राजनीति ‘बाटला हाउस एनकाउंटर’ पर असहज क्यों हो जाती है कांग्रेस! August 4, 2025 / August 4, 2025 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment रामस्वरूप रावतसरे लोकसभा में पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर की चर्चा में 29 जुलाई 2025 को अमित शाह ने बाटला हाउस एनकाउंटर का जिक्र किया था। उन्होंने कहा कि सोनिया गाँधी बाटला हाउस एनकाउंटर पर रो रही थीं लेकिन शहीद पुलिस इंस्पेक्टर मोहन शर्मा की शहादत पर चुप रहीं। लोकसभा में वाकया सुनाते हुए अमित शाह ने कहा, “मैं […] Read more »
राजनीति विकसित कृषि से विकसित भारत की राह August 4, 2025 / August 4, 2025 by डॉ.वेदप्रकाश | Leave a Comment डा.वेदप्रकाश विकसित कृषि के लिए विज्ञान एवं आधुनिक तकनीक का प्रयोग आवश्यक है। समय के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों में बदलाव आ रहे हैं। कई क्षेत्रों में भूजल का स्तर घटने एवं जलवायु परिवर्तन होने से फसलों के पैटर्न बदलने की आवश्यकता है। गेंहू , गन्ना, धान, सेब,संतरा, मौसमी, नींबू ,आम,केला व लीची आदि फसलों की आवश्यकताएं भिन्न हैं। इसलिए आज कृषि क्षेत्र के लिए शोध और नवाचार अनिवार्य है। वन ड्रॉप मोर क्रॉप के महत्व को समझना होगा। भूजल की कमी वाले क्षेत्रों में अधिक लाभ एवं पैदावार वाली किस्में विकसित करनी होंगी। वर्ष 2014 में सत्ता में आते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों की आय दोगुनी करने का संकल्प प्रस्तुत किया और उसके लिए विभिन्न योजनाओं को तत्काल प्रभाव से लागू भी किया। परिणामत: विगत कुछ वर्षों से लगातार रिकॉर्ड खाद्यान्न की पैदावार और निर्यात हो रहा है। हाल ही में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना को मंजूरी दी है। इस योजना में कृषि उत्पादन में पिछड़े जिलों को शामिल किया जाएगा जिसमें प्रत्येक राज्य से कम से कम एक जिला सम्मिलित होगा। योजना पर प्रतिवर्ष 24000 करोड़ रुपए खर्च होंगे, जिससे लगभग एक करोड़ 70 लाख किसानों को लाभ होगा। योजना में छोटे और सीमांत किसानों को आधुनिक और लाभकारी खेती की ओर बढ़ने पर बल दिया जाएगा। यह अन्नदाता के सम्मान और कृषि एवं किसान कल्याण की दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय है। ध्यातव्य है कि भारत कृषि प्रधान देश है। देश की लगभग 47 प्रतिशत आबादी कृषि से आजीविका पर निर्भर है। आज भी देश के विभिन्न राज्यों में कृषि के लिए पुरानी तकनीक और पुराने उपकरणों पर ही निर्भरता है। तकनीकी और वैज्ञानिक विकास से वे अभी भी बहुत दूर हैं। दिसंबर 2024 की नेशनल बैंक आफ रूरल एंड एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट की एक रिपोर्ट के अनुसार किसानों की कमाई में खेती का योगदान 33 प्रतिशत है। किसान परिवारों की खेती से औसत मासिक आय केवल 4476 रुपए है। इसके अतिरिक्त खेती, पशुपालन, अन्य उद्यम,मजदूरी एवं सेवा आदि को मिलाकर किसान परिवार की औसत मासिक आय 13661 रुपए है। देश के लगभग 55.4 प्रतिशत किसान परिवारों पर कर्ज है। सामान्यतः छोटी जोत के किसान परिवारों की बदहाली सहज ही देखी जा सकती है। सर्दी, गर्मी, बरसात सभी मौसमों में खुले आसमान के नीचे कठोर परिश्रम