व्यंग्य व्यंग्य बाण : रोग दरबारी May 21, 2013 by विजय कुमार | 1 Comment on व्यंग्य बाण : रोग दरबारी विजय कुमार लोग समझते हैं कि नौकरी से अवकाश प्राप्त कर लेने के बाद व्यक्ति की मौज ही मौज है; पर इसमें कितनी मौज है और कितनी मौत, यह भुक्तभोगी ही जानता है। किसी ने ठीक ही कहा है कि ‘‘जाके पांव न पड़ी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई।’’ विश्वास न हो, तो शर्मा […] Read more »
व्यंग्य हास्य-व्यंग्य-भाई-भाईचारा और भाई-भतीजावाद May 10, 2013 / May 10, 2013 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव ये जो भाई है यह बड़ा ही विचित्र किंतु सत्य किस्म का जीव होता है। मानव समाज में इसकी अनेक प्रजातियां पाई जाती हैं। मसलन- सगा भाई,सौतेला भाई,जुडवां भाई,छोटा भाई, मोटा भाई, गुरुभाई, धरम का भाई,दिहाड़ी भाई,तिहाड़ी भाई,घुन्नाभाई,मुन्नाभाई और चोरी-चोरी इक चोरी की डोरी से बंधे मौसेरे भाई। यानीकि यत्र-तत्र-सर्वत्र भाई-ही-भाई। एक […] Read more »
व्यंग्य हास्य व्यंग्य कविता: गांधीवादी परम्परा April 25, 2013 by मिलन सिन्हा | 1 Comment on हास्य व्यंग्य कविता: गांधीवादी परम्परा मिलन सिन्हा हमारे नेता जी काफी चर्चित थे . जनता से जो काम करने को कहते थे उसे पहले खुद करते थे . इस मामले वे अपने को पक्के सिद्धान्तवादी-गांधीवादी कहते थे . एक बार उन्होंने कहा, हम गरीबी हटाकर रहेंगे अब गरीबी रहेगी या हम रहेंगे . सिद्धान्त के मुताबिक उन्होंने पहले अपनी गरीबी […] Read more » गांधीवादी परम्परा हास्य व्यंग्य कविता
व्यंग्य मैं आदमी नहीं हूं मुनिया! April 22, 2013 / April 22, 2013 by अशोक गौतम | 2 Comments on मैं आदमी नहीं हूं मुनिया! देश की राजनीतिक नगरी में आयोजित देश की महान विभूतियों के पद्म श्री और पद्म विभूषण सम्मान समारोह में स्वर्ग की परियों को विशेष रूप से आमंत्रित किया गया था। बड़े दिनों तक सोच विचार के बाद स्वर्ग के प्रशासन ने परियों को सम्मान समारोह मे आने की अनुमति नहीं दी तो परियों ने अपने […] Read more » मैं आदमी नहीं हूं मुनिया!
व्यंग्य जिसकी बीवी मोटी उसका ही बड़ा नाम हैं… April 22, 2013 / April 22, 2013 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | Leave a Comment भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी महिला सशक्तीकरण को लेकर महिलाएँ भले ही न चिन्तित हों, लेकिन पुरूषों का ध्यान इस तरफ कुछ ज्यादा होने लगा है। जिसे मैं अच्छी तरह महसूस करता हूँ। मुझे देश-दुनिया की अधिक जानकारी तो नहीं है, कि ‘वुमेन इम्पावरमेन्ट’ को लेकर कौन-कौन से मुल्क और उसके वासिन्दे ‘कम्पेन’ चला रहे हैं, फिर […] Read more »
व्यंग्य कदम-कदम पर जंतर-मंतर और टोटके April 22, 2013 / April 22, 2013 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment सुरेश नीरव अंधविश्वास में अपना बड़ा ही हाईक्वालिटी का विश्वास है। क्योंकि अपनी नज़र में अंधविश्वास ही ऑरीजनल विश्वास है। बाकी सब बकवास है। मैं गर्व से कहता हूं कि मैं अंधविश्वास का अंध-समर्थक हूं। क्योंकि समर्थक ही अंधा हो सकता है। आपने क्या कभी कहीं कोई अंध-विरोधी देखा है। होता ही नहीं तो देखेंगे […] Read more » कदम-कदम पर जंतर-मंतर और टोटके
