लेख समाज और राष्ट्र की धुरी हैं मजदूर April 30, 2025 / April 30, 2025 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment एक मई को हर वर्ष अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस या मजदूर दिवस या मई दिवस के रूप में मनाया जाता है। वास्तव में, यह दिवस मजदूरों और श्रमिक वर्गों का उत्सव है, जिसे अंतरराष्ट्रीय श्रम आंदोलन द्वारा बढ़ावा दिया जाता है और यह हर साल 1 मई, या मई के पहले सोमवार को होता है। यहां […] Read more » 1 मई अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस
कविता अक्षय तृतीया 🌼 April 29, 2025 / April 29, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment वैशाख की उजली बेला आई,धूप सुनहरी देहरी पर छाई।अक्षय तृतीया का मधुर निमंत्रण,पुण्य-सुधा में डूबा आचमन। न मिटने वाला पुण्य का सूरज,हर मन में भर दे स्वर्णिम किरण।सच की थाली, धर्म का दीपक,दान की बूंदें, जीवन समर्पण। परशुराम की वीरगाथा बोले,गंगा की लहरें चरणों में डोले।युधिष्ठिर को अक्षय पात्र मिला,सत्य का दीप फिर से खिला। […] Read more » अक्षय तृतीया
लेख अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस लाखों मजदूरों के परिश्रम, दृढ़ निश्चय और निष्ठा का दिवस है April 29, 2025 / April 29, 2025 by ब्रह्मानंद राजपूत | Leave a Comment (अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस, 01 मई 2025 पर विशेष आलेख) हर वर्ष अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मई महीने की पहली तारीख को मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस को मई दिवस भी कहकर बुलाया जाता है। अमेरिका में 1886 में जब मजदूर संगठनों द्वारा एक शिफ्ट में काम करने की अधिकतम सीमा 8 घंटे करने के लिए हड़ताल की जा रही थी। इस हड़ताल के दौरान एक अज्ञात शख्स ने शिकागो की हेय मार्केट में बम फोड़ दिया, इसी दौरान पुलिस ने मजदूरों पर गोलियां चला दीं, जिसमें 7 मजदूरों की मौत हो गयी। इस घटना के कुछ समय बाद ही अमेरिका ने मजदूरों के एक शिफ्ट में काम करने की अधिकतम सीमा 8 घंटे निश्चित कर दी थी। तभी से अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस 1 मई को मनाया जाता है। इसे मनाने की शुरुआत शिकागो में ही 1886 से की गयी थी। मौजूदा समय में भारत सहित विश्व के अधिकतर देशों में मजदूरों के 8 घंटे काम करने का संबंधित कानून बना हुआ है। अगर भारत की बात की जाए तो भारत में मजदूर दिवस के मनाने की शुरुआत चेन्नई में 1 मई 1923 से हुई। अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस लाखों मजदूरों के परिश्रम, दृढ़ निश्चय और निष्ठा का दिवस है। एक मजदूर देश के निर्माण में बहुमूल्य भूमिका निभाता है और उसका देश के विकास में अहम योगदान होता है। किसी भी समाज, देश, संस्था और उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों की अहम भूमिका होती है। मजदूरों के बिना किसी भी औद्योगिक ढांचे के खड़े होने की कल्पना नहीं की जा सकती। इसलिए श्रमिकों का समाज में अपना ही एक स्थान है। लेकिन आज भी देश में मजदूरों के साथ अन्याय और उनका शोषण होता है। आज भारत देश में बेशक मजदूरों