व्यंग्य साहित्य किसका जन्म दिन , कौन मतवाला…!! June 14, 2016 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा उस रोज टेलीविजन पर मैं एक राजनेता का जन्म दिन उत्सव देख रहा था। लगा मानो किसी अवतारी पुरुष का जन्म दिन हो। नेताजी के बगल में उनका पूरा कुनबा मौजूद था। थोड़ी देर में मुख्यमंत्री से लेकर तमाम राजनेता उनके यहां पहुंचने लगे। दिखाया गया कि नेताजी ने अपने किसी शुभचिंतक […] Read more »
व्यंग्य साहित्य मौसम का हाल June 14, 2016 by विजय कुमार | Leave a Comment शर्मा जी को बचपन से ही रेडियो सुनने का बड़ा शौक था। किसी जमाने में उनके घर में एक बड़ा रेडियो हुआ करता था। अतः वे खुद को कुछ खास समझते थे और बड़ी ठसक के साथ उसके पास बैठे रहते थे। रात में पौने नौ बजे वाले समाचारों के समय आसपास के लोग वहां […] Read more » मौसम का हाल
व्यंग्य साहित्य मानसून बिना, सब सून June 14, 2016 by अमित शर्मा (CA) | Leave a Comment आजकल हर कोई मानसून आने का इंतज़ार कर रहा हैं , लेकिन मानसून तो पेट्रोल और डीज़ल की तरह भाव खा रहा हैं। लोग तरस रहे हैं पर बादल बरस नहीं रहे हैं, लगता हैं उन्होंने भी कमेंट्री करते सिद्धू जी के मुँह से ये मुहावरा सुन लिया है की ” गुरु ,जो गरजते हैं […] Read more » sattirical article on monsoon मानसून
व्यंग्य साहित्य वाह मियां …. वाह सरदार जान मोहम्मद खिलजी June 6, 2016 by एल. आर गान्धी | Leave a Comment एल आर गांधी क्वेटा ,पकिस्तान के मियां जी ….. ४६ वर्षीय सरदार जान मोहम्मद खिलजी तीन बीवियों से ३५ बच्चे पैदा कर अपने उद्देश्य की ओर अग्रसर हैं। उनका उदेश्य १०० बच्चे बनाने का है। शीघ्र ही मियां जी चौथी बीवी लाने जा रहे हैं ताकि अल्लाह के हुकम की तामील एक सच्चे मुसलमान की […] Read more » सरदार जान मोहम्मद खिलजी
व्यंग्य साहित्य फिल्म वालों से नाराज कोटेश्वर …!! June 4, 2016 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा जिंदगी मुझे शुरू से डराती रही है। इसके थपेड़ों को सहते – सहते जब मैं निढाल होकर नींद की गोद में जाता हूं, तो डरावने सपने मुझे फिर परेशान करने लगते हैं। जन्मजात बीमारी की तरह यह समस्या मुझे बचपन से परेशान करती आई है। होश संभालने के साथ ही मैं इस […] Read more » कोटेश्वर फिल्म वालों से नाराज
व्यंग्य साहित्य हम मिले, तुम मिले…. May 29, 2016 by विजय कुमार | Leave a Comment चिरदुखी शर्मा जी प्रायः दुखी ही रहते हैं; पर जब कभी वे खुश होते हैं, तो यह खुशी ‘इश्क और मुश्क’ की तरह छिपाए नहीं छिपती। उनकी कंजूसी के बारे में पूरा मोहल्ला जानता है; पर कल वे न जाने कहां से ढेर सारी बूंदी ले आये और सबको बांटने लगे। उनके घर के पास […] Read more » satirical article on third front तुम मिले.... हम मिले
