व्यंग्य साहित्य राजतंत्र का तबेला December 6, 2017 by विजय कुमार | Leave a Comment शर्मा जी की खुशी का पारावार नहीं था। जैसे पक्षी नहाने के बाद पंख झड़झड़कार आसपास वालों को भी गीला कर देते हैं, ऐसे ही शर्मा जी अपने घर से सामने से निकलने वालों को मिठाई खिलाकर गरम चाय भी पिला रहे थे। ठंड के कारण कई लोग तो तीन-चार बार आ गये; पर शर्मा […] Read more » Featured राजतंत्र का तबेला
व्यंग्य साहित्य साहित्य के प्रधान सेवक December 4, 2017 by अमित शर्मा (CA) | Leave a Comment अमित शर्मा (CA) मिश्रा जी साहित्य के प्रधान सेवक है। साहित्य सेवा का यह बीड़ा उन्होंने 55 किलो ग्राम श्रेणी में ही उठा लिया था ज़ब वो युवावस्था की दहलीज़ पर एक पैर पर खड़े थे। मिश्रा जी ने यह ज़िम्मेदारी साहित्य के बिना कहे ही अपने कंधो और शरीर के हर अंग पर ले […] Read more » साहित्य साहित्य के प्रधान सेवक
व्यंग्य साहित्य पब्लिक अॉन डय़ूटी … !! December 2, 2017 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा बैंक में एक कुर्सी के सामने लंबी कतार लगी है। हालांकि बाबू अपनी सीट पर नहीं है। हर कोई घबराया नजर आ रहा है। हर हाथ में तरह – तरह के कागजों का पुलिंदा है। किसी को दफ्तर जाने की जल्दी है तो कोई बच्चे को लेने स्कूल जाने को बेचैन है। […] Read more » पब्लिक अॉन डय़ूटी
व्यंग्य साहित्य रसगुल्ला युद्ध का मीठा समाधान November 16, 2017 by विजय कुमार | 1 Comment on रसगुल्ला युद्ध का मीठा समाधान कल सुबह शर्मा जी पार्क में घूमने आये, तो उनके हाथ में कोलकाता के प्रसिद्ध हलवाई के.सी.दास के रसगुल्लों का एक डिब्बा था। उन्होंने सबका मुंह मीठा कराया और बता दिया कि सरदी बढ़ गयी है। अतः फरवरी के अंत तक सुबह घूमना बंद। इसलिए ये रसगुल्ला सुबह की सैर से विदाई की मिठाई है। […] Read more » Featured रसगुल्ला
व्यंग्य कतार में जीवन … !! November 15, 2017 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा आज कल मनः स्थिति कुछ ऐसी बन गई है कि यदि किसी को मुंह लटकाए चिंता में डूबा देखता हूं तो लगता है जरूर इसे अपने किसी खाते या दूसरी सुविधाओं को आधार कार्ड से लिंक कराने का फरमान मिला होगा। बेचारा इसी टेंशन में परेशान हैं। यह सच्चाई है कि […] Read more » adhaar link Featured life in queue कतार में जीवन
व्यंग्य साहित्य दिल्ली दरबार में स्मॉग का स्वैग November 13, 2017 by अमित शर्मा (CA) | Leave a Comment अमित शर्मा देश का दिल दिल्ली, कोहरे और धुंए के लिव इन रिलेशनशिप से प्रकटे “स्मॉग” रूपी हलाहल विष से संसद की कार्यवाही की तरह ठप्प पड़ा है। पर्यावरण विशेषज्ञो की माने तो दिल्ली में वायु की शुद्धता का स्तर इतना नीचे गिर चुका है कि वो आसानी से कोई भी राजनैतिक दल ज्वाइन कर […] Read more » स्मॉग
व्यंग्य दिन में तोड़ो, रात में जोड़ो November 10, 2017 by विजय कुमार | Leave a Comment परसों शर्मा जी के घर गया, तो चाय के साथ बढ़िया मिठाई और नमकीन भी खाने को मिली। पता लगा कि उनका दूर का एक भतीजा राजुल विवाह के बाद यहां आया हुआ है। मैंने उसके कामधाम के बारे में पूछा, तो शर्मा जी ने उसे बुलवाकर मेरा परिचय करा दिया। – क्यों बेटा राजुल, […] Read more » Featured दिन में तोड़ो रात में जोड़ो
व्यंग्य संस्कारो की पिच पर टीम इंडिया की बैटिंग November 10, 2017 by अमित शर्मा (CA) | Leave a Comment अमित शर्मा अनादिकाल से संयममार्गी और बॉलीवुड तपस्वी श्री आलोकनाथ जी को संस्कार और संस्कारिता का प्रतीक बताया जाता रहा है, जिसे निर्विवाद रूप से तीनो लोको में स्वीकार और अंगीकार दोनों किया गया है। आलोकनाथ जी भले ही संस्कारो के अधिकृत धारक और वाहक हो किंतु संस्कारो की उत्पत्ति धर्म के गर्भ से हुई […] Read more » टीम इंडिया
व्यंग्य साहित्य पधारो म्हारे देस जी… October 27, 2017 by विजय कुमार | Leave a Comment पिछले हफ्ते मैं शर्मा जी के घर गया, तो वे दोनों आंखें बंद किये, एक हाथ कान पर रखे और दूसरा ऊपर वाले की तरफ उठाये गा रहे थे, ‘‘पधारो म्हारे देस जी…।’’ कभी वे दाहिना हाथ कान पर रखते तो कभी बायां। कभी स्वर ऊंचा हो जाता, तो कभी अचानक नीचा। मेरी गाने-बजाने से […] Read more » Featured पधारो म्हारे देस जी
व्यंग्य साहित्य मुख्य अतिथि बनने का सुख October 21, 2017 by अमित शर्मा (CA) | Leave a Comment मेहता जी एक सम्मानित व्यक्तित्व है जिसका एक मात्र उपयोग वे मुख्य अतिथि बनने में करते है। यह अनुमान लगाना कठिन है कि वे पहले से सम्मानित थे या फिर विभिन्न समारोह में मुख्य अतिथि बनने के बाद वे सम्मान-गति को प्राप्त हुए है। मेहता जी तन मन और आदतन मुख्य अतिथि है। मुख्य […] Read more » मुख्य अतिथि
व्यंग्य वाह ताज October 20, 2017 by एल. आर गान्धी | Leave a Comment वाह ताज ….. एक शहंशाह का श्वान प्रेम ! …. ताज पर तकरार जारी। .. इक शहंशाह ने बनवा के हसीन ताज महल हम ग़रीबों की मुहब्बत का उड़ाया है मज़ाक ….. प्यार की निशानी ! ….. कैसा प्यार ! …… जिसे पाने के लिए , उसके शौहर को क़त्ल करवाया ? फिर जा के […] Read more » ताज
व्यंग्य हम काम से नहीं डरते October 11, 2017 by विजय कुमार | Leave a Comment शर्मा जी बहुत दुखी हैं। बेटे का विवाह सिर पर है और मोहल्ले की सड़क है कि ठीक ही नहीं हो रही। छह महीने पहले पानी की लाइन टूट गयी। सारा पानी सड़क पर बहने लगा। भीषण गरमी के मौसम में पूरे मोहल्ले में तीन दिन तक हाहाकार मचा रहा। छुट्टियों के कारण अधिकांश लोगों […] Read more » Featured काम काम से नहीं डरते