राजनीति बिहार में लागू ‘प्रीपेड स्मार्ट मीटर योजना’ देश के लिए बनी नजीर February 26, 2024 / February 26, 2024 by मुरली मनोहर श्रीवास्तव | Leave a Comment – मुरली मनोहर श्रीवास्तव वर्ष 2005 से पहले बिहार को लालटेन युग से जाना जाता था। यहां पर बिजली की खास्ता हालत थी। गांव की बात छोड़िए, शहर में 24 घंटे लोग बिजली के लिए तरसते थे लेकिन वर्ष 2005 में श्री नीतीश कुमार के सत्ता संभालने के बाद धीरे-धीरे ही सही बिहार में बिजली की स्थिति में सुधार देखने को मिलने […] Read more » ‘Prepaid Smart Meter Scheme’ implemented in Bihar becomes an example for the country Prepaid Smart Meter Scheme
राजनीति जज़िया कर: कर्नाटक कांग्रेस सरकार का उपहार February 26, 2024 / February 26, 2024 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment प्रवीण गुगनानी अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि के भव्य निर्माण से आनंदित हिंदुओं के उत्साह, उल्लास, उमंग को समाप्त करने के प्रयास हो रहे हैं! राममंदिर के हर्ष से निर्मित देश के प्रसन्नचित्त मानस का वध प्रयास हो रहा है!! अब इटली-रोम संचालित कांग्रेस को हिंदू होने का जज़िया कर दो और देश में दोयम दर्जे […] Read more » जज़िया कर
राजनीति समृद्धि के शिखर एवं गरीबी के गड्ढ़े वाली दुनिया February 23, 2024 / February 23, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग – वैश्विक संस्था ऑक्सफैम ने अपनी आर्थिक असमानता रिपोर्ट में समृद्धि के नाम पर पनप रहे नये नजरिया, विसंगतिपूर्ण आर्थिक संरचना एवं अमीरी गरीबी के बीच बढ़ते फासले की तथ्यपरक प्रभावी प्रस्तुति समय-समय पर देते हुए इसे संतुलित एवं समानतामय संसार-संरचना के लिये घातक बताया है। संभवतः यह एक बड़ी क्रांति एवं […] Read more »
राजनीति संदेशखाली का संदेश और तृणमूल का ‘शाहजहाँ’ February 23, 2024 / February 23, 2024 by डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री | Leave a Comment – कुलदीप चन्द अग्निहोत्री पश्चिमी बंगाल के एक ग्राम नंदी ग्राम को उस गाँव के लोगों के सिवा कोई नहीं जानता था । लेकिन सारी दुनिया के वे लोग जो विश्व के सामाजिक आन्दोलनों में रुचि रखते हैं , नंदी ग्राम को जानते हैं । नंदी ग्राम के लोगों ने पश्चिमी बंगाल की कम्युनिस्ट सरकार […] Read more »
राजनीति समाज संदेशखाली: ममता की नफ़रत का प्रतीक February 23, 2024 / February 23, 2024 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment प्रवीण गुगनानी दो बंगाली लोकोक्तियाँ हैं – थेलाई ना पोरले बेरल गाछे ओथे ना -अर्थात् आपकी समस्याओं से पार पाने हेतु आपको उस समस्या का सामना करना ही होगा और दूजी कहावत है – किछुतेई किछु न फ़ेसतेई पोइसा- कुछ प्राप्त करने हेतु आलस्य छोड़कर कर्म करना ही होगा। आज की परिस्थिति में बंगाल में ममता […] Read more » Sandeshkhali's message and Trinamool's 'Shahjahan'
राजनीति संदेशखाली जैसी घटनाओं का पश्चिम बंगाल की आर्थिक प्रगति पर हो रहा है विपरीत प्रभाव February 22, 2024 / February 22, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment किसी भी देश में आर्थिक प्रगति को गति देने के लिए उस देश में सामाजिक शांति बनाए रखना अति आवश्यक है। यही शर्त किसी भी राज्य की आर्थिक प्रगति के सम्बंध में भी लागू होती है। भारत का पश्चिम बंगाल राज्य कुछ वर्ष पूर्व तक भारत में सबसे तेज गति से आर्थिक प्रगति कर रहे राज्यों के बीच अग्रिम पंक्ति में रहता आया है। परंतु, हाल ही के वर्षों में पश्चिम बंगाल में शांति भंग होती दिखाई दे रही है, इसका प्रभाव स्पष्टत: इस राज्य के आर्थिक विकास पर भी विपरीत