व्यंग्य तुम्हारा नाम क्या है ? January 31, 2013 / January 31, 2013 by बीनू भटनागर | 6 Comments on तुम्हारा नाम क्या है ? नाम की बड़ी महिमा है, नाम पहचान है, ज़िन्दगी भर साथ रहता है। लोग शर्त तक लगा लेते हैं कि ‘’भई, ऐसा न हुआ या वैसा न हुआ तो मेरा नाम बदल देना।‘’ कहने का मतलब यही है कि नाम मे क्या रक्खा है, कहना सही नहीं होगा । नाम बडी अभूतपूर्व चीज़ है। उसके […] Read more »
व्यंग्य बड़े आदमी की पोती होने का फ़ायदा. January 31, 2013 / January 31, 2013 by अरुण कान्त शुक्ला | 6 Comments on बड़े आदमी की पोती होने का फ़ायदा. वैसे तो बड़े आदमी का कुछ भी होने का बड़ा फ़ायदा होता है। जैसे की, बड़े आदमी का बीबी होने का फ़ायदा। बड़े आदमी का माँ होने का फ़ायदा| बाप होने का फ़ायदा। दोस्त होने का फ़ायदा| सबसे बड़ा दामाद होने का या चमचा होने का फायदा| पर, बड़े आदमी की पोती होने का भी […] Read more »
व्यंग्य गायब हुआ गण का सुकून,तंत्र हथिया रखा है तांत्रिकों ने January 27, 2013 by डॉ. दीपक आचार्य | Leave a Comment डॉ. दीपक आचार्य आज के दिन हर कहीं, हर बार मचता है शोर, और दो-चार दिन की धमाल के बाद फिर खो जाता है, बिना पेड़ों वाली पहाड़ियों के पार। आजादी के इतने सालों बाद भी गण को जिस तंत्र की तलाश थी उसका गर्भाधान तक नहीं हो सका अब तक, या कि लाख प्रयासों […] Read more »
व्यंग्य प्रोफेशनल बहू चाहिए January 26, 2013 / January 26, 2013 by एम. अफसर खां सागर | Leave a Comment एम. अफसर खां सागर मेरे बेहद करीबी मित्र हैं मिश्रा जी, शालीन व सहज, स्वभाव में उनका कोई सानी नहीं। खानदानी हैं मगर वसूल के पक्के। एक ही चिंता उन्हे खाये जा रही है किसी तरह बेटी के हाथ पीले हो जावे। जिसके घर जवान बेटी हो भला उसे दिन में चैन व रात में […] Read more »
व्यंग्य श्री साहेब जी January 22, 2013 / January 22, 2013 by एल. आर गान्धी | Leave a Comment एल आर गाँधी ‘श्री’ भारतीय सभ्यता का बहुत ही पौराणिक आदर सूचक शब्द है …श्री शब्द का प्रयोग किसी बहुत ही आदरणीय महापुरुष के नाम के पूर्व प्रयोग किया जाता है . इसके अतिरिक्त ‘श्री’ अलंकार को देवी ,लक्ष्मी, विष्णु व् श्री गणेश -समृद्धि और विघ्न हरने वाले विघ्नेश्वर आदि के लिए भी प्रयोग में […] Read more »
व्यंग्य गुड बाय! टेक केयर!! January 14, 2013 by अशोक गौतम | Leave a Comment सुबह सुबह फिटनेस के बहाने सरोजनी नगर की पटड़ी पर ताक झांक करने निकला था कि डिपो के पास के मंदिर के बाहर समान बांधे कोर्इ दिखा। पहले तो सोचा कि मंदिर का पुजारी घर जा रहा होगा। सर्दियों में वैसे भी मंदिर में धंधा कम हो जाता है। लोग घर से ही भगवान को […] Read more »
व्यंग्य पुस्तक लोकार्पण संस्कार January 13, 2013 / January 13, 2013 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव किताब से जिसका इतना-सा भी संबंध हो जितना कि एक बच्चे का चूसनी से तो वह समझदार व्यक्ति पुस्तक लोकार्पण के कार्यक्रम से जरूर ही परिचित होगा। भले ही वह इस कार्यक्रम की बारीकियां न जानता हो। यह कार्यक्रम लेखक क्यों करता है और कैसे –कैसे करता है इसकी केमिस्ट्री का उसे […] Read more » book release ceremony
व्यंग्य कैंडील मार्च करा लो… January 13, 2013 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव कभी रहा होगा भारत कृषि प्रधान देश। इक्सवींसदी में तो यह बाकायदा विश्व का टॉप मोमबत्ती प्रधान देश बन चुका है। जो मोमबत्तीमस्त देश भी है और मोमबत्तीग्रस्त और मोमबत्तीत्रस्त देश भी। मोमबत्तियां हमारे देश के लोकतंत्र का श्रंगार हैं। पब्लिक जब कभी सरकार पर गुस्सयाती है,लाल-पीली मोमबत्तियां लेकर वो तड़ से […] Read more » candle march
व्यंग्य प्रभु मोहे मन की मक्खी मिले December 25, 2012 / December 25, 2012 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment पंडित सुरेश नीरव हमें गर्व है कि हम उस मक्खी-प्रधान देश के वासी हैं जिसे कि मक्खियों के मामले में दुनिया में एक विकसित सुपरपावर देश का दर्जा हासिल है। मक्खी हमारे दैनिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है। मक्खी के बिना हमारी ज़िंदगी वैसी ही बेमतलब है जैसे गोरेपन की क्रीम के बिना रेशमी त्वचा। […] Read more » प्रभु मोहे मन की मक्खी मिले
व्यंग्य व्यंग्य बाण : भाषण की दुकान December 4, 2012 by विजय कुमार | Leave a Comment विजय कुमार अंग्रेजी की एक कहावत के अनुसार खाली दिमाग शैतान का घर होता है। यह कहावत संभवतः बच्चों और युवाओं के लिए बनाई गयी होगी; पर शर्मा जी ने जब से अवकाश लिया है, तब से यह उन पर भी फिट बैठ रही है। उनके इस खालीपन से सबसे अधिक परेशान शर्मानी मैडम हैं। […] Read more »
व्यंग्य व्यंग्य बाण : पुस्तक का गर्भकाल December 4, 2012 by विजय कुमार | 1 Comment on व्यंग्य बाण : पुस्तक का गर्भकाल विजय कुमार प्राणी शास्त्र के विद्यार्थियों को यह बताया जाता है कि किस प्राणी का गर्भकाल कितना होता है ? अंडे से जन्म लेने वाले प्राणियों का विकास मां के पेट के अंदर तथा फिर बाहर भी होता है। जो प्राणी सीधे मां के पेट से जन्मते हैं, उनमें से कोई छह मास गर्भ में […] Read more » पुस्तक
व्यंग्य यमराज-कसाब संवाद November 28, 2012 / November 28, 2012 by प्रवक्ता.कॉम ब्यूरो | 2 Comments on यमराज-कसाब संवाद चित्रगुप्त, कर्मो का लेखा-जोखा करने बैठे ही थे,कि एक युवक सलाम ठोकता हुआ आ खड़ा हुआ । इतनी सुबह-सुबह कौन हो भार्इ? प्रश्न अभी हवा में ही था कि यमराज भी आसंदी पर विराजमान हो गये! चित्रगुप्त! कौन है यह प्राणी?इस समय तो किसी आत्मा का आगमन होना नहीं था। जनाब मैं कसाब! अजमल आमिर […] Read more »