करके भी वे मूलभूत आवश्यकताओं से वंचित रहते हैं। क्या किसानों की यह दशा चिंताजनक नहीं है? विगत कुछ वर्षो से कृषि और किसान कल्याण के लिए अनेक योजनाएं आरंभ की गई हैं जिनमें किसान चैनल, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, एग्रीकल्चर मार्केट रिफॉर्म, बजटीय आवंटन में बढ़ोतरी, कृषि ऋण, कृषि बाजार ढांचे में सुधार, राष्ट्रीय बांस मिशन, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, परंपरागत कृषि विकास योजना, राष्ट्रीय गोकुल मिशन एवं प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना आदि प्रमुख हैं। प्रधानमंत्री ने वर्ष 2018 के लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय संबोधन में कहा था- हम किसानों को साथ लेकर कृषि में आधुनिकता करके कृषि के फलक को चौड़ा करके काम करना चाहते हैं। बीज से लेकर बाजार तक हम वैल्यू एडिशन करना चाहते हैं…। फलत: वर्ष 2023 के बजट में खेती किसानी को नए युग में ले जाने के उद्देश्य से डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने का विचार आया। प्राकृतिक खेती के लिए एक करोड़ किसानों को पीएम प्रणाम योजना रखी गई। वर्ष 2024 के बजट में गांवों के लिए सहकारिता नीति, राष्ट्रीय आजीविका मिशन के अंतर्गत 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने का लक्ष्य आदि महत्वपूर्ण योजनाएं थी, तो वर्ष 2025 के बजट में प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना। करोड़ों मछुआरों, किसानों और डेयरी किसानों को अल्पकालिक ऋण सुविधा, राष्ट्रीय उच्च पैदावार के लिए बीज मिशन, कपास उत्पादकता मिशन, मखाना बोर्ड, ड्रोन दीदी और दलहन में आत्मनिर्भरता आदि ऐसी योजनाएं प्रस्तावित हैं जिनसे कृषि और किसान कल्याण की दिशा में आमूलचूल परिवर्तन होंगे। विगत दिनों भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की वार्षिक आमसभा में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि विकसित कृषि संकल्प अभियान में आए सुझावों के आधार पर कृषि विकास की रणनीति बनेगी। उन्होंने जन औषधि केंद्र की तरह फसल औषधि केंद्र खोलने की बात भी कही। साथ ही उन्होंने किसानों की उपयोगिता और मांग आधारित शोध की जरूरत पर भी जोर दिया। आज हमें गंभीरता से यह समझने की जरूरत है कि भारत की वैश्विक कृषि उत्पादन में 7.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है तो वहीं राष्ट्रीय जीडीपी में कृषि उत्पादों का 18 प्रतिशत योगदान है। ऐसे में कृषि क्षेत्र पर समग्रता और व्यापकता से विचार करने की आवश्यकता है। यद्यपि विश्व बाजार में भारत की कृषि का निर्यात लगातार बढ़ता जा रहा है. तदुपरांत भी अनेक चुनौतियां हमारे सामने हैं। गेहूं,चावल, दलहन एवं भिन्न-भिन्न प्रकार के खाद्यान्नों का समुचित और सुरक्षित भंडारण एक बड़ी चुनौती है। प्रतिवर्ष हजारों टन खाद्यान्न सड़ जाता है अथवा कीड़ों के द्वारा नष्ट कर दिया जाता है। कई बार भिन्न-भिन्न प्रदेशों में उगाई जा रही फल एवं सब्जियां समुचित यातायात और कोल्ड स्टोरेज के अभाव में बर्बाद हो जाती हैं। आज राष्ट्रीय और वैश्विक फलक पर आम जन की खानपान की शैली बदल रही है, ऐसे में खाद्यान्न उत्पादन के साथ-साथ खाद्य प्रसंस्करण