रूप से पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। विशेष रूप से पिछले कुछ वर्षों से पश्चिम बंगाल में सामाजिक ताना बाना छिन्न भिन्न होता दिखाई दे रहा है। पूरे राज्य में अराजकता का माहौल बन गया है, विशेष रूप से सनातन संस्कृति का पालन करने वाले बंगाल के शांति प्रिय नागरिकों पर असामाजिक तत्वों द्वारा लगातार हमले किए जा रहे हैं। उदाहरण के तौर पर हाल ही के समय में पश्चिम बंगाल के कई क्षेत्रों जैसे संदेशखाली इलाके में महिलाओं पर अत्याचार आम बात हो गई है। संदेशखाली, पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले का एक छोटा कस्बा है। यह बांग्लादेश की सीमा से सटा सीमावर्ती क्षेत्र भी है, जहां हिंदू अनुसूचित जातियों की आबादी बहुलता में है। संदेशखाली, पश्चिम बंगाल की उन 14 विधानसभा की सीटों में शामिल हैं जो कि भारत बांग्लादेश सीमा से सटीं हुई हैं। दुर्भाग्य से संदेशखाली सहित यह सभी विधानसभा सीटें अतिवादी संगठनों द्वारा समर्थित सुनियोजित षड्यंत्र का एक हिस्सा बन गई हैं। इन 14 सीमावर्ती विधान सभा क्षेत्रों में बांग्लादेश से अवैध घुसपैठ उल्लेखनीय रूप से बढ़ रही है। यहां की जनसांख्यिकी बदलने की साजिश का षड्यंत्र भी उच्च स्तर पर हो रहा है। वास्तव में, यह क्षेत्र पाकिस्तानी खुफिया एजेन्सी ISI की आतंकी गतिविधियों के अलावा तमाम आपराधिक गतिविधियों के केंद्र के रूप में भी विकसित हो रहा है। कुछ समय पहले तक संदेशखाली में मुस्लिम जनसंख्या नहीं के बराबर थी, लेकिन अवैध घुसपैठ के चलते यहां असामाजिक तत्वों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यह इलाका जनसांख्यिकी परिवर्तन की चपेट में आ गया है। इसमें सबसे बड़ी आबादी अब रोहिगियाई मुसलमानों की हो गई है। गौर करने वाली बात है कि विगत चुनावों के दौरान घटित सभी आपराधिक घटनाओं में अधिकतर अपराधी असामाजिक तत्व मुस्लमान ही पाए गए थे। यह मामले गौ-तस्करी से लेकर मादक पदार्थों की तस्करी और अवैध हथियारों की तस्करी से जुड़े रहे हैं। इस तरह के सभी गैरकानूनी मामलों में मुस्लिम ही अभियुक्त पाए जाते हैं। संदेशखाली में जो कुछ सामने आया है अथवा आ रहा है, यह कोई पहली बार घटित हुई वारदातें नहीं है। हिंदू महिलाओं के साथ गैंग रेप की एक नहीं बल्कि सैकड़ों घटनाएं सामने आ चुकी हैं। जिसके खिलाफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने जब भी आवाज उठायी हैं तो परिणाम में उन्हें ही निशाना बनाना शुरू कर दिया गया है। न सिर्फ संघ के कार्यकर्ताओं की हत्या की गई है बल्कि उनके घरों को भी जला दिया गया है। इस क्षेत्र में हिंदू अनुसूचित जाति की महिलाओं एवं नाबालिग़ लड़कियों को इस इलाके के दबंग घुसपैठिए अपनी हवस का शिकार बनाने के उद्देश्य से जबरन उठा ले जाते हैं। इस क्षेत्र में तस्करी – मादक पदार्थ, हथियार, गोमांस आदि अपराधों में संलिप्त शेख शहंशाह जैसे मुस्लिम दबंगों का बोलबाला है। हाल ही में शेख शहंशाह के ठिकानों पर छापेमारी के लिए गई प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम पर उसके गुर्गों द्वारा हिंसक हमला भी किया गया था। इस हमले में ED के कई अधिकारी गम्भीर रूप से घायल हुए थे । इस इलाके में नौकरी/रोजगार, विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ देने की आड़ में भी अनेक महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया है। पश्चिम बंगाल के विशेष इलाके संदेशखाली में घटित उक्त घटनाओं का वर्णन केवल उदाहरण के तौर पर किया गया है। वरना, पूरे पश्चिम बंगाल में ही आज अराजकता का माहौल है जो पश्चिम बंगाल की आर्थिक प्रगति को विपरीत रूप में प्रभावित कर रहा है। लगभग 1960 के दशक तक पश्चिमी बंगाल की औसत प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय स्तर पर औसत प्रति व्यक्ति आय से अधिक हुआ करती थी। पश्चिम बंगाल, भारत के प्रथम तीन सबसे अधिक धनी राज्यों में शामिल था। पहिले दो राज्य थे – महाराष्ट्र एवं गुजरात। 