लेख शख्सियत 14 जून 1033 को महाराजा सुहेलदेव ने काटी थी शत्रु की 11 लाख की सेना June 15, 2024 / June 15, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment 14 जून 1033 को महाराजा सुहेलदेव ने काटी थी शत्रु की 11 लाख की सेना महाराजा सुहेलदेव पराक्रम दिवस- तुलसीदास जी बहराइच में जारी कब्र पूजा की “भेड़चाल के बारे में अपनी “दोहावली” में कहते हैं –लही आँखि कब आँधरे, बाँझ पूत कब ल्याइ ।कब कोढ़ी काया लही, जग बहराइच जाइ॥ अर्थात “पता नहीं कब […] Read more » Maharaja Suheldev had destroyed the enemy's army of 11 lakhs.
लेख बाजार के फादर्स डे का ‘तर्पण’ June 14, 2024 / June 14, 2024 by मनोज कुमार | Leave a Comment 16 जून ‘फादर्स डे’ पर विशेषमनोज कुमारबाजार ने अपने लाभ के लिए रिश्तों का बाजार खोल दिया है. अभी माँ के लिए मदर्स डे मनाया भी नहीं था कि पिता को बाजार के हवाले कर ‘फादर्स डे’ ले आया गया. हम भारतीय परिवारों में रिश्तोंंं का गांभीर्य है और मिठास भी लेकिन बाजार इसे सिर्फ […] Read more » 'Tarpan' of Father's Day in the market 16 जून ‘फादर्स डे’
लेख संघ शिक्षावर्ग – राष्ट्रसाधना के प्रशिक्षण का प्रसंग June 14, 2024 / June 14, 2024 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment ग्रीष्म की छूट्टियों में जब कि सामान्यतः लोग किसी पहाड़, पठार, ठंडे स्थान जैसे सुरम्य स्थान पर या होटल के वातानुकूलित कमरों में जाकर आराम करना पसंद करते हैं, तब देश का एक बड़ा वर्ग अपनी स्वरुचि से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अभ्यास वर्गों में जाकर पंद्रह-बीस दिनों तक कड़ा श्रम करते हुए पसीना बहाता […] Read more » संघ शिक्षावर्ग
लेख समाज संतानों के दुर्व्यवहार एवं उत्पीड़न से जटिल होती वृद्धावस्था June 14, 2024 / June 14, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस – 15 जून, 2024– ललित गर्ग – देश ही नहीं, दुनिया में वृद्धों के साथ दुर्व्यवहार, प्रताड़ना, हिंसा बढ़ती जा रही है, जो जीवन को नरक बनाये हुए है। बच्चे अपने माता-पिता के साथ बिल्कुल नहीं रहना चाहते। यही पीड़ा वृद्धजन को पल-पल की घुटन, तनाव एवं उपेक्षा से निकलकर […] Read more » विश्व बुजुर्ग दुर्व्यवहार जागरूकता दिवस
लेख समाज छात्रों में तनाव और चिंता का कारण बनती प्रश्नपत्र लीक होने की बढ़ती घटनाएं June 14, 2024 / June 14, 2024 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment यह दुर्भाग्य की बात है कि शिक्षा क्षेत्र की कई समस्याओं के समाधान की कोई राह नहीं दिख रही है। इन्हीं में से एक है प्रश्नपत्र लीक होने की समस्या। शायद ही कोई ऐसा राज्य हो, जहां किसी न किसी प्रतियोगी या नियमित परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक होने का मामला सुर्खियों में न रहता हो। प्रश्नपत्र […] Read more » Increasing incidents of question paper leaking causing stress and anxiety among students
