राजनीति बेरोजगार युवा नये भारत की ताकत कैसे होंगे? April 7, 2024 / April 7, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- दुनिया की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर भारत में युवा- बेरोजगारी की दुखद तस्वीर चिन्तनीय है। भारत को युवा-शक्ति का देश कहा जाता है, युवाओं की संख्या, क्षमता और ऊर्जा को देश की ताकत के तौर पर पेश किया जाता और उन्हें विकास का वाहक बताया जाता है, बावजूद इसके अब […] Read more » How will unemployed youth be the strength of new India? बेरोजगार युवा नये भारत की ताकत कैसे होंगे
राजनीति राजनीति में बदल रहे नैतिकता के मायने April 7, 2024 / April 7, 2024 by सुरेश हिन्दुस्थानी | Leave a Comment सुरेश हिन्दुस्थानी भारतीय राजनीति में ऐसे कई उदाहरण दिए जा सकते हैं, जो आज भी नैतिकता के आदर्श हैं। लेकिन आज की राजनीति को देखकर ऐसा लगने लगा है कि नैतिकता की राजनीति दूसरा तो अवश्य करें, पर ज़ब स्वयं को नैतिकता की कसौटी पर परखने की बारी आए तब नैतिकता के मायनों को बदल […] Read more » The meaning of morality is changing in politics.
राजनीति परिवारवाद की जकड़न में फसता लोकतंत्र April 7, 2024 / April 7, 2024 by सुरेश हिन्दुस्थानी | Leave a Comment सुरेश हिंदुस्तानी भारत एक मजबूत लोकतांत्रिक देश है। यह सभी जानते हैं कि भारत में जनता के लिए जनता का ही शासन है। जनता के शासन का सीधा तात्पर्य यही है कि जनता अपने बीच के किसी व्यक्ति को नायक बनाकर अपना प्रतिनिधि बनाती है। लोकतंत्र में जनता की पसंद और नापसन्द को ही महत्वपूर्ण […] Read more » Democracy trapped in the clutches of familyism
राजनीति मोदी की गारंटी बनाम कांग्रेस का न्याय April 7, 2024 / April 7, 2024 by सुरेश हिन्दुस्थानी | Leave a Comment सुरेश हिंदुस्तानी लोकसभा चुनाव की तैयारी के बीच सभी राजनीतिक दल अपने अस्तित्व को प्रभावी बनाने के उद्देश्य को लेकर बयानबाजी कर रहे हैं। इतना ही नहीं विपक्षी राजनीतिक दल केवल वर्तमान सत्ताधारी दल के विरोध पर ही अपना पूरा फोकस करते हुए चुनावी मैदान में हैं। इसके अलावा एक बड़ी बात यह भी है […] Read more » Modi's guarantee vs Congress's justice मोदी की गारंटी बनाम कांग्रेस का न्याय
राजनीति भाजपा: वैचारिक विश्व में एक चमकता नक्षत्र April 7, 2024 / April 7, 2024 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment प्रवीण गुगनानी संदर्भ: 6 अप्रेल भाजपा स्थापना दिवस विमर्श या नैरेटिव के नाम पर भारत में एक अघोषित युद्द चला हुआ है। इन दिनों भारत में चल रहा यह विमर्श शुद्ध राजनैतिक है। राजनीति और कुछ नहीं समाज का एक संक्षिप्त प्रतिबिंब ही है। विमर्श में यह प्रतिबिंब विषय व समयानुसार कुछ छोटा या बड़ा […] Read more » 6 अप्रेल भाजपा स्थापना दिवस BJP: A shining star in the ideological world
राजनीति लोकतंत्र को कमजोर करती है अवसरवादी राजनीति April 5, 2024 / April 5, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- कांग्रेस में लगातार वफादार नेताओं का पलायन जारी है, नये नामों में कांग्रेस के प्रवक्ता गौरव वल्लभ, महाराष्ट्र के जिम्मेदार एवं पूर्व मुंबई कांग्रेस अध्यक्ष संजय निरुपम, बिहार कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्मा, निशाना साधने वाले मुक्केबाज विजेंदर, आचार्य प्रमोद कृष्णम हैं, जिन्होंने कांग्रेस को बाय-बाय कर दी है। इन सभी ने […] Read more » अवसरवादी राजनीति लोकतंत्र को कमजोर करती है अवसरवादी राजनीति
