राजनीति ट्रंप की वापसी और व्यापार युद्ध की वैश्विक आग: दुनिया के लिए चेतावनी की घंटी July 11, 2025 / July 11, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment डोनाल्ड ट्रंप की संभावित वापसी के साथ वैश्विक व्यापार युद्ध का खतरा फिर गहराने लगा है। उन्होंने विभिन्न देशों को शुल्क बढ़ोतरी की चेतावनी देते हुए पत्र भेजे हैं। इससे भारत सहित दुनिया भर में आर्थिक अस्थिरता बढ़ सकती है। भारत को आत्मनिर्भर बनते हुए, नए साझेदारियों पर ध्यान देना चाहिए और विश्व मंचों पर […] Read more » ट्रंप की वापसी और व्यापार युद्ध की वैश्विक आग व्यापार युद्ध की वैश्विक आग
राजनीति ई-वोटिंग: लोकतंत्र की मजबूती या तकनीकी जटिलता? July 11, 2025 / July 11, 2025 by डॉ. सत्यवान सौरभ | Leave a Comment ई-वोटिंग मतदान प्रक्रिया को सरल, सुलभ और व्यापक बनाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम हो सकता है। बिहार के प्रयोग से स्पष्ट है कि मोबाइल ऐप के माध्यम से मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी संभव है। हालांकि, तकनीकी पहुंच, साइबर सुरक्षा, मतदाता की पहचान और गोपनीयता जैसी चुनौतियाँ इस प्रणाली के समक्ष खड़ी हैं। डिजिटल […] Read more » E-voting: Strengthening of democracy or technical complexity ई-वोटिंग
राजनीति भारत और त्रिनिदाद — दो तट, एक आत्मा। July 10, 2025 / July 10, 2025 by सचिन त्रिपाठी | Leave a Comment सचिन त्रिपाठी जब भारत की पवित्र गंगा के घाटों से कुछ गरीब और मजबूर हाथ नावों में सवार हुए थे, तब उन्हें नहीं पता था कि उनके भाग्य की पतवार किसी और ही तट पर लगने वाली है। त्रिनिदाद और टोबैगो कैरेबियन सागर का यह छोटा सा द्वीपीय देश भारत से हजारों मील दूर होते हुए भी, भारतीय हृदय और इतिहास से गहराई से जुड़ा है। यह रिश्ता केवल कूटनीति या व्यापार का नहीं, बल्कि एक सामूहिक स्मृति और साझा संस्कृति का है। इस रिश्ते की शुरुआत 30 मई 1845 को हुई, जब ‘फाटेल रोज़ैक’ नामक जहाज भारत से 225 श्रमिकों को लेकर त्रिनिदाद पहुंचा। ब्रिटिश साम्राज्य ने दास प्रथा समाप्त होने के बाद भारत से मजदूरों को गिरमिटिया व्यवस्था के तहत भेजना शुरू किया। 1917 तक लगभग 1.5 लाख भारतीयों को त्रिनिदाद लाया गया। वे खेतों में गन्ना काटते थे पर अपने साथ अपने रामचरितमानस, भोजपुरी लोकगीत, त्योहारों की परंपराएं और देवताओं की मूर्तियां भी लाए। वो परदेश को देश बनाने की यात्रा थी। मंदिर बने, मस्जिदें खड़ी हुईं, दीवाली और होली मनाई जाने लगी। त्रिनिदाद की माटी में तुलसी और नीम के पौधे पनपने लगे। आज त्रिनिदाद में 500 से अधिक मंदिर, रामलीला मंडलियां, और भोजपुरिया संस्कृति की झलक हर कोने में देखी जा सकती है। भारत और त्रिनिदाद का यह रिश्ता केवल सांस्कृतिक नहीं, राजनीतिक भी बना। बासदेव पांडे, एक गिरमिटिया वंशज, त्रिनिदाद के प्रधानमंत्री बने (1995–2001)। बाद में कमला प्रसाद बिसेसर भी प्रधानमंत्री बनीं। आज वहां की कुल जनसंख्या लगभग 14 लाख है, जिसमें से 37% लोग भारतीय मूल के हैं। वे राजनीति, शिक्षा, चिकित्सा, और मीडिया में प्रभावशाली भूमिका निभा रहे हैं। कूटनीतिक दृष्टि से भारत और त्रिनिदाद के संबंध 1962 में त्रिनिदाद की स्वतंत्रता के साथ ही औपचारिक रूप से स्थापित हुए। पोर्ट ऑफ स्पेन में भारतीय उच्चायोग न केवल राजनयिक काम करता है बल्कि हिंदी, योग, भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य को भी बढ़ावा देता है। 