आर्थिकी लेख आर्थिक विकास के दृष्टि से वित्तीय वर्ष 2023-24 भारत के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ June 10, 2024 / June 10, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment हाल ही में वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में हुए विकास से सम्बंधित आंकड़े जारी किये गए है। इसके अनुसार वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 8.2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत की आर्थिक विकास दर 7 प्रतिशत की रही थी। भारतीय रिजर्व बैंक एवं वैश्विक स्तर पर कार्यरत विभिन्न वित्तीय संस्थानों ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत की आर्थिक विकास दर का अनुमान लगाते हुए कहा था कि यह 7 प्रतिशत के आसपास रहेगी। परंतु, वित्तीय 2023-24 के दौरान भारत की आर्थिक विकास दर इन अनुमानों से कहीं अधिक रही है। वित्तीय वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में भी भारत की आर्थिक विकास दर 7.8 प्रतिशत रही है जो पिछले वित्तीय वर्ष की चौथी तिमाही में 6.1 प्रतिशत रही थी। पूरे विश्व में प्रथम 10 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की आर्थिक विकास दर भारत की आर्थिक विकास दर के कहीं आसपास भी नहीं रही है। अमेरिका की आर्थिक विकास दर 2.3 प्रतिशत, चीन की आर्थिक विकास दर 5.2 प्रतिशत, जर्मनी की आर्थिक विकास दर तो ऋणात्मक 0.3 प्रतिशत रही है। जापान की आर्थिक विकास दर 1.92 प्रतिशत, ब्रिटेन की 0.1 प्रतिशत, फ्रान्स की 0.9 प्रतिशत, ब्राजील की 2.91 प्रतिशत, इटली की 0.9 प्रतिशत एवं कनाडा की 1 प्रतिशत रही है, वहीं भारत की आर्थिक विकास दर 8.2 प्रतिशत रही है। 8 प्रतिशत से अधिक की विकास दर को देखते हुए अब तो ऐसी सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि वर्ष 2027 तक जर्मनी एवं जापान की अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ते हुए भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था निश्चित ही बन जाएगा। विनिर्माण, खनन, भवन निर्माण एवं सेवा क्षेत्र, यह चार क्षेत्र ऐसे हैं जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद को तेजी से आगे बढ़ाने में अपना विशेष योगदान देते हुए नजर आ रहे हैं। यह स्पष्ट रूप से केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों के चलते ही सम्भव हो पा रहा है। वास्तविक सकल मान अभिवृद्धि के आधार पर, वित्तीय वर्ष 2023-24 की चतुर्थ तिमाही में विनिर्माण के क्षेत्र में 8.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई है जबकि वित्तीय वर्ष 2022-23 की इसी अवधि में केवल 0.9 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की जा सकी थी। इसी प्रकार, खनन के क्षेत्र में भी इस वर्ष की चतुर्थ तिमाही में वृद्धि दर 4.3 प्रतिशत की रही है जो पिछले वर्ष इसी अवधि में 2.9 प्रतिशत की रही थी। भवन निर्माण के क्षेत्र में 8.7 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की गई है जो पिछले वर्ष इसी अवधि में 7.4 प्रतिशत की रही थी। नागरिक प्रशासन, सुरक्षा एवं अन्य सेवाओं के क्षेत्र में वृद्धि दर 4.7 प्रतिशत से बढ़कर 7.8 प्रतिशत हो गई है। ऊर्जा उत्पादन क्षेत्र में वृद्धि दर पिछले वर्ष की चौथी तिमाही में 7.3 प्रतिशत से बढ़कर इस वर्ष चौथी तिमाही में 7.7 प्रतिशत पर पहुंच गई है। परंतु, कृषि, सेवा एवं वित्तीय क्षेत्र में वित्तीय वर्ष 2023-24 की चौथी तिमाही में वृद्धि दर पिछले वर्ष की इसी तिमाही की तुलना में कुछ कम रही है। वैश्विक स्तर पर अन्य देशों के सकल घरेलू उत्पाद में लगातार कम हो रही वृद्धि दर के बावजूद भारत के सकल घरेलू उत्पाद में तेज गति से वृद्धि दर का होना यह दर्शाता है कि अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं में आ रही परेशानियों का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर नहीं के बराबर हो रहा है एवं भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी आंतरिक शक्ति के बल पर तेज गति से आर्थिक वृद्धि करने में सफल हो रही है। परंतु, भारत में कुछ क्षेत्र ऐसे भी हैं जिन पर, आर्थिक विकास की गति को और अधिक तेज करने के उद्देश्य से विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। जैसे, हाल ही के समय में भारत में निजी खपत नहीं बढ़ पा रही है और यह 4 प्रतिशत की दर पर ही टिकी हुई है। साथ ही, निजी क्षेत्र में पूंजी निवेश भी नहीं बढ़ पा रहा है। भारत में निजी खपत कुल सकल घरेलू उत्पाद का 60 प्रतिशत है। यदि सकल घरेलू उत्पाद के इतने बड़े हिस्से में वृद्धि नहीं होगी अथवा कम वृद्धि दर होगी तो देश में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर भी विपरीत रूप से प्रभावित होगी। भारत में निजी खपत इसलिए भी नहीं बढ़ पा रही है क्योंकि वित्तीय वर्ष 2022-23 में घरेलू देयताएं सकल घरेलू उत्पाद के 5.7 प्रतिशत के उच्चत्तम स्तर पर पहुंच गईं हैं एवं बचत की दर भी सकल घरेलू उत्पाद के 5.2 प्रतिशत पर अपने निचले स्तर पर आ गई है, जो 10 वर्ष पूर्व 7 प्रतिशत से अधिक थी। वहीं दूसरी ओर, दिसम्बर 2023 के प्रथम सप्ताह में भारत ने फ्रान्स एवं ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए शेयर बाजार के पूंजीकरण के मामले में पूरे विश्व में पांचवा स्थान हासिल कर लिया था। भारत से आगे केवल अमेरिका, चीन, जापान एवं हांगकांग थे। परंतु, केवल दो माह से भी कम समय में भारत ने शेयर बाजार के पूंजीकरण के मामले में हांगकांग को पीछे छोड़ते हुए विश्व में चौथा स्थान प्राप्त कर लिया है। भारतीय शेयर बाजार का पूंजीकरण 4.35 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से भी अधिक का हो गया है। अब ऐसा आभास होने लगा है कि भारत अर्थ के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त करता हुआ दिखाई दे रहा है। भारत में नैशनल स्टॉक एक्स्चेंज पर लिस्टेड समस्त कम्पनियों के कुल बाजार पूंजीकरण का स्तर 2 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर पर जुलाई 2017 में पहुंचा था और लगभग 4 वर्ष पश्चात अर्थात मई 2021 में 3 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को पार कर गया था तथा केवल लगभग 2.5 वर्ष पश्चात अर्थात दिसम्बर 2023 में यह 4 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को भी पार कर गया था और अब यह 4.35 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर से भी आगे निकल गया है। इस प्रकार भारत शेयर बाजार पूंजीकरण के मामले में आज पूरे विश्व में चौथे स्थान पर आ गया है। प्रथम स्थान पर अमेरिकी शेयर बाजार है, जिसका पूंजीकरण 50.86 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक है। द्वितीय स्थान पर चीन का शेयर बाजार है जिसका पूंजीकरण 8.44 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक है। वर्ष 2023 में चीन के शेयर बाजार ने अपने निवेशकों को ऋणात्मक प्रतिफल दिए हैं। तीसरे स्थान पर जापान का शेयर बाजार है जिसका पूंजीकरण 6.36 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक है। चौथे स्थान पर भारत का शेयर बाजार है जिसका पूंजीकरण 4.35 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक है। पांचवे स्थान पर हांगकांग का शेयर बाजार है जिसका पूंजीकरण 4.29 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर है। जिस तेज गति से भारतीय शेयर बाजार का पूंजीकरण आगे बढ़ रहा