राजनीति विपक्ष के चूहों की भागदौड़ और प्रधानमंत्री मोदी April 12, 2024 / April 12, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment अरुणाचल प्रदेश में विधानसभा की 10 सीटों पर भाजपा ने निर्विरोध चुनाव जीतकर यह स्पष्ट कर दिया है कि पूर्वोत्तर भारत में उसका कोई विकल्प नहीं है । इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में गड़बड़ी कराकर भाजपा पर चुनाव जीतने का आरोप लगाने वाले विपक्ष को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए कि आखिर उसने अरुणाचल प्रदेश में […] Read more » Opposition's rat race and Prime Minister Modi विपक्ष के चूहों की भागदौड़ और प्रधानमंत्री मोदी
राजनीति भारतीय हिंदू शुद्धि सभा के संस्थापक स्वामी श्रद्धानंद जी महाराज April 12, 2024 / April 12, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment जब से मुसलमान भारत में आए तब से ही उन्होंने भारत के वैदिक धर्म को समाप्त करने का बीड़ा उठा लिया था। भारत पर उनके किए गए आक्रमण का उद्देश्य राजनीतिक न होकर धार्मिक अधिक था। काफिर लोगों को मिटाकर इस्लाम का परचम लहराना ही उनका प्रमुख उद्देश्य था। अपने इस उद्देश्य से प्रेरित होकर […] Read more » भारतीय हिंदू शुद्धि सभा के संस्थापक स्वामी श्रद्धानंद जी महाराज
राजनीति आप के आदर्श शिक्षा मॉडल की स्थिति चिन्तनीय April 10, 2024 / April 10, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- देश ही नहीं, दुनिया के अनेक देशों में दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने अपने शिक्षा मॉडल को अनुकरणीय बताया एवं अपनी सरकार की बड़ी उपलब्धि के रूप में बहुप्रचारित किया लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय में इसकी पोल खुल गयी। न्यायालय ने दिल्ली की स्कूलों की स्थिति अत्यंत चिन्तनीय, दुखद एवं अपर्याप्त बताते […] Read more » The condition of your ideal education model is a matter of concern. आप के आदर्श शिक्षा मॉडल
राजनीति प्रधानमंत्री मोदी की राष्ट्र नीति बनाम राजनीति April 10, 2024 / April 7, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment 31 जनवरी 2024 को देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित किया और अपना बजट भाषण प्रस्तुत किया। 5 फरवरी को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति के बजट अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में अपना भाषण दिया । उन्होंने अपने भाषण में अपने 10 वर्ष […] Read more » Prime Minister Modi's national policy vs politics राष्ट्र नीति बनाम राजनीति
राजनीति लोकसभा चुनाव में एक नये अध्याय की शुरुआत हो April 9, 2024 / April 9, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग-लोकसभा चुनाव में चुनावी मैदान सज गया है, सभी राजनीतिक दलों में एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोपों का सिलसिला हमेशा की तरह परवान चढ़ने लगा है। राजनीति में स्वच्छता, नैतिकता एवं मूल्यों की स्थापना के तमाम दावों के अनैतिकता, दल-बदल, आरोप-प्रत्यारोप की हिंसक मानसिकता पसरी है। राजनेता दलबदल की ताल ठोक रहे हैं। दलबदलुओं को […] Read more » A new chapter begins in the Lok Sabha elections
कला-संस्कृति धर्म-अध्यात्म राजनीति सृष्टि चक्र का शाश्वत सनातन संवाहक भारतीय नवसम्वत्सर April 9, 2024 / April 9, 2024 by कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल | Leave a Comment ~ कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि भारतीय संस्कृति में अपना विशिष्ट महत्व रखती है। यह तिथि नवसम्वत्सर – हिन्दू नववर्ष के उत्साह पर्व की तिथि है। यह तिथि भारतीय मेधा के शाश्वत वैज्ञानिकीय चिंतन – मंथन के साथ – साथ लोकपर्व के रङ्ग में जीवन के सर्वोच्च आदर्शों से एकात्मकता स्थापित […] Read more » Indian Nava Samvatsara the eternal conductor of the cycle of creation