2025 में इस संबंध ने एक नई ऊंचाई तब छुई, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में त्रिनिदाद की ऐतिहासिक यात्रा पर गए। उन्होंने वहां की संसद को संबोधित किया और देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “ऑर्डर ऑफ द रिपब्लिक ऑफ त्रिनिदाद और टोबैगो” प्राप्त किया। यह सम्मान केवल भारत के प्रधानमंत्री को ही नहीं बल्कि उस पूरी ‘गिरमिटिया’ विरासत को समर्पित था जो शोषण से संस्कृति तक का सफर तय कर चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा केवल औपचारिकता नहीं थी, वह भारत की सॉफ्ट पावर, डायस्पोरा नीति और ग्लोबल साउथ लीडरशिप की स्पष्ट घोषणा थी। इस दौरान भारत और त्रिनिदाद के बीच 6 अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए जिनमें डिजिटल गवर्नेंस, स्वास्थ्य, कृषि, संस्कृति, खेल और शिक्षा शामिल हैं। भारत ने त्रिनिदाद को 2000 लैपटॉप, आधुनिक स्वास्थ्य उपकरण, और डिजिटल एजुकेशन प्लेटफार्म प्रदान किए। साथ ही, भारतीय मूल के नागरिकों के लिए ओवरसीज सिटीजनशिप ऑफ इंडिया सुविधा अब छठवीं पीढ़ी तक लागू कर दी गई है जिससे त्रिनिदाद में बसे भारतीय मूल के लोग अपने पुरखों की धरती से और मजबूती से जुड़ सकें। इस यात्रा के दौरान त्रिनिदाद ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की पूरी तरह से समर्थन की भी घोषणा की। यह भारत के लिए एक बड़ी रणनीतिक कूटनीतिक विजय है हालांकि, विरोध के स्वर भी उठे। कुछ स्थानीय संगठनों ने भारत में मानवाधिकार स्थिति को लेकर आपत्ति जताई पर ये स्वर सीमित रहे। बहुसंख्य भारतीय समुदाय और सरकार ने इस दौरे को एक सांस्कृतिक उत्सव की तरह अपनाया। भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ यहां खुलकर चमकी. योग दिवस, हिंदी सप्ताह, भारतीय फिल्म महोत्सव और रामायण मंचन जैसे कार्यक्रमों ने त्रिनिदाद की नई पीढ़ी को फिर से भारत की ओर मोड़ा है। हिंदी भाषा अब वहाँ के स्कूलों में एक वैकल्पिक विषय बन चुकी है। भारत और त्रिनिदाद का संबंध आज केवल इतिहास की विरासत नहीं रहा, वह एक जीवंत, क्रियाशील और गहराता हुआ संवाद है। कभी जो रिश्ता ‘आंसुओं’ और ‘अनुबंधों’ से शुरू हुआ था, वह आज पुरस्कारों, समझौतों और विश्वास के पुल से जुड़ा है। यह संबंध बताता है कि भारत की आत्मा कहीं भी हो, वह मिटती नहीं, वह पनपती है। त्रिनिदाद की मिट्टी में गंगा की गूंज, तुलसी की खुशबू और रामायण की चौपाइयां आज भी जीवित हैं। प्रधानमंत्री मोदी की हालिया यात्रा ने इस पुल को नया रंग दिया है। अब यह सिर्फ संस्कृति की नहीं, तकनीकी, शिक्षा, वैश्विक नेतृत्व और विकास की साझेदारी बन चुकी है और यह साझेदारी आने वाले दशकों में भारत की वैश्विक भूमिका को और सशक्त बनाएगी। सचिन त्रिपाठी Read more » India and Trinidad भारत और त्रिनिदाद
राजनीति ई- वोटिंग ने रच दिया इतिहास July 10, 2025 / July 10, 2025 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment संदर्भ- बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने देश में पहली बार नगर निगम चुनाव में मोबाइल से मतदान करायाप्रमोद भार्गवदेश में मतदान के प्रति अरुचि प्रत्येक चुनाव में देखने में आती रही है। रोगग्रस्त या अन्य लाचारों को तो छोड़िए, उच्च shikshit एवं सक्षम कुलीन वर्ग मतदान के प्रति सबसे ज्यादा उदासीन रहता है। वैसे तो निर्वाचन […] Read more » E-voting E-voting created history