है, अब ऐसी उम्मीद की जा रही है कि कुछ समय पश्चात ही भारतीय शेयर बाजार का पूंजीकरण जापान शेयर बाजार के पूंजीकरण को पीछे छोड़ते हुए पूरे विश्व में तीसरे स्थान पर आ जाएगा। उक्त सफलताओं के साथ ही, भारत ने अपने आर्थिक विकास की दर को तेज रखते हुए अपने राजकोषीय घाटे पर भी नियंत्रण स्थापित कर लिया है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत का राजकोषीय घाटा 17 लाख 74 हजार करोड़ रुपए का रहा था जो वित्तीय वर्ष 2023-24 में घटकर 16 लाख 54 हजार करोड़ रुपए का रह गया है। यह राजकोषीय घाटा वित्तीय वर्ष 2022-23 में 5.8 प्रतिशत था जो वित्तीय वर्ष 2023-24 में घटकर 5.6 प्रतिशत रह गया है। भारत के राजकोषीय घाटे को वित्तीय वर्ष 2024-25 में 5.1 प्रतिशत एवं वित्तीय वर्ष 2025-26 में 4.5 प्रतिशत तक नीचे लाने के प्रयास केंद्र सरकार द्वारा सफलता पूर्वक किए जा रहे हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रान्स, जर्मनी जैसे विकसित देश भी अपने राजकोषीय घाटे को कम नहीं कर पा रहे हैं परंतु भारत ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान यह बहुत बड़ी सफलता हासिल की है। सरकार का खर्च उसकी आय से अधिक होने पर इसे राजकोषीय घाटा कहा जाता है। केंद्र सरकार ने खर्च पर नियंत्रण किया है एवं अपनी आय के साधनों में अधिक वृद्धि की है। यह लम्बे समय में देश के आर्थिक स्वास्थ्य की दृष्टि से एक बहुत महत्वपूर्ण तथ्य उभरकर सामने आया है। प्रहलाद सबनानी Read more » The financial year 2023-24 proved to be important for India in terms of economic growth.
धर्म-अध्यात्म लेख तमसो मां ज्योतिर्गमय: गायत्री नमामि नमामि नमामि June 10, 2024 / June 10, 2024 by सुरेश सिंह बैस शाश्वत | Leave a Comment – सुरेश सिंह बैस “शाश्वत” गायत्री जयंती ज्येष्ठ महीने में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को तो कहीं एकादशी के दिन मनायी जाती है। वहीं कहीं पर यह श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन भी मनाई जाती है। गायत्री जयंती पर्व मां गायत्री देवी का जन्मोत्सव है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इसी दिन मां […] Read more » तमसो मां ज्योतिर्गमय
लेख स्वास्थ्य-योग फैटी लिवर(Fatty Liver)के बारे में जानें सब कुछ June 10, 2024 / June 10, 2024 by डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश' | Leave a Comment लेखक: डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा वसा जिसे अंग्रेजी में फैट (Fat) कहा जाता है। फैट का शरीर में कहीं भी ज्यादा जमा होना अपने आप में अस्वास्थ्यकर है। यही फैट जब लिवर (Liver) में जमा हो जाता है तो फैटी लिवर (Fatty Liver) की शुरूआत हो जाती है। भारत में करीब एक तिहाई आबादी फैटी […] Read more » Fatty Liver फैटी लिवर
आर्थिकी लेख क्या भारत कभी विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन पाएगा June 10, 2024 / June 10, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एवं इतिहासकार श्री एंग्स मेडिसिन के अनुसार वर्ष 1820 तक भारत विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था, 1820 आते आते चीन भारत से आगे निकल गया था। 