राजनीति व्यंग्य ‘नाली के कीडे’ May 1, 2011 / December 13, 2011 by आर. सिंह | 7 Comments on ‘नाली के कीडे’ बहुतों को इस लेख का शीर्षक देख कर आश्चर्य होगा,पर मेरी अपनी मजबूरी है. मैंने वर्षों पहले एक कविता लिखी थी. उस कविता का भी शीर्षक था,नाली के कीडे.( यह कविता प्रवक्त के दो अप्रैल के अंक में प़्रकाशित हुई हैऔर लेखक के लिये प्रवक्त द्वारा बनाये गये आर्काइव में भी उपलब्ध है). यह करीब […] Read more »
व्यंग्य व्यंग्य-भ्रष्टाचारी द्वीप के बौने April 18, 2011 / December 13, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 2 Comments on व्यंग्य-भ्रष्टाचारी द्वीप के बौने पंडित सुरेश नीरव न जाने कैसी ये हवा चली है कि आजकल वे लोग ज्यादा परेशान रहते हैं जो कि ईमानदारी से काम करना चाहते हैं। और जो न खुद खाते हैं और न किसी को खाने देते हैं। ईमानदारी के जुनून से त्रस्त ऐसे अधिकारियों के सबसे बड़े दुश्मन वे लोग होते हैं, जो […] Read more »
व्यंग्य व्यंग्य – फ्लैटों का आदर्श जुगाड़ April 18, 2011 / April 18, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 1 Comment on व्यंग्य – फ्लैटों का आदर्श जुगाड़ राजकुमार साहू वैसे देश में भ्रष्टाचार का बखेड़ा जहां-तहां छाया हुआ है। हर जुबान की शोभा केवल भ्रष्टाचार ही बढ़ा रहा है। कुछ महीनों पहले जब आदर्श सोसायटी के फ्लैटों का घोटाला उजागर हुआ, उसके बाद एक के बाद एक कई बडे भ्रष्टाचार हुए। जाहिर सी बात है, जब बात बड़ी-बड़ी हो रही हो […] Read more »
व्यंग्य व्यंग्य/ दिल्ली मरतु लेखक अवलोकी April 14, 2011 / December 14, 2011 by अशोक गौतम | 1 Comment on व्यंग्य/ दिल्ली मरतु लेखक अवलोकी डॉ. अशोक गौतम किसी और का लेखक के साथ चोली दामन का संबंध हो या न पर लेखक और बीमारी का चोली दामन का संबंध होता है। चाहे वह किसी प्रेमिका की बीमारी हो अथवा लेखन की। इस बीमारी के चलते बहुधा लेखक की ब्याहता पत्नियां तो न के बराबर ही टिकती हैं पर […] Read more » लेखक
व्यंग्य व्यंग्य/ हिम्मत, संयम बनाए रखें बस April 7, 2011 / December 14, 2011 by अशोक गौतम | 3 Comments on व्यंग्य/ हिम्मत, संयम बनाए रखें बस अशोक गौतम आदरणीय परिधानमंत्री जी को सादर प्रनाम! मुझे न आशा है न विश्वास कि इन दिनों आप स्वस्थ और सानंद होंगे। कारण, कुछ दिनों से अपने देस के अखबार छपते बाद में हैं आपके खिलाफ कुछ न कुछ ऐसा वैसा छपा अनपढ़ जनता पढ़ पहले लेती है। ऊपर से विपक्ष को पता नहीं […] Read more »
व्यंग्य अप्रैल फूल की पौराणिक धरोहर March 27, 2011 / December 14, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 5 Comments on अप्रैल फूल की पौराणिक धरोहर अप्रैल फूल नामक त्योहार दुनिया का एक मात्र धर्मनिरपेक्ष,वर्गनिरपेक्ष,क्षेत्रनिरपेक्ष और अघोषित छुट्टीवाला एक ऐसा ग्लोबल त्योहार है,जिस दिन नुकसानरहित मज़ाक के जरिए एक-दूसरे को सार्वजनिकरूप से मूर्ख बनाने का संवैधानिक अधिकार हर आदमी को फोकट में मिल जाता है। इसका मतलब यह कतई नहीं है कि इस दिन के अलावा आदमी आदमी को मूर्ख बनाता […] Read more »
