लेख जीवन-मृत्यु का प्रश्न बनती कोचिंग के बोझ तले पढाई January 23, 2025 / January 23, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment प्रतिस्पर्धा के बीच जीवित रहने का संघर्ष करते बच्चे। स्कूली पढाई के बजाय कोचिंग के भयावह दौर में, छात्रों में आत्महत्या की प्रकृति और प्रवृत्ति का नए सिरे से अध्ययन करने की भी बहुत सख्त ज़रूरत है, क्योंकि देश की पूरी युवा बौद्धिक संपदा दांव पर लगी हुई है, जिसके दूरगामी गंभीर नतीजे पूरे राष्ट्र […] Read more » Studying under the burden of coaching becomes a matter of life and death. कोचिंग के बोझ तले पढाई
लेख तैमूरलंग का आतंकी अभियान January 21, 2025 / January 21, 2025 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment डॉ राकेश कुमार आर्य सिकन्दर बुतशिकन ऐसा नहीं था कि उसने केवल हिन्दुओं के साथ ही अत्याचार किए, उनके अतिरिक्त उसने बौद्ध धर्म के धार्मिक स्थलों को भी तोड़ा और उनको इस्लाम स्वीकार करने या कश्मीर छोड़ने पर बाध्य किया। इस प्रकार कश्मीर से हिन्दुओं का पलायन करवाना कल परसों की बात नहीं है, अपितु […] Read more » Taimurlang's terrorist campaign तैमूरलंग का आतंकी अभियान
लेख समाज ज्वलंत प्रश्न: युवा जोड़ों की निजता की समस्या January 21, 2025 / January 21, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment डॉ. सत्यवान सौरभ हाल ही में ओयो रूम्स ने घोषणा की कि अविवाहित जोड़ों को उसके साझेदार होटलों में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। पायल कपाड़िया की पुरस्कार विजेता फ़िल्म ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट एक युवा जोड़े, अनु और शियाज की यात्रा को दर्शाती है, जो निजी स्थान पाने के लिए संघर्ष करते […] Read more » Young couples' privacy issues युवा जोड़ों की निजता की समस्या
लेख डिजिटल अरेस्ट के अलावा भी ठगी के हो सकते हैं शिकार January 21, 2025 / January 21, 2025 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment विनय कुमार मिश्र आज हर कोई समझदार होशियार और जागरूक भी है लेकिन ठगा जा रहा है।जब हम ठग लिए जाते हैं तो हम भी लोग अंगुली उठाते हैं और सवाल करते हैं कि कैसे आप ठगा गए । साइबर अपराधी और ठगी करने वाले इतने होशियार चालाक होते हैं कि कोई भी उनके झांसे में आ सकता है. इसमें कोई हैरानी की बात नहीं है। साइबर क्राइम , ठगी धीरे-धीरे बढ़कर आज लोगों के लिए मुसीबत साबित हो रहा है। प्रत्येक जगह हर रोज सुनने, पढ़ने, देखने को मिल रहा है कि कोई डिजिटल अरेस्ट होकर इतनी हजार , लाख , करोड़ गंवा दिया तो किसी ने ऐप डाउनलोड करके इतने गवा दिया तो किसी ने लिंक खोलकर और किसी ने फाइल डाउनलोड कर इतने गंवा दिया । आजकल कई माध्यमों से लोगों को बहला , फुसलाकर, लालच, प्रलोभन देकर उनके साथ ठगी की जा रही है। लोग अभी एक मामले प्रकार की ठगी के विषय में जान समझ पाते हैं, तब तक एक नई प्रकार की ठगी के शिकार हो जाते हैं । सबसे आश्चर्य की बात यह है कि डिजिटल अरेस्ट के अलावा अन्य माध्यमों से ठगी का शिकार ज्यादा पढ़े लिखे लोगों के अलावा हाई प्रोफाइल लोग जैसे डॉक्टर , इंजीनियर , प्रोफेसर आदि जैसे लोग हो रहे हैं। अब तो लोगों को इससे जागरूक करने और होने के लिए अभियान चलाया जा रहा