के 8 घंटे काम करने का संबंधित कानून लागू हो लेकिन इसका पालन सिर्फ सरकारी कार्यालय ही करते हैं, बल्कि देश में अधिकतर प्राइवेट कंपनियां या फैक्ट्रियां अब भी अपने यहां काम करने वालों से 12 घंटे तक काम कराते हैं। जो कि एक प्रकार से मजदूरों का शोषण हैं। आज जरूरत है कि सरकार को इस दिशा में एक प्रभावी कानून बनाना चाहिए और उसका सख्ती से पालन कराना चाहिए। भारत देश में मजदूरों की मजदूरी के बारे में बात की जाए तो यह भी एक बहुत बड़ी समस्या है, आज भी देश में कम मजदूरी पर मजदूरों से काम कराया जाता है। यह भी मजदूरों का एक प्रकार से शोषण है। आज भी मजदूरों से फैक्ट्रियों या प्राइवेट कंपनियों द्वारा पूरा काम लिया जाता है लेकिन उन्हें मजदूरी के नाम पर बहुत कम मजदूरी पकड़ा दी जाती है। जिससे मजदूरों को अपने परिवार का खर्चा चलाना मुश्किल हो जाता है। पैसों के अभाव से मजदूर के बच्चों को शिक्षा से वंचित रहना पड़ता है। भारत में अशिक्षा का एक कारण मजदूरों को कम मजदूरी दिया जाना भी है। आज भी देश में ऐसे मजदूर है जो 1500-2000 मासिक मजदूरी पर काम कर रहे हैं। यह एक प्रकार से मानवता का उपहास है। बेशक इसको लेकर देश में विभिन्न राज्य सरकारों ने न्यूनतम मजदूरी के नियम लागू किये हैं, लेकिन इन नियमों का खुलेआम उल्लंघन होता है और इस दिशा में सरकारों द्वारा भी कोई विशेष ध्यान नहीं दिया जाता और न ही कोई कार्यवाही की जाती है। आज जरुरत है कि इस महंगाई के समय में सरकारों को प्राइवेट कंपनियों, फैक्ट्रियों और अन्य रोजगार देने वाले माध्यमों के लिए एक कानून बनाना चाहिए जिसमे मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी तय की जानी चाहिए। मजदूरी इतनी होनी चाहिए कि जिससे मजदूर के परिवार को भूंखा न रहना पड़े और न ही मजदूरों के बच्चों को शिक्षा से वंचित रहना पड़े। आज भी हमारे भारत देश में लाखों लोगों से बंधुआ मजदूरी कराई जाती है। जब किसी व्यक्ति को बिना मजदूरी या नाममात्र पारिश्रमिक के मजदूरी करने के लिए बाध्य किया जाता है या ऐसी मजदूरी कराई जाती है तो वह बंधुआ मजदूरी कहलाती है। अगर देश में कहीं भी बंधुआ मजदूरी कराई जाती है तो वह सीधे-सीधे बंधुआ मजदूरी प्रणाली (उन्मूलन) अधिनियम 1976 का उल्लंघन होगा। यह कानून भारत के कमजोर वर्गों के आर्थिक और वास्तविक शोषण को रोकने के लिए बनाया गया था लेकिन आज भी जनसंख्या के कमजोर वर्गों के आर्थिक और वास्तविक शोषण को नहीं रोका जा सका है। आज भी देश में कमजोर वर्गों का बंधुआ मजदूरी के जरिए शोषण किया जाता है जो कि संविधान के अनुच्छेद 23 का पूर्णतः उल्लंघन है। संविधान की इस धारा के तहत भारत के प्रत्येक नागरिक को शोषण और अन्याय के खिलाफ अधिकार दिया गया है। लेकिन आज भी देश में कुछ पैसों या नाम मात्र के गेहूं, चावल या अन्य खाने के सामान के लिए बंधुआ मजदूरी कराई जाती है। जो कि अमानवीय है। आज जरूरत है समाज और सरकार को मिलकर बंधुआ मजदूरी जैसी अमानवीयता को रोकने का सामूहिक प्रयास करना चाहिए। आज भी देश में मजदूरी में लैंगिक भेदभाव आम बात है। फैक्ट्रियों में आज भी महिलाओं को पुरुषों के बराबर वेतन नहीं दिया जाता है। बेशक महिला या पुरुष फैक्ट्रियों में