व्यंग्य हास्य-व्यंग्य : हैसियत नजरबट्टू की November 12, 2010 / December 20, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 1 Comment on हास्य-व्यंग्य : हैसियत नजरबट्टू की बैचेनियां समेटकर सारे जहान की,जब कुछ न बन सका तो मुझे कवि बना दिया।वैसे तो यह हर कवि का आत्मकथ्य है,जो जिंदगी के दंगल में चौतरफा शिकस्त हासिल करता है,वो जुझारू व्यक्ति अचानक कविता का मुकुट पहनकर साहित्य के सिंहासन पर उछलकर चढ़ जाता है ठीक वैसे ही जैसे कि शोले फिल्म में वीरू निराशा […] Read more » vyangya व्यंग्य
व्यंग्य हास्य-व्यंग्य-गोरेपन की क्रीम का कहर November 11, 2010 / December 20, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment -पंडित सुरेश नीरव विनाश काले विपरीत बुद्धि। जी हां, जब सत्यानाश होना होता है तो अच्छे-अच्छे अक्लमंद भी उलट बुद्धि हो जाते हैं। चाहे नर हो या नारी,अधिकीरी हो या भिखारी ऐसे आपत्तिकाल में उनकी अक्ल मौका देखकर पतली गली से घास चरने चली जाती है। ऐसे भीषण विपत्ति के समय में जिनकी बुद्धि घास […] Read more » vyangya क्रीम गोरेपन
व्यंग्य व्यंग्य : प्रवेश अधिसूचना November 11, 2010 / December 20, 2011 by अशोक गौतम | Leave a Comment राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विकास संस्थान (एनआइसीडी) राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विकास के क्षेत्र में राष्ट्र का अग्रणी उत्कृट संस्थान है । यह संस्थान भ्रष्टाचार के अध्ययन, प्रशिक्षण, अनुसंधान एवं परामर्श् के अंतर संबंधी कि्रयाकलापों के द्वारा भ्रष्टाचार विकास कार्यकताओं, चयनित प्रतिनिधियों, भ्रष्टाचारविदों एवं आने वाली युवापी़ढी में भ्रष्टाचार क्षमता निर्माण के लिए वचनबद्ध है। संस्थान के संकायों में […] Read more » vyangya
व्यंग्य हास्य-व्यंग्य : झगड़े का एजेंड़ा November 10, 2010 / December 20, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 1 Comment on हास्य-व्यंग्य : झगड़े का एजेंड़ा कल सबह-सबह दरवाजे पर घंटी बजी। मुझे झुंझलाहट हुई कि इतनी सुबह-सुबह कौन मेरे घर सिधार गया। सोचा शायद दूधवाला हो। मैं दूध का बर्तन लिए लपककर दरवाजा खोलता हूं। मगर दिन का भ्रूणावस्था में ही सत्यानाश करनेवाले सज्जन पारंपरिक शैली के दूधवाले नहीं थे।. वैसे थे वे भी दूधवाले ही। वे मुझे दूध देने […] Read more » vyangya पंडित सुरेश नीरव हास्य-व्यंग्य
व्यंग्य हास्य व्यंग्य : षष्टिपूर्ति बनाम शोक सभा November 9, 2010 / December 20, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 1 Comment on हास्य व्यंग्य : षष्टिपूर्ति बनाम शोक सभा – पं. सुरेश नीरव और साहब बेचारे प्रेमीजी आखिर बाकायदा सठिया ही गए। मतलब ये हुआ कि जीवन के पूरे साठ पतझड़ झेलकर भी वे अभी तक नाटआउट हैं। लोग खुश हैं कि इतनी दरिद्रता भोगने के बाद भी प्रेमीजी मरे नहीं हैं। वे कुछ दिन और कष्ट भोगें उनकी यही अखंड अमंगल कामनाएं हैं। […] Read more » vyangya व्यंग्य
व्यंग्य हास्य-व्यंग्य : माल बनाम इज्जत – इज्जत बनाम माल November 8, 2010 / December 20, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment एक समय था हमारे देश में, जब लोग इज्जतदार हुआ करते थे। आजकल लोग मालदार होते हैं। इज्जत उन्हें बतौर गिफ्ट-हैंपर माल के साथ फ्री मिल जाती है। इसलिए लोग अब माल के पीछे भागते हैं। इज्जत के पीछे नहीं। आज के चलन में जब बेचारी इज्जत खुद ही पीछे रह गई हो तो उसके […] Read more » vyangya पंडित सुरेश नीरव हास्य-व्यंग्य