है. फिर भी लोग हर दिन ठगी का शिकार हो रहे हैं । ठगी का शिकार होकर लोग जीवन भर की कमाई एक क्लिक और पल भर में गंवा दे रहे हैं । यह सब ऐसे सुनियोजित तरीके और माध्यम से किया जा रहा है जिसमें आप अपनी गवा चुकी रकम पुनः नहीं पा सकते हैं, एक दो मामले को छोड़कर। साइबर पुलिस आपके आवेदन पर मुकदमा दर्ज कर लेगी लेकिन रकम वापस नहीं हो पाएगी क्योंकि उस रकम का पता ही नहीं चलता है कि वह रकम कहां गई है । ऐसे मामले सभी के लिए सरदर्द बनते जा रहे हैं । इसलिए साइबर पुलिस लोगों को साइबर क्राइम , साइबर ठगी के विषय पर जागरूक कर रही है लेकिन फिर भी लोग अपनी नादानी की वजह से हर रोज ठगे जा रहे हैं । इसकी रोकथाम के लिए जरूरी है कि सावधानी बरतें , जागरूक रहें और जागरूकता फैलाएं भी । विभिन्न लोगों से जो इस मामले के जानकार हैं उनसे बातचीत करें, उनके विचार जाने , अखबार तथा जागरूकता के अन्य विभिन्न साधनों, बैठकों पर लोगों के विचार पड़े सुने देखें , किसी अनजान लिंक ऐप को ना खोले , ना किसी फाइल को डाउनलोड करें , सोशल मीडिया का प्रयोग करते समय भी सावधानी रखें , सस्ते खरीदारी के चक्कर में जाकर कहीं पर अपनी गोपनीय जानकारी साझा ना करें , साइबर ठग विभिन्न माध्यमों से जैसे एप , फर्जी कॉल , फर्जी मेल , फर्जी लिंक आदि के साथ विभिन्न तरीके के लालच प्रलोभन आदि देते हैं कि आप उनके जाल में फंसे। हमारे यहां एक कहावत है कि लालच के बाप का नाम है चौपट। तो किसी भी प्रकार के लालच आदि में न पड़ें। कोई डराता धमकाता है तो उसकी काल पर मैसेज पर ध्यान न दें . उसे ब्लाक कर दें। अगर कोई बैंक का प्रतिनिधि होकर बात कर रहा है तो उससे कहें कि मैं बैंक आकर आपसे बात करुंगा , फोन पर मैं कोई भी जानकारी साझा नहीं करुंगा । याद रखें हमारी जागरूकता और होशियारी ही हमें बचाने के साथ साथ औरों को बचा पाएंगी तो होशियार जागरूक बनिए और जिम्मेदारी निभाईए। विनय कुमार मिश्र Read more » डिजिटल अरेस्ट
पर्यावरण लेख ट्रंप का दूसरा कार्यकाल और जलवायु परिवर्तन: क्या अब भी उम्मीद है? January 21, 2025 / January 21, 2025 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment 20 जनवरी, 2025 को ट्रंप फिर से राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले हैं। ट्रंप के पहले कार्यकाल में जलवायु नीति पर जो रुख था, उससे यह साफ है कि उनके आने से अमेरिका में जलवायु परिवर्तन की दिशा में और मुश्किलें आ सकती हैं। उन्होंने पेरिस समझौते से बाहर निकलने का फैसला लिया था, […] Read more » Trump's second term and climate change: Is there still hope जलवायु परिवर्तन
पर्यावरण लेख उफ्फ ये स्मॉग ! January 21, 2025 / January 21, 2025 by डॉ घनश्याम बादल | Leave a Comment डॉ० घनश्याम बादल महानगरों में इन दिनों भारी स्मॉग और कहर बरप रहे हैं. केवल दिल्ली ही नहीं अपितु देश के लगभग हर बड़े नगर के लोग हर साल दिसंबर जनवरी के महीने कोहरे व स्मॉग के शिकार होते ही हैं । जितना बड़ा शहर, उतना ही ज्यादा कोहरा और उससे ज्यादा कोहरे से […] Read more » smog स्मॉग