भी आवश्यक है। यह बहुत महत्वपूर्ण एवं व्यापक क्षेत्र है। वैश्विक बाजार में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है। नीदरलैंड, मलेशिया और थाईलैंड जैसे छोटे-छोटे देश खाद्य प्रसंस्करण की भागीदारी में हमसे कई गुना आगे हैं। एक रिपोर्ट में यह सामने आया है कि खाद्य प्रसंस्करण की दर बहुत कम होने से और सप्लाई चैन की अक्षमता के कारण प्रतिवर्ष 20- 25 प्रतिशत उत्पादन बर्बाद हो जाता है। इसलिए आज कृषि क्षेत्र में व्यापक स्तर पर निजीकरण की भी आवश्यकता है। आज जब विकसित कृषि एक बड़े संकल्प के रूप में उभर रही है तब यह आवश्यक है कि प्रत्येक प्रदेश की जलवायु, वहां की मिट्टी एवं प्रकृति के अनुसार कृषि के लिए योजनाएं बनें। वहां की आवश्यकता के अनुसार बीज, खाद, कीटनाशक एवं भंडारण सुविधा उपलब्ध करवाई जाएं। भिन्न-भिन्न प्रकार की जानकारियों एवं जागरूकता हेतु समय-समय पर किसानों से संवाद हों। स्वयं सहायता समूहों को अधिकाधिक प्रोत्साहित किया जाए। आज यह भी आवश्यक है कि कृषि क्षेत्र से संबंधित शोध वातानुकूलित कक्षों से निकलकर जमीन तक पहुंचे। साथ ही यह भी आवश्यक है कि कृषि क्षेत्र में शिक्षित और नवोंमेषी युवाओं की भागीदारी बढ़े। कृषि क्षेत्र के लिए बड़ी संख्या में तकनीक और उन्नत उपकरणों की आवश्यकता हेतु निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित किया जाए। विगत कुछ दिनों से सोशल मीडिया में कृषि मंत्री द्वारा लीची,पपीता, गन्ना और भिन्न-भिन्न प्रकार की खेती करने वाले किसानों के साथ खेत में पहुंचकर संवाद के वीडियो सामने आ रहे हैं। सकारात्मक यह है कि वे स्वयं किसानों की समस्याएं जानकर उनके तत्काल समाधान हेतु प्रयासरत हैं। ऐसे में पॉलीहाउस, कोल्ड स्टोरेज और विभिन्न उपकरणों के निर्माण में निजी क्षेत्र बड़ा सहायक हो सकता है। कृषि के साथ-साथ बांस की खेती, पशुपालन, मधुमक्खी पालन जैसी गतिविधियां भी किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार हेतु अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ज्वार, बाजरा, मक्का,रागी जैसे मोटे अनाजों की राष्ट्रीय और वैश्विक मांग लगातार बढ़ रही है। इसके लिए उन्नत बीज, खाद एवं कीटनाशकों की उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी। कुछ राज्यों से अमानक एवं नकली बीज, उर्वरक व कीटनाशकों के समाचार एक बड़ी एवं गंभीर चुनौती है। इससे फसल की गुणवत्ता खराब होने के साथ-साथ किसानों की आय पर भी बुरा असर पड़ता है। पैदावार कम होती है, साथ ही ये किसान और मिट्टी दोनों का स्वास्थ्य बिगाड़ रहे हैं। लंबे समय से बाजार में बायोस्टिमुलेंट उत्पादों की बिक्री के भी समाचार आ रहे हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। अगस्त 2023 में छपे एक समाचार के अनुसार रासायनिक खाद व कीटनाशक किसानों का स्वास्थ्य बिगाड रहे हैं। प्रबंधन अध्ययन अकादमी लखनऊ और हैदराबाद की ओर से किए गए एक सर्वे में पता चला है कि 22 प्रतिशत किसानों ने सांस की तो 40 प्रतिशत ने सिर दर्द की शिकायत की है। 