राजनीति व्यंग्य व्यंग्य बाण : कुर्सी की दौड़ में February 26, 2014 by विजय कुमार | 3 Comments on व्यंग्य बाण : कुर्सी की दौड़ में वैसे तो सभी बच्चे शरारती होते हैं, और जो शरारती न हो, वह बच्चा ही क्या ? पर शर्मा जी के मोहल्ले बच्चे, तौबा-तौबा। वे कब, क्या कर डालेंगे, भगवान को भी नहीं मालूम। शर्मा जी के घर के बरामदे में एक अति प्राचीन ऐतिहासिक कुर्सी रखी है। हम लोग हंसी में उसे महाभारतकालीन कहते […] Read more » व्यंग्य बाण : कुर्सी की दौड़ में
व्यंग्य पधारो म्हारी चौपाल! February 15, 2014 by अशोक गौतम | Leave a Comment हे चाय चौपाल के बहाने वोट की जुगाड़ करने वालो! बड़े फन्ने खां बने फिरते हो न! पर अब आपको यह जानकर जितना आप सहन कर सकते हो उससे भी कहीं अधिक दुख होगा कि हमने आपका पहले वाले दाव का तोड़ निकाला हो या न पर आपकी चाय चौपाल का तोड़ निकाल लिया है। […] Read more » satire on politics पधारो म्हारी चौपाल!
व्यंग्य राजनैतिक दोहे February 13, 2014 by बीनू भटनागर | 11 Comments on राजनैतिक दोहे -बीनू भटनागर- दोहों के सारे नियमों को ताक पर रखकर ये 7 दोहे लिखे हैं, दोहे इसलिये हैं कि दो लाइन के हैं। छंदशास्त्र के विद्वानों की निगाह पड़ जाये तो कृपया आंख बन्द कर लें। कोई बॉलीवुड का प्राणी देख ले तो ध्यान दें, क्योंकि फिल्मों में जैसी तुकबन्दी होती है, वैसी हम […] Read more » satire on political party satire on politics राजनैतिक दोहे
व्यंग्य बैंगन का भुरता बनाम सत्ता का जहर February 9, 2014 by जगमोहन ठाकन | 1 Comment on बैंगन का भुरता बनाम सत्ता का जहर – जग मोहन ठाकन- गुरूजी प्रवचन करके जैसे ही घर पर लौटे तो देखा कि बाहर कचरादानी में ताज़ा बैंगन का भुरता मंद-मंद मुस्करा रहा है ! रसोई द्वार पर पत्नी को देखते ही गुरूजी ने पूछा – देवी जी , यह जायकेदार बैंगन की सब्जी और कचरा दान में ? क्या जल गई […] Read more » satire on indian politics बैंगन का भुरता बनाम सत्ता का जहर
व्यंग्य शराबी के मुंह की दुर्गन्ध मां और पत्नी को महसूस नहीं होती February 8, 2014 / February 8, 2014 by डॉ. भूपेंद्र सिंह गर्गवंशी | Leave a Comment -डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी- हमारे खानदान के सभी ढाई, तीन, साढ़े तीन अक्षर नाम वाले लोग निवर्तमान नवयुवक हो चुके हैं, कुछ तो जीवन की अर्धशतकीय पारी खेल रहे हैं तो कई जीवन के आपा-धापी खेल से रिटायर भी हो चुके हैं। कुछ जो बचे हैं वे लोग अर्धशतकीय और उसके करीब की पारियां […] Read more » satire on indian soceity शराबी के मुंह की दुर्गन्ध मां और पत्नी को महसूस नहीं होती
व्यंग्य रोल मॉडल February 6, 2014 / February 6, 2014 by भगवंत अनमोल | Leave a Comment -भगवंत अनमोल- यह बात लगभग सभी को पता है कि किसी भी देश का भविष्य युवा निर्धारित करते हैं और युवा देश के रोल मॉडल्स को देख कर उनसे प्रेरणा लेते हैं। फिर वे उनके जैसा बनने का सपना लेकर देश की सेवा करने और खुद के भविष्य का निर्माण करने का संकल्प लेते […] Read more » satire on today's thought रोल मॉडल
व्यंग्य जाति तोड़कर फंस गया रे भाया…! February 6, 2014 by तारकेश कुमार ओझा | Leave a Comment -तारकेश कुमार ओझा- कोई यकीन करे या न करे, लेकिन यह सच है कि जाति तोड़ने का दुस्साहस कर मैं विकट दुष्चक्र में फंस चुका हूं। जिससे निकलने का कोई रास्ता मुझे फिलहाल नहीं सूझ रहा। पता नहीं क्यों मुझे यह डर लगातार सता रहा है कि मेरे इस दुस्साहस का बोझ मेरी […] Read more » satire on caste system जाति तोड़कर फंस गया रे भाया...!