लेख स्वास्थ्य-योग डॉक्टर और कंपनियों का कपट जाल : दवाओं की कीमत में उछाल January 21, 2025 / January 21, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment डॉक्टर बनवाते ब्रांड, 38 रुपए की दवा की एमआरपी 1200 रुपए। नियमों में कहा गया है कि केवल प्रिस्क्रिप्शन वाली दवा और ओवर-द-काउंटर दवा के प्रकार जो केवल फ़ार्मेसियों में बेचे जा सकते हैं, उन्हें सभी फ़ार्मेसियों में बिल्कुल एक ही क़ीमत पर बेचा जाना चाहिए। इसलिए, की दवाओं की कीमतें फ़ार्मेसियों के बीच उतार-चढ़ाव […] Read more » डॉक्टर और कंपनियों का कपट जाल
लेख धर्म बांटने की नहीं, जोड़ने की जीवन पद्धति है January 17, 2025 / January 17, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment विश्व धर्म दिवस- 17 जनवरी, 2025 ललित गर्ग विश्व धर्म दिवस हर साल जनवरी के तीसरे रविवार यानी इस वर्ष 19 जनवरी को मनाया जा रहा है। यह दिन दुनिया के सभी धर्मों की विविधता और संस्कृति का जश्न मनाने का दिन है। इस दिन को मनाने का मकसद, धर्मों के बीच समझ, सौहार्द […] Read more » विश्व धर्म दिवस
लेख समाज घटती बेटियां: कोख में ही छीन रहें साँसें, फिर संकट में हरियाणा की ‘सुकन्या समृद्धि’ January 15, 2025 / January 15, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment हरियाणा में 2024 में लिंगानुपात आठ साल के सबसे निचले स्तर पर पहुँच गया है। हरियाणा में जन्म के समय लिंगानुपात 2024 में गिरकर 910 हो गया है, जो 2016 के बाद सबसे कम है, जब यह अनुपात 900 था। राज्य ने कभी भी डब्ल्यूएचओ द्वारा अनुशंसित आदर्श लिंगानुपात 950 को हासिल नहीं किया है। […] Read more » संकट में हरियाणा की 'सुकन्या समृद्धि'
आर्थिकी लेख वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में मध्यम वर्गीय परिवारों को देनी होगी राहत January 15, 2025 / January 15, 2025 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को गति देने में मध्यमवर्गीय परिवारों की प्रमुख भूमिका रहती है। देश में ही निर्मित होने वाले विभिन्न उत्पादों की मांग इन्हीं परिवारों के माध्यम से निर्मित होती है। गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे परिवार जब मध्यमवर्गीय परिवारों की श्रेणी में शामिल होते हैं तो उन्हें नया स्कूटर, नया फ्रिज, नया एयर कंडिशनर, नया टीवी एवं इसी प्रकार के कई नए पदार्थों (उत्पादों) की आवश्यकता महसूस होती है। साथ ही, नए मकानों की मांग भी मध्यमवर्गीय परिवारों के बीच से ही निर्मित होती है। इसीलिए यह कहा जाता है कि जिस देश में मध्यमवर्गीय परिवारों की संख्या जितनी तेजी से बढ़ती है उस देश का आर्थिक विकास भी उतनी ही तेज गति से आगे बढ़ता है। भारत में भी हाल ही के वर्षों में मध्यमवर्गीय परिवारों की संख्या में भारी वृद्धि दर्ज हुई है। परंतु, मुद्रा स्फीति, कर का बोझ एवं इन परिवारों की आय में वृद्धि दर में आ रही कमी के चलते इन परिवारों की खर्च करने की क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ा है, जिससे कई कम्पनियों का यह आंकलन सामने आया है कि विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में उपभोग की जाने वाली वस्तुओं की मांग में कमी दृष्टिगोचर हुई है। विशेष रूप से उपभोक्ता वस्तुओं (Fast Moving Consumer Goods – FMCG) के क्षेत्र में उत्पादन करने वाली कम्पनियों का इस संदर्भ में आंकलन बेहद चौंकाने वाला है। साथ ही, वित्तीय वर्ष 2023-24 की द्वितीय तिमाही में इन कम्पनियों द्वारा उत्पादित उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री एवं लाभप्रदता में भी कमी दिखाई दी है। गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के लिए केंद्र सरकार एवं विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा चलायी जा रही विभिन्न सहायता योजनाओं का लाभ अब सीधे ही इन परिवारों को पहुंचने लगा है। 