व्यंग्य साहित्य पुल गिरा है कोई पहाड़ नहीं April 7, 2016 by आरिफा एविस | 1 Comment on पुल गिरा है कोई पहाड़ नहीं पुल गिरा है कोई पहाड़ नहीं गिरा जो इतनी आफत कर रखी है. रोज ही तो दुर्घटनाएं होती हैं. अब सबका रोना रोने लगे तो हो गया देश का विकास.और विकास तो कुरबानी मांगता है खेती का विकास बोले तो किसानों की आत्महत्या. उद्योगों का विकास बोले तो मजदूरों की छटनी, तालाबंदी. सामाजिक विकास […] Read more » पहाड़ पुल गिरा है
व्यंग्य साहित्य शादी के लड्डू और राजनीति के रसगुल्ले…!! April 7, 2016 by तारकेश कुमार ओझा | 1 Comment on शादी के लड्डू और राजनीति के रसगुल्ले…!! तारकेश कुमार ओझा यदि कोई आपसे पूछे कि देश में हो रहे विधानसभा चुनावों की खास बात क्या है तो आपका जवाब कुछ भी हो सकता है। लेकिन मेरी नजरों से देखा जाए तो चुनाव दर चुनाव अब काफी परिवर्तन स्पष्ट नजर आने लगा है। सबसे बड़ी बात यह कि चुनाव में अब वोटबैंक जैसी […] Read more » राजनीति राजनीति के रसगुल्ले शादी के लड्डू
व्यंग्य साहित्य हरेक बात पर कहते हो घर छोड़ो April 7, 2016 / April 7, 2016 by आरिफा एविस | Leave a Comment (व्यंग्य आलेख) घर के मुखिया ने कहा यह वक्त छोटी-छोटी बातों को दिमाग से सोचने का नहीं है. यह वक्त दिल से सोचने का समय है, क्योंकि छोटी-छोटी बातें ही आगे चलकर बड़ी हो जाती हैं. मैंने घर में सफाई अभियान चला रखा है और यह किसी भी स्तर पर भारत छोड़ो आन्दोलन से कम […] Read more » घर छोड़ो
व्यंग्य साहित्य सही हैं बॉस April 2, 2016 by अमित शर्मा (CA) | Leave a Comment विज्ञानियों ने पेट्रोल को सबसे ज्वलनशील पदार्थ माना हैं लेकिन अगर प्राणीमात्र की बात करे तो “बॉस” नाम का प्राणी सबसे ज़्यादा ज्वलनशील माना जाता हैं । “दूध के जले” , भले छाछ फूंक-फूंक कर पीते हैं लेकिन “बॉस के जले” तो ऑफिस की कैंटीन में “कोल्ड -कॉफी” भी फूंक- फूंक कर पीते हुए […] Read more » boss is always right सही हैं बॉस
व्यंग्य साहित्य सचमुच निराली है महिमा चुनाव की …!! March 30, 2016 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा वाकई हमारे देश में होने वाले तरह – तरह के चुनाव की बात ही कुछ औऱ है। इन दिनों देश के कई राज्यों में विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं। इस दौरान तरह – तरह के विरोधाभास देखने को मिल रहे हैं। पता नहीं दूसरे देशों में होने वाले चुनावों में एेसी […] Read more » चुनाव
व्यंग्य साहित्य पुरस्कार का मापदंड March 30, 2016 by आरिफा एविस | Leave a Comment आरिफा एविस पुरस्कार किसी भी श्रेष्ठ व्यक्ति के कर्मो का फल है बिना पुरस्कार के किसी भी व्यक्ति को श्रेष्ठ नहीं माना जाना चाहिए. बिना पुरस्कार व्यक्ति का जीवन भी कुछ जीवन है? जैसे “बिन पानी सब सून.” इसलिए कम से कम जीवन में एक पुरस्कार तो बनता है जनाब. चाहे वह राष्ट्रीय, प्रदेशीय, धार्मिक, जातीय या कम से […] Read more » पुरस्कार का मापदंड