व्यंग्य गठन मुर्दा-संसाधन मंत्रालय का.. November 6, 2010 / December 20, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 2 Comments on गठन मुर्दा-संसाधन मंत्रालय का.. पंडित सुरेश नीरव इंडिया को विकसित देशों की कतार में जल्दी-से जल्दी कैसे लाया जाए,इस विषय पर अभी हाल में ही एक पांच सितारा चिंतन गोष्ठी आयोजित की गई। दो-दो-तीन-तीन पीढ़ियों से देशसेवा में लगे राष्ट्र सेवा के अभ्यासी परिवारों के रोशन चिराग अपनी खानदानी परंपरा के अनुसार स्वदेश प्रेम की भावना से लैस होकर […] Read more » Ministry मंत्रालय
व्यंग्य हास्य-व्यंग्य/उल्लुं शरणं गच्छामि November 4, 2010 / December 20, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 1 Comment on हास्य-व्यंग्य/उल्लुं शरणं गच्छामि -पंडित सुरेश नीरव जी हां जनाब बात ही है ये रोने की। कि ऐसी लागी नजर कुटिल जादू-टोने की। कि हमारा देश जो कभी चिड़या थी सोने की,उसे डकार गया उल्लू राजनीति का और अब दूर-दूर तक दिखाई नहीं पड़ती, उस सुनहरी चिड़िया की निशानी। अब तो गांव,शहर, प्रदेश में,संपूर्ण देश के परिवेश में भाजपा,सपा,बसपा […] Read more » Owl उल्लू
व्यंग्य व्यंग/बेटा अकादमी के चूहे का November 1, 2010 / December 20, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment -पंडित सुरेश नीरव वह आज भी दफ्तर से बिना काम किये शान से वेतन उठा रहा है। दफ्तर में वह कभी काम करता है यह कहकर मैं उसे सपरिवार अपमानित नहीं करना चाहता। बिना काम किए प्रमोशन पाने की खानदानी परंपरा को वह आज भी बरकरार रखे हुए है। पिताजी ने नसीहत देते हुए अपने […] Read more » vyangya
व्यंग्य व्यंग/गाली November 1, 2010 / December 20, 2011 by राम कृष्ण खुराना | 6 Comments on व्यंग/गाली -राम कृष्ण खुराना मुझे कुत्ता पालने का कोई शौक नहीं था। मैं कुत्ते, बिल्ली आदि जानवर पालने को अमीरों के चोंचले मानता था। सुबह शाम लोगों को कुत्ते की जंजीर हाथ में पकड कर टहलते हुए देखता तो मैं उनको फुकरा समझा करता था जो अपनी झूठी शान दिखाने के लिए आडम्बर करते हैं। पिक्चरों […] Read more » vyangya
व्यंग्य जूते भी ईमानदार हो गए… October 30, 2010 / December 20, 2011 by प्रवक्ता ब्यूरो | 5 Comments on जूते भी ईमानदार हो गए… -आशीष तिवारी दिल्ली में गिलानी की सभा में किसी ने उनपर जूता फेंक दिया. ये जूता उनको लगा नहीं. अब इसे क्या कहेगे आप? इससे पहले भी कई लोगों को निशाना बना कर जूते फेंके जा चुके हैं. कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को भी नीरिह जूते का निशाना बनाने की कोशिश की गयी थी पर […] Read more » Honest ईमानदार
व्यंग्य अगले जनम मोहे….. October 29, 2010 / December 20, 2011 by विजय कुमार | Leave a Comment -विजय कुमार बाबा तुलसीदास लिख गये हैं – हानि लाभ जीवन मरण, यश अपयश विधि हाथ। सभी संतों ने इसे अपनी-अपनी तरह से कहा है। जहां तक पुर्नजन्म की बात है, भारतीय धर्म और पंथ तो इसे मानते हैं; पर विदेशी मजहब इसे स्वीकार नहीं करते। पिछले दिनों एक गोष्ठी में चर्चा का यही विषय […] Read more » vyangya