1980 का दशक आते आते पश्चिम बंगाल की औसत प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय स्तर पर औसत प्रति व्यक्ति आय के लगभग बराबर तक नीचे आ गई थी। 1990 के दशक में राष्ट्रीय स्तर पर औसत प्रति व्यक्ति आय पश्चिम बंगाल की तुलना में तेज गति से आगे बढ़ने लगी और पश्चिम बंगाल का स्थान देश में 7वें स्थान पर आ गया। वर्ष 2000 में और भी नीचे गिरकर 10वें स्थान पर आ गया एवं वर्ष 2011 में यह 11वें स्थान पर आ गया। यह गिरावट आज भी जारी है और आज पश्चिम बंगाल औसत प्रति व्यक्ति आय के मामले में देश में 14वें स्थान पर आ गया है। इसी प्रकार, वर्ष 1993-94 एवं 1999-2000 के बीच पश्चिम बंगाल में औसत प्रति व्यक्ति आय में 5.5 प्रतिशत की वृद्धि अर्जित की गई थी जबकि भारत का राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत 4.6 प्रतिशत था। अगली दशाब्दी में पश्चिम बंगाल में औसत प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि दर गिरकर 4.9 प्रतिशत रह गई जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत बढ़कर 5.5 प्रतिशत हो गया। वर्ष 2011-12 से लेकर वर्ष 2019-20 के दौरान पश्चिम बंगाल में औसत प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि दर और भी नीचे गिरकर 4.2 प्रतिशत हो गई जबकि राष्ट्रीय स्तर पर औसत 5.2 प्रतिशत रहा। इस प्रकार पश्चिम बंगाल एवं राष्ट्रीय स्तर पर औसत प्रति व्यक्ति आय की वृद्धि दर में यह अंतर और भी बढ़ता ही जा रहा है। यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि 1990 के दशक में पश्चिम बंगाल में विकास दर राष्ट्रीय स्तर पर औसत विकास दर से अधिक थी। परंतु, वामपंथी दलों के शासनकाल में पश्चिम बंगाल में विकास दर राष्ट्रीय औसत से कम हो गई थी। पश्चिम बंगाल पर स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से लगातार कांग्रेस, वामपंथी दलों और तृणमूल कांग्रेस का शासन रहा है। विशेष रूप से वामपंथी दलों एवं तृणमूल कांग्रेस के शासनकाल के दौरान पश्चिम बंगाल की आर्थिक प्रगति विपरीत रूप से प्रभावित होती रही है। वर्ष 2022 में पश्चिम बंगाल में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद 157,254 रुपए था जबकि विश्व बैंक द्वारा जारी किए गए अनुमानों के अनुसार भारत में प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद का राष्ट्रीय औसत 2411 अमेरिकी डॉलर था। यदि 80 रुपए प्रति डॉलर की दर पर अमेरिकी डॉलर को रुपए में बदला जाए तो यह राशि लगभग 164,000 रुपए प्रति व्यक्ति रहती है, जो पश्चिम बंगाल में प्रति व्यक्ति औसत से कहीं अधिक है। जबकि पश्चिम बंगाल किसी समय पर भारत के समस्त राज्यों के बीच सबसे तेज गति से आर्थिक प्रगति करता हुआ राज्य रहा है। यह देश की आर्थिक राजधानी भी माना जाता रहा है। आज आर्थिक प्रगति के मामले में पश्चिम बंगाल की स्थिति दिनोदिन बिगड़ती जा रही है। यह सब पश्चिम बंगाल में छिन्न भिन्न हो रहे सामाजिक ताने बाने के चलते एवं उपरोक्त वर्णित संदेशखाली जैसी घटनाओं में हो रही वृद्धि के चलते हो रहा है। प्रहलाद सबनानी Read more » संदेशखाली
राजनीति मोदी के तीसरे कार्यकाल की सुखद आहट February 22, 2024 / February 22, 2024 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग- वर्ष 2024 के आम चुनाव सन्निकट हैं। भारतीय जनता पार्टी ऐतिहासिक एवं धमाकेदार जीत के प्रति आश्वस्त है। एक बार फिर प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी एक नयी पारी की शुरुआत करेंगे। प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी का यह तीसरा कार्यकाल अगले एक हजार वर्षों के लिए एक मजबूत नींव […] Read more » मोदी के तीसरे कार्यकाल की सुखद आहट