व्यंग्य साहित्य स्टाम्प पेपर वाली निष्ठा May 28, 2016 by विजय कुमार | Leave a Comment आप चाहे कुछ भी कहें साहब, पर मैं हर क्षेत्र में नये विचार और प्रयोगों का पक्षधर हूं। भले ही पुरातनपंथियों को मेरी बात पसंद न आये; पर मैं अपने विचारों पर जितना दृढ़ कल था, उतना ही आज हूं और कल भी रहूंगा। असल में कल शाम को पार्क में इसी विषय पर चर्चा […] Read more » स्टाम्प पेपर वाली निष्ठा
व्यंग्य साहित्य कांग्रेस मुक्त भारत दल May 22, 2016 by विजय कुमार | Leave a Comment कोई भारत को धार्मिक देश कहता है, तो कोई सांस्कृतिक। कोई इसे अर्थप्रधान बताता है, तो कोई बलप्रधान। कोई सांप और सपेरों का देश कहता है, तो कोई ज्ञानियों का; पर मेरी विनम्र राय इस बारे में बहुत स्पष्ट है कि ‘मेरा भारत महान’ एक राजनीति प्रधान देश है। यहां कितने राजनीतिक दल हैं, शायद […] Read more » Featured कांग्रेस मुक्त भारत दल
व्यंग्य साहित्य अंक के लगाकर पंख , डिग्री मारे डंक May 14, 2016 by अमित शर्मा (CA) | Leave a Comment अच्छी शिक्षा-दीक्षा प्राप्त करना प्रत्येक नागरिक का सविंधान प्रदत्त अधिकार है , हालांकी आज के माहौल में शिक्षा प्राप्त करने के प्रयासों और उन प्रयासों से प्राप्त सफलता को देखते हुए लगता है की सविंधान निर्माताओं ने “राइट टू एजुकेशन” देकर सविंधान को ना केवल नीरस होने से बचाया है बल्कि आने वाली पीढ़ियों को […] Read more » अंक के लगाकर पंख डिग्री मारे डंक
व्यंग्य साहित्य मियाँ ये आशिकी इज्जत बिगाड़ देती है” May 11, 2016 by प्रवक्ता ब्यूरो | Leave a Comment क्यूँ रे अज्जू!!!!!! क्या हो रिया है आजकल काॅलेज में, क्या माहौल बना है!! अज्जू:- पीके भाई, काॅलेज का तो तुम पूछो ही मत अभी, अजब माहौल बना बैठा है आजकल तो!! पीके:- क्यूँ भाई ऐसा क्या गज्जब हुआ जा रहा है, क्या छात्र वात्र स्ट्राइक विस्ट्राइक कर बैठे है क्या?? अज्जू:- अरे नही नही […] Read more » मियाँ ये आशिकी इज्जत बिगाड़ देती है"
राजनीति व्यंग्य साहित्य रंज लीडर को बहुत है मगर… May 8, 2016 by विजय कुमार | Leave a Comment किसी राजनीतिक विश्लेषक ने कहा है कि दिल्ली का रास्ता लखनऊ से होकर जाता है; पर काफी समय से कांग्रेस के लिए लखनऊ के ही रास्ते बंद है। ऐसे में अपने बलबूते पर वह दिल्ली कैसे पहुंचे ? जीवन-मरण जैसा यह बड़ा प्रश्न मैडम जी के सामने है। वे कई साल से कोशिश में हैं […] Read more » Featured रंज लीडर को बहुत है मगर...
राजनीति व्यंग्य वायु सेना चीफ का सीबीआई जाना! May 4, 2016 by हरि शंकर व्यास | Leave a Comment अपन को रिटायर वायु सेना चीफ एसपी त्यागी का सीबीआई दफ्तर जाना अच्छा नहीं लगा! पैदल, कंधे पर एक बैग लटकाए, सीबीआई बिल्डिंग में जाते एसपी त्यागी की जो टीवी फुटेज देखी तो मन खिन्न हुआ। जो शख्स भारत की वायुसेना का प्रमुख रहा, जिसने लाखों सैनिकों को लीडरशीप दी उसका व्यक्तित्व-कृतित्व, उसकी गरिमा, प्रतिष्ठा […] Read more » Featured अगस्ता वेस्टलैंड एसपी त्यागी वायु सेना चीफ सीबीआई