1820 से 1870 के बीच चीन एवं भारत विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में पूरे विश्व में सबसे आगे थे। वर्ष 1870 से 1900 के बीच ब्रिटेन विश्व की सबसे तेज गति से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया परंतु ब्रिटेन पर यह ताज अधिक समय तक नहीं टिक सका क्योंकि इसके तुरंत बाद अमेरिका विश्व में सबसे तेज गति से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया था। इसके बाद तो आर्थिक प्रगति के मामले में अमेरिका एवं यूरोपीयन देश लगातार आगे बढ़ते रहे, विकसित अर्थव्यवस्थाएं बने और एशिया के देशों (विशेष रूप से भारत एवं चीन) का वर्चस्व वैश्विक अर्थव्यवस्था में लगभग समाप्त सा हो गया था। परंतु, अब एक बार पुनः समय चक्र बदल रहा है एवं अमेरिका एवं यूरोपीयन देशों की अर्थव्यस्थाएं आर्थिक विकास के मामले में ढलान पर दिखाई दे रही हैं एवं एशिया के देश, विशेष रूप से भारत एवं चीन, पुनः तेज गति से आर्थिक प्रगति करते हुए वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपना दबदबा कायम करते नजर आ रहे हैं। आज अमेरिकी अर्थव्यस्था का आकार लगभग 25 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर का है और चीन की अर्थव्यवस्था का आकार लगभग 18 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर का है। ऐसी सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि वर्ष 2035 से 2040 के बीच चीन विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा एवं अमेरिका दूसरे नम्बर पर आ जाएगा और भारत तीसरे नम्बर पर आ जाएगा। परंतु, इसके बाद क्या भारत अमेरिकी अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ते हुए दूसरे नम्बर पर आ पाएगा। इस तरह की चर्चाएं आजकल आर्थिक जगत में होने लगी हैं। आज से लगभग 10 वर्ष पूर्व भारतीय अर्थव्यवस्था का विश्व में 11वां स्थान था जो आज 3.70 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद के आकार के साथ विश्व में 5वें स्थान पर आ गई है। ऐसी सम्भावना व्यक्त की जा रही है कि वर्ष 2026 में भारतीय अर्थव्यवस्था जर्मनी अर्थव्यवस्था से आगे निकलकर विश्व में चौथे स्थान पर आ जाएगी। इसी प्रकार वर्ष 2027 में जापानी अर्थव्यवस्था को भी पीछे छोड़ते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व में तीसरे स्थान पर आ जाएगी। गोल्ड्मन सच्स के अनुसार, अगले चार वर्षों के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 5 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक हो जाएगा। इसी प्रकार, ब्लूम्बर्ग के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था आगामी वर्षों में लगातार 6 प्रतिशत से अधिक की विकास दर हासिल करता रहेगा, और अमेरिका एवं चीन की आर्थिक विकास दर से आगे बना रहेगा। भारतीय अर्थव्यवस्था में आर्थिक विकास दर के तेज गति से आगे रहने के पीछे जो कारण बताए जा रहे हैं उनमें शामिल हैं – भारतीय जनसंख्या में वृद्धि होते रहना (अमेरिका एवं चीन में जनसंख्या वृद्धि दर लगातार कम हो रही है), इससे भारतीय घरेलू बाजार मजबूत बना रहेगा एवं उत्पादों की मांग भी भारत में तेज गति से आगे बढ़ती रहेगी। एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2050 तक भारत की आबादी बढ़ कर 170 करोड़ नागरिकों की हो जाएगी, इससे भारत अपने आप में विश्व का सबसे बड़ा बाजार बन जाएगा। वर्ष 2024 में भारत में उपभोक्ता विश्वास सूचकांक 98.5 प्रतिशत तक पहुंच गया है। दूसरे, भारत में आधारभूत ढांचे को विकसित करने के लिए भी केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा अत्यधिक मात्रा में पूंजी निवेश किया जा रहा है। भारत में आधारभूत ढांचे को