राजनीति श्रीगुरुजी की शक्तिशाली राष्ट्र की अवधारणा February 19, 2024 / February 19, 2024 by प्रवीण गुगनानी | Leave a Comment प्रवीण गुगनानी श्री गुरुजी, माधव सदाशिव राव गोलवलकर शक्तिशाली भारत की अवधारणा के अद्भुत, उद्भट व अनुपम संवाहक थे। श्री गुरुजी के संदर्भ में “थे” शब्द कहना सर्वथा अनुचित होगा, वे आज भी पराक्रमी भारत, ओजस्वी भारत, अजेय भारत, निर्भय भारत, संपन्न-समृद्ध-स्वस्थ भारत व राष्ट्रवाद भाव के झर-झर बहते निर्झर झरने बने हुए हैं। वे […] Read more » श्रीगुरुजी की शक्तिशाली राष्ट्र की अवधारणा
राजनीति मीडिया पर अनर्गन आरोप लगाकर अनचाहे ही अघोषित नाराजगी मोल क्यों लेना चाह रहे राहुल गांधी! February 19, 2024 / February 19, 2024 by लिमटी खरे | Leave a Comment सड़कों पर चलते हुए केंद्र पर जमकर गरज रहे राहुल गांधी, पर सदन में . . . मीडिया पर पक्षपात का आरोप लगा रहे राहुल, पर सोशल मीडिया पर कांग्रेस के दिग्गजों की चुप्पी पर मौन क्यों! लिमटी खरे जो भी विपक्ष में रहता है वह मीडिया पर इस कदर तोहमत लगाता है मानो मीडिया नेताओं की […] Read more » मीडिया पर अनर्गन आरोप
राजनीति अब भारत से ब्रेनड्रेन को कम करने का समय आ गया है February 19, 2024 / February 19, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment अभी हाल ही में इजराईल ने हमास के साथ छिड़े युद्ध के बाद भारत से एक लाख कामगारों को इजराईल भेजने का आग्रह किया है क्योंकि लगभग इतनी ही संख्या में फिलिस्तीन के नागरिक इजराईल में विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर रहे थे। हालांकि, इजराईल द्वारा भारत से मांगे गए एक लाख कामगारों की संख्या में इंजीनियर भी शामिल हैं। इसी प्रकार ताईवान ने भी घोषणा की थी कि उसे लगभग एक लाख भारतीय इंजीनियरों की आवश्यकता है। इसके पूर्व जापान ने भी लगभग 2 वर्ष पूर्व घोषणा की थी कि वह 2 लाख भारतीय इंजीनियरों की भर्ती जापान में विभिन्न कम्पनियों में करेगा। एक अन्य समाचार के अनुसार, माक्रोसोफ्ट के मुख्य कार्यपालन अधिकारी श्री सत्या नंडेला एवं गूगल के मुख्य कार्यपालन अधिकार श्री सुंदर पिचाई भी प्रयास कर रहे हैं कि इनकी कम्पनियों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किस प्रकार भारतीय इंजीनियरों की भर्ती बढ़ाई जाए। अमेरिका एवं कनाडा आदि देशों में पहिले से ही लगातार कुछ वर्षों से इन देशों की बहुराष्ट्रीय कम्पनियों में लाखों भारतीय इंजीनियरों की भर्ती जारी है। इस प्रकार, यह कहा जा सकता है कि भारत आज पूरे विश्व में इंजीनियरों की आपूर्ति का बहुत बड़ा केंद्र बन गया है अर्थात एक तरह से भारत पूरे विश्व के लिए इंजीनियर तैयार कर रहा है। दूसरे, हाल ही में एक रोचक जानकारी सामने आई है कि रूस जैसे कुछ देशों की महिलाएं पति के रूप में भारतीय पुरुषों के प्रति आकर्षित हो रही हैं। क्योंकि, भारतीय पुरुष तलाक जैसी कुरीतियों से मीलों दूर दिखाई देते हैं। भारतीय पुरुष एक बार शादी के बाद पूरे जीवन भर अपनी पत्नी को सुखी जीवन प्रदान करते हैं। यह भारतीय सनातन संस्कृति का प्रभाव है। परंतु, विश्व के कई विकसित देशों में सामाजिक तानाबाना छिन्न भिन्न हो चुका है। इन देशों में तलाक की दर 50 प्रतिशत से भी अधिक हो गई है एवं अमेरिका में तो लगभग 60 प्रतिशत बच्चों को अपने पिता के बारे में जानकारी ही नहीं रहती है। इन विपरीत परिस्थितियों के बीच कुल मिलाकर इन देशों में बच्चों का मानसिक विकास प्रभावित