राजनीति इंडिया की लोकतंत्र बचाओ महारैली के बेसूरे स्वर April 4, 2024 / April 4, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- दिल्ली के रामलीला मैदान में विपक्षी गठबंधन इंडिया की लोकतंत्र बचाओं महारैली में जुटे 28 दलों के नेता आगामी लोकसभा चुनाव की दृष्टि से कोई प्रभावी संदेश देने में नाकाम रहे हैं। भले ही चुनाव के ठीक पहले विपक्षी दलों ने इसके जरिए अपनी एकजुटता प्रदर्शित करने में कामयाबी हासिल की हो। लेकिन […] Read more » Silent voices of Save India's Democracy Maharally
राजनीति बिहार की राजनीति का ‘चिराग’ संभावना का वाहक April 4, 2024 / April 4, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- खुद को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हनुमान बताने वाले युवा नेता चिराग पासवान इन दिनों बिहार की राजनीति में लाइमलाइट में हैं। राजनीतिक कौशल एवं प्रभावी रणनीति के तहत तेजी से अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूती देते हुए बिहार की राजनीति का ‘चिराग’ संभावना का वाहक बन रहा है। चिराग पासवान सक्षम जनप्रतिनिधि […] Read more » Chirag Paswan चिराग पासवान
आर्थिकी राजनीति भारतीय अर्थव्यवस्था लम्बी छलांग लगाने को तैयार April 4, 2024 / April 4, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment वित्तीय वर्ष 2023-24 की तृतीय तिमाही (अक्टोबर-दिसम्बर 2023) में भारत में आर्थिक विकास की दर 8.4 प्रतिशत रही है। कुछ विदेशी अर्थशास्त्री भारत की आर्थिक विकास दर को कमतर आंकते हुए दिखाई दे रहे हैं जबकि यह लगातार तिमाही दर तिमाही आगे बढ़ती ही जा रही है। अब तो विश्व की कई आर्थिक एवं वित्तीय संस्थानों ने भी वर्ष 2024 के लिए भारत की आर्थिक विकास दर के सम्बंध में अपने अनुमानों को बेहतर किया है, परंतु अभी भी इन संस्थानों के यह अनुमान वास्तविक आर्थिक विकास दर की तुलना में बहुत कम हैं। दरअसल, विदेशी आर्थिक एवं वित्तीय संस्थानों द्वारा विशेष रूप से भारत की आर्थिक विकास दर को आंके जाने के सम्बंध में उपयोग किए जा रहे मॉडल अब बोथरे साबित हो रहे हैं। हाल ही के समय में भारत के नागरिकों में “स्व” का भाव विकसित होने के चलते देश में धार्मिक पर्यटन बहुत तेज गति से बढ़ा है। उदाहरण के लिए अयोध्या धाम में प्रभु श्रीराम के भव्य मंदिर में श्रीराम लला के विग्रहों की प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात प्रत्येक दिन औसतन 2 लाख से अधिक श्रद्धालु अयोध्या पहुंच रहे हैं। यह तो केवल अयोध्या की कहानी है इसके साथ ही काशी विश्वनाथ मंदिर, उज्जैन में महाकाल लोक, जम्मू स्थित वैष्णो देवी मंदिर, उत्तराखंड में केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री एवं यमनोत्री जैसे कई मंदिरों में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ रही है। भारत में धार्मिक पर्यटन में आई जबरदस्त तेजी के बदौलत रोजगार के लाखों नए अवसर निर्मित हो रहे