व्यंग्य साहित्य घोड़े की टांग पे, जो मारा हथौड़ा : व्यंग्य March 26, 2016 / March 26, 2016 by आरिफा एविस | 1 Comment on घोड़े की टांग पे, जो मारा हथौड़ा : व्यंग्य आरिफा एविस बचपन में गाय पर निबन्ध लिखा था. दो बिल्ली के झगड़े में बन्दर का न्याय देखा था. गुलजार का लिखा गीत ‘काठी का घोड़ा, घोड़े की दुम पे जो मारा हथौड़ा’ भी मिलजुलकर खूब गाया था. लेकिन ये क्या घोड़े की दुम पर, हथौड़ा नहीं मारा गया बल्कि उसकी टांग तोड़ी गयी. देखो […] Read more » घोड़े की टांग पे जो मारा हथौड़ा
व्यंग्य साहित्य रंगहीन दुनिया में राहु – केतु …!! March 24, 2016 by तारकेश कुमार ओझा | 1 Comment on रंगहीन दुनिया में राहु – केतु …!! तारकेश कुमार ओझा जब पहली बार खबर सुनी कि पाकिस्तान में एक खेल प्रेमी को इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया क्योंकि वह विराट कोहली का बड़ा प्रशंसक था और अनजाने में उसने अपने घर पर भारत का झंडा फहरा दिया तो मेरा माथा ठनका और अनिष्ट की आशंका होने लगी। क्योंकि अरसे से मैं यही […] Read more » holi vacation in pakistan India pakistan रंगहीन दुनिया में राहु - केतु ...!!
व्यंग्य साहित्य तीसरे दर्जे के शुभचिंतक March 24, 2016 by अशोक गौतम | Leave a Comment मेरी किसी भी बात से आप भले ही सहमत हों या न, पर मेरी इस बात से तो आप भी हंडरड परसेंट सहमत होंगे कि पहली श्रेणी के शुभचिंतकों का मिलना आज की तारीख में वैसे ही कठिन है जैसे आप शताब्दी की करंट बुकिंग के लिए पांच बजे भी सीट मिलने की उम्मीद में […] Read more » third category of wellwisher तीसरे दर्जे के शुभचिंतक शुभचिंतक
राजनीति व्यंग्य साहित्य एक पाती शत्रुघ्न सिन्हा के नाम March 18, 2016 by विपिन किशोर सिन्हा | 3 Comments on एक पाती शत्रुघ्न सिन्हा के नाम प्रिय शत्रु बचवा तक चच्चा के प्यार-दुलार पहुंचे। आगे यह बताना है कि भगवान के किरिपा से हम इहां राजी-खुशी हैं, और तोहरी राजी खुशी के वास्ते भगवान से आरजू-मिन्नत करते रहते हैं। बचवा, कई बार हम तोसे भेंट करे वास्ते पटना गए, तो मालूम भया कि तुम दिल्ली गए हो – संसद के काम-काज […] Read more » Featured letter in the name of shatrughan sinha शत्रुघ्न सिन्हा
व्यंग्य साहित्य माल्या प्रा… तुस्सी ग्रेट हो…!!! March 16, 2016 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment तारकेश कुमार ओझा जन – धन योजना तब जनता से काफी दूर थी। बैंक से संबंध गिने – चुने लोगों का ही होता था। आलम यह कि नया एकाउंट खुलवाने के लिए सिफारिश की जरूरत पड़ती। किसी भी कार्य से बैंक जाना काफी तनाव भरा अनुभव साबित होता था। क्योंकि रकम जमा करानी हो या […] Read more » Featured Vijay Mallya माल्या प्रा
व्यंग्य साहित्य “आलसस्य परम सुखम “ March 10, 2016 by अमित शर्मा (CA) | 1 Comment on “आलसस्य परम सुखम “ प्राचीन काल से ही आलस को सामाजिक और व्यक्तिगत बुराई माना जाता रहा हैं. “जो सोवत हैं, वो खोवत हैं” जैसी कहावतो के माध्यम से आलसी लोगो को धमकाने और “अलसस्य कुतो विद्या” जैसे श्लोको के ज़रिये उनको सामाजिक रूप से ज़लील करने /ताने कसने के प्रयास अनंतकाल से जारी हैं. लेकिन फिर भी आज […] Read more » आलसस्य परम सुखम