राजनीति ‘जल गंगा संवर्धन अभियान’ से प्रदेश होगा जल-समृद्ध July 10, 2025 / July 10, 2025 by लोकेन्द्र सिंह राजपूत | Leave a Comment जल संरक्षण को लेकर सामूहिक जिम्मेदारी का भाव जगाता है यह अभियान, निकट भविष्य में आएंगे प्रभावी परिणाम – लोकेन्द्र सिंह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अपने अभिनव प्रयोगों से अपनी विशेष पहचान बना रहे हैं। मध्यप्रदेश में जल संरक्षण के लिए प्रारंभ हुआ ‘जल गंगा संवर्धन अभियान’ मुख्यमंत्री डॉ. यादव की दूरदर्शी पहल है। निकट भविष्य में हमें इसके […] Read more » जल गंगा संवर्धन अभियान
राजनीति बिहार चुनावों में महिलाओं पर दांव के निहितार्थ July 10, 2025 / July 10, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment -ललित गर्ग- बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव आयोग ने अभी तक मतदान की तारीखों की घोषणा नहीं की है, लेकिन राज्य में राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। विभिन्न राजनीतिक दल लुभावनी घोषणाएं कर रहे हैं, नये-नये मुद्दों को उछाला जा रहा है। गोपाल खेमका हत्याकांड हो या तंत्र […] Read more » Implications of betting on women in Bihar elections बिहार चुनावों में महिलाओं पर दांव
राजनीति बिहार चुनाव से पहले घोषणाओं का लगा अंबार ! July 10, 2025 / July 10, 2025 by सुनील कुमार महला | Leave a Comment हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिला आरक्षण को लेकर एक बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने यह घोषणा की है कि बिहार राज्य की मूल निवासी महिलाओं को अब राज्य की सभी सरकारी सेवाओं, संवर्गों और सभी स्तरों के पदों पर सीधी नियुक्ति में 35% आरक्षण दिया जाएगा तथा यह आरक्षण सभी […] Read more » A plethora of announcements before Bihar elections! बिहार चुनाव
राजनीति लुधियाना में इन्वेस्टर मीट पंजाब के उद्योगपतियों की मध्यप्रदेश में दस्तक July 10, 2025 / July 10, 2025 by प्रमोद भार्गव | Leave a Comment प्रमोद भार्गव मुख्यमंत्री मोहन यादव ने जब से मध्यप्रदेश की कमान संभाली है, तभी से वे देश के उद्योगपतियों को प्रदेश में पूंजी निवेश के लिए बातचीत कर रहे हैं। हाल ही में उन्होंने पंजाब की औद्योगिक राजधानी लुधियाना में प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित किए गए उद्योगपतियों से परस्पर संवाद कायम किया है। उन्हें प्रदेश […] Read more » पंजाब के उद्योगपतियों की मध्यप्रदेश में दस्तक
राजनीति अवैध घुसपैठियों के साथ क्यों खड़े हुए विपक्षी दल July 10, 2025 / July 10, 2025 by राजेश कुमार पासी | Leave a Comment राजेश कुमार पासी भारत के दूसरे विभाजन की नींव कांग्रेस ने विभाजन के दौरान ही रख दी थी. हम लाख कोशिश कर ले लेकिन हमारी तीसरी पीढ़ी के बाद की कोई एक पीढ़ी इस विभाजन की गवाह बन सकती है । आप कितनी भी सम्पति इकट्ठी कर ले लेकिन एक दिन खाली हाथ देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में जाना ही होगा जैसा कि 1947 में एक बार हो चुका है। इसकी बड़ी वजह यह है कि आरक्षण के लिए सवर्ण समाज जिस महापुरुष बाबा साहब अम्बेडकर को कोसता है, उनकी एक सलाह को कांग्रेस के नेतृत्व ने मानने से इनकार कर दिया था । बाबा साहब चाहते थे कि विभाजन से पहले दोनों देशों में आबादी की अदलाबदली हो जाए लेकिन कांग्रेस ने उनकी इस सलाह को सिरे से नकार दिया । सरदार पटेल भी ऐसा चाहते थे लेकिन कांग्रेस में उस समय वही होता था जो गांधी और नेहरू चाहते थे । बाबा साहब का कहना था कि भारत से गरीब देशों ने विभाजन से