राजनीति लेख हमें चार्ल्स डार्विन नहीं ,आचार्य कपिल चाहिए April 9, 2024 / April 7, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment भारत बदल रहा है, यह कहना उतना उचित नहीं है जितना यह कहना उचित है कि भारत अपने मूल से जुड़ रहा है। अपनी जड़ों को पहचान रहा है ।अपनी वास्तविकता को जान रहा है। जब किसी भी देश के आम जीवन में इस प्रकार के क्रांतिकारी परिवर्तन की लहर चलती है तो समझना चाहिए […] Read more » आचार्य कपिल
राजनीति विधि-कानून कानूनी सख्ती के बावजूद क्यों पनप रही है बाल-तस्करी April 8, 2024 / April 8, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- देश की राजधानी दिल्ली में तमाम जांच एजेंसियों की नाक के नीचे नवजात बच्चों की खरीद-फरोश्त की मंडी चल रही थी जहां दूधमुंहे एवं मासूम बच्चों को खरीदने-बेचने का धंधा चल रहा था। दिल्ली की ‘बच्चा मंडी’ के शर्मनाक एवं खौफनाक घटनाक्रम का पर्दापाश होना, अमानवीतया एवं संवेदनहीनता की चरम पराकाष्ठा है। जिसने […] Read more » पनप रही है बाल-तस्करी बाल-तस्करी
राजनीति संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार – भारत की सांस्कृतिक सेना के शिल्पी April 8, 2024 / April 8, 2024 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment प्रवीण गुगनानी आ सिंधु-सिंधु पर्यन्ता, यस्य भारत भूमिका l पितृभू-पुण्यभू भुश्चेव सा वै हिंदू रीति स्मृता ll इस श्लोक के अनुसार “भारत के वह सभी लोग हिंदू हैं जो इस देश को पितृभूमि-पुण्यभूमि मानते हैं” वीर दामोदर सावरकर के इस दर्शन को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का मूलाधार बनाकर संघ का संगठन, संस्थापना करने वाले […] Read more » Sangh Founder Dr. Hedgewar – Architect of India's Cultural Army
राजनीति डा. हेडगेवार की दूरदृष्टि अतुलनीय थी April 8, 2024 / April 8, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment 9 अप्रेल 2024 वर्षप्रतिपदा पर विशेष भारत का प्राचीन इतिहास अति वैभवशाली रहा है। पूरे वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत का योगदान 25 प्रतिशत से ऊपर ही बना रहा है। खाद्य सामग्री, इस्पात, कपड़ा एवं चमड़ा आदि पदार्थ तो जैसे भारत ही पूरे विश्व को उपलब्ध कराता था। परंतु, 712 ईसवी में सिंध प्रांत के तत्कालीन राजा श्री दाहिर सेन जी को कपटपूर्ण तरीके से मोहम्मद बिन कासिम द्वारा युद्ध में परास्त कर शहीद करने के उपरांत आक्रांताओं को भारत में प्रवेश करने का मौका मिल गया। हालांकि उस समय आक्रांताओं का मूल उद्देश भारत को लूटना भर था क्योंकि उस समय तक भारत को ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था। दरअसल, उस खंडकाल तक भारत से वस्तुओं का निर्यात पूरे विश्व को बहुत अधिक मात्रा में होता था इसके एवज में भारत को सोने की मुद्राओं में भुगतान अन्य देशों द्वारा किया जाता था। इससे भारत में स्वर्ण मुद्रा के भंडार जमा हो गए थे, इससे भारत को ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाने लगा था। आक्रांतओं ने भारत में आकर देखा कि यहां के राजा तो एक दूसरे के दुश्मन बने हुए हैं एवं इनमें आपस में भाईचारे का नितांत अभाव है। आक्रांताओं ने राजाओं की आपसी दुश्मनी का फायदा उठाकर कुछ राज्यों पर धीरे धीरे अपनी सत्ता स्थापित करना शुरू किया। वरना, आक्रांतओं ने भारत में प्रवेश तो मुट्ठी भर लोगों के साथ ही किया था परंतु उन्हें कुछ राजाओं को अपने साथ मिलाने में सफलता मिली थी। कालांतर में इसी प्रकार की कार्यशैली अंग्रेजों ने भी अपनाई थी। अंग्रेज़ भी ईस्ट इंडिया कम्पनी नामक संस्था के माध्यम से व्यापार करने के उद्देश्य से भारत में आए थे। परंतु, उस खंडकाल में भी वे भारतीयों को ‘बांटों एवं राज करो’ की नीति का अनुपालन करते हुए आसानी से भारत पर अपना साम्राज्य स्थापित करने में सफल रहे थे। अंग्रेजो ने अर्थव्यवस्था के साथ साथ भारतीय सनातन संस्कृति को भी तहस नहस करने का प्रयास किया। कुछ हद्द