हो रहा है एवं इन देशों में बच्चे गणित एवं विज्ञान जैसे विषयों में गहरी रुचि नहीं ले पा रहे हैं। अतः इन देशों में महिलाएं बहुत अधिक परेशानी में दिखाई दे रही हैं एवं वे भारतीय पुरुषों को अपने पति के रूप में स्वीकार करने को लालायित दिखाई दे रही हैं। आज 1.40 करोड़ भारतीय मूल के नागरिक विभिन्न देशों में रह रहे हैं, जो इन देशों की नागरिकता प्राप्त करने का इंतजार कर रहे हैं एवं इसके अतिरिक्त 1.80 करोड़ भारतीय मूल के नागरिक इन देशों के स्थायी नागरिक बन चुके हैं। अतः कुल मिलाकर 3.20 करोड़ भारतीय मूल के नागरिक आज विश्व के अन्य देशों में निवास कर रहे हैं। भारतीय मूल के नागरिकों का यह वर्ग न केवल इन देशों में भारतीय सनातन संस्कृति को फैलाने में अपनी अहम भूमिका निभा रहा है बल्कि अपनी बचतों को भारत में भेजकर भारत में अपना पूंजी निवेश भी बढ़ा रहा हैं। पिछले वर्ष, भारतीय मूल के इन नागरिकों द्वारा 10,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक की राशि भारत में भेजी गई थी, जो पूरे विश्व में किसी भी देश में भेजी गई राशि में सबसे अधिक है। भारतीय मूल के नागरिक अपने संस्कारों के चलते इन देशों में शीघ्र ही अपना विशेष स्थान बना लेते हैं एवं अपनी मेहनत के बल पर सम्पन्नता भी प्राप्त कर लेते हैं। आज भारतीय मूल के नागरिक कई देशों में राजनैतिक क्षेत्र में भी बहुत आगे आ गए हैं। अमेरिका की उपराष्ट्रपति श्रीमती कमला हेरिस, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री श्री ऋषि सुनक सहित कई देशों के प्रमुख आज भारतीय मूल के नागरिक ही हैं। जब विशेष रूप से विकसित देशों में भारत से डॉक्टर, इंजीनियर एवं प्रबंधन के क्षेत्र में विशेषज्ञ भारत से बाहर जाते हैं तो इन विशिष्ट श्रेणी में विशेषज्ञों की भारत में कमी होना स्वाभाविक है। अब तो ऐसा आभास होने लगा है कि पूरे विश्व के लिए विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ जैसे भारत तैयार कर रहा है। यह विशेषज्ञ विभिन्न देशों में जाकर इन देशों की कम्पनियों को मजबूती प्रदान करते हैं एवं यह कम्पनियां पूरे विश्व में अपने व्यापार को फैलाने में सफल हो रही हैं। अब समय आ गया है कि भारतीय कम्पनियां भी बहुराष्ट्रीय कम्पनियां बनें एवं पूरे विश्व में अपने व्यापार को फैलाएं। इस दृष्टि से भारत की इन कम्पनियों को विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की आवश्यकता होगी। यदि भारतीय कम्पनियां विश्व के अन्य देशों में अपने पैर पसरना शुरू करें तो हो सकता है इन क्षेत्रों में पूर्व से ही कार्य कर रही विकसित देशों की बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से भारतीय कम्पनियों को गला काट प्रतिस्पर्धा करनी पड़े। जबकि विकसित देशों की बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ाने में भारतीय विशेषज्ञों का ही अधिक योगदान रहा है। विदेश में रह रहे भारतीय विशेषज्ञों एवं भारत में रह रहे भारतीय विशेषज्ञों की आपस में प्रतिस्पर्धा होगी। इस प्रतिस्पर्धा में सम्भव है कि भारतीय कम्पनियां विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के आगे प्रतिस्पर्धा में टिक ही न सकें। दूसरे, बदले हुए आर्थिक परिदृश्य में आज भारत में आर्थिक विकास की रफ्तार बहुत तेज हो चुकी है, जबकि विश्व के अन्य देशों, विशेष रूप से विकसित देशों में, आर्थिक विकास की रफ्तार लगातार कम बनी हुई है। भारत आज विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है एवं अगले लगभग 5 वर्षों के दौरान भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा, ऐसी सम्भावना विश्व की वित्तीय एवं आर्थिक संस्थाएं व्यक्त कर रही हैं। अतः आगे आने वाले समय में भारत में