व्यंग्य बी.ए.आनर्स इन बाबागिरी / मातागिरी April 17, 2013 / April 17, 2013 by बीनू भटनागर | 3 Comments on बी.ए.आनर्स इन बाबागिरी / मातागिरी शिक्षा का सबसे बड़ा उद्देश्य व्यक्ति को किसी रोज़गार के लियें तैयार करना होता है। पहले विज्ञान, वाणिज्य, कला, इंजीनियरिंग, चिकित्सा और वकालत के अलावा स्नातक स्तर पर अधिक विषय नहीं पढ़ाये जाते थे, समय के साथ पत्रकारिता, फैशन, अभिनय जैसे क्षेत्र में हर स्तर के 4-6 महीने से लेकर 3 साल के डिग्री […] Read more » बी.ए.आनर्स इन बाबागिरी / मातागिरी
व्यंग्य जुगाड़ कर ,जुगाड़ कर, जुगाड़ कर!! April 10, 2013 / April 10, 2013 by अशोक गौतम | Leave a Comment हे कल छपने वाले अखबारों की ओर टकटकी लगाए देश वासियो ! छोड़ो कि कल के अखबार में वे क्या कहने वाले हैं तो परसों उसके बदले में वे क्या कहने वाले हैं। अखबार में कुछ देखना ही है तो छूट के, लूट के विज्ञापन देखो, देखो तो एक के साथ एक क्या क्या फ्री […] Read more »
व्यंग्य प्रेम इज सिट्रक्टली प्रहिबिटिड! April 10, 2013 by अशोक गौतम | 1 Comment on प्रेम इज सिट्रक्टली प्रहिबिटिड! वे आए और मेरे पास बैठ गए। चुपचाप! बड़ी देर तक मेरे डार्इ किए बालों को देखते रहे। जब उन्हें कुछ पता न चला तो शरमाते बोले,’ यार! माफ करना ! ये सिर में तुमने काला सा क्या लगा क्या रखा है? इस देश के लोगों के मुंह तो आए दिन काले होते ही रहे […] Read more »
व्यंग्य मधुमक्खी -अरिष्ट लक्षण April 9, 2013 by एल. आर गान्धी | Leave a Comment एल. आर. गाँधी राज कुमार के मधुमक्खियों के छत्ते में ‘रानी मक्खी’ पर जबसे मोदी ने निशाना साधा है …रानी की भक्त मण्डली के मखियाल भिन -भिन्ना उट्ठे हैं …मियाँ रशीद अल्वी को तो मोदी में यमराज के दर्शन होने लगे ..हों भी क्यों न …यमराज तो मात्र प्राण ही हरता है , मोदी राज-पाठ […] Read more » मधुमक्खी -अरिष्ट लक्षण
व्यंग्य भ्रष्टाचारी-जी की आरती April 2, 2013 by प्रभुदयाल श्रीवास्तव | Leave a Comment तेरी हर रोज विजय होवे हे भ्रष्ट तुम्हारी जै होवे| दिन दूनी रात चौगुनी अब ये रिश्वत बढ़ती जाती है नेता अफसर बाबू की तिकड़ी मिलजुलकर ही खाती है धोती कुरता टोपी वाले जब नेताजी बन जाते हैं ये बिना किसी डर दहशत के ये रिश्वत लप-लप खाते हैं खाने पीने में हर नेता संपूर्ण […] Read more » भ्रष्टाचारी-जी की आरती
व्यंग्य राजमाता का गुस्सा March 23, 2013 by एल. आर गान्धी | 1 Comment on राजमाता का गुस्सा हिन्दुस्तान को कोई भी मुल्क हलके में ‘न’ ले …और इटली भी …..राज माता का अपने मायके के प्रति यह गुस्सा …भारत को बनाना स्टेट मान बैठे लोगों को ‘बहुत हो चूका ‘ का सन्देश ही तो है. ..? पहले उड़न खटोलों की खरीद में किरकिरी करवा दी और अब वादा खिलाफी और वह भी […] Read more » राजमाता का गुस्सा