तक इसमें उन्हें सफलता भी मिली थी क्योंकि भारतीय अपनी मूल सनातन संस्कृति को ही भूल बैठे थे। इसी बीच नागपुर में 1 अप्रेल 1889 को एक बालक केशव बलिराम हेडगेवार का जन्म हुआ, जो बचपन में ही देश प्रेम की भावना से ओतप्रोत थे। शायद ईश्वर ने ही उन्हें इस धरा पर विशेष उद्देश्य की पूर्ति हेतु ही भेजा था क्योंकि यह उनकी दूरदृष्टि ही थी जिसके चलते उन्होंने वर्ष 1925 में दशहरा के दिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना इस उद्देश्य से की थी कि देश के नागरिकों में देश प्रेम की भावना जागृत कर समाज में सामाजिक समरसता स्थापित की जाय। मुख्य रूप से भारतीय समाज में इन दोनों कमियों के चलते ही पहिले आक्रांताओं एवं बाद में अंग्रेजो ने भारत पर अपना राज्य स्थापित करने में सफलता हासिल की थी। यह बात परम पूज्य डा. हेडगेवार जी ने बचपन में जान ली थी एवं सनातनी हिंदुओं के बीच व्याप्त सामाजिक बुराईयों को दूर करने का प्रण ले लिया था। डा. साहिब वर्ष 1914 में एमबीबीएस की डिग्री कलकता में प्राप्त करने के उपरांत नागपुर वापिस आ गए थे। डॉ. हेडगेवार ने कभी पेशेवर डॉक्टर के रूप में कार्य नहीं किया। वे देश की स्वतंत्रता और सेवा हित में चलाये जाने वाले कार्यक्रमों से जुड़कर अध्ययन करते रहे। डॉ. हेडगेवार ने इन वर्षों में भारत के इतिहास, वर्तमान और भविष्य को जोड़कर राष्ट्रीयता के मूल प्रश्न पर विचार किया। जिसके निष्कर्ष में भाऊजी काबरे, अण्णा सोहोनी, विश्वनाथराव केलकर, बाबूराव भेदी और बालाजी हुद्दार के साथ मिलकर 25 सितम्बर, 1925 (विजयादशमी) को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शुरुआत की गयी। उस समय यह सिर्फ संघ के नाम से जाना जाता था। उसमें राष्ट्रीय और स्वयंसेवक शब्दों को छह महीनों बाद यानि 17 अप्रैल, 1926 में सम्मलित किया गया। डा. साहिब स्वयं ही स्वयसेवकों से व्यक्तिगत रूप से जुड़े रहते थे। 1935 में एक भाषण के दौरान डॉ. हेडगेवार कहते है, “कोई स्वयंसेवक आज अच्छी तरह से काम कर रहा है और कल वह अपने घर बैठ जाए। यदि किसी दिन कोई स्वयंसेवक शाखा में न उपस्थित न रहा, तो तुरंत उसके घर पहुंचकर वह क्यों नहीं आया इस बात की जानकारी लेनी चाहिए। नहीं तो दूसरे दिन भी वह शाखा में नहीं आएगा. तीसरे दिन उसके संघ स्थान जाने में संकोच होगा. चौथे दिन उसको कुछ डर सा मालूम होगा और पांचवें दिन वह टालमटोल करने लग जायेगा। अतः किसी स्वयंसेवक को शाखा से अनुपस्थित नहीं होने देना चाहिए।” सतारा से नाना काजरेकर पुणे के संघ शिक्षा वर्गों में 1936 से हिस्सा लेने लगा। पेट की बीमारी के चलते वह कुछ कार्यक्रमों से दूर रहने लगा। डॉ. साहब ने स्वयं उसकी समस्या का पता लगाया और उसे चिकित्सा उपलब्ध कराई। डॉ. हेडगेवार की भाषा और आचरण में सामान्यतः सरलता एवं आत्मीयता थी। चूंकि संघ का कार्य राष्ट्र का कार्य हैं इसलिए उन्होंने सभी को परिवार के सदस्य के रूप माना। परस्पर घनिष्ठता और स्नेह-संबंधों के आधार पर उन्होंने नियमित स्वयंसेवकों को तैयार किया। उनका विचार था कि किन्ही अपरिहार्य कारणों से संघ का कार्य अवरुद्ध न होने पाए। उनका उद्देश्य केवल संख्या बढ़ाने पर नहीं बल्कि वास्तव में हिन्दुओं को संगठित करना था। इसके लिए उन्होंने समझाया कि संघ का कार्य जीवनपर्यंत करना होगा। समाज में स्वाभाविक सामर्थ्य जगाना ही इसका अंतिम लक्ष्य होगा। स्वयंसेवकों का मनोबल बनाये रखने में डॉ. साहब कोई कसर नहीं छोड़ते थे। वे उनके साथ पारस्परिक चर्चा करते रहते थे। संगठन की चर्चा करते हुए एक बार उन्होंने कहा, “जब संघ का निर्माण हुआ था उस समय भी परिस्थिति इतनी प्रतिकूल थी, कि कार्य करना असंभव सा प्रतीत होता था। जबकि इस प्रकार की अत्यंत कठिन परिस्थिति से न डरते हुए, निर्भीकता के साथ उसका हमने लगातार सामना किया और बराबर कार्य करते रहे, तब आज भी हमारे सामने परिस्थिति की कठिनता का प्रश्न क्यों उठाना चाहिए? आज तक हमारे कार्य करने की जो भी गति थी वह ठीक ही थी। किन्तु अब आगे कैसे होगा? क्या