विकसित श्रेणी में लाने के लिए केवल रोड ही नहीं बल्कि रेल्वे, एयरपोर्ट, ऊर्जा एवं जल व्यवस्था को विकसित करने के लिए भी भरपूर पूंजी निवेश किया जा रहा है। भारत में आज भी श्रमिक लागत तुलनात्मक रूप से बहुत कम है, इससे कई विदेशी कम्पनियां अब चीन के स्थान पर भारत में अपनी विनिर्माण इकाईयों को स्थापित कर रही हैं इससे भारत के औद्योगिक विकास को गति मिल रही है। भारत ने भी कई उद्योग क्षेत्रों के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना लागू की है जिसका लाभ विश्व की कई बहुराष्ट्रीय कम्पनियां उठा रही हैं एवं अपनी औद्योगिक इकाईयां भारत में स्थापित कर रही हैं। तीसरे भारत में आज 140 करोड़ की जनसंख्या में से 100 करोड़ से अधिक नागरिक युवा एवं कार्य कर सकने वाले नागरिकों की श्रेणी में शामिल हैं। इतनी बड़ी मात्रा में श्रमिकों की उपलब्धि किसी भी अन्य देश में नहीं है। अन्य विकसित देशों, चीन सहित, में कार्य कर सकने वाले नागरिकों की संख्या लगातार कम हो रही है क्योंकि इन देशों में प्रौढ़ नागरिकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। किसी भी देश में युवा जनसंख्या का अधिक होने से न केवल श्रमिक के रूप में इनकी उपलब्धि आसान बनी रहती है बल्कि इनके माध्यम से देश में उत्पादों की मांग में भी वृद्धि दर्ज होती है तथा युवा जनसंख्या की उत्पादकता भी अधिक होती है जिससे उत्पादन लागत कम हो सकती है। साथ ही, युवाओं द्वारा नवाचार भी अधिक मात्रा में किया जा सकता है। यह सब कारण हैं जो भारतीय अर्थव्यवस्था को पूरे विश्व में एक चमकता सितारा बनाने में सहायक हो रहे हैं। हाल ही के समय में वैश्विक स्तर पर आर्थिक क्षेत्र का परिदृश्य तेजी से बदला भी है। अभी तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में विकसित देशों का दबदबा बना रहता आया है। परंतु, अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2024 में भारत सहित एशियाई देशों के वैश्विक अर्थव्यवस्था में 60 प्रतिशत का योगदान होने की प्रबल सम्भावना बन रही है। एशियाई देशों में चीन एवं भारत मुख्य भूमिकाएं निभाते नजर आ रहे हैं। प्राचीन काल में वैश्विक अर्थव्यस्था में भारत का योगदान लगभग 32 प्रतिशत से भी अधिक रहता आया है। वर्ष 1947 में जब भारत ने राजनैतिक स्वतंत्रता प्राप्त की थी उस समय वैश्विक अर्थव्यस्था में भारत का योगदान लगभग 3 प्रतिशत तक नीचे पहुंच गया था क्योंकि भारतीय अर्थव्यवस्था को पहिले अरब से आए आक्राताओं एवं बाद में अंग्रेजों ने बहुत नुक्सान पहुंचाया था एवं भारत को जमकर लूटा था। वर्ष 1947 के बाद के लगभग 70 वर्षों में भी वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारतीय अर्थव्यवस्था के योगदान में कुछ बहुत अधिक परिवर्तन नहीं आ पाया था। परंतु, पिछले 10 वर्षों के दौरान देश में लगातार मजबूत होते लोकतंत्र के चलते एवं आर्थिक क्षेत्र में लिए गए कई पारदर्शी निर्णयों के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था को तो जैसे पंख लग गए हैं। आज भारत इस स्थिति में पहुंच गया है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में वर्ष 2024 में अपने योगदान को लगभग 18 प्रतिशत के आसपास एवं एशिया के अन्य देशों यथा चीन, जापान एवं अन्य देशों के साथ मिलकर वैश्विक अर्थव्यवस्था में एशियाई देशों के योगदान को 60 प्रतिशत तक ले जाने में सफल होता दिखाई दे रहा है। भारत आज अमेरिका, चीन, जर्मनी एवं जापान के बाद विश्व