हैं, जो देश के आर्थिक विकास को गति देने में सहायक हो रहे हैं। परंतु, यह तथ्य विदेशी आर्थिक एवं वित्तीय संस्थानों को दिखाई नहीं दे रहा है, जो कि केवल भारत की ही विशेषता है। उक्त तथ्यों के अतिरिक्त अन्य कई कारक भी भारत की आर्थिक विकास दर को अब 9 से 10 प्रतिशत की सीमा में ले जाने को तैयार दिखाई दे रहे हैं। आज भारतीय अर्थव्यवस्था की तुलना में भारत से आगे चल रही विश्व के अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं की विकास दर में ठहराव आ गया है। जैसे अमेरिका एवं यूरोप की अर्थव्यवस्थाएं आगे आने वाले समय में प्रतिवर्ष केवल 2 अथवा 3 प्रतिशत की दर से ही आगे बढ़ पाएंगी। इसी प्रकार चीन की अर्थव्यवस्था भी अब ढलान पर दिखाई दे रही है। जापान एवं जर्मनी की अर्थव्यवस्थाओं में तो आर्थिक मंदी देखी जा रही है। इस प्रकार विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में भारत के अमृत काल में केवल भारतीय अर्थव्यवस्था ही तेज गति आगे बढ़ती दिखाई दे रही है। वैसे भी भारत में अमृत काल तो अभी शुरू ही हुआ है एवं यह अगले 23 वर्षों अर्थात वर्ष 2047 तक यह खंडकाल जारी रहेगा। कुछ अर्थशास्त्री तो भारत के अमृत काल के बाद भी भारतीय अर्थव्यवस्था के इसी तरह तेज गति से आगे बढ़ते रहने की संभावनाएं व्यक्त कर रहे हैं क्योंकि भारत में वर्ष 1991-92 में प्रारम्भ किए आर्थिक एवं वित्तीय क्षेत्र के सुधार कार्यक्रम को अब 32 वर्ष पूर्ण हो गए हैं, हालांकि वर्ष 1991-92 के बाद भी भारत में आर्थिक एवं वित्तीय क्षेत्रों में सुधार कार्यक्रम लगातार जारी रहे हैं। अत: स्थिर हो चुके इन सुधार कार्यक्रमों के फल खाने का समय अब आ गया है। भारत द्वारा वर्ष 1947 में राजनैतिक स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात, पिछले 77 वर्षों के दौरान भारत में लोकतंत्र लगातार मजबूत हुआ है एवं आज पूरे विश्व में भारत इस दृष्टि से प्रथम पायदान पर खड़ा है। भारत में लोकतंत्र के लगातार मजबूत होते जाने से विदेशी निवेशकों का भारत में विश्वास बढ़ा है जिसके चलते भारत में उद्योग जगत को पूंजी की कमी नहीं के बराबर रही है। पर्याप्त पूंजी की उपलब्धता के चलते भारत में आर्थिक विकास को गति ही मिली है। भारत में लगातार तेज हो रही आर्थिक विकास की दर के कारण भारत में बिलिनियर (100 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक की सम्पत्ति वाले नागरिक) की संख्या में सुधार हुआ है। पिछले वर्ष भारत में 94 नए बिलिनियर बने हैं। जबकि चीन में 115 बिलिनियर कम हुए हैं। विश्व में बिलिनियर की संख्या के मामले में भारत चीन एवं अमेरिका के बाद तीसरे स्थान पर आ गया है। भारत में आज 271 बिलिनियर हैं जबकि चीन में 814 एवं अमेरिका में 800 बिलिनियर हैं। मुंबई महानगर में तो अब 92 बिलिनियर निवास कर रहे हैं, जो चीन के बीजिंग महानगर के 91 बिलिनियर से अधिक है। इस प्रकार अब एशिया के किसी भी महानगर में सबसे अधिक बिलिनियर भारत के मुंबई महानगर में निवास कर रहे हैं। पूरे विश्व भारत के मुंबई महानगर से आगे अब केवल अमेरिका का न्यूयॉर्क महानगर (119 बिलिनियर) एवं ब्रिटेन का लंदन महानगर (97 बिलिनियर) ही है। वर्ष 2022-23 में चीन में बिलिनियर की संख्या घटी है। चीन में बिलिनियर की सम्पत्ति 15 प्रतिशत