व्यंग्य मुझको लाओ, देश बचाओ ! February 3, 2014 / February 4, 2014 by अशोक गौतम | Leave a Comment -अशोक गौतम- आजकल देश में प्रधानमंत्री पद की दावेदारी के लिए मारो मारी चली है। जिसे घर तक में कोई नहीं पूछता वह भी प्रधानमंत्री के पद के लिए दावेदारी सीना ठोंक कर ठोंक रहा है, भले बंदे के पास सीना हो या न! मित्रों! दावेदारी के इस दौर में मैं भी देश की सेवा […] Read more » satire on politics देश बचाओ ! मुझको लाओ
व्यंग्य दयालु सरकार : नथ्थू खुश February 2, 2014 by जगमोहन ठाकन | Leave a Comment -जगमोहन ठाकन- जब से नमो ने बचपन में चाय की दुकान पर काम करने की बात स्वीकारी है तभी से नथ्थू की दुकान पर छुटभैये राजनितिक आशान्वितों की गर्मागर्म बैठकें बढ़ गयी हैं. हाल में सरकार द्वारा गैस सिलेंडर के दाम साढ़े बारह सौ रुपये तक बढ़ाकर पुनः एक सौ सात रुपए की कमी […] Read more » satire on government दयालु सरकार : नथ्थू खुश
व्यंग्य दल बदलन के कारने नेता धरा शरीर February 1, 2014 / February 1, 2014 by एम. अफसर खां सागर | 1 Comment on दल बदलन के कारने नेता धरा शरीर -एम. अफसर खां सागर- सियासत क्या बला है और इसके दाव पेंच क्या हैं, इसका सतही इल्म न मुझे आज तक हुआ और न मैने कभी जानने की कोशिश की। अगर यूं समझें कि सियासी के हल्के में फिसड्डी हूं तो गलत न होगा। मगर सियासत ऐसी बला है कि आप इससे लाख पीछा छुड़ाएं मगर छूटने […] Read more » satire on politics दल बदलन के कारने नेता धरा शरीर
व्यंग्य … जब नारद जी सम्मानित हुए January 31, 2014 / January 31, 2014 by सुधीर मौर्य | 1 Comment on … जब नारद जी सम्मानित हुए – सुधीर मौर्य- युग पर युग बदल गए, पर अपने नारद भाई जस के तस। रत्ती पर भी बदलाव नहीं। हाथ में तानपूरा, होठों पे नारायण – नारायण और वही खबरनवीसी का काम।जाने कहां से टहलते-घूमते आपके चरन भारत मैया की धरती पर आटिके। तनिक देर में हीनारायनी शक्ति केबल पर आपने खबरनवीसी के हायटेक टेक्नोलॉजी की महत्ता समझली। इस टेक्नोलॉजी की महत्तासे घबराकर बेचारे पतली गली ढूंढ़ ही रहे थे कि एक उपकरणों से लैस पत्रकार के हाथों धरे गये। देखते ही पत्रकार मुस्कराकर बोला, क्या हल है तानपुरा मास्टर ? बेचारे नारद जी पत्रकार की स्टाइल से सिटपिटा गए। संभल के बोले अरे बोलने की गरिमा रखो। गरिमा को बांधो, कंधे पर पड़े अंगोछे में मिस्टर जानते नहीं हमारे सर […] Read more » ... जब नारद जी सम्मानित हुए satire on indian politics
व्यंग्य आम और खास January 30, 2014 / January 30, 2014 by बीनू भटनागर | 3 Comments on आम और खास -बीनू भटनागर- ‘आप’ के नेता आम से ख़ास होते जा रहे हैं… बिलकुल सही, ’आप’ के विरोधी और मीडिया लगातार उन्हें ख़ास बनाने मे लगे हुए हैं, बहुत मेहनत कर रहे हैं। वो आम बने रहना चाहें, तो भी ये उन्हें ख़ास बनाये बिना चैन की सांस नहीं लेंगे। अभी विरोधी दल का एक कार्यकर्ता […] Read more » AAP Arvind Kejrival आम और खास