व्यंग्य व्यंग्य बाण : दर्द का हद से गुजरना है… February 16, 2011 / December 15, 2011 by विजय कुमार | 2 Comments on व्यंग्य बाण : दर्द का हद से गुजरना है… विजय कुमार दुनिया में शायद ही कोई हो, जिसे कभी दर्द का अनुभव न हुआ हो। बूढ़ों में सिर, हाथ, पैर या पूरे शरीर का दर्द, बच्चों में विद्यालय न जाने के लिए पेट का दर्द और युवाओं के दिल में दर्द प्रायः देखने में आता हैं; पर लेखकों को एक विशेष प्रकार का दर्द […] Read more » Pain दर्द
व्यंग्य व्यंग्य/ जाओ! जमकर हुड़दंग पाओ!! February 7, 2011 / December 15, 2011 by अशोक गौतम | Leave a Comment अशोक गौतम ज्यों ही दूरदर्शन ने मौसम विभाग की ओर से जानकारी दी कि अबके वसंत सही समय पर आ रहा है जिससे जनता में निरंतर गिर रहे प्रेम की रेपोदर में धुआंधार वृद्धि होने की पूरी आशंका है तो सरकार की बांछें खिल गईं। वह खुश थी कि चलो उसके राज में कुछ तो […] Read more »
व्यंग्य व्यंग्य/पुलिस के डंडे का नागरिक-अभिनन्दन February 3, 2011 / December 15, 2011 by गिरीश पंकज | Leave a Comment गिरीश पंकज हे पुलिसजी के डंडे…. आपको दूर से नमन. आप जैसे तेलपीऊ-डंडे ने इस देश की जो सिरतोड़-फोड़ सेवा की है, उसके आगे हमसब नतमस्तक है.इस डंडे को धारण करने वाली वर्दी को देख कर उसका काफिया वर्दी… बेदर्दी. गुंडागर्दी से भी मिला दिया जाता है. वैसे यह गलत है, अन्याय है. डंडे का […] Read more » police torture पुलिस के डंडे का नागरिक-अभिनन्दन
व्यंग्य व्यंग्य/ हे गण, न उदास कर मन!! January 26, 2011 / December 16, 2011 by अशोक गौतम | 1 Comment on व्यंग्य/ हे गण, न उदास कर मन!! अशोक गौतम गण उठ, महंगाई का रोना छोड़। महंगाई का रोना बहुत रो लिया। पहले मां बच्चे को रोने से पहले खुद दूध देती थी। तब देश में लोकतंत्र नहीं था। अब समय बदल गया है। बच्चा रोता है तो भी मां उसे दूध देने के लिए सौ नखरे करती है। मां और तंत्र को […] Read more » vyangya व्यंग्य
व्यंग्य यात्रा-संस्मरण/ इजिप्त की सैर- पिरामिडों के देश में January 26, 2011 / December 16, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 2 Comments on यात्रा-संस्मरण/ इजिप्त की सैर- पिरामिडों के देश में पंडित सुरेश नीरव विश्वप्रसिद्ध पिरामिडों,ममियों और विश्व सुंदरी नेफरीतीती और क्लियोपेट्रा के देश इजिप्त के लिए 11जनवरी2011 को गल्फ एअर लाइंस की फ्लाइट से हम लोग बेहरीन के लिए दिल्ली से सुबह 5.30 बजे की फ्लाइट से रवाना हुए। इजिप्त की राजधानी केरों पहुंचने के लिए बेहरीन से दूसरी फ्लाइट लेनी होती है। जोकि पूरे […] Read more » Yatra sansmaran यात्रा-संस्मरण
राजनीति व्यंग्य वामपंथियों की उल्टी दुनिया January 17, 2011 / December 16, 2011 by विजय कुमार | 3 Comments on वामपंथियों की उल्टी दुनिया विजय कुमार अयोध्या प्रकरण पर सत्य के पक्ष में निर्णय आने पर कुछ दिन चुप रहकर अपनी आदत से मजबूर वामपंथी फिर वही उल्टा बाबरी राग गाने लगे। तब से मैं इनकी जन्मकुंडली का अध्ययन कर रहा हूं। बचपन में जब मेरा परिचय कम्यूनिस्ट शब्द से हुआ, तो मैं इन्हें पशु समझता था; पर फिर […] Read more » Left वामपंथ