पहले आबादी की अदलाबदली की है क्योंकि ऐसा न करना दूसरे विभाजन को जन्म देना होगा । उनका कहना था कि अगर आबादी की अदलाबदली नहीं होती है तो समस्या वहीं खड़ी रहेगी और देश दंगों की आग में जलता रहेगा । आजादी के बाद हम अपने देश को लगातार दंगों की आग में जलता देख रहे हैं क्योंकि कांग्रेस ने इसका इंतजाम विभाजन के दौरान ही कर दिया था । आजादी के बाद कांग्रेस लगातर ऐसे हालात पैदा कर रही है कि भविष्य में भारत का एक और विभाजन हो जाए । विभाजन के बाद इस देश में मुस्लिमों की बड़ी आबादी भारत में रूक गई और पाकिस्तान में भी बड़ी आबादी हिन्दुओं की रूक गई । पाकिस्तान और बांग्लादेश धीरे-धीरे हिन्दुओं की बड़ी आबादी को खत्म कर चुके हैं और बची खुची को जल्दी ही समाप्त कर देंगे लेकिन भारत में मुस्लिमों की आबादी लगातार बढ़ती जा रही है । इसका पहला कारण तो यह है कि विभाजन के बाद भी भारत में मुस्लिमों का आना जारी रहा है और दूसरी सबसे बड़ी वजह यह है कि मुस्लिमों की जन्मदर हिन्दुओं के मुकाबले बहुत ज्यादा है । इसके अलावा बड़ी मात्रा में हिन्दुओं का धर्मपरिवर्तन आज भी जारी है । भारत ने विभाजन के बाद एक बड़ी समस्या का सामना किया है और वो मुस्लिमों की अवैध घुसपैठ की समस्या है । अवैध घुसपैठ भारत की बड़ी समस्या है. एक अनुमान के अनुसार भारत में लगभग 6 करोड़ बांग्लादेशी, रोहिंग्या और अन्य मुस्लिम देशों से आए अवैध घुसपैठ रह रहे हैं । वास्तव में भारत के विभाजन के लिए मुस्लिम लीग जिम्मेदार थी लेकिन आज तो भारत में कई मुस्लिम लीग हैं । जिन्हें हम सेकुलर पार्टियां बोलते हैं उनमें से ज्यादातर मुस्लिम लीग से भी ज्यादा साम्प्रदायिक सोच वाली पार्टियां हैं । मुस्लिम लीग मुसलमानों के लिए समान अधिकार मांगती थी लेकिन ये पार्टियां तो मुस्लिमों के लिए विशेषाधिकार मांगती हैं । आप सोचिए पाकिस्तान से आए हिन्दुओं की सम्पत्ति को पाकिस्तान की सरकार ने 1948 में ही शत्रु सम्पत्ति कानून बनाकर कब्जे में ले लिया था लेकिन भारत में इस सम्बंध में कांग्रेस ने 1968 तक कोई कानून ही नहीं बनाया । एक तरफ पाकिस्तान ने अपने देश में हिन्दुओं की छोड़ी गई सम्पत्ति को 1948 में ही कब्जे में ले लिया और भारत में आज तक मुकदमें चल रहे हैं । कांग्रेस का कमाल तो यह था कि 1968 में कानून बनाकर उसने पाकिस्तान गए मुस्लिमों की सम्पत्ति को कब्जे में लेने की जगह संरक्षित कर दिया था । पाकिस्तान में विस्थापितों के पुनर्वास की कोई समस्या नहीं आई क्योंकि उसने हिन्दुओं की सम्पत्ति उनके हवाले कर दी थी लेकिन भारत में विस्थापित भटकते रहे क्योंकि यहां उन्हें मुस्लिमों द्वारा छोड़ी सम्पत्ति से दूर रहने को कहा गया था । ये मुस्लिम तुष्टिकरण की समस्या आज भी हमारे देश में बनी हुई है । पहले सिर्फ कांग्रेस ऐसा कर रही थी लेकिन अब भाजपा के अलावा अन्य विपक्षी पार्टिायां भी इस काम में जुट गई हैं । भारत का विभाजन इसलिए नहीं होगा क्योंकि मुस्लिम ऐसा चाहते हैं बल्कि इसलिए होगा क्योंकि विपक्षी दल ऐसा चाहते हैं । विपक्षी दल मुस्लिमों को मुख्यधारा में शामिल होने से रोकने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं । ये दल उन्हें विशेष होने का अहसास कराने के लिए देश की मुख्यधारा से जुड़ने नहीं दे रहे हैं । सभी विपक्षी दल एनआरसी का विरोध करते हैं क्योंकि वो नहीं चाहते हैं कि भारत में अवैध रूप से रह रहे मुस्लिमों के खिलाफ कोई कार्यवाही की जा सके । कोई भी देश में अपने देश में किसी को नागरिकता बहुत सोच समझकर देता है लेकिन