80 करोड़ से अधिक नागरिकों को प्रतिमाह मुफ्त अनाज उपलब्ध कराया जा रहा है। किसानों के खातों में सहायता राशि सीधे ही जमा की जा रही है। विभिन्न राज्यों द्वारा लाड़ली लक्ष्मी योजना, लाड़ली बहिना योजना आदि माध्यम से महिलाओं के खातों में सीधे ही राशि जमा की जा रही है। इसके साथ ही इन परिवारों के सदस्यों को रोजगार के नए अवसर भी उपलब्ध होने लगे हैं। जिससे इस श्रेणी के परिवारों में से कई परिवार अब मध्यमवर्गीय श्रेणी के परिवारों में शामिल हो रहे हैं। केंद्रीय श्रम मंत्री ने हाल ही में भारतीय संसद को बताया है कि देश में पिछले 10 वर्षों में रोजगार उपलब्ध नागरिकों की संख्या 36 प्रतिशत बढ़कर वित्तीय वर्ष 2023-24 में 64.33 करोड़ के स्तर पर आ गई है, यह संख्या वर्ष 2014-15 में 47.15 करोड़ के स्तर पर थी। वर्ष 2024 से वर्ष 2014 के बीच, 10 वर्षों में रोजगार में लगभग 7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई थी अर्थात इस दौरान केवल 2.9 करोड़ अतिरिक्त नौकरियां सृजित हो सकीं थी, जबकि वर्ष 2014 से वर्ष 2024 के बीच 17.19 करोड़ अतिरिक्त नौकरियां सृजित हुई हैं, यह लगभग 6 गुना से अधिक की वृद्धि दर्शाता है। पिछले केवल एक वर्ष अर्थात वित्तीय वर्ष 2023-24 के बीच ही देश में लगभग 4.6 करोड़ नौकरियां सृजित हुई हैं। कृषि क्षेत्र में वर्ष 2004 से वर्ष 2014 के बीच रोजगार में 16 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी जबकि वर्ष 2014 से वर्ष 2023 के बीच कृषि के क्षेत्र में रोजगार में 19 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई हैं। इसी प्रकार विनिर्माण के क्षेत्र में भी वर्ष 2004 से वर्ष 2014 के बीच रोजगार में केवल 6 प्रतिशत दर्ज हुई थी जबकि वर्ष 2014 से वर्ष 2023 के बीच विनिर्माण के क्षेत्र में रोजगार में 15 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है। सेवा के क्षेत्र में तो और भी अधिक तेज वृद्धि दर्ज हुई है। वर्ष 2004 से वर्ष 2014 के बीच सेवा के क्षेत्र में रोजगार 25 प्रतिशत की दर से बढ़ा था, जबकि वर्ष 2014 से वर्ष 2023 के बीच इसमें 36 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इस सबका असर बेरोजगारी की दर में कमी के रूप में देखने में आया है। देश में बेरोजगारी की दर वर्ष 2017-18 के 6 प्रतिशत से वर्ष 2023-24 में घटकर 3.2 प्रतिशत रह गई है। इसका सीधा असर कामकाजी आबादी अनुपात पर भी पड़ा है जो वर्ष 2017-18 के 46.8 प्रतिशत से बढ़कर वर्ष 2023-24 में 58.2 प्रतिशत पर पहुंच गया है। सबसे अच्छी स्थिति तो संगठित क्षेत्र में कार्य कर रहे नागरिकों की संख्या में वृद्धि से बनी है। क्योंकि संगठित क्षेत्र में कार्य कर रहे युवाओं को नियोक्ताओं द्वारा कई प्रकार की अतिरिक्त सुविधाएं केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा जारी नियमों के अंतर्गत प्रदान की जाती है। संगठित क्षेत्र में शामिल होने वाले युवाओं (18 से 28 वर्ष के बीच की आयु