16 प्रतिशत किसानों में कैंसर का प्रभाव तो 37 प्रतिशत में त्वचा रोगों की शिकायत मिली है। क्या यह चिंताजनक नहीं है? विकसित कृषि के संकल्प के लिए यह आवश्यक है कि यथाशीघ्र बीज, उर्वरक और कीटनाशक एक्ट बने और उसे दंड के कठोर प्रविधानों के साथ तत्काल लागू किया जाए। हाल ही में कृषि मंत्री ने कहा भी है कि अमानक बीज, खाद एवं कीटनाशक गंभीर विषय है जिसे लेकर सरकार जल्द कड़ा कानूनी प्रविधान करेगी…। स्पष्टत: राष्ट्रीय और वैश्विक आवश्यकता की पूर्ति हेतु कृषि क्षेत्र में व्यापक स्तर पर सुधारों की आवश्यकता है। इसके लिए विकल्पहीन प्रतिबद्धता से योजनाएं बनाकर उन्हें शीघ्रता से लागू करना होगा। क्योंकि विकसित कृषि से ही विकसित राष्ट्र का संकल्प साकार होगा। डा.वेदप्रकाश Read more » The path to developed India through developed agriculture विकसित कृषि से विकसित भारत की राह
राजनीति ट्रम्प भारत और मोदी से नाराज क्यों है August 4, 2025 / August 4, 2025 by राजेश कुमार पासी | Leave a Comment राजेश कुमार पासी डोनाल्ड ट्रंप जब चुनाव लड़ रहे थे तो भारत का एक बड़ा वर्ग उनकी जीत की कामना कर रहा था । डोनाल्ड ट्रंप के पिछले कार्यकाल के कारण उन्हें भारत समर्थक माना जा रहा था इसलिए उनकी जीत पर भारत में जश्न मनाया गया । डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता में आने के बाद […] Read more » Why is Trump angry with India and Modi ट्रम्प भारत और मोदी से नाराज
राजनीति बिहार में चुनाव सुधार और मतदाता पुनरीक्षण : लोकतंत्र की मजबूती बनाम सियासत की चाल August 4, 2025 / August 4, 2025 by अशोक कुमार झा | Leave a Comment अशोक कुमार झा लोकतंत्र की असली ताक़त मतदाता होता है। मतदाता का अधिकार केवल एक पर्ची या बटन दबाने तक सीमित नहीं, बल्कि लोकतंत्र की नींव का प्रतीक है। लेकिन जब मतदाता सूची ही त्रुटिपूर्ण, अधूरी और संदिग्ध हो, तो लोकतंत्र की पूरी इमारत खोखली हो जाती है। बिहार—जो हिंदुस्तान की राजनीति का धड़कता दिल माना जाता है—आज इसी चुनौती से जूझ […] Read more » Election reform and voter revision in Bihar: Strengthening of democracy versus political tactics बिहार में चुनाव सुधार
राजनीति टैरिफ दादागिरी के बीच ‘स्वदेशी’ एक जनक्रांति बने August 4, 2025 / August 4, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment – ललित गर्ग – वाराणसी में अपने लोकसभा क्षेत्र से एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों का आह्वान किया है कि वे संकल्प लें कि अपने घर स्वदेशी सामान ही लाएंगे। उनका यह आह्वान न केवल राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ‘दबाव की राजनीति’ और ‘टैरिफ की दादागिरी’ का माकूल जबाव है बल्कि भारत […] Read more » ‘स्वदेशी’ एक जनक्रांति बने
राजनीति भारत में मांसाहारी दुग्ध उत्पाद और चारा बेचना चाहता है अमेरिका August 4, 2025 / August 4, 2025 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ऊल-जलूल टैरिफ संबंधी घोषणाएं करके भारत पर बेवजह दबाव बनाने में लगे हैं। उन्होंने 1 अगस्त से भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का एकतरफा निर्णय ले लिया है। यही नहीं ट्रंप ने रूस से सैन्य उपकरण और कच्चा तेल खरीदने की वजह से अतिरिक्त जुर्माना लगाने की बात भी कही है। यह टैरिफ […] Read more » America wants to sell non-vegetarian dairy products and feed in India मांसाहारी दुग्ध उत्पाद और चारा