समान काम कर रहे हों लेकिन बहुत सी जगह आज भी महिलाओं को समान कार्य हेतु समान वेतन नहीं दिया जाता है। फैक्ट्रियों में महिलाओं से उनकी क्षमता से अधिक कार्य कराया जाता है। आज भी देश की बहुत सारी फैक्ट्रियों में महिलाओं के लिए पृथक शौचालय की व्यवस्था नहीं है। महिलाओं से भी 10-12 घंटे तक काम कराया जाता है। आज जरुरत है सभी उद्योगों को लैंगिक भेदभाव से बचना चाहिए और महिला श्रमिक से सम्बंधित कानूनों का कड़ाई से पालन करना चाहिए। इसके साथ ही सभी राज्य सरकारों को महिला श्रमिक से सम्बंधित कानूनों को कड़ाई से लागू करने के लिए सभी उद्योगों को निर्देशित करना चाहिए। अगर कोई इन कानूनों का उल्लंघन करे तो उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए। आज भारत देश में छोटे-छोटे गरीब बच्चे स्कूल छोड़कर बाल-श्रम हेतु मजबूर हैं। बाल मजदूरी बच्चों के मानसिक, शारीरिक, आत्मिक, बौद्धिक एवं सामाजिक हितों को प्रभावित करती है। जो बच्चे बाल मजदूरी करते हैं, वो मानसिक रूप से अस्वस्थ्य रहते हैं और बाल मजदूरी उनके शारीरिक और बौद्धिक विकास में बाधक होती है। बालश्रम की समस्या बच्चों को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित करती है। जो कि सविधान के विरुध्द है और मानवाधिकार का सबसे बड़ा उल्लंघन है। बाल-श्रम की समस्या भारत में ही नहीं दुनिया कई देशों में एक विकट समस्या के रूप में विराजमान है। जिसका समाधान खोजना जरूरी है। भारत में 1986 में बाल श्रम निषेध और नियमन अधिनियम पारित हुआ। इस अधिनियम के अनुसार बाल श्रम तकनीकी सलाहकार समिति नियुक्त की गई। इस समिति की सिफारिश के अनुसार, खतरनाक उद्योगों में बच्चों की नियुक्ति निषिद्ध है। भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों में शोषण और अन्याय के विरुद्ध अनुच्छेद 23 और 24 को रखा गया है। अनुच्छेद 23 के अनुसार खतरनाक उद्योगों में बच्चों के रोजगार पर प्रतिबंध लगाता है। संविधान के अनुच्छेद 24 के अनुसार 14 साल के कम उम्र का कोई भी बच्चा किसी फैक्ट्री या खदान में काम करने के लिए नियुक्त नहीं किया जायेगा और न ही किसी अन्य खतरनाक नियोजन में नियुक्त किया जायेगा। फैक्टरी कानून 1948 के तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के नियोजन को निषिद्ध करता है। 15 से 18 वर्ष तक के किशोर किसी फैक्टरी में तभी नियुक्त किये जा सकते हैं, जब उनके पास किसी अधिकृत चिकित्सक का फिटनेस प्रमाण पत्र हो। इस कानून में 14 से 18 वर्ष तक के बच्चों के लिए हर दिन साढ़े चार घंटे की कार्यावधि तय की गयी है और रात में उनके काम करने पर प्रतिबंध लगाया गया है। फिर भी इतने कड़े कानून होने के बाद भी बच्चों से होटलों, कारखानों, दुकानों इत्यादि में दिन-रात कार्य कराया जाता हैं। और विभिन्न कानूनों का उल्लंघन किया जाता है। जिससे मासूम बच्चों का बचपन पूर्ण रूप से प्रभावित होता है। बालश्रम की समस्या का समाधान तभी होगा जब हर बच्चे के पास उसका अधिकार पहुँच जाएगा। इसके लिए जो बच्चे अपने अधिकारों से वंचित हैं, उनके अधिकार उनको दिलाने के लिये समाज और देश को सामूहिक प्रयास करने होंगे। आज देश के प्रत्येक नागरिक को बाल मजदूरी का उन्मूलन