भी विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की अधिक आवश्यकता महसूस होने लगेगी। इस प्रकार, आज भारत में इस विषय पर गम्भीरता से विचार किए जाने की आवश्यकता है कि भारत से ब्रेन ड्रेन को कम करने के उद्देश्य से क्या उपाय किए जाने चाहिए। यदि भारत से ब्रेन ड्रेन पर अंकुश लगाने में सफलता मिलती है तो सम्भव है कि विदेशी बहुराष्ट्रीय कम्पनियां भारत में ही अपनी विनिर्माण इकाईयां स्थापित करें, क्योंकि इन बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को इनके अपने देशों में भारतीय विशेषज्ञ इंजीनियरों की कमी महसूस होने लगेगी। भारत में ही विनिर्माण इकाईयों के स्थापित होने से न केवल भारत में रोजगार के अधिक अवसर निर्मित होंगे बल्कि इन कम्पनियों का विदेशी व्यापार भी भारत के माध्यम से होने लगेगा और भारत के कर संग्रहण में भी अपार वृद्धि होगी। कुल मिलाकर, भारत में और अधिक खुशहाली फैलाने का रास्ता साफ होगा। भारत से ब्रेन ड्रेन को एकदम बंद तो नहीं किया जा सकता है परंतु कुछ क्षेत्रों जिनमें भारत को पूर्व में ही महारत हासिल हैं एवं जिन क्षेत्रों में भारत तेजी से विश्व में अपना स्थान मजबूत कर रहा है तथा जिन क्षेत्रों में भारत को आगे आने वाले समय में विशेषज्ञों की बहुत अधिक आवश्यकता होने जा रही है, ऐसे क्षेत्रों में विशेषज्ञ इंजीनियरों के ब्रेन ड्रेन को कम करने की जरूर आज आवश्यकता है। जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स एवं मशीन लर्निंग जैसे नए क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उभर रहे हैं, इन क्षेत्रों को भारतीय इंजीनियरों द्वारा भारत में ही अधिक विकसित अवस्था में लाया जा सकता है। इससे अन्य विकसित देशों की तुलना में इन क्षेत्रों को भारत में अधिक तेजी से आगे बढ़ाया जा सकेगा। कुल मिलाकर, भारत से किन क्षेत्रों से कितने विशेषज्ञ इंजीनियरों को विदेश जाने की अनुमति दी जानी चाहिए, इस विषय पर अब गम्भीरता से विचार किया जाना चाहिए ताकि आगे आने वाले समय में भारत में इन पूर्व निर्धारित क्षेत्रों में विशेषज्ञ इंजीनियरों की कमी नहीं हो। प्रहलाद सबनानी Read more » reduce braindrain from India अब भारत से ब्रेनड्रेन को कम करने का समय आ गया है
राजनीति एटीएम भारत के देसी मुसलमानों यानि डीएम को गुलाम बनाना चाहता है February 19, 2024 / February 19, 2024 by डॉ. कुलदीप चन्द अग्निहोत्री | Leave a Comment – डा० कुलदीप चन्द अग्निहोत्री एटीएम (अरब, तुर्क, मंगोल) भारतीय मुसलमानों को अपना ग़ुलाम मानने की मानसिकता से ग्रसित रहे हैं। एटीएम की मानसिकता की शुरुआती अभिव्यक्ति जियाऊद्दीन बर्नी के कथनों में चौदहवीं शताब्दी में ही मिल जाती है। बर्नी ने भारत में शासन कर रहे एटीएम के शासकों को इस आदेश का हवाला देकर समझा […] Read more » अरब तुर्क मंगोल
आर्थिकी राजनीति भारतीय अर्थव्यवस्था में हो रहे बदलाव की ब्यार पर प्रश्नचिन्ह क्यों? February 17, 2024 / February 17, 2024 by प्रह्लाद सबनानी | Leave a Comment भारत में पिछले एक दशक में, विशेष रूप से आर्थिक क्षेत्र में, अतुलनीय सुधार दृष्टिगोचर है और भारतीय अर्थव्यवस्था आज विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के साथ ही विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच सबसे तेज गति से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था भी बन गई है। आगे आने वाले लगभग पांच वर्षों के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी, ऐसा आंकलन विश्व के कई वित्तीय एवं आर्थिक संस्थान कर रहे हैं। आज विश्व के कई देश पूंजीवादी मॉडल से निराश होकर भारतीय आर्थिक मॉडल को अपनाने की बात करने लगे हैं क्योंकि