परिचर्चा महिला-जगत परिचर्चा : राष्ट्रमंडल खेल और सेक्स August 4, 2010 / April 9, 2014 by संजीव कुमार सिन्हा | 144 Comments on परिचर्चा : राष्ट्रमंडल खेल और सेक्स यह पतन की पराकाष्ठा है। पश्चिमी सभ्यता भारतीय जीवन-मूल्यों को लीलने में जुटा हुआ है। भारतीय खान-पान, वेश-भूषा, भाषा, रहन-सहन, जीवन-दर्शन इन सब पर पाश्चात्य प्रवृति हावी होती जा रही है। हम नकलची होते जा रहे हैं। हम अपना वैशिष्टय भूलते जा रहे हैं। हम स्व-विस्मृति के कगार पर हैं। अच्छी प्रवृतियों की नकल करने […] Read more » Sex राष्ट्रमंडल खेल सेक्स
परिचर्चा विविधा परिचर्चा : आम आदमी आज दाल-रोटी तक के लिए मोहताज June 25, 2010 / April 9, 2014 by संजीव कुमार सिन्हा | 33 Comments on परिचर्चा : आम आदमी आज दाल-रोटी तक के लिए मोहताज जबसे केंद्र में कांग्रेस-नीत संप्रग सरकार सत्तासीन हुई है महंगाई लगातार बेलगाम होती जा रही है। कीमत थमने का नाम ही नहीं ले रही है। जीवनावश्यक वस्तुओं की कीमतों ने सभी रिकार्ड तोड़ते हुए गरीबों की कमर भी तोड दी है। आम आदमी का जीना दूभर हो गया है। उसके सामने दो वक्त की रोटी […] Read more » Inflation कांग्रेस महंगाई यूपीए संप्रग सोनिया गांधी
परिचर्चा परिचर्चा : क्या जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए? May 29, 2010 / April 9, 2014 by संजीव कुमार सिन्हा | 75 Comments on परिचर्चा : क्या जाति आधारित जनगणना होनी चाहिए? देश में ‘2011 की जनगणना’ का कार्य चल रहा है। पिछले दिनों विपक्ष सहित सत्तारूढ संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के कई घटक दलों ने जनगणना में जाति को आधार बनाने की मांग की। केंद्र सरकार ने दवाब में आकर उनकी मांग को स्वीकार कर लिया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में घोषणा की कि केन्द्रीय मंत्रिमंडल […] Read more » Ethnic census जातीय जनगणना
परिचर्चा राजनीति परिचर्चा: ‘नक्सलवाद’ के बारे में आपका क्या कहना है… April 7, 2010 / April 9, 2014 by संजीव कुमार सिन्हा | 52 Comments on परिचर्चा: ‘नक्सलवाद’ के बारे में आपका क्या कहना है… एक तरफ दिल्ली में 7 फरवरी, 2010 को आंतरिक सुरक्षा पर मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह कहते हैं, ‘नक्सलवाद आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है।’ वहीं दूसरी ओर, 4 अप्रैल को पश्चिम बंगाल के नक्सलवाद प्रभावित इलाकों-लालगढ़ और मिदनापुर के दौरे पर गए हमारे गृहमंत्री पी. चिदंबरम माओवाद विरोधी अभियान […] Read more » Naxalism नक्सलवाद माओवाद
परिचर्चा विविधा परिचर्चा : राज ठाकरे की राजनीति के बारे में आप क्या कहते हैं? February 8, 2010 / April 9, 2014 by संजीव कुमार सिन्हा | 31 Comments on परिचर्चा : राज ठाकरे की राजनीति के बारे में आप क्या कहते हैं? स्वस्थ बहस ही लोकतंत्र का प्राण होती है। ‘प्रवक्ता डॉट कॉम‘ पर हुए विचार-विमर्शों में हमने हमेशा आम आदमी की आवाजों को प्रमुख स्थान दिया है। हमने कहा है, ‘प्रवक्ता डॉट कॉम’ का मतलब ‘आवाज आपकी’। ‘प्रवक्ता’ पर हम एक नया स्तंभ ‘परिचर्चा‘ प्रारंभ कर रहे हैं। यहां आप समसामयिक प्रश्नों पर अपने विचार व्यक्त […] Read more » Raj Thakre क्षेत्रवाद परिचर्चा राज ठाकरे
परिचर्चा राजनीति परिचर्चा : मार्क्सवाद और धर्म January 20, 2010 / April 9, 2014 by संजीव कुमार सिन्हा | 36 Comments on परिचर्चा : मार्क्सवाद और धर्म इन दिनों ‘मार्क्सवाद और धर्म के बीच संबंध’ पर बहस जोरों पर है। पिछले दिनों केरल से माकपा के पूर्व सासद डा. केएस मनोज ने अपनी आस्था व उपासना के अधिकार की रक्षा का प्रश्न उठाते हुए पार्टी से त्यागपत्र दे दिया। डा. केएस मनोज को 2004 में माकपा ने तब लोकसभा का टिकट दिया […] Read more » Marxism धर्म मार्क्सवाद
परिचर्चा हिंद स्वराज परिचर्चा : हिंद स्वराज की प्रासंगिकता October 2, 2009 / April 9, 2014 by संजीव कुमार सिन्हा | 56 Comments on परिचर्चा : हिंद स्वराज की प्रासंगिकता हिंद स्वराज’ महात्मा गांधी की चर्चित कृति है। इसे प्रकाशित हुए 100 साल हो गए। यह एक बीज पुस्तक है। यह भारतीय व्यवस्था का वैकल्पिक मॉडल है। गांधीजी ने इस पुस्तक में अहिंसा, नैतिकता, स्वदेशी, स्वावलंबन, समता, सभ्यातागत विमर्शों पर अपने विचार प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने मशीनी सभ्यता की आलोचना करते हुए पश्चिमी देशों के […] Read more » hind swaraj हिंद स्वराज