भारत में करोड़ो लोग अवैध घुसपैठ करके भारतीय नागरिक बनकर रह रहे हैं । ये घुसपैठिए न केवल भारत की अर्थव्यवस्था को चौपट कर रहे हैं बल्कि मतदाता बनकर सरकार भी चुन रहे हैं । ये घुसपैठिए विपक्षी दलों के बड़े वोट बैंक हैं इसलिए विपक्षी दल नहीं चाहते हैं कि इनके खिलाफ कोई कार्यवाही हो । चुनाव आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के सत्यापन और पुनरीक्षण का काम शुरू कर दिया है । जब से चुनाव आयोग ने इस काम को शुरू किया है, देश के विपक्षी दल चुनाव आयोग के विरोध में खड़े हो गए हैं । इस काम को रूकवाने के लिए ये लोग सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं ताकि अवैध घुपपैठियों का नाम मतदाता सूची से न हटे । सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक तो नहीं लगाई है लेकिन 10 जुलाई से इस पर विस्तार से सुनवाई करने का फैसला किया है । विपक्ष आरोप लगा रहा है कि सरकार चुनाव आयोग के माध्यम से कुछ लोगों को मताधिकार से वंचित करना चाहती है । इसका इस्तेमाल मतदाता सूचियों के आक्रामक और अपारदर्शी संशोधनों को सही ठहराने के लिए किया जा रहा है, जो मुस्लिम, दलित और गरीब प्रवासी समुदायों को असंगत रूप से लक्षित करते हैं । इसका भी विरोध किया जा रहा है कि इसकी शुरूआत बिहार से क्यों की जा रही है । सवाल यह है कि अगर यह सही है तो बिहार से शुरू करने में क्या बुराई है । कहा जा रहा है कि चुनाव आयोग अपने मनमाने और अनुचित आदेश से राज्य में करोड़ो मतदाताओं को मताधिकार से वंचित करना चाहता है । इसे मौलिक अधिकारों का हनन बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है । ममता बनर्जी ने इसे एनआरसी से भी ज्यादा खतरनाक बताया है । अगले साल बंगाल में चुनाव होने वाले हैं इसलिए वो अभी से मोर्चा खोकर बैठ गई हैं क्योंकि बंगाल में अवैध घुसपैठियों के भारी संख्या में होने का अनुमान है। चुनाव आयोग यह कार्यवाही संविधान के अनुच्छेद-326, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम और निर्वाचन पंजीकरण नियमावली 1960 के नियमों के अनुरूप कर रहा है । सवाल यह है कि जब चुनाव आयोग अपने संवैधानिक दायित्वों का पालन कर रहा है तो इससे लोकतंत्र की हत्या कैसे हो रही है और कैसे नागरिकों के अधिकार छीने जा रहे हैं । महाराष्ट्र में 40 लाख मतदाता बढ़ गए तो यही विपक्ष शोर मचा रहा था. अब चुनाव आयोग मतदाता सूची में सुधार करना चाहता है तो विपक्ष फिर शोर मचा रहा है । मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण अब तक नौ बार हो चुका है और इसमें से दो बार को छोड़कर ये काम कांग्रेस के शासन में किया गया है । 58 सालों में जो काम 9 बार किया गया, अब वो काम 22 सालों में एक बार होने जा रहा है तो विपक्ष इतना परेशान क्यों है । जब नौ बार पहले किया गया तो ठीक था लेकिन अब ऐसा क्या हो गया है कि संविधान और लोकतंत्र खतरे में आ गया है । विपक्ष का कहना है कि करोड़ों लोगों के नाम मतदाता सूची से कट सकते हैं । अब सवाल यह है कि जो लोग 22 सालों में दुनिया छोड़ गए या बिहार छोड़कर चले गए, उनका नाम मतदाता सूची से क्यों नहीं हटना चाहिए । चुनाव आयोग ने ऐसे दस्तावेज प्रस्तुत करने का कहा है जिससे कि साबित हो कि आप 2003 के पहले से भारतीय नागरिक हैं । आधार और राशन कार्ड को इससे बाहर रखा गया है क्योंकि ये बड़ी आसानी से फर्जी बनाए जाते हैं । विपक्ष इन्हें ही शामिल करने को कह रहा है । वास्तव में सारा शोरशराबा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि विपक्ष जानता है कि चुनाव आयोग की कार्यवाही से भारत में अवैध रूप से रह रहे घुसपैठिए मतदाता सूची से बाहर हो सकते हैं और भारत सरकार उनके खिलाफ आगे भी कार्यवाही कर सकती है । पूरा विपक्ष अवैध घुसपैठियों के बचाने के लिए मैदान में उतर आया है । सवाल फिर वही है कि जो लोग भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा हैं उनको बचाने की कोशिश क्यों की जा रही है । राजनीतिक फायदे के लिए देशहित की बलि क्यों दी जा रही है । अंत में इतना कहना चाहता हूं कि अवैध घुसपैठ, धर्मपरिवर्तन और तीव्र मुस्लिम जन्म दर एक दिन भारत का दूसरा विभाजन करवा सकती है । आजादी के बाद मुस्लिमों की आबादी नौ प्रतिशत से बढ़कर 16 प्रतिशत हो गई है । इसके लिए सिर्फ तीव्र मुस्लिम जन्मदर जिम्मेदार नहीं है बल्कि अवैध घुसपैठ और धर्मपरिवर्तन भी बड़ी वजह है । मुस्लिमों में कट्टरवाद और अलगाववाद बड़ी तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि राजनीतिक दल इसे अपने लिए फायदेमंद मानते हैं। पहले अंग्रेजों ने हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे को खत्म करके देश का विभाजन करवाया, अब यही काम हमारे देश के कुछ राजनीतिक दल कर सकते हैं। ये हमारी आदत है कि जब तक खतरा सिर पर नहीं आ जाता तब तक हम उसकी अनदेखी करते हैं। अभी खतरा दूर है लेकिन उसकी आहट महसूस की जा सकती है। राजेश कुमार पासी Read more » Why did the opposition parties stand with illegal intruders? अवैध घुसपैठियों के साथ विपक्षी दल
राजनीति वोटिंग लिस्ट के पुनरीक्षण को लेकर बवाल July 10, 2025 / July 10, 2025 by कुमार कृष्णन | Leave a Comment कुमार कृष्णन बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटिंग लिस्ट के पुनरीक्षण को लेकर बवाल मचा हुआ है। कारण चुनाव आयोग अपने नागरिकों से उसकी नागरिकता का प्रमाण मांग रहा है। चुनाव आयोग की तरफ से वोटिंग लिस्ट का पुनरीक्षण का काम शुरू भी कर दिया गया था और इसके लिए जो नियम बनाए गए थे। […] Read more » Uproar over revision of voting list
राजनीति डी के शिवकुमार को ‘सीएम इन वेटिंग’ में रखने के पीछे खरगे का पुत्र मोह तो नहीं! July 10, 2025 / July 10, 2025 by रामस्वरूप रावतसरे | Leave a Comment रामस्वरूप रावतसरे चिक्कबल्लापुर में मीडिया से बातचीत में कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने सीएम सिद्धारमैया के बारे में कहा, “मेरे पास और क्या चारा है? मुझे उनके साथ खड़ा होना है और उनका साथ देना है। मुझे इसमें कोई ऐतराज नहीं है। पार्टी हाईकमान जो कहेगा, जो फैसला करेगा, वो पूरा होगा, मैं अभी इस पर […] Read more » डी के शिवकुमार डी के शिवकुमार ‘सीएम इन वेटिंग’
राजनीति शख्सियत राजनाथ सिंहः रक्षा, राष्ट्रीयता और राजनीतिक कौशल के प्रतीक July 10, 2025 / July 10, 2025 by ललित गर्ग | Leave a Comment रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के 74वें जन्मदिवस – 10 जुलाई, 2025-ललित गर्ग- भारत के राजनीतिक आकाश पर जिन व्यक्तित्वों ने अपनी सादगी, दृढ़ता, राष्ट्रभक्ति और कर्मठता से अमिट छाप छोड़ी है, उनमें राजनाथ सिंह का नाम शीर्ष पर आता है। राजनाथ सिंह आज देश के रक्षा मंत्री के रूप में भारत की सुरक्षा नीति, सामरिक रणनीति और […] Read more » nationalism and political acumen Rajnath Singh: A symbol of defence रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के 74वें जन्मदिवस राजनाथ सिंह के 74वें जन्मदिवस