कविता
भजन : श्री कृष्णा विरह
/ by नन्द किशोर पौरुष
तर्ज : ओ बाबुल प्यारे दोहा: बंसी बाजी श्याम की, जमुना जी के तीर।गोपियाँ सुध बुध भूलीं, हो गयीं सभी अधीर।। मु: ओ बंसी बारे, ओ बंसी बारे…तेरी मुरली के ये धुन, करती मुझको है गुमसुमहर लेती है मेरा मन,ओ बंसी बारे, ओ बंसी बारे… अ १: तेरी ही यादों में जीवन बिताया,बढ़ती गई तन्हाई, […]
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