हमने आजतक जो कुछ कार्य किया; उसी को आप पर्याप्त समझते है? मैं निश्चय ही कह सकता हूँ कि प्रत्येक स्वयंसेवक कम-से-कम अपने मन में तो यही उत्तर देगा कि जितना कार्य हो जाना चाहिए था, नहीं हो पाया है।” डॉ. साहब 15 वर्षों तक संघ के पहले सरसंघचालक रहे। इस दौरान संघ शाखाओं के द्वारा संगठन खड़ा करने की प्रणाली डॉ. साहब ने विचारपूर्वक विकसित कर ली थी। संगठन के इस तंत्र के साथ राष्ट्रीयता का महामंत्र भी बराबर रहता था। वे दावे के साथ आश्वासन देते थे कि अच्छी संघ शाखाओं का निर्माण कीजिये, उस जाल को अधिक्तम घना बुनते जाइए, समूचे समाज को संघ शाखाओं के प्रभाव में लाइए, तब राष्ट्रीय आजादी से लेकर हमारी सर्वांगीण उन्नति करने की सभी समस्याएं निश्चित रूप से हल हो जायेगी। इन वर्षों में जिससे भी डा. साहिब का संपर्क हुआ उन्होंने डा. साहिब की और उनके कार्यों की हमेशा सराहना की। जिनमें महर्षि अरविन्द, लोकमान्य तिलक, मदनमोहन मालवीय, विनायक दामोदर सावरकर, बी.एस. मुंजे, बिट्ठलभाई पटेल, महात्मा गाँधी, सुभाषचन्द्र बोस, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और के.एम. मुंशी जैसे नाम प्रमुख थे। डा. हेडगेवार के महाप्रयाण के तेरहवें दिन यानी 3 जुलाई 1940 को नागपुर में डा. साहिब की श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। सरसंघचालक के नाते श्री गुरुजी ने उन्हें याद करते हुए बताया कि डा. साहिब के कार्य की परिणिति पंद्रह सालों में एक लाख स्वयंसेवकों के संगठित होने में हुई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संदर्भ में दत्तोपंत ठेंगड़ी जी कहते हैं कि “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का निर्माण किसी भावना या उत्तेजना में आकर नहीं हुआ है। श्रेष्ठ पुरुष जन्मजात देशभक्त डा. जी जिन्होंने बचपन से ही देशभक्ति का परिचय दिया, सब प्रकार का अध्ययन किया और अपने समय चलाने वाले सभी आंदोलनों में, कार्यों में जिन्होंने हिस्सा लिया, कांग्रेस और हिंदू सभा के आंदोलनों में भाग लिया, क्रांति कार्य का अनुभव लेने के लिए बंगाल में जो रहे, उन्होंने गहन चिंतन का पश्चात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की योजना बनाई।” आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक वटवृक्ष के रूप में एवं विश्व के सबसे बड़े सांस्कृतिक संगठन के रूप में हमारे सामने खड़ा है। भारत में आज संघ की 73,000 से अधिक शाखाएं लग रही हैं एवं इन शाखाओं में स्वयंसेवकों में राष्ट्रीय भावना जागृति की जाती है ताकि ये स्वयंसेवक समाज में जाकर सज्जन शक्ति के साथ मिलकर भारत को एक बार पुनः विश्व गुरु के रूप में स्थापित कर सके। जिसका सपना डा. हेडगेवार जी ने भी देखा था। प्रहलाद सबनानी Read more » डा. हेडगेवार की दूरदृष्टि अतुलनीय थी
राजनीति चुनावी बांड पर विपक्षी दलों का शोर कितना उचित? April 8, 2024 / April 7, 2024 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment इस समय इलेक्ट्रोल बॉन्ड को लेकर देश की राजनीति गरमा गई है। जिन राजनीतिक दलों को चंदा वसूली की इस प्रक्रिया से कोई लाभ नहीं हुआ है, वे उन राजनीतिक दलों पर आक्रामक दिखाई दे रहे हैं जिन्हें इस प्रकार की प्रक्रिया से पर्याप्त लाभ मिला है। आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी कांग्रेस को इस समय […] Read more »
राजनीति बेरोजगार युवा नये भारत की ताकत कैसे होंगे? April 7, 2024 / April 7, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- दुनिया की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर भारत में युवा- बेरोजगारी की दुखद तस्वीर चिन्तनीय है। भारत को युवा-शक्ति का देश कहा जाता है, युवाओं की संख्या, क्षमता और ऊर्जा को देश की ताकत के तौर पर पेश किया जाता और उन्हें विकास का वाहक बताया जाता है, बावजूद इसके अब […] Read more » How will unemployed youth be the strength of new India? बेरोजगार युवा नये भारत की ताकत कैसे होंगे