राजनीति विधि-कानून बिहार को लेकर ‘सुप्रीम’ निर्णय August 1, 2025 / August 8, 2025 by राकेश कुमार आर्य | Leave a Comment बिहार विधानसभा का चुनाव के दृष्टिगत सभी के भीतर इस बात को लेकर कौतूहल है कि वहां सरकार का नेतृत्व कर रहे नीतीश कुमार अगली बार फिर सत्ता में लौटेंगे या नहीं ?दूसरे, यहां मोदी का जादू चलता है या नहीं? तीसरे, लालू की लालटेन यहां जलेगी या फिर राहुल गांधी कुछ विशेष कर पाएंगे […] Read more » 'Supreme' decision regarding Bihar
राजनीति हिन्दू कभी आतंकवादी नहीं हो सकता August 1, 2025 / August 1, 2025 by राकेश सैन | Leave a Comment राकेश सैन आपरेशन सिन्दूर पर संसद में हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए केन्द्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह ने राज्यसभा में कहा कि ‘मैं गर्व से कह सकता हूं कि कोई भी हिन्दू कभी आतंकवादी नहीं हो सकता।’ गृहमंत्री ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधते हुए कहा कि वोट बैंक की राजनीति के लिए उसने भगवा आतंकवाद का झूठा सिद्धान्त बनाया। कांग्रेस ने बहुसंख्यक समुदाय को बदनाम करने की कोशिश की लेकिन भारत की जनता ने इस झूठ को नकार दिया। शाह के इस बयान के बाद चर्चा छिड़ी है कि उन्होंने आखिर ऐसा दावा कैसे कर दिया कि हिन्दू कभी आतंकी नहीं हो सकता? पूछा जा रहा है कि उन्होंने भावावेश में आकर अतकथनी कर दी या हिन्दू अस्मिता के प्रेम में फंस कर ये दावा कर दिया? अमित शाह का उक्त कथन उन लोगों के तो गले बिल्कुल नहीं उतर रहा जो अभी तक इसी विमर्श को पल्लवित- पोषित करते आ रहे हैं कि ‘आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता’, तो फिर कैसे हिन्दुओं को इस मामले में एकतरफा चरित्र प्रमाणपत्र दिया जा रहा है? निष्पक्ष हो कर अमित शाह के ब्यान को जांचा-परखा जाए तो सामने आता है कि इसमें न तो अतिरंजना है न मनोवेश या अतिश्योक्ति, बल्कि यह एतिहासिक सत्य, भारत-भूमि पर पनपा प्रमाणिक हिमालयी तथ्य है कि हिन्दू कभी आतंकवादी नहीं हो सकता। आइए सबसे पहले जानें कि आतंकवाद आता कहां से है, इसका वीर्य क्या है? असल में विश्व में ईश्वर को लेकर दो तरह की अवधारणाएं या मार्ग हैं, एक सनातन व दूसरा सेमेस्टिक या सामी। सभी मार्ग सम्मानित हैं, पर इनमें मौलिक अन्तर हैं। सेमेस्टिक मजहब में ईश्वर का एक निश्चित संदेशवाहक या पैगम्बर या दूत, एक ही धर्म ग्रन्थ रहता है-जैसे इस्लाम, ईसाई व यहूदी मजहब। उक्त सभी मजहब अपने- अपने पैगम्बर को ईश्वर का अंतिम दूत और अपने-अपने धर्म ग्रन्थों में वर्णित बातों को ही ईश्वर का अंतिम सन्देश मानते हैं। सामी मजहब वाले केवल ऐसा मानते ही नहीं बल्कि अपने पैगम्बर व ग्रन्थों की बातों को दूसरे से श्रेष्ठ मानते हुए उन पर थोपने का प्रयास भी करते हैं। धीरे-धीरे इनके अनुयायियों में श्रेष्ठता की यही ग्रन्थी केवल मजहबी उन्माद तक ही सीमित नहीं रहती बल्कि रहन-सहन, खान-पीन, भाषा-वाणी अर्थात जीवन के हर क्षेत्र को संक्रमित कर देती है। दूसरे को हीन समझ उस पर अपने विचार व आस्था लादने के लिए कोई क्रूसेड करता है