व्यंग्य हास्य-व्यंग्य : काल के गाल में अकाल November 17, 2010 / December 19, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 1 Comment on हास्य-व्यंग्य : काल के गाल में अकाल स्कूली दिनों में मास्साब ने घौंटा लगवा के याद करवाया था कि काल तीन तरह के होते हैं- भूतकाल,वर्तमानकाल और भविष्यकाल। सोचता हूं कि काल का कितना अकाल था उन दिनों। बस ले-देकर टिटरूंटू बस तीन ही काल। बस इनी के टेंटू लगाकर घूमो। प्रातःकाल,सांयकाल और रात्रिकाल बस सिर्फ और सिर्फ तीन ही काल। आज […] Read more » starvation काल के गाल में अकाल
व्यंग्य हास्य-व्यंग्य : शोकसभा का कुटीर उद्योग November 16, 2010 / December 19, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment आज सुबह-सुबह शोकसभानंदजी का हमारे मोबाइल पर अचानक हमला हुआ। मैं-तो-मैं, मेरा मोबाइल भी आनेवाली आशंका के भय से कराह उठा। शोकसभानंदजी की हाबी है उत्साहपूर्वक शोकसभा आयोजित करना। हर क्षण वह तैयार बैठे रहते हैं कि इधर किसी की खबर आए और उधर वे तड़ से अपनी शोकसभा का कुटीर उद्योग शुरूं करें। वैसे […] Read more » Requiem of a cottage industry पंडित सुरेश नीरव शोकसभा का कुटीर उद्योग हास्य-व्यंग्य
व्यंग्य व्यंग्य : जाले अच्छे हैं! November 16, 2010 / December 19, 2011 by अशोक गौतम | 2 Comments on व्यंग्य : जाले अच्छे हैं! मां बहुत कहती रही थी कि मरने के लिए मुझे गांव ले चल। पर मैं नहीं ले गया। सोचा कि गांव में तो मां रोज ही मरती रही। एक बार मां शहर में भी देख कर मर ले तो मेरा शहर आना सफल हो। वह आजतक किसीके आगे सीना चौड़ा कर कुछ कह तो नहीं […] Read more » Webs are good chuckle अशोक गौतम व्यंग्यजाले अच्छे हैं
व्यंग्य व्यंग्य: हैसियत नजरबट्टू की अन्यथा सड़के ही सोने की होती November 15, 2010 / December 19, 2011 by रामस्वरूप रावतसरे | 1 Comment on व्यंग्य: हैसियत नजरबट्टू की अन्यथा सड़के ही सोने की होती एक बार किसी कारण वश मुझे नगर परिषद जाना पडा । वहां कुछ लोग बैठे थे तभी एक सज्जन आये ,और उन्होने पहले से बैठे अपने परिचित एवं स्वजातीय एक सज्जन से पूछा ’’आज यहां कैसे बैठे हो?’’पहले से बैठे सज्जन ने कहा कि ’’वे अपने मौहल्ले की सडक के निर्माण का प्रस्ताव लेकर आये […] Read more » golden roads in India व्यंग्य सड़के ही सोने की होती हैसियत नजरबट्टू की
व्यंग्य हास्य-व्यंग्य : नारी सशक्तीकरण वर्सेज पुरुष सशक्तीकरण November 15, 2010 / December 19, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 4 Comments on हास्य-व्यंग्य : नारी सशक्तीकरण वर्सेज पुरुष सशक्तीकरण नारी सशक्तीकरण पर गोष्ठी करने का फैशन समकालीन हिंदी साहित्य की आज सबसे बड़ी उत्सवधर्मिता है। स्त्री-विमर्श के सैंकड़ों केन्द्र आज साहित्य में दिन-रात सक्रिय हैं। जगह-जगह काउंटर सजे हुए हैं। गौरतलब खासियत यह है कि इन जलसों में सबसे ज्यादा भागीदारी पुरुषों की होती है। जैसे मद्यनिषेद्य गोष्ठी में पीने के शौकीन लोग वहां […] Read more » men empowerment Women's empowerment नारी सशक्तीकरण पंडित सुरेश नीरव पुरुष सशक्तीकरण हास्य-व्यंग्य
व्यंग्य हास्य-व्यंग्य : हैसियत नजरबट्टू की November 12, 2010 / December 20, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 1 Comment on हास्य-व्यंग्य : हैसियत नजरबट्टू की बैचेनियां समेटकर सारे जहान की,जब कुछ न बन सका तो मुझे कवि बना दिया।वैसे तो यह हर कवि का आत्मकथ्य है,जो जिंदगी के दंगल में चौतरफा शिकस्त हासिल करता है,वो जुझारू व्यक्ति अचानक कविता का मुकुट पहनकर साहित्य के सिंहासन पर उछलकर चढ़ जाता है ठीक वैसे ही जैसे कि शोले फिल्म में वीरू निराशा […] Read more » vyangya व्यंग्य
