Category: राजनीति

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ऋषि सुनाक पर फूहड़ बहस

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ब्रिटेन में ऋषि सुनाक के प्रधानमंत्री बनने पर भारत में बधाइयों का तांता लगना चाहिए था लेकिन अफसोस है कि हमारे नेताओं के बीच फूहड़ बहस चल पड़ी है। कांग्रेस के दो प्रमुख नेता, जो काफी पढ़े-लिखे और समझदार हैं, उन्होंने बयान दे मारा कि सुनाक जैसे ‘अल्पसंख्यक’ को यदि ब्रिटेन-जैसा कट्टरपंथी देश अपना प्रधानमंत्री बना सकता है तो भारत किसी अल्पसंख्यक को अपना नेता क्यों नहीं बना पाया? यह बहस चलाने वाले क्यों नहीं समझते कि भारत तो ब्रिटेन के मुकाबले कहीं अधिक उदार राष्ट्र है। इसमें सर्वधर्म, सर्वभाषा, सर्ववर्ग, सर्वजाति समभाव की धारणा ही इसके संविधान का मूल है।

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राजनीति

भारतीय करेंसी पर स्वार्थप्रेरित राजनीति से उपजा अंधेरा

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लेकिन प्रश्न है कि धर्मनिरपेक्ष भारत में ऐसे सवाल खड़े होना देश के लिए क्या अच्छी बात हैं? क्या अपनी राजनीति को चमकाने के लिये एकाएक ऐसे बयान से बहुसंख्यक समाज को आकर्षित करना औचित्यपूर्ण है? क्या इस तरह की मूल्यहीन एवं स्वार्थप्रेरित राजनीति लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अवरोध एवं सौहार्द-भंग का कारण नहीं बनती? देश संविधान से चलता हैं किसी धर्म से नहीं? अब ऐसे कई सवाल उठने लगे हैं, विवाद खडे़ हो रहे हैं एवं देश की एकता एवं सांझा-संस्कृति की अक्षुण्णता को लेकर राजनीतिक चर्चाएं गरमा रही है।

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राजनीति

गुजरात के शिक्षा उपक्रमों को ‘आप’ की नकल कहना गलत

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मोदी छात्रों के बीच गए और उनके साथ एक स्मार्ट क्लास में बैठे। उन्होंने कुछ देर स्मार्ट क्लास का जायजा लिया और एक छात्र द्वारा बताई गई बातों को ध्यान से सुना। इन सब घटनाओं को केजरीवाल की नकल करार देना निश्चित ही विरोधाभासी है। भले ही आप पार्टी ने शिक्षा की दृष्टि से दिल्ली में उल्लेखनीय काम किया है, लेकिन गुजरात में मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस एवं गुजरात में चल रहे शिक्षा उपक्रमों को ‘आप’ की नकल कहना एक तरह से आम आदमी पार्टी द्वारा गुजरात में अपनी राजनीति चमकाने का घटिया एवं अलोकतांत्रिक तरीका है। यह मूल्यहीन राजनीति की पराकाष्ठा है।

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राजनीति सार्थक पहल

हिन्दी में मेडिकल की पढ़ाई ; सीएम शिवराज ने इतिहास रच दिया 

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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भाषा को लेकर विविध मंचों से विचार साझा करते हुए कहते हैं कि : - " साथियों, हमें एक ही वैज्ञानिक बात समझने की जरूरत है कि - भाषा, शिक्षा का माध्यम है, भाषा ही सारी शिक्षा नहीं है। जिस भी भाषा में बच्चा आसानी से सीख सके, वही भाषा पढ़ाई की भाषा होनी चाहिए। दुनिया के ज्यादातर देशों में भी आरंभिक शिक्षा मातृभाषा में ही दी जाती है। हमारे देश में खासकर ग्रामीण क्षेत्र में पढ़ाई मातृभाषा से अलग होने पर ज्यादातर पालक, बच्चों की पढ़ाई से जुड़ भी नहीं पाते। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में मातृभाषा के अलावा कोई अन्य भाषा सीखने-सिखाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, कोई रोक नहीं लगाई गई है। अंतर्राष्ट्रीय पटल पर जो भी सहयोगी भाषा सीखने की बच्चों को आवश्यकता है वह जरूर सीखें।

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राजनीति स्‍वास्‍थ्‍य-योग

हिन्दी में चिकित्सा पढ़ाई एक क्रांतिकारी कदम

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हिन्दी को उसका गौरवपूर्ण स्थान दिलाने के लिये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार को साधुवाद दिया जाना चाहिए कि उनके प्रयासों से देश में पहली बार मध्य प्रदेश में चिकित्सा की पढ़ाई हिंदी में शुरू होने जा रही है। केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने हिन्दी में मेडिकल की पढ़ाई का शुभारम्भ कर एक नए युग की शुरुआत की है, इससे न केवल हिन्दी का गौरव बढ़ेगा बल्कि हिन्दी को राष्ट्रभाषा एवं राज-काज की भाषा बनाने में आ रही बाधाएं दूर होंगी। अंग्रेजी भाषा पर निर्भरता की मानसिकता को जड़ से खत्म करने की दिशा में यह एक क्रांतिकारी एवं युगांतकारी कदम होने के साथ अनुकरणीय भी है, जिसके लिये अन्य प्रांतों की सरकारों को बिना राजनीतिक आग्रहों एवं पूर्वाग्रहों के पहल करनी चाहिए।

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