तो कोई जिहाद। दुनिया में ईसाईयत व इस्लाम के नाम पर जो अत्याचार, हिंसा, खूनखराबा हुआ सभी इसी श्रेष्ठता की ग्रंथि के संक्रमण के चलते हुआ। दूसरे की आस्था के प्रति असम्मान, हिकारत, तिरस्कार में ही आतंकवाद के बीज छिपे रहते हैं। मध्ययुग में ईसाईयत के नाम पर आतंकवाद फैला परन्तु पश्चिमी समाज में आई नवचेतना के चलते इसने रूप बदल कर सेवा व लालच का ले लिया परन्तु इस्लाम के प्रचार-प्रसार का अमानवीय ढंग निरंतर जारी रहा, जिसे आज इस्लामिक आतंकवाद कहा जाने लगा है। आज ईसाई मिशनरी सेवा व लालच के बल पर धर्मपरिवर्तन करते हैं और जिहादी बंदूक की नोक पर, दोनों का लक्ष्य एक ही है कि अपने-अपने मजहबों की संख्या बढ़ाना चाहे साधन अलग-अलग हैं। इस्लामिक जिहाद की तरह अगर ईसाईयों की सेवा व प्रलोभन के प्रपंचों को भी आतंकवाद का नाम दे दिया जाए तो कोई विषय भटकाव नहीं होगा। सामी मजहबों के विपरीत दूसरी विचारधारा है सनातन जिसे हिन्दू धर्म भी कहते हैं। ‘श्री अरविन्द की दृष्टि में हिन्दू धर्म और सामी मजहब’ पुस्तक में महर्षि अरविन्द कहते हैं-‘‘जिस धार्मिक संस्कृति को हम आज हिन्दू धर्म के नाम से पुकारते हैं, उसने अपना कोई नाम नहीं रखा क्योंकि उसने स्वयं अपनी कोई साम्प्रदायिक सीमा नहीं बांधी। उसने सारे संसार को अपना अनुयायी बनाने का कोई दावा नहीं किया, किसी एकमात्र निर्दोष सिद्धांत की प्रस्थापना नहीं की, मुक्ति का कोई एक ही संकीर्ण पथ या द्वार निश्चित नहीं किया। वह कोई मत या पन्थ की अपेक्षा कहीं अधिक मानवआत्मा के ईश्वरोन्मुख प्रयास की एक सतत् विकासशील परम्परा है।’’ सनातन का विचार है ‘एकम सत विप्रा बहुधा वदन्ति’ अर्थात सत्य एक है जिसे विद्वान उसे विभिन्न नामों से बुलाते हैं। ‘अयं निज: परो वेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्।। अर्थात तेरे-मेरे की भावना छोटे मन का प्रतीक है, उदारचित्त वालों के लिए तो सारी पृथ्वी ही एक परिवार है। सनातन धर्म मानता है तेरा धर्म तुझे मुबारक और मेरी आस्था मुझे। दोनों ही मार्ग श्रेष्ठ हैं। मार्ग अलग-अलग हैं परन्तु सभी की मंजिल एक है, जैसे सभी नदियां अंतत: एक समुद्र में विलीन हो जाती हैं उसी तरह सभी पथ उसी एक मंजिल पर ही मिलते हैं। यही भावना है जो हिन्दू को आतंकवादी बनने से रोकती है। इतिहास साक्षी है कभी भारत ने तलवार के जोर पर न तो किसी के भू- भाग को कब्जाया और न ही दूसरे पर अपना धर्म या विचार थोपा। इसी सर्वसमावेशी व सर्वपन्थ समादर भाव वाली जीवन शैली के आधार पर ही अमित शाह ने राज्यसभा में डंके की चोट पर दावा किया कि हिन्दू कभी आतंकवादी नहीं हो सकता। केवल आस्था ही क्यों, हिन्दू ने तो कभी नास्तिक या अनिश्वरवादियों को भी नहीं दुत्कारा। महर्षि चारवाक ईश्वरवाद के उलट और पूर्णत: भौतिकवादी थे। वेदों के बारे उनके विचार नकारात्मक थे परन्तु हिन्दू समाज ने उन्हें भी महर्षि की उपाधि दी जबकि सेमस्टिक मजहबों में नास्तिकों को ‘नोन-बिलीवर या काफिर’ कह कर दण्डित करने का प्रचलन है। सनातन समाज ने कभी अपने आप को किसी देव विशेष, ग्रन्थ विशेष या व्यक्ति विशेष से नहीं बांधा बल्कि सत्य की यात्रा को अनवरत बताया। हमारी परम्परा में देह वासना और लोकवासना की भान्ति देववासना व शास्त्र वासना को भी मुक्ति मार्ग की बाधा बताया गया है। इसी तरह की अनेक विशेषताएं हैं जो सत्य सनातन धर्म के मानने वाले अनुयायी को संकीर्ण, कट्टर व आततायी होने की अनुमति नहीं देती। अमित शाह ने संसद में हिन्दू धर्म को लेकर जो दावा किया है वह ऐतिहासिक सत्यता व प्रमाणिकता की कसौटी पर सौ टंच खरा उतरता है। राकेश सैन Read more » A Hindu can never be a terrorist