के) की संख्या में सितम्बर 2017 से सितम्बर 2024 के बीच 4.7 करोड़ की वृद्धि दर्ज हुई है, ये युवा कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ई पी एफ ओ) से भी जुड़े हैं। यदि किसी देश में मुद्रा स्फीति की दर लगातार लम्बे समय तक उच्च स्तर पर बनी रहे एवं नागरिकों की आय में वृद्धि दर मुद्रा स्फीति में हो रही वृद्धि दर से कम रहे तो इसका सीधा असर मध्यमवर्गीय परिवार के बचत एवं खर्च करने की क्षमता पर पड़ता है। यदि मध्यमवर्गीय परिवार के खर्च करने की क्षमता कम होगी तो निश्चित ही बाजार में विभिन्न उत्पादों की मांग भी कम होगी इससे विभिन्न कम्पनियों द्वारा उत्पादित वस्तुओं की बिक्री भी कम होगी। यह स्थिति हाल ही के समय में भारत की अर्थव्यवस्था में दृष्टिगोचर है। अतः वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट से यह अपेक्षा की जानी चाहिए कि केंद्र सरकार द्वारा इस प्रकार के प्रयास किए जाएंगे जिससे मुद्रा स्फीति की दर देश में कम बनी रहे एवं मध्यमवर्गीय परिवारों की आय में वृद्धि हो। साथ ही, मध्यमवर्गीय परिवारों की आय पर लगाए जाने वाले आय कर में भी कमी की जानी चाहिए। बैकों द्वारा प्रदान किए जा रहे ऋणों पर ब्याज दरों में कमी की घोषणा द्वारा भी मध्यमवर्गीय परिवारों को कुछ हद्द तक राहत पहुंचाई जा सकती है। ऋण पर ब्याज दरों में कमी करने से मध्यमवर्गीय परिवारों द्वारा ऋण खातों में जमा की जाने वाली मासिक किस्त की राशि में कमी होती है और उनकी खर्च करने की क्षमता में कुछ हद्द तक सुधार होता है। मध्यमवर्गीय परिवारों के हित में यदि उक्त उपाय नहीं किया जाते हैं तो बहुत सम्भव है कि यह मध्यमवर्गीय परिवार एक बार पुनः कहीं गरीबी रेखा के नीचे नहीं खिसक जाय। अतः वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट के माध्यम से मध्यमवर्गीय परिवारों को राहत प्रदान करने का भरपूर प्रयास किया जाना चाहिए। प्रहलाद सबनानी Read more » Middle class families will have to be given relief in the budget for the financial year 2025-26. वित्तीय वर्ष 2025-26
लेख आखिर प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा का कारण क्या है? January 15, 2025 / January 15, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment आंकड़ों के अनुसार, जो लोग आजीविका की तलाश में स्थानीय और क्षेत्रीय सीमाओं के पार जाते हैं, उन्हें अपने मेजबान समाज में स्थायी रूप से बाहरी समझे जाने का अपमान सहना पड़ता है। श्रमिकों को अक्सर टेलीविजन स्क्रीन पर दुखद घटनाओं के पात्र के रूप में दिखाया जाता है, जिससे उनके योगदान और उन्हें प्राप्त […] Read more » plight of workers श्रमिकों की दुर्दशा
महिला-जगत लेख महिला सशक्तिकरण की दौड़ जीतती भारतीय रेलवे January 15, 2025 / January 15, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment पुरुषों के गढ़ तोड़ने वाली “प्रथम महिलाओं” को पहचानने की आवश्यकता कैबिनेट द्वारा स्वीकृत नियुक्तियों के नवीनतम दौर के साथ पहली बार रेलवे बोर्ड में महिलाएँ ड्राइवर की सीट पर हैं। कांच की छत को तोड़ते हुए, रेलवे बोर्ड का नेतृत्व पहले से ही एक महिला द्वारा किया जा रहा है, अब संचालन और व्यवसाय […] Read more » Indian Railways wins the race of women empowerment महिला सशक्तिकरण