करने की जरुरत है। और देश के किसी भी हिस्से में कोई भी बच्चा बाल श्रमिक दिखे, तो देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह बाल मजदूरी का विरोध करे। इसके साथ ही बड़ी उम्र के मजदूरों को कोई भी बाल मजदूर दिखे तो उन्हें खुद बाल मजदूरी रोकने ले लिए आगे आना चाहिए और बाल मजदूरी का विरोध करना चाहिए। अगर देश से बाल मजदूरी रुकेगी तो मजदूर दिवस मनाना भी तभी सार्थक होगा। मजदूर दिवस के अवसर पर सम्पूर्ण राष्ट्र और समाज को राष्ट्र और समाज की प्रगति, समृद्धि तथा खुशहाली में दिये श्रमिकों के योगदान को नमन करना चाहिए। देश के उत्पादन में वृद्धि और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जो उच्च मानक हांसिल किये हैं वह हमारे श्रमिकों के अथक प्रयासों का ही नतीजा है। इसलिए राष्ट्र की प्रगति में अपने श्रमिकों की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानकर सभी देशवासियों को उसकी सराहना करनी चाहिए। इसके साथ ही मजदूर दिवस के अवसर पर देश के विकास और निर्माण में बहुमूल्य भूमिका निभाने वाले लाखों मजदूरों के कठिन परिश्रम,दृढ़ निश्चय और निष्ठा का सम्मान करना चाहिए और मजदूरों के हितों की रक्षा के लिए सम्पूर्ण राष्ट्र और समाज को सदैव तत्पर रहना चाहिए। – ब्रह्मानंद राजपूत Read more »
पर्यावरण लेख अन्तरिक्ष की उड़ान ले रही जलवायु की जान April 29, 2025 / April 29, 2025 by निशान्त | Leave a Comment मयूरी सोचिए — एक तरफ़ दुनिया भयंकर गर्मी, बाढ़ और खाने के संकट से जूझ रही है, और दूसरी तरफ़ चंद अमीर लोग कुछ मिनटों के लिए अंतरिक्ष घूमने निकल पड़े हैं।ये दौड़ सिर्फ़ शौक़ की नहीं है, ये जलवायु अन्याय और गैर-जिम्मेदारी की एक ज़िंदा मिसाल बन चुकी है। अभी हाल ही में एक निजी मिशन में […] Read more » ऊंचा एमिशन स्तर
कहानी मेहमान April 28, 2025 / April 28, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment पाँच की मैगी साठ में खरीदी,सौदा भी कोई सौदा था?खच्चर की पीठ पे दो हज़ार फेंके,इंसानियत भी कोई इरादा था? बीस के पराठे पर दो सौ हँस कर,पचास टिप फोटो वाले को,हाउस बोट के पानी में बहा दिएहज़ारों अपने भूखे प्याले को। नकली केसर की खुशबू मेंअपनी सच्चाई गँवा बैठे,सिन्थेटिक शाल के झूठे रेशों मेंअपने […] Read more » मेहमान
लेख पशु सेवा, जनसेवा से कम नहीं April 26, 2025 / April 26, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment “विश्व पशु चिकित्सा दिवस पर एक विमर्श” विश्व पशु चिकित्सा दिवस हर साल अप्रैल के अंतिम शनिवार को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य पशु चिकित्सकों की भूमिका को सम्मान देना और पशु स्वास्थ्य, मानव स्वास्थ्य व पर्यावरण के आपसी संबंधों पर ध्यान केंद्रित करना है। यह लेख बताता है कि कैसे पशु चिकित्सक सिर्फ जानवरों […] Read more » पशु सेवा पशु सेवा जनसेवा से कम नहीं विश्व पशु चिकित्सा दिवस