राजनीति अब ‘नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार’ पृथ्वी पर रखेगा नजर August 1, 2025 / August 1, 2025 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment रामस्वरूप रावतसरे भारत आंध्र प्रदेश राज्य में श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 30 जुलाई 2025 को एक बेहद महत्वाकांक्षी मिशन के सेटेलाइट ‘निसार’ को जीएसएलवी-एफ16 प्रक्षेपण यान के जरिए लॉन्च किया गया। ये सेटेलाइट केंद्र से उड़ान भरकर सूर्य की समकालिक ध्रुवीय कक्षा में स्थापित होगा। निसार का पूरा नाम ‘नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार’ है। ये एक अत्याधुनिक […] Read more » नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार
राजनीति विश्ववार्ता मालदीव के साथ प्रगाढ़ होते भारत के संबंध August 1, 2025 / August 1, 2025 by डॉ.बालमुकुंद पांडेय | Leave a Comment डॉ.बालमुकुंद पांडेय भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पड़ोसी देशों के साथ सौहार्दपूर्ण एवं मधुर संबंध को बनाए रखने की प्राथमिकता दे रहे हैं । मोदी जी विगत जुलाई महीने में 25 एवं 26 को मालदीव की यात्रा पर गए थे। सामरिक एवं व्यापारिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण पड़ोसी, मालदीव अपने देश का 60वा स्वतंत्रता दिवस […] Read more » India's relations with Maldives are deepening मालदीव के साथ प्रगाढ़ होते भारत के संबंध
राजनीति समृद्धि की चिडिय़ा या शक्ति का शेर: देश की दिशा कौन तय करेगा? August 1, 2025 / August 1, 2025 by अमरपाल सिंह वर्मा | Leave a Comment अमरपाल सिंह वर्मा क्या भारत को फिर से ‘सोने की चिडिय़ा’ बनाने की बात अब अप्रासंगिक हो गई है? आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कोच्चि में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन में अपने भाषण में स्पष्ट रूप से जो कुछ कहा है, उसी से यह प्रश्न उठा है। उन्होंने कहा है कि भारत को अब अतीत […] Read more » शक्ति का शेर
राजनीति मालेगांव विस्फोट एवं भगवा पर कलंक की साजिश August 1, 2025 / August 1, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग-29 सितंबर 2008 को मालेगांव में हुए बम विस्फोट की न्यायिक परिणति ने एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि कैसे सत्ता, वोटबैंक और वैचारिक पूर्वाग्रहों ने भारतीय न्याय और निष्पक्षता की नींव को झकझोर दिया। मुंबई की एनआईए कोर्ट द्वारा सातों आरोपियों-प्रज्ञा सिंह ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित सहित को सबूतों के […] Read more » Malegaon blast and conspiracy to tarnish saffron image मालेगांव विस्फोट एवं भगवा पर कलंक मालेगांव विस्फोट एवं भगवा पर कलंक की साजिश