की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। साथ ही, भारत आज पूरे विश्व में सबसे तेज गति से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में तो भारत की आर्थिक विकास दर 8.2 प्रतिशत की रही है और यह वित्तीय वर्ष 2023-24 की समस्त तिमाहियों में लगातार तेज गति से बढ़ती रही है। पहली तीन तिमाहियों में भारत की आर्थिक विकास दर 8 प्रतिशत से अधिक रही है, अक्टोबर-दिसम्बर 2023 को समाप्त तिमाही में तो आर्थिक विकास दर 8.4 प्रतिशत की रही है। इस विकास दर के साथ भारत के वर्ष 2025 तक जापान की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ते हुए विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाने की प्रबल सम्भावना बनती दिखाई दे रही है। केवल 10 वर्ष पूर्व ही भारत विश्व की 11वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था और वर्ष 2013 में मोर्गन स्टैनली द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार भारत विश्व के उन 5 बड़े देशों (दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील, इंडोनेशिया, टर्की एवं भारत) में शामिल था जिनकी अर्थव्यवस्थाएं नाजुक हालत में मानी जाती थीं। अब आगे आने वाले कालचक्र में वैश्विक स्तर पर आर्थिक क्षेत्र में परिस्थितियां लगातार भारत के पक्ष में होती दिखाई दे रही हैं, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था का वैश्विक अर्थव्यवस्था में योगदान लगातार बढ़ते जाने की प्रबल संभावनाएं बनती नजर आ रही हैं। प्रहलाद सबनानी Read more » Will India ever become the world's second largest economy
लेख समाज बाल-श्रम की अंधी गलियों में बेहाल बचपन कब तक? June 10, 2024 / June 10, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment विश्व बाल श्रम निषेध दिवस- 12 जून, 2024-ललित गर्ग-पूरी दुनिया में बाल श्रम एक ज्वलंत समस्या है, कैसा विरोधाभास है कि हमारा समाज, सरकार और राजनीतिज्ञ बच्चों को देश का भविष्य बताते हुए नहीं थकते लेकिन क्या इस उम्र के लगभग 25 से 30 करोड़ बच्चों से बाल मजदूरी के जरिए उनका बचपन और उनसे […] Read more » बाल-श्रम
पर्यावरण लेख भारत में भीषण लू: जल संकट और मौतों के साथ टूटा गर्मी का रिकॉर्ड June 7, 2024 / June 10, 2024 by निशान्त | Leave a Comment पिछले महीने भारत के उत्तरी और मध्य भागों में 26 मई से 29 मई के बीच एक अभूतपूर्व लू का प्रकोप देखने को मिला। नई दिल्ली में तापमान का एक रिकॉर्ड स्तर, 49.1°C, दर्ज किया गया। देश के 37 से अधिक शहरों में पारा 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चढ़ गया। लू से संबंधित बीमारियों […] Read more » Severe heat wave in India: Heat record broken with water crisis and deaths भारत में भीषण लू
लेख शख्सियत समाज प्रकृति को ओढ़ा तेहरवीं की शाल, पर्यावरण प्रेमी शिक्षक राजबीर बेनीवाल June 5, 2024 / June 5, 2024 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment * प्रकृति से प्रेम और संरक्षण की दिशा में काम करने वालों के बहुत से उदाहरण मिल जाएंगे, मगर पेड़-पौधों को बचाने के लिए जीवन समर्पित करने वाला शायद ही कहीं देखने को मिले। यहां बात हो रही है भिवानी के सिवानी में रहने वाले 49 वर्षीय शिक्षक राजबीर बेनीवाल की। महज 10 साल की उम्र […] Read more » environment loving teacher Rajbir Beniwal Thirteenth's shawl covered nature राजबीर बेनीवाल शिक्षक राजबीर बेनीवाल