सनातन संस्कृति पर आधारित भारतीय आर्थिक मॉडल पश्चिमी आर्थिक मॉडल की तुलना में बेहतर माना जा रहा है। परंतु, दुर्भाग्य से भारत में कुछ राजनैतिक दल एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते हुए भारत में हाल ही के समय में हुई आर्थिक प्रगति को कमतर आंकते हुए भारतीय अर्थव्यवस्था में हो रहे बदलाव की ब्यार पर ही प्रश्न चिन्ह लगाते दिखाई दे रहे हैं। भारत आज अर्थ के विभिन्न क्षेत्रों में नित नई ऊंचाईयां छू रहा है। दिसम्बर 2023 के प्रथम सप्ताह में भारत ने फ्रान्स एवं ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए शेयर बाजार के पूंजीकरण के मामले में पूरे विश्व में पांचवा स्थान हासिल किया था। भारत से आगे केवल अमेरिका, चीन, जापान एवं हांगकांग थे। परंतु, अब दो माह से भी कम समय में भारत ने शेयर बाजार के पूंजीकरण के मामले में हांगकांग को पीछे छोड़ते हुए विश्व में चौथा स्थान प्राप्त कर लिया है। अब ऐसा आभास होने लगा है कि भारत अर्थ के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर खोई हुई अपनी प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त करता हुआ दिखाई दे रहा है। एक ईसवी से लेकर 1750 ईसवी तक आर्थिक दृष्टि से पूरे विश्व में भारत का बोलबाला था। इस खंडकाल में विश्व के कुल विदेशी व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 32 प्रतिशत से भी अधिक की रही है क्योंकि उस समय पर भारत में सनातन संस्कृति का पालन करते हुए व्यापार किया जाता था। भारत में कर्म एवं अर्थ के कार्यों को धर्म का पालन करते हुए करने की प्रथा का पुरातन शास्त्रों में वर्णन मिलता है। भारत में चूंकि आज एक बार पुनः सनातन संस्कृति का पालन करते हुए विभिन्न क्षेत्रों में कार्य सम्पन्न हो रहे हैं अतः पूरे विश्व का भारत पर विश्वास बढ़ रहा है। विदेशी निवेश के साथ साथ आज लगभग 50 देश भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौता करना चाहते हैं क्योंकि भारत वैश्विक स्तर पर विभिन्न उत्पादों के लिए एक बहुत बड़े बाजार के रूप में विकसित हो रहा है। ऐसा कहा जाता है कि शेयर बाजार में निवेशक अपनी जमापूंजी का निवेश बहुत सोच विचार कर करता है एवं जब निवेशकों को यह आभास होने लगता है कि अमुक कम्पनी का भविष्य बहुत उज्जवल है एवं निवेशक द्वारा किए गए निवेश पर प्रतिफल अधिकतम रहने की सम्भावना है, तभी निवेशक अपनी जमापूंजी को शेयर बाजार में उस अमुक कम्पनी में निवेश करते है। इस प्रकार, जब किसी भी देश की अर्थव्यवस्था पर निवेशकों का भरोसा बढ़ता हुआ दिखाई देता है तो विशेष रूप से विदेशी निवेशक एवं विदेशी संस्थागत निवेशक उस देश में विभिन्न कम्पनियों के शेयर में अपनी निवेश बढ़ाते हैं। चूंकि विदेशी संस्थानों को आगे आने वाले समय में भारतीय अर्थव्यवस्था पर एवं भारतीय कम्पनियों की विकास यात्रा पर भरपूर भरोसा है अतः भारतीय शेयर बाजार में निवेश भी रफ्तार पकड़ रहा है। किसी भी देश की आर्थिक प्रगति में शासन द्वारा बनाई गई नीतियों का विशेष प्रभाव रहता है। पिछले 10 वर्षों के खंडकाल में भारत न केवल आर्थिक क्षेत्र बल्कि सांस्कृतिक, सामाजिक एवं राजनैतिक क्षेत्रों में भी मजबूत हुआ है और भारत ने पूरे विश्व में अपनी धाक जमाई है। आज भारतीय मूल के लगभग 3.20 करोड़ लोग विश्व के अन्य देशों में निवास कर रहे हैं। भारतीय मूल के इन नागरिकों ने भारतीय सनातन संस्कृति का पालन करते हुए इन देशों के स्थानीय नागरिकों को भी प्रभावित किया है जिससे विदेशी नागरिक भी अब सनातन संस्कृति की ओर आकर्षित होने लगे हैं। विशेष रूप से विकसित देशों में तो सामाजिक तानाबाना इतना अधिक छिन्न भिन्न हो चुका है कि अब ये देश आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक समस्याओं के हल हेतु आशाभारी नजरों से भारत की ओर देख रहे हैं। अंतरिक्ष के क्षेत्र में आज भारत एक वैश्विक ताकत बनाकर उभरा है। भारत आज न केवल अपने लिए सेटेलाईट अंतरिक्ष में भेज रहा है बल्कि विश्व के कई अन्य देशों के लिए भी सेटेलाईट अंतरिक्ष में स्थापित करने में सक्षम हो गया है। योग एवं आध्यात्म के क्षेत्र में तो भारत अनादि काल से विश्व गुरु रहा ही है, परंतु हाल ही के समय में भारत एक बार पुनः योग एवं आध्यात्म के क्षेत्र में विश्व का मार्गदर्शन करने की ओर अग्रसर है। योग को सिखाने के लिए तो यूनाइटेड नेशन्स ने प्रति वर्ष 21 जून को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस मनाने का निर्णय लिया है और इसे पूरे विश्व में लगभग सभी देशों द्वारा बहुत ही उत्साह से मनाया जाता है। इसी प्रकार विज्ञान के क्षेत्र में भी भारत ने पूरे विश्व में अपना एक अलग मुकाम बना लिया है। किसी भी देश के लिए आर्थिक प्रगति तभी सफल मानी जानी चाहिए जब उस देश के अंतिम पंक्ति में खड़े नागरिक को भी उस देश की आर्थिक प्रगति का लाभ मिलता दिखाई दे। इस दृष्टि से विशेष रूप से गरीबी एवं आय की असमानता को कम करने में भारत ने विशेष सफलता पाई है। जिसकी अंतरराष्ट्रीय मुद्रकोष एवं विश्व बैंक ने भी जमकर सराहना की है। भारत में वर्ष 1947 में 70 प्रतिशत लोग गरीबी की रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे थे, और अब वर्ष 2020 में देश की कुल आबादी का लगभग 10 प्रतिशत हिस्सा गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहा है। आज भारत डिजिटल इंडिया के माध्यम से क्रांतिकारी परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। पिछले 10 वर्षों के दौरान भारत ने डिजिटलीकरण के क्षेत्र में अतुलनीय प्रगति की है एवं आज भारत में 120 करोड़ से अधिक इंटरनेट, 114 करोड़ से अधिक मोबाइल एवं 65 करोड़ से अधिक स्मार्टफोन उपयोगकर्ता हैं। इस प्रकार भारत ने एक नए डिजिटल युग में प्रवेश कर लिया है। शिक्षा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में भी डिजिटल इंडिया ने कमाल ही कर दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता बढ़ाई गई है। अब तो ड्रोन के लिए भी नए डिजिटल प्लेटफार्म का उपयोग हो रहा है एवं ड्रोन के माध्यम से कृषि को किस प्रकार सहयोग किया जा सकता है इस पर भी कार्य हो रहा है। ड्रोन के माध्यम से बीजों का छिड़काव आदि जैसे कार्य किए जाने लगे हैं। कृषि क्षेत्र, रक्षा उत्पादों, फार्मा, नवीकरण ऊर्जा, डिजिटल व्यवस्था के साथ ही प्रौद्योगिकी, सूचना तकनीकी, आटोमोबाईल, मोबाइल उत्पादन, बुनियादी क्षेत्रों का विकास, स्टार्ट अप्स, ड्रोन, हरित ऊर्जा और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में भी भारत अपने आप को तेजी से वैश्विक स्तर पर एक लीडर के रूप में स्थापित करने की ओर अग्रसर हो गया है। इस प्रकार आर्थिक प्रगति के बल पर भारत एक बार पुनः अपने आप को विश्व गुरु के रूप में स्थापित करने जा रहा है। भारत विश्व में विकास के इंजन के रूप में उभर रहा है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि वर्ष 2024 में वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में भारत का योगदान 16 प्रतिशत से भी अधिक का रहने वाला है। जब अन्य देशों की विकास दर कम हो रही हैं तब भारत में आर्थिक विकास दर तेज हो रही हैं। केंद्र सरकार द्वारा देश में लागू की जा रही आर्थिक नीतियों एवं देश में मंदिर अर्थव्यवस्था एवं धार्मिक पर्यटन के बढ़ते आधार के चलते ही यह सम्भव हो पा रहा है। प्रहलाद सबनानी Read more » Why a question mark on the pace of change taking place in the Indian economy