा नेतृत्व राष्ट्र-विरोधी षडयन्त्रों को देश के भीतर और बाहर--दोनों ओर पनपने का अवसर देता रहा। परशुराम पर केन्द्रित साहित्यिक रचनाओं के संदेश को व्यावहारिक स्तर पर स्वीकार करके हम साधारण जनजीवन और राष्ट्रीय गौरव की रक्षा कर सकते हैं। Read more » भगवान परशुराम
कला-संस्कृति लेख साहित्य अयोध्या से दक्षिण कोरिया का अटूट पौराणिक सम्बन्ध April 28, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति किम देई जुंग और पूर्व प्रधानमंत्री हियो जियोंग और जोंग पिल किम कारक वंश से ही संबंध रखते थे। कारक वंश के लोगों ने उस पत्थर को भी सहेज कर रखा है जिसके विषय में यह कहा जाता है कि अयोध्या की राजकुमारी सुरीरत्ना अपनी समुद्र यात्रा के दौरान नाव का संतुलन बनाए रखने के लिए उसे रखकर लाई थी। किमहये शहर में राजकुमारी हौ की प्रतिमा भी है। कोरिया में रहने वाले कारक वंश के लोगों का एक समूह हर साल फरवरी-मार्च के दौरान राजकुमारी सुरीरत्ना की मातृभूमि पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने अयोध्या आता है। Read more » अयोध्या दक्षिण कोरिया राजकुमारी सुरीरत्ना
लेख साहित्य राष्ट्रभाषा ही आत्मीय संस्कृति की अस्मिता की जनक । April 25, 2017 / April 25, 2017 by प्रो. पुष्पिता अवस्थी | Leave a Comment यूरोप के किसी देश में, यह फ्रांस हो या जर्मनी, स्पेन हो या पुर्तगाल, नीदरलैंड हो या पोलैंड । इन देशों में भारतवंशी जब आपस में मिलेंगे तो हिंदुस्तानी में वैसेही बातें करेंगे जिस तरह फ्रेंच से फ्रेंच और जर्मन से जर्मन बिना किसी हीनता ग्रंथि के आपस में संवाद करते हैं । भारतवंशियों को हिंदी भाषा परिवार की बोलियां उसी कोटि की हैं । जैसे फ्रेंच- जर्मन और डच भाषा परिवार की बोलियां । लेकिन यूरोप सहित विश्व के किसी भी देश में यदि कोई 15 - 20 वर्ष से रह रहा भारतीय किसी दूसरे भारतीय से मिलेगा तो वह अंग्रेजी में बातें करेगा। यह कहना अतिशयोक्ति न होगा कि यूरोप सहित अन्य देशों में भारतीयों के कारण हीअंग्रेजी बसर कर रही है ,उस देश के आम नागरिकों के कारण नहीं। Read more » Featured आत्मीय संस्कृति की अस्मिता की जनक । राष्ट्रभाषा
लेख साहित्य सिकंदर लोदी बारादरी पर मरियम उज-जमानी का मकबरा April 23, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment शाहजहां ने अपनी प्रेमिका मुमताज के लिए ताजमहल बनवाया, तो वहीं शाहजहां के पिता जहांगीर ने अपनी मां की याद में एक भव्य स्मारक बनवाया। नेशनल हाईवे दो पर अकबर टॉम्ब से महज 500 मीटर की दूरी पर यह मथुरा सड़क पर बायीं ओर तथा अकबर का मकबरा, सिकंदरा से पश्चिम की ओर मरियम का मकबरा स्थित है। मरियम उज-जमानी की मृत्यु 1622 में हुई और उसके बेटे जहांगीर ने उनके नाम पर इस महल का निर्माण करवाया था। यह महल अकबर के मकबरे के करीब ज्योति नगर में तंतपुर रोड पर स्थित है। पहले इस महल का निर्माण पर्दे में रहने वाली शाही औरतों के आवास के रूप में किया गया था। इस महल के प्रांगण के चारों ओर कई सारे कमरे बने हुए हैं। Read more » मरियम उज-जमानी का मकबरा