व्यंग्य हास्य-व्यंग्य-गोरेपन की क्रीम का कहर November 11, 2010 / December 20, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment -पंडित सुरेश नीरव विनाश काले विपरीत बुद्धि। जी हां, जब सत्यानाश होना होता है तो अच्छे-अच्छे अक्लमंद भी उलट बुद्धि हो जाते हैं। चाहे नर हो या नारी,अधिकीरी हो या भिखारी ऐसे आपत्तिकाल में उनकी अक्ल मौका देखकर पतली गली से घास चरने चली जाती है। ऐसे भीषण विपत्ति के समय में जिनकी बुद्धि घास […] Read more » vyangya क्रीम गोरेपन
व्यंग्य व्यंग्य : प्रवेश अधिसूचना November 11, 2010 / December 20, 2011 by अशोक गौतम | Leave a Comment राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विकास संस्थान (एनआइसीडी) राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विकास के क्षेत्र में राष्ट्र का अग्रणी उत्कृट संस्थान है । यह संस्थान भ्रष्टाचार के अध्ययन, प्रशिक्षण, अनुसंधान एवं परामर्श् के अंतर संबंधी कि्रयाकलापों के द्वारा भ्रष्टाचार विकास कार्यकताओं, चयनित प्रतिनिधियों, भ्रष्टाचारविदों एवं आने वाली युवापी़ढी में भ्रष्टाचार क्षमता निर्माण के लिए वचनबद्ध है। संस्थान के संकायों में […] Read more » vyangya
व्यंग्य हास्य-व्यंग्य : झगड़े का एजेंड़ा November 10, 2010 / December 20, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 1 Comment on हास्य-व्यंग्य : झगड़े का एजेंड़ा कल सबह-सबह दरवाजे पर घंटी बजी। मुझे झुंझलाहट हुई कि इतनी सुबह-सुबह कौन मेरे घर सिधार गया। सोचा शायद दूधवाला हो। मैं दूध का बर्तन लिए लपककर दरवाजा खोलता हूं। मगर दिन का भ्रूणावस्था में ही सत्यानाश करनेवाले सज्जन पारंपरिक शैली के दूधवाले नहीं थे।. वैसे थे वे भी दूधवाले ही। वे मुझे दूध देने […] Read more » vyangya पंडित सुरेश नीरव हास्य-व्यंग्य
व्यंग्य हास्य व्यंग्य : षष्टिपूर्ति बनाम शोक सभा November 9, 2010 / December 20, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 1 Comment on हास्य व्यंग्य : षष्टिपूर्ति बनाम शोक सभा – पं. सुरेश नीरव और साहब बेचारे प्रेमीजी आखिर बाकायदा सठिया ही गए। मतलब ये हुआ कि जीवन के पूरे साठ पतझड़ झेलकर भी वे अभी तक नाटआउट हैं। लोग खुश हैं कि इतनी दरिद्रता भोगने के बाद भी प्रेमीजी मरे नहीं हैं। वे कुछ दिन और कष्ट भोगें उनकी यही अखंड अमंगल कामनाएं हैं। […] Read more » vyangya व्यंग्य
व्यंग्य हास्य-व्यंग्य : माल बनाम इज्जत – इज्जत बनाम माल November 8, 2010 / December 20, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | Leave a Comment एक समय था हमारे देश में, जब लोग इज्जतदार हुआ करते थे। आजकल लोग मालदार होते हैं। इज्जत उन्हें बतौर गिफ्ट-हैंपर माल के साथ फ्री मिल जाती है। इसलिए लोग अब माल के पीछे भागते हैं। इज्जत के पीछे नहीं। आज के चलन में जब बेचारी इज्जत खुद ही पीछे रह गई हो तो उसके […] Read more » vyangya पंडित सुरेश नीरव हास्य-व्यंग्य
व्यंग्य गठन मुर्दा-संसाधन मंत्रालय का.. November 6, 2010 / December 20, 2011 by पंडित सुरेश नीरव | 2 Comments on गठन मुर्दा-संसाधन मंत्रालय का.. पंडित सुरेश नीरव इंडिया को विकसित देशों की कतार में जल्दी-से जल्दी कैसे लाया जाए,इस विषय पर अभी हाल में ही एक पांच सितारा चिंतन गोष्ठी आयोजित की गई। दो-दो-तीन-तीन पीढ़ियों से देशसेवा में लगे राष्ट्र सेवा के अभ्यासी परिवारों के रोशन चिराग अपनी खानदानी परंपरा के अनुसार स्वदेश प्रेम की भावना से लैस होकर […] Read more » Ministry मंत्रालय