से कम हुई है। जबकि भारत में बिलिनियर की सम्पत्ति में वृद्धि दर्ज हुई है। यह भारत में तेज गति से हो रहे आर्थिक विकास दर के चलते सम्भव हो सका है। एक और कारक जो आगे आने वाले समय में भारत की आर्थिक विकास दर को लगातार उच्च स्तर पर बनाए रखने में सहायक हो सकता है वह है भारत में प्रति व्यक्ति वार्षिक औसत आय का लगभग 2500 अमेरिकी डॉलर का होना है जो चीन में 13,000 से 14,000 अमेरिकी डॉलर के एवं दक्षिणी कोरीया में 32,000 से 33,000 अमेरिकी डॉलर के बीच की तुलना में बहुत कम है। इस दृष्टि से भारत को अभी बहुत आगे तक जाना है और यह केवल आर्थिक विकास की औसत दर को 10 प्रतिशत प्रतिवर्ष के आसपास बनाए रखने से ही सम्भव होगा। इस प्रकार भारतीय नागरिकों में अपनी औसत आय को विकसित देशों की तुलना में बेहतर करने की अभी बहुत गुंजाईश है और यह भावना भारत की आर्थिक विकास दर को बढ़ाए रखने में सहायक होगी। दूसरे, भारत में तकनीकी क्षेत्र विशेष रूप से सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास की दर बहुत प्रभावकारी है, डिजिटल क्षेत्र में तो भारत आज पूरे विश्व को ही राह दिखाता नजर आ रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में विकास के चलते भारत में विभिन्न क्षेत्रों में श्रमिकों, व्यवसाईयों, प्रबंधकों, कृषकों आदि की उत्पादकता में भी सुधार दृष्टिगोचर है जो निश्चित ही भारत में आर्थिक विकास की गति को तेज करने में सहायक होगा। आज अमेरिका एवं कनाडा में निवासरत एवं सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कार्य कर रहे भारतीय मूल के नागरिक वापिस भारत आकर बसने के बारे में गम्भीरता से विचार कर रहे हैं क्योंकि अब अमेरिका एवं अन्य विकसित देशों की तुलना में भारत में लगातार तेज हो रही आर्थिक विकास की दर उन्हें आकर्षित कर रही है। उन्हें आज भारत में अधिक आय अर्जन के अतिरिक्त साधन उत्पन्न होते दिखाई दे रहे हैं। एक सर्वे के अनुसार, लगभग 38,000 भारतीय जो अमेरिका में सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में कार्यरत हैं वे अब भारत वापिस आना चाहते हैं क्योंकि अमेरिका में कई कम्पनियां (गूगल, एमेजोन, माइक्रोसोफ्ट एवं मेटा सहित) अपने कर्मचारियों की छंटनी करती दिखाई दे रही हैं। ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था तो स्पष्टत: आर्थिक मंदी की चपेट में आ चुकी है। जबकि भारतीय अर्थव्यवस्था ने अक्टोबर-दिसम्बर 2023 की तिमाही में 8.4 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर हासिल की है। कई विदेशी वित्तीय संस्थानों ने वर्ष 2024 में भारत की आर्थिक विकास दर के अनुमान को आगे बढ़ा दिया है। अब तो भारत में, ग्रामीण इलाकों सहित, विभिन्न उत्पादों के खपत का स्तर भी लगातार बढ़ रहा है। केंद्र सरकार एवं विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा विकास कार्यों के लिए अपने बजट में खर्च को लगातार बढ़ाया जा रहा है जिससे सामान्य नागरिकों के हाथों में अधिक पैसा पहुंच रहा है तथा इससे नागरिकों के बीच विभिन्न उत्पादों के खपत का स्तर बढ़ता दिखाई दे रहा है। शहरी उपभोक्ता तो रोजमर्रा की जरूरी वस्तुओं के साथ साथ चार पहिया वाहन एवं मकान आदि खरीदने पर भी भारी मात्रा में पैसा खर्च कर रहे हैं। घरेलू खपत