कला-संस्कृति लेख आगरा का इकलौता राजपूत सती स्मारक जसवंत की छतरी April 23, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी अमर इतिहास:- अमर सिंह राठौर जोधपुर के राजा गजसिंह के बड़े बेटे थे। मतभेद के बाद उन्होंने पिता का घर छोड़ दिया। अमर सिंह उस वक्त वीर योद्धाओं में गिने जाते थे और मुगल शहंशाह शाहजहां के दरबार में खास अहमियत रखते थे। सन् 1644 में अन्य दरबारियों ने उन पर जुर्माना […] Read more » सती स्मारक जसवंत की छतरी
लेख ज़हरीली होती यमुना आचमन योग्य नहीं April 21, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी यमुना की त्रासद व्यथा:- कालिंदी का कल-कल निनाद शांत होता जा रहा है। उसकी धारा सिकुड़ती जा रही है । उसका पवित्र जल आचमन योग्य नहीं रहा है । जिससे यमुना प्रेमियों का मन आहत है। यमुना से कृष्ण का अटूट नाता रहा है और इसकी पवित्रता को बरकरार रखने के लिए […] Read more » Featured ज़हरीली होती यमुना यमुना यमुना आचमन योग्य नहीं
लेख साहित्य सिकन्दर लोदी ने बसाया था सिकन्दरा April 21, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment अकबर टॉम्ब में रहने वाले ब्लैक बक तकरीबन सवा सौ साल से भी अधिक समय से रह रहे हैं। अकबर टॉम्ब के अंदर का एरिया ब्लैक बक के लिए लम्बे समय से नेचुरल हैबिटेट बना हुआ है। ब्लैक बक के साथ ही साथ बीते समय में यह मॉन्युमेंट लंगूरों की उपस्थिति के लिए भी खासा फेमस रहा है। सिकन्दरा में अकबर के मकबरे के परिसर में घूमने आने वाले देशी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण के केन्द्र दुर्लभ ब्लैक बक (हिरन) के संरक्षण की एक महत्वाकांक्षी योजना तैयार की जा रही है। Read more » अकबर का मकबरा सिकन्दर लोदी सिकन्दरा
लेख शख्सियत रंग नारायण पाल जूदेव वीरेश ‘रंगपाल’ April 16, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधेश्याम द्विवेदी कवियित्री मां से मिली प्रेरणा :- रंगपाल नाम से विख्यात महाकवि रंग नारायण पाल जूदेश वीरेश पाल का जन्म नगर पंचायत हरिहरपुर में फागुन कृष्ण 10 संवत 1921 विक्रमी को हुआ था। उनके पिता का नाम विश्वेश्वर वत्स पाल तथा माता का नाम श्रीमती सुशीला देवी था । उनके पिता जी राजा […] Read more » रंग नारायण पाल जूदेव वीरेश ‘रंगपाल’
लेख शख्सियत साहित्य मानवीय चेतना और राष्ट्रीयता के कवि : पंडित बलराम प्रसाद मिश्र ‘द्विजेश’ April 16, 2017 by डा. राधेश्याम द्विवेदी | Leave a Comment डा. राधे श्याम द्विवेदी ‘नवीन’ पारिवारिक परिचय:-बस्ती जिले का मिश्रौलिया गांव में हर दयाल मिश्र का एक अच्छा खाता पीता घराना था। वह एक जमीदार थे। वे अपनी पालकी के साथ बस्ती राजा के यहाँ भी आया जाया करते थे। उन पर राजा साहब की कृपा दृष्टि बनी रहती थी। उनके पुत्र का नाम उदित […] Read more » Featured पंडित बलराम प्रसाद मिश्र ‘द्विजेश’