कविता जातिवाद और साम्प्रदायिकता का जहर इस कदर फैला April 25, 2025 / April 25, 2025 by विनय कुमार'विनायक' | Leave a Comment —विनय कुमार विनायकजातिवाद और साम्प्रदायिकता का जहर इस कदर फैलाकि भारत माता का आंचल हो गया दागदार व मटमैलाआज आरक्षण व अन्य सुविधाएँ इसी आधार से मिलतीमगर देश को जाति व साम्प्रदायिक व्यवस्था ही छलती! जातिवाद व साम्प्रदायिकता को नियंत्रित करना ही होगाभारत के खिलाफ साजिश करनेवाले को मसलना ही होगाये नहीं हो सकता कि […] Read more » The poison of casteism and communalism spread to such an extent
कविता मुस्कान का दान April 25, 2025 / April 25, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment कभी किसी शाम की थकी हुई साँसों में,तुम्हारा एक हल्का सा “कैसे हो?” उतरता है —जैसे रेगिस्तान में कोई बूँद गिर जाए,जैसे सूनी आँखों में उम्मीद फिर गहराए। दान क्या है?सिर्फ अन्न, जल, या स्वर्ण की गाथा नहीं,कभी-कभी वक्त का दिया पल भीकिसी की टूटती दुनिया की परिभाषा बदल देता है। तुम जब अनकहे दर्द […] Read more » gift of smile\
व्यंग्य नेताओं की मोहब्बत और जनता की नादानी April 25, 2025 / April 25, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment राजनीति की रंगमंचीय दुश्मनी और जनता की असली बेवकूफी कभी किरण चौधरी और शशि थरूर मंचों पर एक-दूसरे के खिलाफ़ खड़े होते हैं, कभी हिंदू-मुस्लिम के नाम पर पार्टियों की नीतियाँ बँटती हैं, और इसी बीच पिसती है आम जनता। क्या हमने कभी सोचा कि ये नेता तो एक-दूसरे से हाथ मिलाते हैं, कार्यक्रमों में […] Read more » The love of leaders and the ignorance of the public
कविता मैं और मेरी अलमारी में बंद किताबें ! April 24, 2025 / April 24, 2025 by आत्माराम यादव पीव | Leave a Comment मैं और मेरी अलमारी में बंद किताबें ! आत्माराम यादव मैं बचपन से ही किताबों से बहुत प्रेम करता हूं, पहले लोटपोट, मधुर मुस्कान, नंदन गुडिया जैसी किताबों का चस्का लगा था धीरे धीरे सरिता,कादम्बिनी, माया निरोगधाम जैसी पत्रिकाओं का शौक मुझे सातवें आसमान पर पहुंचा देता था। किताबें पढ़ने के जुनून ने 10 साल […] Read more » मैं और मेरी अलमारी में बंद किताबें
लेख कोई पानी डाल दे तो मैं भी चौंच भर पीलूं: चुपचाप मरते परिंदों की पुकार April 24, 2025 / April 24, 2025 by प्रियंका सौरभ | Leave a Comment तेज़ होती गर्मी, घटते जलस्रोत और बढ़ती कंक्रीट संरचनाओं के कारण पक्षियों के लिए पानी और छांव जैसी बुनियादी ज़रूरतें भी दुर्लभ होती जा रही हैं। परिंदे हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का अभिन्न हिस्सा हैं, और अगर वे गायब हो गए तो यह धरती और भी सूनी हो जाएगी। आधुनिक समाज एसी चलाने में सक्षम है […] Read more » चौंच भर पीलूं
लेख नायकों की पुनर्स्थापना की आवश्यकता April 23, 2025 / April 23, 2025 by डॉ.वेदप्रकाश | Leave a Comment डा.वेदप्रकाश हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि- हमारे राष्ट्रीय नायक महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी महाराज हैं, मुगल शासक औरंगजेब नहीं। यह हमारा नैतिक दायित्व है कि इतिहास में हुए अन्याय को हम खारिज करें। साथ ही देश के युवाओं को बताएं कि महाराणा प्रताप और शिवाजी महाराज केवल पुस्तकों […] Read more » महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी महाराज