में बढ़ौतरी के साथ ही भारत से निर्यात में भी तेजी देखी जा रही है। फरवरी 2024 माह में निर्यात का स्तर पिछले 11 माह में सबसे अधिक रहा है। केंद्र सरकार का अनुमान है कि भारत वित्तीय वर्ष 2023-24 में निर्यात के क्षेत्र में अपने पिछले सारे रिकार्ड तोड़ देगा। मोर्गन स्टैनली के अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी खबर यह है कि भारत में निवेश : सकल घरेलू उत्पाद अनुपात में एक बार फिर सुधार दिखाई दे रहा है। यह अनुपात आज 34 प्रतिशत तक पहुंच गया है और उम्मीद की जा रही है वित्तीय वर्ष 2027 तक यह बढ़कर 36 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा। जिससे भारत की आर्थिक विकास दर को और अधिक बल मिलेगा। हां, भारत में एक क्षेत्र अभी भी ऐसा है जिसके लिए चिंता होना स्वाभाविक है। वह क्षेत्र है आय की असमानता का। भारत की 10 प्रतिशत आबादी के पास देश की 77 प्रतिशत सम्पत्ति जमा हो गई है। एक रिसर्च पेपर में यह बताया गया है कि भारत में आर्थिक विकास के साथ साथ आर्थिक असमानता भी बढ़ी है। वित्तीय वर्ष 2022-23 के अंत तक भारत की एक प्रतिशत आबादी की देश की कुल आय एवं सम्पत्ति में 22.6 प्रतिशत एवं 40.1 प्रतिशत की भागीदारी रही है। आय की असमानता को देश में आर्थिक विकास को गति देकर ही दूर किया जा सकता है, जिसके लिए केंद्र सरकार एवं विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। प्रहलाद सबनानी Read more » भारतीय अर्थव्यवस्था लम्बी छलांग लगाने को तैयार
राजनीति अंसारी की मौत पर बेवजह प्रलाप क्यों? April 4, 2024 / April 4, 2024 by सुरेश हिन्दुस्थानी | Leave a Comment सुरेश हिंदुस्तानी भारत के कुख्यात अपराधी मुख़्तार अंसारी की मौत के मामले को राजनीतिक रंग देने का प्रयास किया जा रहा है। इस प्रकार मौत के बहाने एक बार फिर से तुष्टिकरण की राजनीति की जा रही है। आतंकियों और अपराधियों को संप्रदाय से अलग देखने की क़वायद करने वाले कुछ राजनीतिक दल इस मौत […] Read more » Why the unnecessary uproar over Ansari's death? अंसारी की मौत
राजनीति महिला मतदाता निर्णायक भूमिका : मोदी और महिला सशक्तिकरण April 4, 2024 / April 4, 2024 by डॉ. सौरभ मालवीय | Leave a Comment -डॉ. सौरभ मालवीय 2024 लोकसभा चुनाव सिर पर है। इस बार भी चुनाव में महिला मतदाता निर्णायक भूमिका में रहेंगी। इसलिए भारतीय जनता पार्टी विकास के मुद्दे के साथ- साथ महिला सशक्तिकरण को लेकर चुनाव प्रचार कर रही है। भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण आशा है कि उसे महिलाओं का भरपूर सहयोग प्राप्त होगा। इसके […] Read more » : Modi and women empowerment Decisive role of women voters
राजनीति कांग्रेस में मची भगदड़ के बाद भी आखिर क्या कह रहा है मल्लिकार्जुन खड़गे का मौन! April 4, 2024 / April 4, 2024 by लिमटी खरे | Leave a Comment (लिमटी खरे) सर्दी, गर्मी, बरसात के अलावा एक मौसम और आता है साल में, वह है पतझड़ का। बसंत ऋतु के आगमन के कुछ दिनों बाद से ही पतझड़ का मौसम आरंभ होने लगता है। पतझड़ में हरे भरे वृक्षों से पत्ते झड़ते जाते हैं और कुछ दिनों तक हरा भरा पेड़ इस तरह प्रतीत होता है मानो […] Read more » कांग्रेस में मची भगदड़ मल्लिकार्जुन खड़गे का मौन